बैंकिंग लोकपाल योजना : 1995अब तक की उसकी कार्यप्रणाली की खास-खास बातें - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकिंग लोकपाल योजना : 1995अब तक की उसकी कार्यप्रणाली की खास-खास बातें
बैंकिंग लोकपाल योजना : 1995
अब तक की उसकी कार्यप्रणाली की खास-खास बातें
26 मार्च 2003
भारतीय रिज़र्व बैंक ने 1998-1999 से 2001-2002 की अवधि के लिए बैंकिंग लोकपाल योजना, 1995 की समीक्षा पर रिपोर्ट प्रकाशित की है।
इस रिपोर्ट के अनुसार 1999-2000, 2000-2001 और 2001-2002 की अवधि के दौरान प्राप्त शिकायतों की संख्या क्रमश: 4994, 5803 और 5907 रही। वर्ष 1998-1999 (अप्रैल-मार्च) के तुलनात्मक आंकड़े 6062 थे। वर्ष 1998-1999 के दौरान प्राप्त शिकायतों की तुलना में वर्ष 2001-2002 के दौरान 2.5 प्रतिशत की गिरावट आयी। समीक्षाधीन अवधि के दौरान जिन अधिकतम शिकायतों का निपटारा किया गया, वे ऋणों और अग्रिमों के शोधन में कमी, जमा खाते और चेकों/बिलों को जमा करने में विलंब आदि से संबंधित थीं। इनमें से अधिकांश शिकायतें सामान्यत: महानगरीय और शहरी केंद्रों से प्राप्त हुईं; ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों से अत्यंत कम शिकायतें प्राप्त हुईं। 31 मार्च 2002 को समाप्त वर्ष के लिए जयपुर में अधिकतम शिकायतें प्राप्त हुईं। इनकी संख्या 1021 थी। 31 मार्च 1999, 2000, 2001 और 2002 को समाप्त वर्ष के लिए प्रति कार्यालय निपटायी गयी शिकायतों की औसत संख्या क्रमश: 187, 166, 209 और 234 थी तथा उनमें बढ़ती हुई प्रवृत्ति दिखायी दी।
आपको याद होगा कि बैंकों के विरुद्ध प्राप्त होनेवाली शिकायतों के लिए निवारण प्रणाली का प्रावधान करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने 14 जून 1995 को बैंकिंग लोकपाल योजना शुरू की थी। योजना में ग्राहकों की शिकायतों का समयबद्ध तरीके से तुरंत और संतोषजनक निपटान करने की व्यवस्था की गयी है। यह योजना भारत में कारोबार करने वाले सभी वाणिज्य बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़ कर) तथा अनुसूचित प्राथमिक सहकारी बैंकों पर लागू है। देशभर में 15 केंद्रों पर बैंकिंग लोकपाल नियुक्त किये गये हैं।
योजना की प्रभावशीलता में सुधार लाने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा गठित अनौपचारिक दल ने योजना की समीक्षा की। संशोधित बैंकिंग लोकपाल योजना, 2002, 14 जून 2002 से प्रभावी हो गयी। नयी योजना में वाणिज्य बैंकों और अनुसूचित प्राथमिक सहकारी बैंकों के साथ सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को भी शामिल कर लिया गया है। नयी योजना अतिरिक्त रूप से लोकपाल एवाड़ की समीक्षा के लिए ‘समीक्षा अधिकारी’ की नियुक्ति का प्रावधान करती है। अब बैंकिंग लोकपाल को बैंकों और उनके ग्राहकों के बीच या दो बैंकों के बीच विवाद होने पर यदि बैंकिंग लोकपाल के पास मामला प्रेषित किया गया तो मध्यस्थता करने के लिए भी प्राधिकृत किया गया है। मध्यस्थता के अंतर्गत अलग-अलग विवादों के मामले का मूल्य दस लाख रुपये से अधिक नहीं होगा।
बैंकिंग लोकपाल योजना का प्रचार करने के लिए स्थानीय समाचारपत्रों में विज्ञापन प्रकाशित करने के साथ-साथ बैंकिंग लोकपाल के कार्यालयों ने प्रचार अभियान आयोजित किये। बैंकिंग लोकपाल, चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स और इंडस्ट्री एंड बैंक मैनेजर्स क्लब आदि के साथ परस्पर विचार-विमर्श भी कर रहे हैं।
रिपोर्ट का पूरा पाठ भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट
www.rbi.org.in पर उपलब्ध है।अल्पना किल्लावाला
महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2002-2003/994