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जी 20 वित्तीय सुधार कार्य सूची  में  भारतीय विनियामक पद्धति का न्‍यूनतम मानदण्‍ड निर्धारित करना : भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला

27 मार्च 2012

जी 20 वित्तीय सुधार कार्य सूची  में  भारतीय विनियामक पद्धति का
न्‍यूनतम मानदण्‍ड निर्धारित करना : भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अनुपम प्रकाश और राजीव रंजन द्वारा लिखित जी 20 वित्तीय सुधार कार्य सूची में  भारतीय विनियामक पद्धति का न्‍यूनतम मानदण्‍ड निर्धारित करना विषय पर वर्किंग पेपर श्रृंखला सं.03 जारी किया।

हाल के वैश्विक वित्तीय संकट (2007-2009) से मिली सीख के आधार पर जी20 द्वारा एक विनियामक सुधार कार्यसूची अपनाई गई है जिसे वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी), बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बासेल समिति (बीसीबीएस) और अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) से प्राप्‍त विशिष्‍ट इनपुट के द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है। हालांकि जी20 में वैश्विक वित्तीय विनियामक ढांचे को अद्यतन बनाने के लिए कार्यसूची को लागू करने में उल्‍लेखनीय प्रगति हुई है वित्तीय स्थिरता को समर्थन देने के लिए कुछ अन्‍य विशिष्‍ट उपायों के लिए डिज़ाईन और कार्यान्‍वयन पर अभी काम किया जा रहा हैं। जबकि भारत अत्‍यधिक प्रभावित हुए बिना संकट से उभरा है एफएसबी, बीसीबीएस और आइएमएफ सदस्‍य होने के नाते भारत जी20 के अंतर्गत अंतर्राष्‍ट्रीय  विनियामक और पर्यवेक्षी ढांचे के संकट पश्‍चात् सुधार में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है। साथही,भारत तीव्र गति से बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था की आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए अपनी दूसरे चरण के वित्तीय क्षेत्र सुधारों को भी आगे बढ़ा रहा है।

संकट से मिली सीख की पृष्‍ठभूमि में,  इस पेपर में जी20 विनियामक सुधार कार्यसूची की उल्‍लेखनीय विशेषताओं को उज़ागर किया है। अंतर्राष्‍ट्रीय वित्तीय सुधारों की प्रगति के बारे में नवंबर 2011 में केन्‍स में आयोजित जी20 सम्‍मेलन में एफएसबी द्वारा प्रस्‍तुत फार्मेट में भी दर्शाया गया है। पेपर में 2009 में वित्तीय क्षेत्र सुधार शुरू होने के बाद से जी20 वित्तीय प्रणाली की सुदृढ़ता का आकलन करने की दृष्टि से भारत सहित जी20 देशों के लिए वित्तीय सुदृढ़ता के मूल संकेतकों को प्रस्‍तुत किया गया है। उसके बाद इस पेपर में भारतीय विनियामक पद्धति अर्थात् जी20 कार्यसूची के न्‍यूनतम मानदण्‍ड निर्धारित करने के प्रयास में 2009 से वित्तीय विनियमन पर भारत में हुई प्रगति की जांच की गई है।

पेपर के मुख्‍य नि‍ष्‍कर्ष निम्‍नानुसार है :

  • वैश्विक विनियामक मानकों पर जी20 कार्यसूची जिसका अच्‍छी तरह से विकास हो रहा है को खासकर, यूरो क्षेत्र की समस्‍याओं के संदर्भ में उभरती परिस्थितियों को अपनाना चाहिए।

  • वित्तीय सुदृढ़ता के मुख्‍य संकेतक यह दर्शाते हैं कि जी20 के वो देश जिन्‍होंने बैंकिंग क्षेत्र की समस्‍याओं का सामना किया है ने अपनी पूँजी और चलनिधि बफर को बढ़ा दिया है।

  • संकट के दौरान भारत के मुख्‍य सुदृढ़ता संकेतक जिन्‍होंने मज़बूती प्रदर्शित की थी में 2009 से कोई अधिक परिवर्तन नहीं देखा गया है।

  • जबकि अंतर्राष्‍ट्रीय  मानदण्‍डों को समीक्षा के लिए रखा गया है और वैश्विक स्‍तर पर विकास अनियमित और अनिश्चित बना हुआ है, भारत में वित्तीय विनियामक सुधारों को अंतर्राष्‍ट्रीय  सुधार कार्यसूची के संदर्भ में एक बढ़ावा मिला है। जी20 कार्यसूची के अंतर्गत शामिल किए गए विषयों पर एक सक्रिय कार्य के अलावा भारत अन्‍य ढांचागत सुधारों और वित्तीय स्थिरता के प्रयासों के साथ आगे बढ़ रहा है। आगे चलकर, वित्तीय क्षेत्र के विनियमन और उदारीकरण के बिच एक उचित संतुलन बनाए रखना आवश्‍यक होगा।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/1523

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