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यूनियन बजट - 2008-09 - कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना, 2008

भारिबैं / 2007-08 / 373

भारिबैं / 2007-08 / 373
ग्राआऋवि.सं.पीएलएफएस.बीसी. 78 /05.04.02 /2007-08

19 जून 2008

अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (स्थानीय क्षेत्र के बैंकों सहित)

महोदय,

यूनियन बजट - 2008-09 - कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना, 2008

कृपया दिनांक 23 मई 2008 का हमारा परिपत्र ग्राआऋवि.सं.पीएलएफएस.बीसी. 72/05.04.02/2007-08 तथा उसके साथ प्रेषित कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना, 2008 देखें। आपका ध्यान दिनांक 30 मई 2008 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.सं.पीएलएफएस.बीसी.73/05.04.02/2007-08 तथा उसके साथ प्रेषित भारत सरकार द्वारा जारी स्पष्टीकरण संबंधी अनुपूरक अनुदेशों की ओर भी आकृष्ट किया जाता है।

2. इस संबंध में विभिन्न ऋणदात्री संस्थाओं से प्राप्त प्रश्नों के जवाब में भारत सरकार द्वारा जारी स्पष्टीकरण अनुबंध में दिए गए हैं।

3. योजना के सुचारू कार्यान्वयन के लिए उक्त स्पष्टीकरण सभी शाखाओं को उपलब्ध कराए जाएं।

4. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और को-आपरेटिवों को अनुदेश नाबार्ड जारी करेगा।भवदीय

भवदीय

( जी.श्रीनिवासन )

प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

ऋणदात्री संस्थाओं से प्राप्त प्रश्नों का स्पष्टीकरण

क्रम सं.

प्रश्न

स्पष्टीकरण

1.

अनर्जक आस्तियों (एनपीए) पर ब्याज

(i) एनपीए खातों के ऐसे मामलों में जहाँ एनपीए की तारीख से / या अन्यथा ब्याज लागू नहीं हो, वहां क्या 29 फरवरी 2008 तक के ब्याज को ऋण राहत / ऋण माफी हेतु पात्र राशि के निर्धारण के लिए हिसाब में लिया जा सकता है।

(ii) दिनांक 23.05.2008 के दिशा-निर्देश में उल्लिखित पात्र राशि में लागू ब्याज शामिल है, जबकि तदोपरांत दिनांक 28.05.2008 के अनुपूरक अनुदेशों में लागू न किए गए ब्याज को शामिल न करने का उल्लेख है। कृपया स्पष्ट करें।

(iii) जब कोई खाता एनपीए के रूप में वर्गीकृत हो जाता है तो ब्याज लागू नहीं होता है। तथापि, अंतिम तारीख (कट ऑफ डेट) तक लगाए न गए ब्याज की वसूली तब तक की जा सकती है जब तक वह मूल राशि से अधिक न हो जाए।

यह स्पष्ट करें कि यदि न लगाए गए ब्याज का अंश देय अंतिम तारीख को अतिदेय हो जाता है और मूल राशि से अधिक नहीं होता है तो क्या उसे पात्र राशि में शामिल किया जाना चाहिए।

एनपीए ऋणों के मामलों, ऋण खाता को एनपीए के रूप में वर्गीकृत करने की तारीख से ब्याज नहीं लगाया जाएगा। अत: किसी ऋण को एनपीए के रूप में वर्गीकृत करने के बाद, किसी भी अवधि के लिए सरकार से या किसान से ब्याज का दावा नहीं किया जा सकता।

 

 

 

 

 

 

 

एनपीए ऋणों पर न लगाए गए ब्याज का दावा न तो सरकार से और न ही किसान से किया जा सकता है।

2.

(i) योजना में यह उल्लेख किया गया है कि किसी निवेश ऋण के मामले में ऐसे मामले में ऋण की किस्तें (ऐसी किस्तों पर लागू ब्याज सहित ) जो अतिदेय हो गई हों, ऋण राहत के लिए पात्र राशि होंगी।

(ii) मीयादी ऋणों के मामले में, चूंकि संपूर्ण बकाया राशि पर ब्याज लगाया जाता है, इसलिए दावाकृत राशि में संपूर्ण अतिदेय ब्याज (केवल अतिदेय किस्तों पर ब्याज नहीं) अतिदेय किस्तों (मूलधन) को भी कवर किया जाना चाहिए।

निवेश ऋण पर संपूर्ण लागू ब्याज जो 31 दिसंबर 2007 को अतिदेय हो गई है और जो किसान के खाते में 29 फरवरी 2008 को अदत्त है, को "पात्र राशि" की गणना के लिए हिसाब में लिया जाएगा। तथापि, योजना का पैराग्राफ 8.3 लागू होगा तथा दावा की जाने वाली ब्याज की राशि किसी भी मामले में ऋण की मूल राशि से अधिक नहीं होगी।

3.

किसानों का वित्तपोषण करने वाली लिप्ट सिंचाई सोसाइटियां जिन्हें शाखाओं द्वारा सीधे वित्त प्रदान किया गया है, क्या इस योजना के अंतर्गत पात्र हैं?

क्या कार्यमूलक सोसाइटियां जैसे डेयरी, माछीमारों की को-आपरेटिव सोसायटी, लिप्ट सिंचाई सोसाइटी आदि को सीसीआइ के रूप में माना जा सकता है।

योजना के अंतर्गत दी गई परिभाषा के अनुसार लिप्ट सिंचाई सोसाइटियां और कार्यमूलक सोसाइटियां को-आपरेटिव क्रेडिट संस्थाएं नहीं हैं। इन सोसाइटियों द्वारा लिए गए तथा उनके द्वारा दिए जानेवाले ऋण इस योजना के अंतर्गत कवर नहीं किए जाते हैं।

4.

महाराष्ट्र राज्य में जहाँ प्रत्येक व्यक्ति का रिकार्ड शाखाओं के पास उपलब्ध होता हैं वहाँ गन्ने की फसल के लिए क्या प्रत्येक एसएफ/एमएफ/एआइ को प्रदान फसल कटाई और परिवहन अग्रिम इस योजना के अंतर्गत पात्र हैं।

यह कवर नहीं किए जाते हैं क्योंकि ये ऋण अल्पावधि उत्पादन ऋण नहीं हैं।

5.

ऋण राशि (50,000/- रु. तक और 50,000/- रु. से अधिक) की गणना के लिए क्या सब्सिडी धके अंतिम भाग को मूल ऋण राशि में से समायोजित किया जाए?

"पात्र राशि" की गणना करने के प्रयोजन के लिए ऋण की गणना की मात्रा सब्सिडी के अंतिम भाग को समायोजित किए बिना करने हेतु मूल ऋण राशि को हिसाब में लिया जाएगा।

6.

क्या सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं के मामले में अतिदेय राशि की गणना के लिए सब्सिडी के अंतिम भाग को आनुमानिक आधार पर समायोजित किया जाए?

सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं के मामले में सब्सिडी के अंतिम भाग कके समायोजन के बाद योजना केध अंतर्गत पात्र अतिदेय राशि की गणना की जाएगी।

7.

क्या प्रोपराइटरों को कवर किया जाता है अर्थात् किसी प्रोपराइटरशिप संस्था के नाम में डेयरी युनिट को दिनांक 28 मई 2008 के कार्यान्वयन परिपत्र 1/2008 की मद सं. (xiii) के अनुसार कृषि से इतर प्रयोजनों के लिए किसानों को ऋण तथा कृषि प्रयोजनों के लिए कंपनियों या अन्य विधि व्यक्तियों यथा पंजीकृत सोसायटी, न्यास, भागीदारी फर्मों आदि को ऋण योजना के अंतर्गत कवर नहीं किया जाता है। एकल स्वामित्व वाली संस्थाओं तथा हिंदू अविभाजित परिवारों (एचयूएफ) की क्या स्थिति होगी?

योजना के अंतर्गत स्वामित्व वाली संस्थाओं को कवर नहीं किया जाता है। योजना में एचयूएफ शामिल है।

8.

(i) क्या कृषि वित्तीय योजनाओं के अंतर्गत वित्तपोषित मोटर साइकिल / जीप / ट्रक /हार्वेस्टर/जेसीबी योजना के अंतर्गत कवर किए जाते हैं ?

(ii) कार्पोरेट केद्र ने भारतीय रिज़र्व बैंक से पूछा है कि क्या किसी किसान को कृषि उत्पाद के परिवहन हेतु परिवहन वाहन के वित्त्पोषण हेतु दिए अग्रिम को योजना के अंतर्गत कवर किया जाता है या नहीं ?

यदि हार्वेस्टर तथा कमबाइन्स का वित्तपोषण प्रत्यक्ष कृषि निवेश ऋण के रूप में किया गया हो तो उसे शामिल किया जाएगा। मोटर साइकिल, जीप, ट्रक को शामिल नहीं किया गया है।

9.

"हमारे बैंक ने राजस्थान में किसान सेवा सोसाइटियों को वित्तपोषित किया है। ये सोसाइटियां सदस्य किसानों को अल्पावधि उत्पादन ऋण और निवेश ऋण के लिए वित्तपोषण उपलब्ध कराती हैं तथा वे 2% ब्याज की आर्थिक सहायता के लिए पात्र हैं ।"

कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना 2008 के खंड 3.4 में को - ऑपरेटिव सोसाइटियों को कवर किया गया है जो किसानों को अल्पावधि ऋण प्रदान करती हैं तथा ब्याज की आर्थिक सहायता हेतु पात्र हैं।

कृपया स्पष्ट करें कि क्या ऐसी किसान सेवा सोसाइटी हमारे बैंक के माध्यम से या सीधे नाबार्ड को दावा प्रस्तुत करेंगी ?

चूंकि ब्याज की आथ्ंदिक सहायता बैंक के माध्यम से उपलब्ध करवाई गई है इसलिए दावा भी बैंक के माध्यम से ही प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

10.

क्या केला और गन्ने की फसल की खेती के लिए दिए गए अल्पावधि वित्त को बागान फसल में या अन्य अल्पावधि फसलों में गिना जाएगा।

गन्ना और धकेले की फसल हेतु दिए गए ऋण को अल्पावधि उत्पादन ऋण के अंतर्गत कवर किया जाएगा जिसकी चुकौती अवधि 12 से 18 माह के बीच होगी।

11.

(i) क्या एआइसीएल को अदा करने के लिए फसल बीमा प्रीमियम के रूप में नामे की गई राशि को पात्र राशि की गणना करते समय क्या ऋण राहत के लिए हिसाब में लिया जाएगा।

(ii) क्या ऋण खातों में नामे की गई बीमा प्रीमियम की राशि कवरेज हेतु पात्र है।

(iii) क्या पात्र ऋण खातों में नामे की गई फसल बीमा प्रीमियम राशि तथा पीएआइएस के अंतर्गत प्रीमियम राशि को विविध प्रभार के रुप में माना जाए और उसे दावे में शामिल नहीं किया जाए।

(iv) क्या 29.02.2008 के बाद प्राप्त फसल बीमा दावों को पात्र दावों में समायोजित किया जाए तथा प्रतिपूर्ति के लिए केवल निवल राशि के दावे भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करने हैं ।

ऋण खाते में नामे की गई बीमा प्रीमियम की राशि को "पात्र राशि" में शामिल किया जा सकता है।

हां, केद्र सरकार से प्रतिपूर्ति का दावा करने से पूर्ण प्राप्त फसल बीमा दावो ंकी राशि को समायोजित किया जाए।

12.

किसानों के अलग-अलग समूहों (उदाहरण के लिए एसएचजी) को सीधे उपलब्ध कराए गए ऋण बशर्ते बैंक उस समूह के प्रत्येक किसान को दिए गए ऋण का अलग-अलग ब्योरा रखते हों। यदि बैंकों ने अलग-अलग ब्योरा नहीं रखा हो लेकिन एसएचजी से आवश्यक दस्तावेज प्राप्त करके बाद में ब्योरे रखे हों तो क्या ऐसे मामलों में ऋण माफी और ऋण राहत योजना लागू हो सकती है?

एसएचजी के संबंध में प्रत्येक किसान को प्रदान कृषि ऋण का अलग-अलग ब्योरा शायद शाखाओं के पास उपलब्ध नहीं होगा क्योंकि ये ऋण एसएचजी को समूह ऋण के रूप में दिया जाता है। अत: अलग-अलग ब्योरा (उधारकर्ता-वार) शाखा के पास उपलब्ध नहीं होगा। लेकिन ऐसे ब्योरे एसएचजी के पास उपलब्ध हो सकते हैं। क्या ऐसे ऋण लाभ प्राप्त करने हेतु पात्र होंगे?

एसएचजी के संबंध में प्रत्येक किसान को प्रदान कृषि ऋण का अलग-अलग ब्योरा शायद शाखाओं के पास उपलब्ध नहीं होगा क्योंकि ये ऋण एसएचजी को समूह ऋण के रूप में दिया जाता है। अत: अलग-अलग ब्योरे (उधारकर्ता-वार) प्रस्तुत करने का आग्रह न किया जाए। एसएचजी के सभी अतिदेय एसएफ/एमएफ को दिए गए ऋण के अंतर्गत आएंगे तथा उन्हें योजना के लाभ प्राप्त होंगे। एसएचजी के मामले में अतिदेय प्रतिशत भी बहुत कम होता है।

योजना के पैराग्राफ 3.1 की परिभाषा के अनुसार एसएचजी स्तर पर अलग-अलग ब्योरे रखे जाने तथा एसएचजी खाता-बहियों में यह दर्शाए जाने के बावजूद प्रत्यक्ष कृषि ऋण में अलग- अलग किसानों के एसएचजी को प्रदान ऋण को भी शामिल किया जाएगा। तथापि, यह सुनिश्चित किया जाए कि संबंधित ऋणदात्री संस्था के अनुसार अलग-अलग ब्योरा रखे जाते हैं।

13.

(i) क्या यह योजना कृषि तथा डेयरी, मुर्गी पालन, मत्स्यपालन आदि से संबद्ध कार्यकलापों हेतु अल्पावधि ऋण के लिए लागू है या यह संबद्ध कार्यकलापों के लिए निवेश ऋण तक ही सीमित है।

(ii) क्या अकाल की अवधि के दौरान डेयरी इकाइयों के लिए चारा खरीदेन के लिए मीयादी ऋण को निवेश ऋण/कृषि संबद्ध कार्यकलापों केरूप में वर्गीकृत किया जा सकता है ?

(iii) क्या मुर्गी पालन, डेयरी आदि जैसे संबद्ध कार्यकलापों के लिए कार्यशील पूंजी ऋणपात्र है।

(iv) क्या यह योजना डेयरी, मुर्गीपालन मत्स्यपालन आदि से संबद्ध कार्यकलापों हेतु अल्पावधि ऋण के लिए लागू है या यह संबद्ध कार्यकलापों के लिए निवेश ऋण तक ही सीमित है।

डेयरी, मुर्गी पालन, मत्स्य पालन आदि संबद्ध कार्यकलाप माने जाते हैं। संबद्ध कार्यकलापों हेतु निवेश ऋण, दिशानिर्देशों के पैराग्राफ 3.3 (बी) यह स्पष्ट करता है कि "आस्ति अर्जन" के लिए ऋण दिया जाना चाहिए। अत: ऐसे संबद्ध कार्यकलापों के संबंध में आस्तियां अर्जित करने हेतु संबद्ध कार्यकलापों के लिए निवेश ऋण को कवर किया जाएगा।

14.

ऐसी 12 सोसाइटियां हैं जो परिसमापन के विभिन्न चरणों में हैं। क्या इन सोसाइटियों के दावे भारत सरकार से प्रतिपूर्ति के लिए पात्र हैं?

यदि ये सोसाइटियां ऋणदात्री संस्थाएं हैं जैसे कि योजना में परिभाषित है, तो वे प्रतिपूर्ति के लिए पात्र होंगी भले ही वे परिसमापन के किसी भी चरण हों।

15.

छोटे किसान जिनके पास 2.5 एकड़ से कम जोत की भूमि है बड़े पैमाने पर धान की खेती करने के लिए 100 से 150 किसानों की समिति बनाते हैं। तथापि इन किसानों की कुल संख्या में से कुछ किसानों के पास ही 5 एकड़ से अधिक जोत की भूमि हो सकता है। ऐसे मामलों में योजना के अनुसार पूल में अधिक भूमिधारिता को सभी किसानों के वर्गीकरण का आधार माना जाएगा। अत: ये खाते "अन्य किसानों" के रूप में वर्गीकृत किए जाएंगे जिसके फलस्वरुप बड़ी संख्या में छोटे किसान कृषि ऋण से छूट के लाभ से वंचित रह जाएंगे।

योजना में परिभाषितानुसार ऋणदात्री संस्थानों द्वारा किसानों को प्रदान किए गए धकेवल प्रत्यक्ष कृषि ऋणों को कवर किया जाता है। यदि "समिति" योजना में दी गई परिभाषा के अनुसार एक ऋणदात्री संस्था नहीं है तथा प्रत्येक किसान को दिए गए ये ऋण प्रत्यक्ष कृषि ऋण नहीं हैं तो ये योजना के दायरे में नहीं आएंगे।

16.

एलटी को-आपरेटिव संरचना द्वारा चुकौती की इएमआइ प्रणाली अपनाने से ऋण चुकौती के पहले दो या तीन वर्षों के दौरान इएमआइ में ब्याज कीमात्रा अधिक होती है। इस पर बल दिए जाने पर कि ब्याज के दावे की राशि, दावा की गई मूल राशि से अधिक न होने के आग्रह धके कारण, इससे कई एससीएआरडीबीएस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

ब्याज के दावे की प्रतिपूर्ति की राशि ऋण की मूल राशि से अधिक नहीं होनी चाहिए (मद सं. 8-3) ।

यह खंड को-आपरेटिव बैंकों और पीएसीएस के लिए खतरनाक साबित हो सकता हे क्योंकि जो अतिदेय ऋण हैं वे पूर्व के उन वर्षों के हैं जब सामान्य उधार दरें ऊंची थीं। अब उनके ब्याज की प्रतिपूर्ति को ऋण की मूल राशि तक सीमित करने से निम्नलिखित स्थिति उभरेंगी :

(i) पीएसीएस / बैंकों को उसे उधारकर्ताओं से वसूल करना होगा अन्यथा वे ऋणमुक्त प्रमाणित नहीं होंगे। अत: वे नए वित्त के लिए अपात्र रहेंगे।

(ii) पीएसीएस/बैंकों को वह राशि बट्टे खाते डालनी होगी जिसे सामान्यत: को-ऑपरेटिव सोसाइटी अधिनियम के अंतर्गत अनुमति नहीं होती है।

ब्याज के दावे की राशि संवितरित मूल राशि की मूल राशि से अधिक नहीं होनी चाहिए।

संवितरित मूल राशि से अधिक ब्याज की राशि उधारदात्री संस्थानों द्वारा वहन की जाएगी।

17.

(i) एक किसान जिसने ओटीएम का लाभ लिया हो और 3 किस्तों में चुकाने के वचन को नहीं निभाया हो तो क्या बैंक 1 मार्च 2007 से ऋण खातों पर संविदाकृत दर पर ब्याज लगा सकते हैं?

(ii) ऋणदात्री संस्थानों को कहा गया है कि वे 29.2.08 से 30.6.09 तक "अन्य किसान" पर ब्याज न लगाएं। क्या ऐसे किसानों से चूक होने पर इस अवधि के ब्याज की प्रतिपूर्ति बैंकों को की जाएगी?

दिशा-निर्देशों का पैराग्राफ 8.1 स्पष्ट है। 29 फरवरी 2008 और 30 जून 2009 के बीच किसी भी अवधि के लिए पात्र राशि पर ब्याज नहीं लगाया जाएगा। यदि कोई किसान ओटीएस वायदे में चूक करता है तो वह ऋण राहत के लिए पात्र नहीं होगा तथा उस किसान के मामले में ऋणदात्री संस्थान 30 जून 2009 के बाद की अवधि के लिए ब्याज लगा सकता है।

18.

(i) परंपरागत बागान और बागवानी के लिए 1 लाख से अनधिक कार्यशील पूंजीगत ऋण पात्र है। यदि यह सीमा 1 लाख रुपए से अधिक हो जाती है तो क्या 1 लाख से अधिक राशि को निवेश ऋण माना जाएगा जैसा 27.06.08 को आयोजित एसएसबीसी की चर्चा की गई थी।

(ii) हमारे विचार से परंपरागत और गैर-परंपरागत बागबानी की फसल (फलोद्यान फसल नहीं) जैसे सब्जी, आलू, मोगरा तथा अन्य वार्षिक फसलों (18 माह तक) के लिए किसानों को उपलब्ध किए जा रहे अल्पावधि ऋण की उच्चतम सीमा 1 लाख रुपए होगी जैसाकि दिनांक 30 मई 2008 के परिपत्र सं.ग्राआऋवि.सं.पीएलएफएस.बीसी.73/ 05.04.02/ 2007-08 के उप खंड संश् (xiv) में निर्धारित किया गया है। ऐसी बागबानी (सब्जी फसलों) के लिए 1 लाख रुपए से अधिक राशि का ऋण एक प्रकार का वाणिज्यिक कार्यकलाप है।

(iii) कृपया स्पष्ट करें कि क्या 1 लाख रुपए स्वीकृत सीमा है या बकाया ऋण राशि है। अल्पावधि उत्पादन ऋण का उपभाग करने वाले अधिकांश किसानों की सीमा 1 लाख रुपए से अधिक है। क्या ऐसे किसान राहत के लिए पात्र हैं।

अल्पावधि उत्पादन ऋण का संबंध योजना के पैराग्राफ 3.2 से है तथा निवेश ऋण का संबंध योजना के पैराग्राफ 3.3 से है। एक दूसरे प्रकार का ऋण भी है जिसका नाम है कार्यशील पूंजी ऋण। पैराग्राफ 3.2 परंपरागत और गैर-परंपरागत बागान तथा बागबानी के लिए कार्यशील पूंजी ऋण से संबंधित है। ऐसे मामलों में, कार्यशील पूंजी ऋण खाता अनियमित खाता बन सकता है तथा कुछ राशि 31 दिसंबर 2007 तक अतिदेय हो सकती है। कार्यशील पूंजी ऋण की वह राशि ऋण माफी या ऋण राहत के लिए पात्र हो सकती है, लेकिन शर्त यह है कि यह राशि 1,00,00 रुपए तक ही सीमित हो। यदि कार्यशील पूंजी ऋण 1,00,000 रुपए से अधिक है तो 1,00,000 रुपए से अधिक शेष राशि पर ऋण माफी या ऋण राहत लागू नहीं होगी।

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