केन्द्रीय बजट 2011-12 -ब्याज में छूट की योजना - वर्ष 2011-12 में अल्पकालीन फसली ऋण पर ब्याज में 2प्रतिशत की और 3प्रतिशत अतिरिक्त छूट - आरबीआई - Reserve Bank of India
केन्द्रीय बजट 2011-12 -ब्याज में छूट की योजना - वर्ष 2011-12 में अल्पकालीन फसली ऋण पर ब्याज में 2प्रतिशत की और 3प्रतिशत अतिरिक्त छूट
आरबीआई/2011-12/344 9 जनवरी 2012 अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक महोदय, केन्द्रीय बजट 2011-12 -ब्याज में छूट की योजना - वर्ष 2011-12 में अल्पकालीन फसली ऋण पर ब्याज में 2प्रतिशत की और 3प्रतिशत अतिरिक्त छूट आपको विदित है कि माननीय वित्त मंत्री ने वर्ष 2011-12 के अपने बजट भाषण (पैरा 63 ) में निम्नलिखित घोषणा की थी: "मैंने पिछले बजट में उन किसानों की, जो अपने अल्पकालीन फसली ऋणों की निर्धारित सूची के अनुसार चुकौती करेंगे; 1 प्रतिशत अतिरिक्त छूट प्रदान की थी । मैं, फसली ऋणों की समय पर चुकौती करने के लिए वर्ष 2011-12 के लिए इस छूट को 2 प्रतिशत से बढ़ा कर 3 प्रतिशत कर रहा हूँ । इस प्रकार किसानों के लिए वास्तविक रुप से लागू ब्याज दर 4 प्रतिशत वार्षिक होगी ।" 2. इस घोषणा के अनुसरण में भारत सरकार वर्ष 2011-12 के दौरान 3 लाख रुपए तक के अल्पकालीन उत्पादन ऋण के संबंध में सरकारी क्षेत्र के बैंकों को ब्याज में 2 प्रतिशत वार्षिक छूट प्रदान करेगी । फसली ऋण की राशि पर छूट की यह गणना ऋण के संवितरण/आहरण की तारीख से किसान द्वारा फसली ऋण की चुकौती की वास्तविक तारीख या उक्त ऋण की चुकौती के लिए उक्त बैंकों द्वारा नियत देय तिथि तक जो भी पहले हो, अधिकतम 1 वर्ष की अवधि के लिए की जाएगी । सरकारी क्षेत्र के बैंकों को यह छूट इस शर्त पर प्रदान की जाएगी कि वे आधार स्तर पर 3 लाख रूपए तक का अल्पकालीन उत्पादन ऋण 7 प्रतिशत वार्षिक की दर से उपलब्ध कराएं । 3. बैंको को सूचित किया जाता है कि वे वर्ष 2011-12 के दौरान किसानों को 3 लाख रुपए तक के अल्पकालीन उत्पादन ऋण के अपने प्राक्कलन तत्काल प्रस्तुत करें ताकि हम सरकार को छूट की राशि की अनुमानित राशि का आकलन प्रस्तुत कर सकें । कृपया यह नोट करें कि ये प्राक्कलन वास्तविक स्वरुप के होने चाहिए । 4. उपर्युक्त घोषणा के अनुसरण में भारत सरकार त्वरित भुगतान करने वाले उन किसानों के संबंध में जो ऐसे ऋणों के संवितरण/आहरण से एक वर्ष के अंदर अपने अल्पकालीन उत्पादन ऋणों का भुगतान कर देगें; सरकारी क्षेत्र के बैंकों को ब्याज में अतिरिक्त 3 प्रतिशत की छूट भी प्रदान करेगी। उक्त वर्ष के दौरान ली गई 3 लाख रुपए तक की अधिकतम अल्पकालीन उत्पादन ऋण राशि पर यह छूट संवितरण/आहरण की तारीख से किसानों द्वारा उक्त फसली ऋण की चुकौती की वास्तविक तारीख या उक्त फसली ऋण की चुकौती के लिए बैंक द्वारा नियत की गई देय तारीख तक जो भी पहले हो, अधिकतम 1 वर्ष के लिए उपलब्ध होगी । सरकारी क्षेत्र के बैंकों को यह अतिरिक्त छूट इस शर्त पर उपलब्ध होगी कि ऐसे किसानों के लिए 3 लाख रुपए तक के अल्पकालीन उत्पादन ऋण पर प्रभावी ब्याज दर अब 4 प्रतिशत वार्षिक हो । यह लाभ उन किसानों को प्राप्त नहीं होगा जो ऐसे ऋण लेने के एक वर्ष के बाद चुकौती करेंगे। 5. देश में गोदाम क्षेत्र में उचित संवृद्धि और विकास के लिए तथा गोदाम कारोबार संचालन में दक्षता लाने के लिए भारत सरकार ने भंडारण (विकास एवं विनियामक) अधिनियम, 2007 विनियमित करके देश में एक परक्राम्य गोदाम रसीद (एनडब्ल्यूआर) प्रणाली शुरू की है। फिलहाल, किसानों के लिए फसल-पूर्व ऋण के रूप में 7% की दर से ब्याज दर में छूट के साथ रियायती फसल ऋण उपलब्ध है। तथापि, परक्राम्य गोदाम रसीद के विरूद्ध फसल-पूर्व ऋण के मामलों में, किसानों को वाणिज्यिक दर पर ऋण प्रदान किए जाते हैं। किसानों की पीड़ा को हतोत्साहित करने तथा उन्हें गोदाम रसीदों के विरूद्ध गोदाम में अपने उत्पाद रखने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड धारण करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को फसल उपरांत छः माह तक की अतिरिक्त अवधि के लिए ब्याज में छूट के लाभ उसी दर पर उपलब्ध होंगे जो गोदाम में उनके उत्पाद रखने के लिए परक्राम्य गोदाम रसीद के विरूद्ध फसल ऋण पर उपलब्ध है। 6. बैंक उपर्युक्त योजना का समुचित प्रचार करें ताकि किसान इसके लाभ प्राप्त कर सकें । 7. यह भी सूचित किया जाता है कि: ब्याज में 2 प्रतिशत की छूट और 3 प्रतिशत की अतिरिक्त छूट के संबंध में दावे प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय,शहीद भगत सिंह मार्ग, फोर्ट, मुंबई 400 001 को क्रमश: फॉर्मेट I और II में (इसके साथ अनुलग्न) प्रस्तुत किए जाएं । i) 2 प्रतिशत ब्याज की छूट के संबंध में बैंकों से अपेक्षा है कि वे अपने दावे 30 सितम्बर 2011 की और 31 मार्च 2012 की स्थिति के अनुसार छमाही आधार पर प्रस्तुत करें, जिसमें से बाद वाले दावों के साथ 31 मार्च 2010 को समाप्त पूरे वर्ष के छूट के दावों को सत्य एवं सही प्रमाणित करने वाला सांविधिक लेखापरीक्षक का प्रमाण पत्र संलग्न होना चाहिए । वर्ष 2011-12 के दौरान किए संवितरणों के संबंध में शेष दावों को, जिन्हें 31 मार्च 2012 के दावे में शामिल नहीं किया गया हो, पृथक रूप में समेकित किया जाना चाहिए और "अतिरिक्त दावा’ के रूप में अंकित तथा उसकी सत्यता को प्रमाणित करते हुए सांविधिक लेखा परीक्षकों द्वारा लेखापरीक्षित उक्त दावे 30 अप्रैल 2013 तक प्रस्तुत कर दिए जाने चाहिए । ii) 3 प्रतिशत छूट के संबंध में बैंक, पूरे 2011-12 वर्ष के दौरान किए गए संवितरणों के उनकी सत्यता को प्रमाणित करते हुए सांविधिक लेखा परीक्षकों द्वारा विधिवत लेखापरीक्षित अपने एक बारगी दावे अधिकतम 30 अप्रैल 2013 तक प्रस्तुत करें । 8. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी संस्थाओं के संबंध में नाबार्ड द्वारा अलग से परिपत्र जारी किया जाएगा । भवदीय (सी.डी.श्रीनिवासन) अनुलग्नक : दो 3 लाख रूपए तक के अल्पकालीन फसली ऋण पर वर्ष 2011-12 के लिए ब्याज में 2 प्रतिशत की छूट के लिए दावा बैंक का नाम : सितंबर 2011 / मार्च 2012 को समाप्त छमाही का विवरण / अतिरिक्त दावा
हम प्रमाणित करते हैं कि वर्ष 2011-12 के दौरान किसानों को अल्पकालीन उत्पादन ऋण के रूप में 3 लाख रुपए तक के उपर्युक्त ऋण 7 प्रतिशत वार्षिक की दर पर संवितरित किए गए थे। दिनांक अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता (सितंबर 2011 को समाप्त छमाही के विवरण को छोड़कर इस विवरण को सांविधिक लेखापरीक्षकों द्वारा विधिवत प्रमाणित किए जाने की आवश्यकता है) वर्ष 2011-12 के दौरान संवितरित 3 लाख रूपए तक की राशि के अल्पकालीन फसली ऋणों के समय पर चुकाए जाने केलिए अतिरिक्त 3 प्रतिशत की छूट का एक बारगी दावा बैंक का नाम :
हम प्रमाणित करते हि कि उपर्युक्त ऋण, जिनके लिए दावा किया गया है, समय पर चुका दिए गए थे और ब्याज में 3 प्रतिशत की अतिरिक्त प्रोत्साहन छूट खाता धारकों को पहले ही अंतरित की गई है, जिसमें वर्ष 2011-12 के दौरान संवितरित रु. 3 लाख रूपए के अल्पकालीन उत्पादन ऋणों के लिए ऐसे किसानों के लिए ब्याज की दर कम होकर 4 प्रतिशत वार्षिक रह गई थी। दिनांक अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता (इस दावे को सांविधिक लेखापरीक्षकों द्वारा विधिवत प्रमाणित किए जाने की आवश्यकता है) |