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एनबीएफसी-एमएफआई सहित चुनिंदा एनबीएफसी के विरुद्ध कार्रवाई

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45एल(1)(बी) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए निम्नलिखित एनबीएफसी को 21 अक्तूबर 2024 की कारोबार समाप्ति से ऋण की स्वीकृति और संवितरण बंद करने संबंधी निदेश जारी किए हैं:

क्र. सं.

नाम

एनबीएफसी-श्रेणी

सीओआर

पंजीकृत

1.

आशीर्वाद माइक्रो फाइनेंस लिमिटेड

एमएफ़आई

एन-07-00769 दिनांकित 27 सितंबर 2016

चेन्नई

2.

आरोहन फाइनेंशियल सर्विसेज़ लिमिटेड

एमएफ़आई

बी-05.02932 दिनांकित 28 जून 2018

कोलकाता

3.

डीएमआई फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड

आईसीसी

एन-14.03176 दिनांकित 5 जनवरी 2009

नई दिल्ली

4.

नवी फिनसर्व लिमिटेड

आईसीसी

एन-02.00270 दिनांकित 18 मई 2022

बेंगलुरु

ये निदेश आज संबंधित एनबीएफसी को रिज़र्व बैंक के विस्तृत पर्यवेक्षी आदेशों के माध्यम से सूचित कर दिए गए हैं।

यह कार्रवाई इन कंपनियों की मूल्य निर्धारण नीति में उनके भारित औसत उधार दर (डब्ल्यूएएलआर) और उनके निधियों की लागत पर प्रभारित ब्याज पर स्प्रेड के संदर्भ में पाई गई भौतिक पर्यवेक्षी चिंताओं पर आधारित है, जो अत्यधिक पाई गई हैं तथा 14 मार्च 2022 के मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (सूक्ष्म वित्त ऋणों के लिए विनियामक ढांचा) निदेश, 2022 (25 जुलाई 2022 को यथा अद्यतित) और 19 अक्तूबर 2023 के मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - स्तर आधारित विनियमन) निदेश, 2023 (21 मार्च 2024 को यथा अद्यतित) में निर्धारित विनियमों के अनुरूप नहीं हैं। ये रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उचित व्यवहार संहिता के अंतर्गत निर्धारित प्रावधानों के अनुरूप भी नहीं पाए गए हैं।

पिछले कुछ महीनों में, रिज़र्व बैंक विभिन्न चैनलों के माध्यम से अपनी विनियमित संस्थाओं को उनकी विनियामक स्वतंत्रता का जिम्मेदारी से उपयोग करने तथा निष्पक्ष, उचित और पारदर्शी मूल्य निर्धारण, विशेषतया छोटे मूल्य के ऋणों के लिए, सुनिश्चित करने की आवश्यकता के बारे में जागरूक करता रहा है।  तथापि, ऑनसाइट जाँच के दौरान और साथ ही ऑफ़साइट से एकत्र और विश्लेषण किए गए डेटा से अनुचित और अतिब्याजी पद्धतियाँ देखी गईं।

अतिब्याजी मूल्य निर्धारण के अलावा, इन एनबीएफसी द्वारा घरेलू आय के आकलन तथा  अपने सूक्ष्म वित्त ऋणों के संबंध में मौजूदा/ प्रस्तावित मासिक पुनर्भुगतान दायित्वों पर विचार करने संबंधी विनियामक दिशानिर्देशों का अननुपालन भी पाया गया। आय निर्धारण और आस्ति वर्गीकरण (आईआर एंड एसी) मानदंडों के संबंध में भी विचलन पाया गया, जिसके परिणामस्वरूप ऋणों का सदाबहारीकरण हुआ, स्वर्ण ऋण पोर्टफोलियो के संचालन, ब्याज दरों और शुल्कों पर अनिवार्य प्रकटीकरण अपेक्षाओं, मूल वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग आदि को प्रभावित किया।   

ये कारोबारी प्रतिबंध 21 अक्तूबर 2024 को कारोबार की समाप्ति से प्रभावी होंगे, ताकि प्रक्रियाधीन लेनदेन, यदि कोई हो, को बंद करने में आसानी हो। ये कारोबारी प्रतिबंध इन कंपनियों को मौजूदा विनियामक दिशानिर्देशों के अनुसार अपने मौजूदा ग्राहकों को सेवा प्रदान करने तथा संग्रहण और वसूली प्रक्रियाओं को पूरा करने से नहीं रोकते हैं।

इन कारोबारी प्रतिबंधों की समीक्षा, कंपनियों से इस बात की पुष्टि प्राप्त होने पर की जाएगी कि उन्होंने विनियामक दिशानिर्देशों के निरंतर अनुपालन हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक की संतुष्टि के अनुरूप, विशेष रूप से उनकी मूल्य निर्धारण नीति, जोखिम प्रबंध प्रक्रियाओं, ग्राहक सेवा और शिकायत निवारण पहलुओं के संबंध में उचित सुधारात्मक कार्रवाई की है।

 

(पुनीत पंचोली)  
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/1323

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