वार्षिक बैंकिंग लोकपाल सम्मेलन 2014 - आरबीआई - Reserve Bank of India
वार्षिक बैंकिंग लोकपाल सम्मेलन 2014
31 जनवरी 2014 वार्षिक बैंकिंग लोकपाल सम्मेलन 2014 वार्षिक बैंकिंग लोकपाल सम्मेलन का आयोजन भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई में 30 जनवरी 2014 को किया गया और इसका उद्घाटन भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर डॉ. रघुराम जी. राजन द्वारा किया गया। गवर्नर ने मुख्य संबोधन किया और कहा कि ग्राहक सुरक्षा केंद्रीय बैंकों की मुख्य चिंता है। उन्होंने वर्ष 2012-13 के लिए बैंकिंग लोकपाल की वार्षिक रिपोर्ट जारी की। वार्षिक रिपोर्ट में देशभर में 15 बैंकिंग लोकपाल कार्यालयों के कार्यनिष्पादन की मुख्य-मुख्य बातें हैं और यह भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट www.rbi.org.in पर उपलब्ध है। सभी पन्द्रह बैंकिंग लोकपाल, प्रमुख सार्वजनिक/निजी क्षेत्र के बैंकों के मुख्य प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी, प्रमुख विदेशी बैंकों के प्रतिनिधि, भारतीय बैंक संघ के मुख्य कार्यपालक, भारतीय बैंकिंग कोड और मानक बोर्ड के अध्यक्ष, एनपीसीआई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी, भारतीय क्रेडिट सूचना ब्यूरो लिमिटेड (सीआईबीआईएल) के प्रबंध निदेशक, सेबी के सदस्य, सीएएफआरएएल के निदेशक ने भाग लिया। डॉ. के.सी. चक्रवर्ती ने सम्मेलन का उद्घाटन किया, बैंकिंग लोकपालों को संबोधित किया और उपस्थित लोगों के साथ संरचनागत चर्चा की। अतिथि वक्ता डॉ. नचिकेत मोर, निदेशक, भारतीय रिज़र्व बैंक केंद्रीय बोर्ड ने उत्पादों और सेवाओं की उपयुक्तता के विचार और अपनी अध्यक्षता में लघु कारोबार और कम आय परिवारों के लिए व्यापक वित्तीय सेवा समिति की सिफारिशों पर चर्चा की। दूसरी अतिथि वक्ता सुश्री मोनिका हालन, संपादक, लाइवमिंट ने छोटे और असुरक्षित ग्राहकों के अधिकारों की सुरक्षा की आवश्यकता पर भाषण दिया। ग्राहक सुरक्षा में सुधार करने के लिए कार्य-बिंदु
पृष्ठभूमि रिज़र्व बैंक ने वर्ष 1995 में बैंकिंग लोकपाल योजना को अधिसूचित किया था। यह योजना बैंकों के विरूद्ध ग्राहक शिकायतों के तेज और सस्ते समाधान की प्रणाली का प्रावधान करती है। बैंकिंग लोकपाल योजना बैंकिंग सेवा में कमी से संबंधित व्यापक शिकायतों को शामिल करती है। इस योजना में बैंकिंग लोकपाल द्वारा लिए गए निर्णयों के संबंध में शिकायतकर्ताओं और बैंकों द्वारा अपील किए जाने की अनुमति भी है। इस योजना के अंतर्गत उप गवर्नर अपीलीय प्राधिकारी हैं। योजना को दो बार वर्ष 2002 और 2006 में संशोधित किया गया जिससे कि इसका दायरा और क्षेत्र बढ़ाया जा सके। वर्ष 2009 में अंतिम बार संशोधित इस योजना में इंटरनेट बैंकिंग से उभरने वाली कमियों, भारतीय बैंकिंग कोड और मानक बोर्ड (बीसीएसबीआई) द्वारा जारी ऋणदाता उचित व्यवहार संहिता या ग्राहकों के प्रति बैंक की वचनबद्धता संहिता के प्रावधानों का अनुपालन नहीं करने और रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों/निदेशों का अनुपालन नहीं करने पर शिकायतें शामिल हैं। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/1544 |