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यूनियन बजट - 2008-09 - कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना, 2008

आरबीआइ/2007-08/340
ग्राआऋवि.सं.पीएलएफएस.बीसी. 73/05.04.02/2007-08

30 मई 2008

अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (स्थानीय क्षेत्र के बैंकों सहित)

महोदय,

यूनियन बजट - 2008-09 - कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना, 2008

कृपया दिनांक 23 मई 2008 का हमारा परिपत्र ग्राआऋवि.सं. प्लान.बीसी. 72/05.04.02/2007-08 और उसके साथ प्रेषित कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना, 2008 देखें ।

2. इस संबंध में, भारत सरकार द्वारा दिनांक 23 मई 2008 के कार्यान्वयन परिपत्र द्वारा जारी स्पष्टीकरण संबंधी अनुपूरक अनुदेश अनुबंध में दिए गए हैं। अनुसूचित वाणिज्य बैंक (स्थानीय क्षेत्र के बैंकों सहित) इसे तुंत नोट करें और उन्हें योजना धके शीघ्र कार्यान्वयन हेतु फिल्ड स्तर के अधिकारियों / कर्मियों के बीच परिचालित करें ।

3. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और को-आपरेटिवों के लिए नाबार्ड द्वारा अनुदेश जारी किए जा रहे हैं।

4. दावे के प्रस्तुतीकरण, निगरानी, लेखापरीक्षा , आदि पर अलग से एक परिपत्र जारी किया जा रहा है।

भवदीय

(जी.श्रीनिवासन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

उक्त दिनांक का परांकन ग्राआऋवि.पीएलएफएस.सं. 12610/05.04.02/2007-08

प्रतिलिपि निम्नलिखित को सूचना और आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रेषित :
1.श्री अमिताभ वर्मा, संयुक्त सचिव, (एफएस), वित्त मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली।
2.प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, गारमेंट हाउस, वरली, मुंबई। वे कृपया इसी तरह के अनुदेश शहरी सहकारी बैंकों को जारी करें।
3.श्री एच.एन.सिनोर, कार्यपालक, भारतीय बैंक संघ, मुंबई।
4.
डाक सूची के अनुसार।

(विक्रम एस.बाजवा)
उप महाप्रबंधक


अनुबंध

वित्त मंत्रालय
वित्तीय सेवा विभाग

नई दिल्ली, दिनांक 28 मई 2008

कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना, 2008
कार्यान्वयन परिपत्र 1 / 2008

कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना व्यापक और स्वत: स्पष्ट है। सभी बैंकों के मुख्य कार्यपालकों से अनुरोध है कि वे यह सुनिश्चित करें कि योजना के कार्यान्वयन से संबंधित सभी व्यक्ति योजना के उपबंधों से भलिभांति परिचित ह। वे योजना का शीघ्र प्रभावी और सामयिक कार्यान्वयन भी सुनिश्चित करें।

2. इस परिपत्र में स्पष्टीकरण के रुप में कतिपय अनुपूरक अनुदेश शामिल हैं। योजना का कार्यान्वयन करने वाली एजेंसियां फिल्ड स्तर पर काम करने वाली संस्थाओं द्वारा उठाई जा सकने वाली शंकाओं के समाधान के लिए इन अनुदेशों को उपयोगी पाएंगी।

(i).केवल वे ही प्रत्यक्ष कृषि ऋण जो निम्नलिखित तीन शर्तें अर्थात्, (क) 31 मार्च 1997 और 31 मार्च 2007 के बीच वितरित किए गए हों, (ख) 31 दिसंबर 2007 को अतिदेय हो गए हों, और (ग) 29 फरवरी 2008 तक अदत्त रहे हों, योजना के अंतर्गत ऋण माफी / ऋण राहत के लिए पात्र होंगे।

    उदाहरणार्थ :

    i.कृषि संबद्ध कार्यकलापों के लिए दिए गए निवेश ऋण की कोई किस्त जो 31 दिसंबर 2007 को अतिदेय हो गई हो यदि 31 मार्च 2007 के बाद संवितरित की गई हो तो वह ऋण माफी / ऋण राहत के लिए पात्र नहीं होगी।
    ii.
    फसल उगाने के लिए 31 मार्च 2007 तक संवितरित 18 महीने की चुकौती अवधिवाला अल्पावधि उत्पादन ऋण यदि 31 मार्च 2007 को अतिदेय हो जाता है तो वह ऋण माफी / ऋण राहत के लिए पात्र नहीं होगा।

    (ii)नवेश ऋण की केवल किस्तें (संपूर्ण ऋण नहीं) जो ऋणावधि पुनर्निर्धारण की तारीख को अतिदेय थीं और निवेश ऋण के अंश की वे किस्तें जो ऋणावधि पुनर्निर्धारण की तारीख को देय नहीं थीं लेकिन बाद में 31 दिसंबर 2007 को देय हो गई हों, ऋण माफी / ऋण राहत के लिए पात्र होंगी। अत: ऋणावधि पुननिर्धारित किए गए निवेश ऋण के मामले में, ऋणावधि पुनर्निर्धारण किए गए निवेश ऋण के मामले में, ऋणावधि पुनर्निधार्रण की तारीख को अतिदेय किस्तें प्लस ऐसी किस्तें जो ऋणावधि पुनर्निर्धारण की तारीख को देय नहीं थीं लेकिन बाद में 31 दिसंबर 2007 को देय हो गई हों, ऋण माफी / ऋण राहत के लिए पात्र होंगी। उन मामलों में भी जहां कुल निवेश ऋण की अवधि पुनर्निर्धारित की गई है वहां ऋणावधि पुनर्निर्धारण की तारीख को केवल अतिदेय रही किस्तें और पुनर्निर्धारित न किए गए अंश की किस्तें जो 31 दिसंबर 2007 को अतिदेय हो गई हों, ऋण माफी / ऋण राहत के लिए पात्र होंगी।

    (iii)बैंकों द्वारा ऐसी कृषि ऋण सहकारी सोसायटियों को दिए गए ऋण को जो किसानों को प्रत्यक्ष ऋण देने के लिए ऋणदात्री संस्थाएं (योजना में परिभाषितानुसार) हैं, इस योजना में शामिल किया गया है।

    (iV)
    किसी अकेले उधारकर्ता के एक से अधिक कृषि ऋण खाते हो सकते हैं। इन खातों में अतिदेय ऋणों को योजना में अलग-अलग शामिल किया जाएगा। फसल ऋणों और निवेश ऋणों के मामलों में 25% की ओटीएस राहत भी (237 ग्रस्त जिलों में 20,000/- रुपए या 25% की राहत जो भी अधिक हो) अलग से लागू की जानी है।
    (V)कुछ अन्य संदर्भों में "सीमांत किसान", "छोटे किसान" और "अन्य किसान" की अलग क्षेत्रीय परिभाषाएं हो सकती हैं, उदाहरण के लिए बागानी फसलों के मामले में। तथापि, इस योजना के कार्यान्वयन के लिए "सीमांत किसान", या "छोटे किसान" या "अन्य किसान" के रूप में वर्गीकरण, योजना में यथानिर्धारित भूमिधारिता के मानदंडों के आधार पर किया जाएगा।तथापि, कृषि संबद्ध कार्यकलापों के लिए निवेश ऋण के मामले में, धारित भूमिका आकार कोई मानदंड नहीं है। यदि ऋण का मूल धन 50,000/- रुपए या कम है तो किसान को "छोटे और सीमांत किसान" के रूप में और यदि ऋण का मूलधन 50,000/- रुपए से अधिक है तो किसान के "अन्य किसान" की श्रेणी में वर्गीकृत किया जाएगा।
    (Vi)आंशिक रूप से संवितरित ऋण खातों के संबंध में, "पात्र राशि" 31 मार्च 2007 तक वास्तविक रूप में संवितरित ऋण के अंश/किस्तों की अतिदेय राशि तक सीमित होगी जो 31 दिसंबर 2007 को अतिदेय हो गई हो और 29 फरवरी 2008 तक अप्रदत्त रही हो।

    (Vii)
    लेखाकरण मानदंडों में यह व्यवस्था दी गई है कि एनपीए खातों, "सुट-फाइल्ड " खातों और "रिकाल्ड" ऋणों के मामलों में संपूर्ण ऋण को इसी तरह वर्गीकृत किया जाएगा। तथापि, इस योजना के प्रयोजन के लिए, ऐसे ऋणों की वे किस्तें जिनका संवितरण 31 मार्च 2007 तक किया गया था और जो 31 मार्च 2007 को अतिदेय हो गई थें और 29 फरवरी 2008 तक जो अप्रदत्त रही थीं, ऋण माफी / ऋण राहत के लिए पात्र होंगी।

    (Viii)ऋण देने वाली संस्थाओं द्वारा बट्टे खाते डाले गए (विवेक से या वास्तव में) ऋण की राशि को योजना में कवर नहीं किया जाएगा। बट्टे खाते डाले गए ऐसे ऋणों के लिए न तो सरकार को दावा प्रस्तुत किया जाएगा और न ही किसान से उसकी वसूली की जाएगी। तथापि, ऋण देने वाली संस्थाओं ने जिन किसानों के ऋण (विवेक से या वास्तव में) बट्टे खाते डाल दिए हैं ऐसे किसान ऋणदात्री संस्थाओं से नए ऋण पाने के पात्र होंगे।
    (iX)
    (क) ऋण देने वाली संस्थाएं मूल धन की राशि से अधिक ब्याज, न लगाया गया ब्याज, दंडात्मक ब्याज, विधि प्रभार, निरीक्षण प्रभार और विविध प्रभार आदि के बारे में न तो केंद्र सरकार को कोई दावा प्रस्तुत करेंगी और न ही किसानों से वसूलेंगी। ऐसे सभी ब्याज / प्रभार ऋणदात्री संस्थाएं वहन करेंगी।

    (ख) 1 अप्रैल 2006 के बाद संवितरित फसल ऋण पर ब्याज की गणना 7% प्रतिवर्ष से अनधिक दर से की जाएगी। फसल ऋण पर 7% प्रतिवर्ष से अधिक ब्याज की राशि ऋणदात्री संस्था वहन करेगी।

    (ग) ऋण माफी / ऋण राहत के लिए अपात्र ऋण राशि पर सामान्य ब्याज दर लागू रहेगी।
    (X)सोने के आभूषणों को गिरवी रखकर दिए गए अल्पावधि ऋणों को योजना में शामिल किया गया है बशर्ते ऐसे ऋण कृषि प्रयोजनों के लिए दिए गए हों। तथापि, लागू ब्याज दर ऋणदात्री संस्था द्वारा तदनुरूपी वर्ष में कृषि ऋणों के लिए सामान्यत: लगाई गई दर से अधिक नहीं होगी और न ही 1 अप्रैल 2006 के बाद संवितरित ऋणों के संबंध में 7% प्रति वर्ष की दर से अधिक होगी।
    (Xi)तटीय मत्स्योद्योग मछलीपालन क्षेत्र की परिधि में आएगा और ऋणदात्री संस्थाओं द्वारा तटीय मत्स्योद्योग को दिया गया ऋण कृषि संबद्ध कार्यकलापों के लिए निवेश ऋण के अंतर्गत शामिल किया जाएगा
    (Xii)
    भंडारण सुविधाएं देने के लिए निर्माण ऋण को योजना में शामिल नहीं किया गया है। जमीन खरीदने, फार्महाउस, शेड, पेंसिंग आदि के निर्माण को भी योजना के अंतर्गत शामिल नहीं किया गया है।
    (Xiii)
    किसानों को दिए गए प्रत्यक्ष कृषि ऋणों को ही योजना के अंतर्गत शामिल किया गया है। किसानों को कृषि से इतर प्रयोजनों के लिए तथा कंपनियों, या अन्य विधिक व्यक्तियों, जैसेकि पंजीकृत सोसायटियां, न्यास, भागीदारी फर्मों आदि को कृषि के प्रयोजन के लिए दिए गए ऋणों को योजना केध अंतर्गत शामिल नहीं किया गया है।
    (Xiv)
    अल्पावधि उत्पादन ऋण में पारंपरिक और गैर-पारंपरिक बागान और बागवानी के लिए एक लाख रुपए तक के कार्यशील पूंजीगत ऋण शामिल होगा। इसका यह अर्थ हुआ कि इन श्रेणियों के लिए कार्यशील पूंजीगत ऋण की केवल एक लाख रुपए तक की राशि को हिसाब में लिया जाएगा और हिसाब में ली गई इस राशि में से 31 दिसंबर 2007 को अनियमित रही राशि ही ऋण माफी या ओटीएस के अंतर्गत राहत के लिए पात्र होगी ( न कि एक लाख रूपए की पूरी राशि) ।
    (Xv)
    यह योजना 30 जून 2008 तक कार्यान्वित की जाएगी और रिज़र्व बैंक और नाबार्ड कृपया ऋण माफी और ऋण राहत योजना के कार्यान्वयन में हुई प्रगति की दैनिक आधार पर 31 जुलाई 2008 तक और उसके बाद साप्ताहिक आधार निगरानी करने के लिए एक कार्यप्रणाली लागू करें।
    (Xvi)ऋणदात्री संस्थाएं योजना में बताए गए अनुसार प्रत्येक राज्य में एक शिकायत निवारक अधिकारी नियुक्त करेंगी और अनुपालन की सूचना 5 जून 2008 तक रिज़र्व बैंक और नाबार्ड को देंगी।
    (Xvii)अनुसूचित वाणिज्य बैंकों के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के अध्यक्ष, सहकारी को-ऑपरेटिव क्रेडिट संस्थाओं के मुख्य कार्यपालक ऐसे वरिष्ठ अधिकारियों को चूने जो ऋणदात्री संस्थाओं की शाखाओं में जाकर योजना का सुचारू कार्यान्वयन सुनिश्चित करें। नामित अधिकारियों द्वारा ऋण दात्री संस्था की प्रत्येक शाखा का जून 2008 के दूसरे या तीसरे सप्ताह में कम से कम एक दौरा अवश्य किया जाना चाहिए। इसके अलावा ऋण माफी और ऋण राहत योजना के कार्यान्वयन की प्रक्रिया की देखरेख करने के लिए अनुसूचित वाणिज्य बैंकों के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के अध्यक्षों और को आपरेटिव क्रेडिट संस्थाओं के मुख्य कार्यपालकों को जून और जुलाई महिनों में व्यापक दौरे करने चाहिए। इन दौरों और भेंटों का प्राथमिक उद्देश्य प्रत्येक मामले में ऋण माफी और ऋण राहत के ब्योरों सहित लाभार्थियों की सटिक सूची तैयार करना, 30 जून 2008 तक की सूची प्रदर्शित करना और किसानों को प्रमाणपत्र जारी करना होगा।
    (Xviii)
    यह सुनिश्चित किया जाए कि सूचियां 30 जून 2008 तक अवश्य प्रदर्शित की जाती हैं। शाखा प्रबंधक द्वारा सावधानीपूर्वक सत्यापन करने और उससे प्रवर अधिकारी, अधिमान्यत: ऊपर पैरा (xvii) के अनुदेशों के अनुसार समनुदेशित वरिष्ठ अधिकारी द्वारा अधिजांच करने के बाद सूचियां हस्ताक्षरित की जानी चाहिए। सूची में समावेशन और बेदखली संबंधी त्रुटियों से बचने के हर संभव प्रयास किए जाने चाहिए। लाभार्थियों की सूची सत्यता और संपूर्णता के लिए दो अधिकारी जिम्मेदार होंगे।
    (XiX)
    ऋणदात्री संस्थाओं के सभी अधिकारियों को योजना के पैरा 11 के बारे में बताया जाना चाहिए जो लेखापरीक्षा से संबंधित है। सभी अधिकारियों को जोर देकर यह बताया जाए कि चूंकि केंद्र सरकार पर ऋणदात्री संस्थाओं के दावे लेखापरीक्षित लेखा बहियों के आधार पर निपटाए जाते हैं, इसलिए लाभार्थियों की सूचियां तैयार करने में आवश्यक सावधानी बरतना बहुत महत्वपूर्ण है।
    (XX)
    भारतीय रिज़र्व बैंक, नाबार्ड के साथ परामर्श करके "अन्य किसानों" से प्राप्त किये जाने वाले आटीएस वचनपत्र के साथ साथ किसान को दिए जाने वाले ऋण माफी या ऋण राहत के प्रमाणपत्र जिसमें प्रमाणपत्र प्राप्त करने की पावती की व्यवस्था हो, के आवश्यक प्रारूप निर्धारित करें।
    (XXi)
    भारतीय रिज़र्व बैंक और नाबार्ड से अनुरोध है कि वे ऋणदात्री संस्थाओं को ये अनुदेश जारी करें और योजना के कार्यान्वयन के पर्यवेक्षण के लिए तुंत उपाय करें। वे यह सुनिश्चित करें कि स्थानीय क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और योजना में परिभाषितानुसार शहरी सहकारी बैंकों सहित संबंधित कोऑपरेटिव क्रेडिट संस्थाओं को योजना के कर्तव्यपरायण और समयबद्ध कार्यान्वयन के महत्व के प्रति सुग्राही बनाया जाता है।

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