सबसे बेहतर बनने का प्रयास करें : गवर्नर ने - आरबीआई - Reserve Bank of India
सबसे बेहतर बनने का प्रयास करें : गवर्नर ने
सबसे बेहतर बनने का प्रयास करें : गवर्नर ने
भारतीय वित्तीय प्रणाली को संबोधित किया
‘हम तुलनात्मक रूप से बेहतर स्तिति में हैं, हमारे पास संसाधन हैं, हमारे पास मानव शक्ति है और हमारे पास अपनी वित्तीय प्रणाली को विश्व में बेहतरीन बनाने के लिए विश्व का सम्मान भी है। लेकिन यह काम आसान नहीं है।’ इस बात का उल्लेख करते हुए डॉ. विमल जालान, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने राष्ट्रीय बैंक प्रंबध संस्थान तथा बैंकिंग समुदाय से अपील की कि वे इस बात पर विचार विमर्श करें और भारत में बैंकिंग प्रणाली के भविष्य के लिए, यूं कहें कि अगले 10-15 वर्ष के लिए रूपरेखा तैयार करें। गवर्नर महोदय आज पुणे में आयोजित राष्ट्रीय बैंक प्रबंध संस्थान के वार्षिक दिवस के अवसर पर वाणिज्य बैंकों के मुख्य कार्यपालकों को संबोधित कर रहे थे।
गवर्नर महोदय ने इस बात का उल्लेख किया कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली को, उसके सरकारी क्षेत्र के चरित्र का बनाये रखते हुए भी सर्वश्रेष्ठ बनाना संभव है। गवर्नर महोदय ने अन्य केन्द्रीय बैंकों, जैसे फेडरल रिज़र्व, यूरोपियन सेन्ट्रल बैंक तथा बैंक ऑफ इंगलैड के उदाहरण देते हुए कहा कि हालांकि ये बैंक सार्वजनिक क्षेत्र के स्वामित्व में थे, फिर भी वे अपने लक्ष्यों को पूरा कर सके। इसका कारण यह था कि एक बार उनके सामने लक्ष्य का चयन स्पष्ट हो जाने के बाद वे सब कार्य-कारण उन्हीं पर छोड़ दिये गये थे, जिनसे उन्होंने इस लक्ष्यों की प्राप्ति करनी थी। स्वायत्तता, स्वतंत्रता और उनके साथ सुस्पष्ट लक्ष्य इस संबंध में महत्त्व पूर्ण हैं।
गवर्नर महोदय ने आगे कहा कि बैंकिंग प्रणाली के सार्वजनिक क्षेत्र वाले चरित्र के कुछेक फायदे भी हैं। इस लक्षण ने इसे कम कमजॉेर बनाये रखा है। इसने इसके पहुंच का दायरा बहुत बड़ा रखा है तथा इसे एक स्थापित संस्थागत ढांचा दिया है। अलबत्ता, उन्होंने आगे कहा कि उसे इस लक्षण की कुछ कीमतें भी चुकानी पड़ी हैं, जैसे कड़ापन, तेजी से बदलते परिवेश के साथ तेजी से बदल पाने की असमर्थता और मानव संसाधन फ्रंट पर अड़चनें। उन्होंने उस बात का आग्रह किया कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली को इन खामियों को कम करने और इसके लाभाें को सर्वाधिक करने के हर संभव प्रयास करने होंगे।
गवर्नर महोदय ने इस बात का उल्लेख किया कि यदि भारतीय बैंकिंग प्रणाली को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी होना है तो ऐसी स्थिति में पूंजी पर्याप्तता, पारदर्शिता, प्रकटीकरण तथा प्रौद्यौगिकी के संबंध में अन्तराष्टी्रय मानकों के पूरे करने जैसे मामले पर पसन्दगी या नापसंदगी की बात नहीं रह गयी है। यह बताते हुए कि रिज़र्व बैंक ने भारतीय वित्तीय प्रणाली में और अधिक पारदर्शिता लाने की दृष्टि से कई नये कदम उठाये हैं, उन्होंने आगे कहा कि बैंकों के लिए भी यह उतना ही महत्त्वपूर्ण है कि वे सशक्त आंतरिक नियंत्रण तथा आस्ति देयता प्रबंध प्रणालियां लागू करें। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि एक बहुत अधिक प्रतिस्पर्धात्मक, कम खर्चीले और पारदर्शी परिवेश में, भारतीय बैंकिंग प्रणाली यदि ऐसे अन्तर्राष्टी्रय विश्लेषकों की जांच पड़ताल पर खरी नहीं उतरती, जो अन्तर्राष्ट्रीय रूप से निर्धारित मानदण्डाें पर वैश्विक रूप से बैकिंग प्रणालियों का मूल्यांकन करते हैं तो हमारी प्रणाली कहीं की न रहेगी। गवर्नर महोदय के अनुसार, विवेकशील मानदण्डों, पारदर्शिता तथा प्रकटीकरण मानदण्डों, अनुत्पादक आस्तियां को कम करने, बैंकिंग लेनदेनों में समय तथा लागत के रूप में और अधिक कुशलता लाने के लिए प्रौद्यौगिकी अपनाने तथा मानव संसाधन से उसका सर्वश्रेष्ठ प्राप्त करने के लिए भर्ती, पदोन्नति तथा पुरस्कार की प्रणाली अपनाना कुछ ऐसी चुनौतियां हैं जिनसे आज बैंकिंग प्रणाली रूबरू है।
अल्पना किल्लावाला
महाप्रबंधक