गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए आस्ति-देयता प्रबंध
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए आस्ति-देयता प्रबंध
27 जून 2001
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए आस्ति-देयता प्रबंध (एएलएम) दिशा-निर्देश जारी किये। ये दिशा-निर्देश उनके विभिन्न पोर्टफोलियो में कारगर जोखिम प्रबंध के लिए समग्र प्रणाली के एक भाग के रूप में जारी किये गये हैं। आस्ति-देयता प्रबंध प्रणाली ऐसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा शुरू की जानी चाहिए जिनकी आस्ति का आकार 31 मार्च 2001 की स्थिति को उनके तुलनपत्र के अनुसार 100 करोड़ रुपये और अधिक अथवा सार्वजनिक जमाराशियां 20 करोड़ रुपये और उससे अधिक हों। रिज़र्व बैंक ने कंपनियों को सूचित किया है कि यह वांछनीय होगा कि वे अपने संस्थान में एएलएम प्रणाली विधिवत शुरू करने के लिए आधारभूत कार्य करने के लिए मुख्य कार्यपालक अधिकारी के प्रभार के अंतर्गत एक आस्ति-देयता प्रबंध समिति गठित करें। एएलएम प्रणाली 31 मार्च 2002 वो समाप्त होनेवाले वर्ष तक लागू किये जाने की आवश्यकता है और 30 सितंबर 2002 की स्थिति के अनुसार सार्वजनिक जमाराशियां रखनेवाली कंपनियों से ढांचागत नकदी, अल्पावधि गतिशील (डायनॅमिक) नकदी तथा ब्याज दर उतार-चढ़ाव के संबंध में सारणियों वाली पहली एएलएम विवरणी रिज़र्व बैंक के पास 31 अक्तूबर 2002 तक प्रस्तुत की जानी चाहिए। जिन मामलों में कंपनियां सार्वजनिक जमाराशियां स्वीकार नहीं करतीं/धारण नहीं करतीं लेकिन उनकी आस्तियां 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक हैं, उनके लिए अलग से पर्यवेक्षी व्यवस्थाएँ तैयार की जा रही हैं जिन्हें यथासमय सूचित किया जायेगा। कंपनियों को सूचित किया गया है कि वे 30 सितंबर 2001 को समाप्त होनेवाले अवधि तथा पहली अक्तूबर 2001 से शुरू होनेवाली छमाही के दौरान ट्रायल रन चलाकर देखें और यदि प्रणाली को लागू करने में कोई परिचालनगत कठिनाइयां सामने आ रही हैं तो उन्हें आवश्यक सुधारों के लिए सूचित करें। चिट फंडों तथा निधियों को फिलहाल इन दिशा-निर्देशों के दायरे से बाहर रखा गया है। जो गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां इन दिशा-निर्देशों के दायरे में नहीं आतीं, उनसे भी सिफारिश की गयी है कि वे एएलएम प्रणाली शुरू करें क्योंकि बैंक का यह प्रयास है कि इन दिशा-निर्देशों को यथासमय सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर लागू किया जाये।
सूरज प्रकाश
प्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2000-01/1734