1 फरवरी 2011 वर्ष 2009-10 की बैंकिंग लोकपाल योजना की वार्षिक रिपोर्ट में ग्राहक शिकायतों के प्रभावी निवारण का उल्लेख किया गया भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज वर्ष 2009-10 के लिए बैंकिंग लोकपाल योजना की वार्षिक रिपोर्ट जारी की। रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग लोकपाल योजना वर्ष 1995 में स्थापित की थी ताकि बैंक के ग्राहकों की शिकायतों का त्वरित निवारण किया जा सके। रिपोर्ट में इस योजना के बारे में ग्राहकों की जागरूकता बढ़ने की बात कही गई है जिसके कारण बैंकिंग लोकपाल कार्यालयों में प्राप्त शिकायतों की संख्या में व्यापक वृद्धि हुई है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों की संख्या में भी वृद्धि हुई। इसके अलावा वर्ष 2009-10 के दौरान ऑन-लाइन तथा एटीएम/क्रेडिट कार्ड संबंधी शिकायतों की संख्या में वृद्धि से यह पता चलता है कि ग्राहक बैंकिंग सेवाएं प्राप्त करने तथा शिकायत निवारण के लिए प्रौद्योगिकी का अधिकाधिक प्रयोग कर रहे हैं। बैंकिंग लोकपाल कार्यालयों ने कुल प्राप्त शिकायतों (पिछले वर्ष 87 प्रतिशत की तुलना में) 94 प्रतिशत शिकायतों को संबोधित किया। साथ ही, बैंकिंग लोकपाल से प्राप्त प्रतिसूचना के आधार पर वर्ष के दौरान रिज़र्व बैंक ने ग्राहक संबंधी कई प्रभावी उपाय किए। रिपोर्ट की मुख्य-मुख्य बातें शिकायतों की संख्या
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2009-10 के दौरान बैंकिंग लोकपाल में 79,266 शिकायतें प्राप्त हुईं। 2008-09 में प्राप्त 69,117 शिकायतों से 15 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाई गई। तथापि वृद्धि दर में 2008-09 के 44 प्रतिशत से 2009-10 में 15 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी आई। शिकायतों की संख्या में वृद्धि मुख्य रूप से बैंकिंग लोकपालों द्वारा चलाए गए जागरूकता अभियानों तथा रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए विभिन्न प्रभावी उपायों के कारण हुई।
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चेन्नै के बैंकिंग लोकपाल कार्यालयों में अधिकतम (16.10 प्रतिशत) शिकायतें प्राप्त हुईं। उसके बाद नई दिल्ली में 15.20 प्रतिशत, मुंबई में 13.7 प्रतिशत और कानपुर में 9.9 प्रतिशत शिकायतें दर्ज की गई।
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प्रति बैंकिंग लोकपाल कार्यालय में प्राप्त शिकायतों की औसत संख्या 2008-09 के दौरान प्राप्त 4608 शिकायतों की तुलना में 2009-10 के दौरान 5,284 से बढ़ते हुए वृद्धि हुई। केवल चेन्नै बैंकिंग लोकपाल कार्यालय में ही 12,727 शिकायतें प्राप्त हुई उसके बाद बैंकिंग लोकपाल नई दिल्ली (12,045), मुंबई (10,058) और कानपुर (7,832) शिकायतें प्राप्त की।
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2009-10 के दौरान ग्रामीण और महानगरीय क्षेत्रों में शिकायतों की संख्या में वृद्धि हुई। कुल प्राप्त शिकायतों में से 34 प्रतिशत शिकायतें महानगरीय क्षेत्रों से प्राप्त हुई। उसके बाद 32 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों से, 20 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों से और 14 प्रतिशत अर्ध-शहरी क्षेत्रों से प्राप्त हुई। यह मुख्य रूप से बैंकिंग लोकपाल तथा व्यक्तिगत दौरों/गॉंवों के दौरों, मीडिया अभियान आदि के माध्यम से रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए जागरूकता प्रयासों के कारण हुआ।
शिकायतों का स्वरूप
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कुल शिकायतों में से क्रेडिट कार्ड संबंधी शिकायतों का 24 प्रतिशत का उल्लेखनीय हिस्सा रहा। उसके बाद 15 प्रतिशत शिकायतें ''की गई प्रतिबद्धता को पूरा करने में विफल'' (बैंकों द्वारा अपनाई गई उत्कृष्ट प्रणाली कूट का अनुपालन नहीं करना) से संबंधित थी। ऋण और अग्रिमों से संबंधित शिकायतें 8 प्रतिशत, विप्रेषण संबंधी शिकायतें (7 प्रतिशत), जमाराशि संबंधी शिकायतें (5 प्रतिशत), पेंशन संबंधी शिकायतें (6 प्रतिशत) रही।
निपटान
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2009-10 के दौरान बैंकिंग लोकपाल ने प्राप्त कुल शिकायतों में से 94 प्रतिशत शिकायतों (पिछले वर्ष 87 प्रतिशत) का निपटान किया। 30 जून 2010 को कुल 5363 बकाया शिकायतों में से तीन महीने से अधिक अवधि के लिए बकाया शिकायत पिछले वर्ष के सात प्रतिशत की तुलना में केवल 5 प्रतिशत (242) शिकायतें बकाया रही।
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देशभर में बैंकिंग लोकपाल के 15 कार्यालयों के माध्यम से योजना चलाने की रु.19.74 करोड़ की लागत में पिछले वर्ष की तुलना में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई। प्रति शिकायत औसत लागत रु.2368 पर पिछले वर्ष के स्तर पर बनी रही। यह प्राप्त/निपटाई गई शिकायतों की संख्या में वृद्धि के कारण हुआ।
द्वि-तरफी प्रक्रिया बैंकिंग लोकपालों से प्राप्त प्रतिसूचना से रिज़र्व बैंक ने कई ग्राहक-केंद्रीत प्रभावी उपाय किए। कुछ उदाहरण :
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एजेंसी बैंकों को पेंशन की देय राशि के भुगतान में विलंब के लिए बैंक दर + 2 प्रतिशत दण्ड की क्षतिपूर्ति का भुगतान करने को कहा गया।
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बैंकों को विफल एटीएम लेनदेनों के संबंध में शिकायतों को सुलझाने में हुए विलंब के लिए शिकायतकर्ता को प्रतिदिन रु.100/- की दर से क्षतिपूर्ति का भुगतान करने के लिए कहा गया।
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बैंकों को सभी एटीएम के स्थानों पर एटीएम संबंधी शिकायतों को दर्ज करने के लिए सहायता डेस्क/संपर्क व्यक्ति का टेलीफोन नंबर जैसे अपने संपर्क विवरण प्रदर्शित करने के लिए कहा गया।
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1 अप्रैल 2010 की प्रभावी तारीख से बचत बैंक जमा पर ब्याज के भुगतान की चुकौती दैनिक उत्पाद आधार पर की गई।
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बैंकों को सूचित किया गया कि वे बैंकिंग लोकपाल के माध्यम से सुलझाए गए सभी मामलों में कोई भुगतान देय नहीं प्रमाण-पत्र ऐसे मामले के निपटान के एक सप्ताह के भीतर जारी करें और भारतीय ऋण सूचना ब्यूरो लिमिटेड (सिबील) के रिकार्डों में उचित संशोधन करें।
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बैंकों को हर वर्ष उधारकर्ताओं को ऋण विवरणी जारी करने को कहा गया।
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रिज़र्व बैंक ने 1 जुलाई 2010 को ग्राहक सेवा पर एक व्यापक मास्टर परिपत्र जारी किया।
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आवास ऋण और चेक संग्रहण नीति पर अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्नों पर एक पुस्तिका प्रकाशित की गई।
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बैंकों को अपनी ग्राहक सेवा/ग्राहक देखभाल पहलुओं की समीक्षा करने और छह महीनों में एक बार अपने निदेशक बोर्ड को उसका विस्तृत ज्ञापन प्रस्तुत करने और जहॉं कहीं भी सेवा गुणवत्ता/कौशल में अंतर दिखाई देता है वहॉं तुरंत सुधारात्मक कार्रवाई शुरू करने को कहा गया।
पृष्ठभूमि
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रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग लोकपाल योजना (बीओएस) 14 जून 1995 में लागू की थी ताकि वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और अनुसूचित प्राथमिक सहकारी बैंकों द्वारा उपलब्ध कराई गई बैंकिंग सेवाओं में विसंगतियों से संबंधित अपनी शिकायतों को सुलझाने के लिए बैंक ग्राहकों के लिए एक त्वरित और सस्ता मंच उपलब्ध कराया जा सके। देशभर में बैंकिंग लोकपाल (ओबीओ) के 15 कार्यालय है। बैंकिंग लोकपाल योजना लागू करने के दौरान प्राप्त प्रतिसूचना के प्रयोग से भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2002, 2006, 2007 और 2009 में योजना में संशोधन किया। इन संशोधनों में अन्य बातों के साथ-साथ क्रेडिट कार्ड शिकायतें, इंटरनेट बैंकिंग, बैंक और उनके बिक्री एजेंटो (डीएसए) दोनों के द्वारा वादा की गई सेवाएं उपलब्ध कराने में विसंगतियॉं, ग्राहकों को पूर्वसूचना दिए बगैर सेवा प्रभार लगाना, एकल बैंकों द्वारा अपनाई गई उचित प्रणाली कूट का अनुपालन न करना आदि जैसे नए क्षेत्रों पर ग्राहक शिकायत शामिल है। जब 1995 में बैंकिंग लोकपाल योजना शुरू हुई थी तब कुल 11 आधारों पर बैंक सेवाओं की शिकायतें/विसंगतियॉं दर्ज की जा सकती थी जो अब 27 आधारों पर की जा सकती है। भारतीय रिज़र्व बैंक नि:शुल्क बैंकिंग लोकपाल योजना चलाती है ताकि सभी को सेवाएं प्राप्त हो सकें। इस योजना की प्रभावकारित और उपयोगिता को बढ़ाने के लिए आज बैंकिंग लोकपाल योजना के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक पूर्ण रूप से स्टाफ तथा निधि उपलब्ध कराती है।
आर.आर. सिन्हा उप महाप्रबंधक प्रेस प्रकाशनी : 2010-2011/1098 |