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भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम में संशोधन - आरक्षित नकदी निधि अनुपात

22 जून 2006

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम में संशोधन - आरक्षित नकदी निधि अनुपात

भारतीय रिज़र्व बैंक (संशोधन) बिल, 2006 अधिनियमित किया गया है तथा गज़ट में अधिसूचित होने के साथ ही यह लागू हो गया है। उक्त अधिनियम की धारा 42(1) में संशोधन के फलस्वरूप रिज़र्व बैंक देश में मौद्रिक स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकताओं के संबंध में अनुसूचित बैंकों के लिए बिना किसी आधार दर या उच्चतम दर के आरक्षित नकदी निधि अनुपात निर्दिष्ट कर सकता है। तदनुसार, आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) से संबंधित प्रावधानों में निम्नानुसार कुछ परिवर्तन आवश्यक हो गए हैं।

अनुसूचित बैंकों के लिए आरक्षित नकदी निधि अनुपात : इस संशोधन के अधिनियमित होने से पूर्व रिज़र्व बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 42(1) के अनुसार अनुसूचित बैंकों के लिए उनकी कुल मांग और मीयादी देयताओं के 3 प्रतिशत से 20 प्रतिशत के बीच आरक्षित नकदी निधि अनुपात निर्दिष्ट कर सकता था। बैंकों को अब से दैनिक आधार पर दूसरे पूर्ववर्ती पखवाड़े के रिपोर्टिंग शुक्रवार को उनकी निवल मांग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) के 3.00 प्रतिशत का न्यूनतम आरक्षित नकदी निधि अनुपात बनाए रखना जरूरी है बशर्ते उस पखवाड़े के दौरान एनडीटीएल के 5.00 प्रतिशत का औसत बनाए रखा गया हो। विद्यमान में बैंकों को एक पखवाड़े में औसत दैनिक सीआरआर शेषराशियों का न्यूनतम 70 प्रतिशत बनाए रखना होता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक (संशोधन) बिल, 2006 अधिनियमित होने के आलोक में रिज़र्व बैंक ने यह निर्णय लिया है कि "प्रणाली" की समग्र समीक्षा करने और एक मध्यावधि योजना बनाने के लिए एक आंतरिक तकनीकी दल गठित किया जाए। इस दल की अनुशंसाओं को लंबित रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि सीआरआर दर और मौजूदा छूटें जो अगले परिवर्तन तक चलती रहेंगी, सहित सीआरआर बनाए रखने के मौजूदा प्रावधानों की स्थिति यथावत् जारी रखी जाए। तदनुसार, अनुसूचित बैंक अपनी कुल मांग और मीयादी देयताओं के 5 प्रतिशत का सीआरआर बनाए रखना जारी रखेंगे। इसके अलावा, इस संशोधन के अनुसरण में 3 प्रतिशत का न्यूनतम सीआरआर बनाए रखने की न्यूनतम पुरानी सांविधिक अपेक्षा अब नहीं रह गई है। यथोचित अधिसूचनाएं अलग से जारी की जा रही हैं।

अनुसूचित बैंकों के सीआरआर अधिशेषों पर ब्याज ः रिज़र्व बैंक अनुसूचित बैंकों के 3.0 प्रतिशत के न्यूनतम सांविधिक स्तर से ऊपर और 5.0 प्रतिशत तक के निर्दिष्ट स्तर तक के सीआरआर अधिशेषों, जोकि पात्र नकदी शेष कहलाते हैं, पर रिज़र्व बैंक द्वारा तय की गई ब्याज दर पर जोकि 18 सितंबर 2004 को 3.5 प्रतिशत तय की गई थी, ब्याज अदा करता रहा है। अनिवार्यतः रखी जाने वाली शेष राशि से अधिक रखी गई किसी भी राशि पर कोई भी ब्याज देय नहीं है। उक्त अधिनियम की धारा 42(1ए) में संशोधन के फलस्वरूप 3.0 प्रतिशत का न्यूनतम सांविधिक सीआरआर अब नहीं रह गया है। इसके अलावा, उक्त अधिनियम की धारा 42(1बी) हटा दी जाने के साथ ही अब रिज़र्व बैंक बैंकों के किसी भी सीआरआर शेषराशियों के किसी भी भाग पर ब्याज नहीं दे सकेगा। फलस्वरूप, 24 जून 2006 से प्रारंभ पखवाड़े से सीआरआर शेष राशियों पर कोई ब्याज नहीं अदा किया जाएगा।

गैर-अनुसूचित बैंकों के लिए सीआरआर गैर-अनुसूचित बैंकों और गैर-अनुसूचित सहकारी बैंकों के लिए सीआरआर का नियंत्रण बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की क्रमशः धारा 18 और खण्ड 56 के उपबंधों द्वारा किया जाना जारी रहेगा और इसमें कोई परिवर्तन नहीं है। तदनुसार, गैर-अनुसूचित सहकारी बैंकों सहित गैर-अनुसूचित बैंक दूसरे पूर्ववर्ती पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार को अपनी मांग और मीयादी देयताओं के 3.00 प्रतिशत के बराबर का नकदी प्रारक्षित निधि अनुपात बनाए रखने की प्रथा जारी रखेंगे।

जी. रघुराज

उप महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2005-2006/1668

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