चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर) ढांचे में संशोधन - आरबीआई - Reserve Bank of India
चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर) ढांचे में संशोधन
भारतीय रिज़र्व बैंक ने 25 जुलाई 2024 को ‘चलनिधि मानकों पर बासेल III ढांचा – चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर) – उच्च गुणवत्ता युक्त चल आस्तियों (एचक्यूएलए) पर हेयरकट की समीक्षा और जमाराशियों की कतिपय श्रेणियों पर रन-ऑफ दरें’ संबंधी परिपत्र का मसौदा जारी किया था। परिपत्र के मसौदे में एलसीआर ढांचे में कतिपय संशोधनों को प्रस्तावित किया गया था तथा बैंकों और हितधारकों से टिप्पणियाँ आमंत्रित की गई थीं। 2. प्राप्त प्रतिक्रिया की सावधानीपूर्वक जांच की गई है और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा आज अंतिम दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। इन दिशानिर्देशों के जारी होने के साथ ही, बैंकों को:
3. इसके अलावा, अंतिम दिशानिर्देश, ‘अन्य विधिक संस्थाओं’ से थोक निधीयन की संरचना को भी युक्तिसंगत बनाते हैं। परिणामस्वरूप, न्यासों (शैक्षणिक, धर्मार्थ और धार्मिक), भागीदारी, एलएलपी आदि जैसी गैर-वित्तीय संस्थाओं से निधीयन पर वर्तमान में 100 प्रतिशत की तुलना में 40 प्रतिशत की न्यूनतर रन-ऑफ दर लागू होगी। 4. रिज़र्व बैंक ने 31 दिसंबर 2024 तक बैंकों द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के आधार पर उपरोक्त उपायों का प्रभाव विश्लेषण किया है। यह अनुमान लगाया गया है कि इन उपायों के निवल प्रभाव से निर्धारित तिथि को बैंकों के एलसीआर में समग्र स्तर पर लगभग 6 प्रतिशत अंकों का सुधार होगा। इसके अलावा, सभी बैंक न्यूनतम विनियामक एलसीआर आवश्यकताओं को आराम से पूरा करना जारी रखेंगे। रिज़र्व बैंक को आशा है कि ये उपाय भारत में बैंकों की चलनिधि की आघात-सहनीयता को बढ़ाएंगे और गैर-विघटनकारी तरीके से दिशानिर्देशों को वैश्विक मानकों के साथ संरेखित करेंगे। 5. बैंकों को एलसीआर गणना के लिए अपनी प्रणालियों को नए मानकों में परिवर्तित करने के लिए पर्याप्त समय देने हेतु, संशोधित अनुदेश 1 अप्रैल 2026 से लागू होंगे। (पुनीत पंचोली) प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/145 |