इरादतन चूककर्ता तथा उनके विरुध्द कार्रवाई - शहरी सहकारी बैंक - आरबीआई - Reserve Bank of India
इरादतन चूककर्ता तथा उनके विरुध्द कार्रवाई - शहरी सहकारी बैंक
भारिबैं /2008/377
शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.57 /16.74.00 /2007-08
जून 24, 2008
मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
महोदय / महोदया
इरादतन चूककर्ता तथा उनके विरुध्द कार्रवाई - शहरी सहकारी बैंक
कृपया1 अगस्त 2002 का हमारा परिपत्र शबैंवि.बीआर.परि.1/16.74.00/2002-03 का पैरा 3 देखें जिसमें " इरादतन चूक " शब्द को परिभाषित किया गया है। इस संदर्भ में हम सूचित करते हैं कि कॉमन कॉज नामक (पंजीकृत सोसाइटी) बनाम भारत संघ और अन्य से संबंधित नागरिक रिट याचिका सं. 291 वर्ष 1998 के संदर्भ में माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसरण में "इरादतन चूक " की परिभाषा के दायरे को बढाने के लिए हमें सुझाव प्राप्त हुआ है। सुझाव की समीक्षा की गयी तथा यह निर्णय लिया गया है कि सुझाव को स्वीकार किया जाए।
2. तद्नुसार उपर उल्लिखित परिपत्र के पैरा 3 में नीचे दर्शाए गए अनुसार उपवाक्य (घ) जोड़कर परिभाषा के दायरे को बढाने का निर्णय लिया गया है:
3(घ) "इकाई ने ऋणदाता को किए जानेवाले अपने भुगतान/ चुकौती के दायित्व को पूरा करने में चूक की है और ऋणदाता द्वारा सावधि ऋण की जमानत के तार पर दी गई स्थायी चल आस्तियों का या अचल संपत्ति का बैंक/ ऋणदाता की जानकारी के बगैर निपटान कर दिया हो या हटा दिया हो।
3. ऊपर उल्लिखित 1 अगस्त 2002 के परिपत्र का संशोधित पैरा 3 अनुबंध में दिया गया है।
4. साथ ही हम आपका ध्यान 1अगस्त 2002 के परिपत्र के पैरा 7(क) की ओर भी आकर्षित करते हैं तथा दोहराते हैं कि सूचीबद्ध इरादतन चूककर्ताओं को किसी भी अनुसूचित शहरी सहकारी बैंक द्वारा कोई अतिरिक्त सुविधा प्रदान नहीं की जाएगी। इसके अतिरिक्त उद्यमियों / कंपनियों के प्रवर्तकों को जहां अनुसूचित शहरी सहकारी बैंकों ने निधियों के दुरुपयोग/ उनके अन्यत्र निवेश , गलत निरूपण, खातों के बारे में झूठी जानकारी तथा कपटपूर्ण लेनदेन के मामले पाए हैं वहां भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इरादतन चूककर्ताओं की सूची में उनका नाम प्रकाशित होने की तारीख से पांच वर्ष के लिए उनके नए उपक्रमों को अनुसूचित शहरी सहकारी बैंकों द्वारा दिए जाने वाले संस्थागत वित्त से वंचित किया जाए।
5. यह अनुदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।
6. कृपया संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्राप्ति सूचना दें।
भवदीय
(ए.के.खौंड)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
भारतीय रिज़र्व बैंक के अगस्त 1, 2002 के परिपत्र शबैंवि.बीआर.परि.1 / 16.74.00 /2002-03 का संशोधित पैरा 3
3. 1अगस्त 2002 के परिपत्र शबैंवि.बीआर.परि.1 / 16.74.00 /2002-03 में परिभाषित "इरादतन चूककर्ता " शब्द को निम्नानुसार पुन:परिभाषित करने का निर्णय लिया गया है:
नीचे दी गयी किसी भी स्थिति में यदि चूक होती है तो उसे इरादतन चूक माना जाएगा:
क. इकाई ने ऋणदाता को किए जानेवाले अपने भुगतान / चुकौती के दायित्व को अपनी क्षमता होते हुए भी पूरा करने में चूक की है ।
ख. इकाई ने ऋणदाता को किए जानेवाले अपने भुगतान / चुकौती के दायित्व को पूरा करने में चूक की है तथा जिस विशेष उदेश्य के लिए ऋणदाता से वित्त लिया उसके लिए निधि का उपयोग न करके अन्यत्र उपयोग किया गया।
ग. इकाई ने ऋणदाता को किए जानेवाले अपने भुगतान / चुकौती के दायित्व को पूरा करने में चूक की है तथा निधि का दुरुपयोग किया है इसलिए निधि जिस विशेष उद्देश्य से ली गयी थी वहां उसका उपयोग नहीं किया गया न ही इकाई के पास अन्य आस्ति के रूप में निधि उपलब्ध है।
घ. इकाई ने ऋणदाता को किए जानेवाले अपने भुगतान / चुकौती के दायित्व को पूरा करने में चूक की है तथा बैंक / ऋणदाता को सावधि ऋण की जमानत के तौर पर दी गई स्थायी चल आस्तियों का या अचल संपत्ति का बैंक/ ऋणदाता की जानकारी के बगैर निपटान कर दिया है या हटा दिया है।