कमज़ोर वर्ग हेतु उधार लक्ष्य - पालन सुनिश्चित करना - आरबीआई - Reserve Bank of India
कमज़ोर वर्ग हेतु उधार लक्ष्य - पालन सुनिश्चित करना
आरबीआइ / 2007-08 / 314
आरपीसीडी.केका.प्लान.बीसी.सं. 65 / 04.09.01/2007-08
6 मई 2008
अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक /
मुख्य कार्यपालक अधिकारी
(सभी देशी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदय,
कमज़ोर वर्ग हेतु उधार लक्ष्य - पालन सुनिश्चित करना
कृपया दिनांक 2 जुलाई 2007 के हमारे परिपत्र आरपीसीडी.सं. प्लान.बीसी. 5/04.09.01/2007-08 द्वारा प्रेषित प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार का मास्टर परिपत्र देखें जिसके अनुसार देशी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों से अपेक्षित है कि वे समायोजित निवल बैंक ऋण (समायोजित निवल बैंक ऋण तथा एचटीएम वर्ग में धारित गैर एसएलआर बांडों में बैंकों द्वारा किए गए निवेश) का 40 प्रतिशत या तुलनपत्र से इतर एक्सपोज़र के बराबर ऋण राशि, इनमें से जो भी अधिक हो, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार दें। उसी आधार पर, देशी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों द्वारा कृषि क्षेत्र को कम से कम 18 प्रतिशत और कमज़ोर वर्ग को 10 प्रतिशत उधार देना अपेक्षित है। तथापि, यह पाया गया है कि लगभग सभी बैंक कमज़ोर वर्गों को उधार हेतु 10 प्रतिशत का उप-लक्ष्य प्राप्त नहीं कर रहे हैं ।
2. इस संबंध में कृपया दिनांक 29 अप्रैल 2008 का वर्ष 2008-09 के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक का वार्षिक नीति वक्तव्य का पैरा सं. 136 देखें (पैरा की प्रतिलिपि संलग्न)।
3. कमज़ोर वर्गों को उधार के उप-लक्ष्य की प्राप्ति सुनिश्चित करने हेतु यह निर्णय लिया गया है कि, नाबार्ड के साथ रखी ग्रामीण मूलभूत सुविधा विकास निधि (आरआइडीएफ) या रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित अन्य वित्तीय संस्थानों के साथ रखी निधि के लिए अंशदान हेतु देशी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों को राशि आबंटित करने हेतु अप्रैल 2009 से प्रत्येक वर्ष की मार्च के अंतिम रिपोर्टिंग शुक्रवार को कमज़ोर वर्गों को उधार के लिये निर्धारित लक्ष्य में कमी को भी हिसाब में लिया जाए।
4. कृपया अपने नियंत्रक कार्यालयों / शाखाओं को उचित कार्रवाई हेतु आवश्यक अनुदेश जारी करें।
5. कृपया - प्राप्ति सूचना दें ।
भवदीय
( जी.श्रीनिवासन )
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
ख) कमज़ोर वर्ग हेतु उधार लक्ष्य - पालन सुनिश्चित करना
136. 30 अप्रैल 2007 से लागू प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार पर संशोधित दिशानिर्देशों के अनुसार देशी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों को समायोजित निवल बैंक ऋण (समायोजित निवल बैंक ऋण तथा एचटीएम वर्ग में धारित गैर एसएलआर बांडों में बैंकों द्वारा किए गए निवेश) का 40 प्रतिशत या तुलनपत्र से इतर एक्सपोज़र के बराबर ऋण राशि, इनमें से जो भी अधिक हो, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार देना अपेक्षित है। इन अनुसूचित वाणिज्य बैंकों से यह भी अपेक्षित है कि वे कृषि क्षेत्र को कम से कम 18 प्रतिशत और कमज़ोर वर्ग को 10 प्रतिशत उधार दें जिसमें पाँच एकड़ या उससे कम जोत वाले छोटे और सीमांत किसानों, भूमिहीन श्रमिकों, काश्तकारों और बंटाईदारों, कारीगरों, ग्राम और कुटीर उद्योग जहां प्रति व्यक्ति ऋण सीमा 50,000 रु से अधिक न हो, स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना (एसजीएसवाइ), स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाइ), सफाई कर्मचारी मुक्ति और पुनर्वास योजना (एसएलआरएस ) तथा विभेदक ब्याज दर योजना (डीआर आइ) के लाभार्थियों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, स्वयं सहायता समूहों तथा विपत्ति ग्रस्त गरीब जिन्हें अपने ऋण की उचित संपार्श्विक या सामूहिक प्रतिभूति के विरुध्द अस्थापित क्षेत्र को पूर्व-अदायगी करनी हो, शामिल हैं ।यह पाया गया है कि लगभग सभी बैंक कमज़ोर वर्गों को उधार हेतु 10 प्रतिशत का उप-लक्ष्य प्राप्त नहीं कर रहे हैं । फिलहाल, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार के लक्ष्य और/या कृषि उप-लक्ष्य में कमी वाले अनुसूचित वाणिज्य बैंकों को राष्ट्रीय कृषि ओर ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के साथ रखी ग्रामीण मूलभूत सुविधा विकास निधि (आरआइडीएफ) में अंशदान हेतु राशि आबंटित की जा रही है । अत: यह प्रस्ताव है कि:
- आरआइडीएफ या रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित अन्य वित्तीय संस्थानों के साथ रखी निधि के लिए अंशदान हेतु देशी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों को राशि आंबटित करने हेतु अप्रैल 2009 से कमज़ोर वर्गों को उधार में कमी को हिसाब में लिया जाए ।