वित्तीय लेनदेन में लगी संस्थाओं के लिए भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड विशिष्ट पहचान कोड जारी करेगा - आरबीआई - Reserve Bank of India
वित्तीय लेनदेन में लगी संस्थाओं के लिए भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड विशिष्ट पहचान कोड जारी करेगा
6 जनवरी 2014 वित्तीय लेनदेन में लगी संस्थाओं के लिए भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारत में वैश्विक अनुरूप वाला विधिक संस्था पहचानकर्ता (आईडेंटिफायर) (एलईआई) जारी करने के लिए स्थानीय परिचालन इकाई (एलओयू) के रूप में कार्य करने हेतु भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड (सीसीआईएल) का चयन किया है। एलईआई 20-अक्षरों का विशिष्ट पहचान कोड है जो वित्तीय लेनदेन में लगी संस्थाओं को दिया गया है। स्थानीय परिचालन इकाई के रूप में सीसीआईएल संपूर्ण विश्व में वित्तीय बाजारों में भाग लेने वाली पात्र और इच्छुक विधिक संस्थाओं को गैर-लाभ लागत वसूली आधार पर विशिष्ट पहचानकर्ता कोड जारी करेगा। वैश्विक एलईआई प्रणाली की विनियामक निगरानी समिति द्वारा सीसीआईएल को मान्यता देने पर इसके द्वारा जारी किए जाने वाले कोड वैश्विक रूप से स्वीकृत किए जाएंगे। शुरुआत में इस संबंध में मूलभूत सुविधा के गठन के बाद एलईआई संख्या के उपयोग का ओवर दि काउंटर डेरिवेटिव लेनदेन और बड़े उधारकर्ताओं (विधिक संस्थाओं) के लिए चरणबद्ध तरीके से अधिदेश दिए जाने की संभावना है। जी-20 अधिदेश के भाग के रूप में वैश्विक एलईआई प्रणाली के कार्यान्वयन की अगुवाई वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी) द्वारा की जा रही है। स्थानीय परिचालन ईकाई के रूप में सीसीआईएल की कार्यपद्धति भारतीय रिज़र्व बैंक के विनियमन और निगरानी के अंतर्गत है। यह स्मरण होगा कि रिज़र्व बैंक ने जुलाई 2013 में सीसीआईएल को रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित वित्तीय बाजारों में इसके प्रणालीबद्ध महत्व पर विचार करते हुए निगरानी के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय बाजार मूलभूत सुविधा (एफएमआई) के रूप में नियुक्त किया था। पिछले सप्ताह इसे अर्हताप्राप्त केन्द्रीय काउंटरपार्टी (क्यूसीसीपी) का दर्जा दिया गया। वित्तीय स्थिरता बोर्ड के सदस्य के रूप में रिज़र्व बैंक बेहतर अंतर्राष्ट्रीय पद्धतियां अपनाने और उनका कार्यान्वयन करने के लिए प्रतिबद्ध है। पृष्ठभूमि वैश्विक वित्तीय संकट ने विश्व में वित्तीय लेनदेन करने वाली पार्टियों के लिए एक सामान्य, सटीक और पर्याप्त रूप से व्यापक पहचान प्रणाली के अभाव को रेखांकित किया और वैश्विक एलईआई प्रणाली (जीएलईआई) के विकास के लिए एक नया प्रोत्साहन भी प्रदान किया। अंतर्राष्ट्रीय विनियामकों ने वित्तीय आंकड़ा प्रणालियों में आवश्यक सुधारों के मुख्य घटक के रूप में एलईआई के महत्व की पहचान की। तदनुसार, नवंबर 2011 में आयोजित जी-20 के कैन शिखर सम्मेलन में वैश्विक एलईआई प्रणाली के विकास और अनुरक्षण का समर्थन किया गया तथा वित्तीय स्थिरता बोर्ड को अंतर्राष्ट्रीय विनियामक कार्य का समन्वय करने और इस प्रणाली पर ठोस सिफारिश देने का कार्य सौंपा गया। वैश्विक एलईआई प्रणाली की संरचना वित्तीय स्थिरता बोर्ड द्वारा विकसित की गई। इसमें एक विनियामक निगरानी समिति (आरओसी) है जिसके पास वैश्विक एलईआई प्रणाली के अभिशासन की अंतिम जिम्मेदारी है और वर्तमान में इसमें पूरे विश्व के 70 से अधिक प्राधिकारों से सदस्य और पर्यवेक्षक हैं, एक केन्द्रीय परिचालन ईकाई (सीओसी) है जो वैश्विक एलईआई प्रणाली का महत्वपूर्ण परिचालन अंग होगी और स्थानीय परिचालन इकाईयां (एलओयू) हैं जो एलईआई प्रणाली के लिए पंजीकृत होने की इच्छा रखने वाली संस्थाओं के लिए प्राथमिक इंटरफेस उपलब्ध कराएंगी। रिज़र्व बैंक वैश्विक एलईआई प्रणाली की विनियामक निगरानी समिति में वर्ष 2013 में शामिल हुआ। वित्तीय लेनदेन में लगी विशिष्ट रूप से पहचान करने वाली पार्टियों के लिए एकल वैश्विक प्रणाली शुरू करने से कई लाभ होंगे। यह प्रणाली फर्मों में उन्नत जोखिम प्रबंध, सूक्ष्म और समष्टि विवेकपूर्ण जोखिमों के बेहतर आकलन, व्यवस्थित समाधान की सुविधा, बाजार की गलती को नियंत्रित करने और वित्तीय जालसाजी पर काबू पाने तथा वित्तीय आंकड़ों की उच्चतर गुणवत्ता और सटीकता सहित कई वित्तीय स्थिरता उद्देश्यों में योगदान और उनकी सुविधा देने के लिए एक मूल्यवान ‘निर्माणक ब्लॉक’ उपलब्ध कराएगी। वैश्विक एलईआई प्रणाली वर्तमान में अपनी प्रारंभिक अवस्था में है और जबकि विशेषकर सीमापार अनुरूपता वाले कई परिचालनात्मक मुद्दों का समाधान किया जा रहा है, फिर भी कुछ देशों में स्थानीय परिचालन इकाईयां पहले से ही कार्यरत हैं। इस पर विचार करते हुए, स्थानीय परिचालन इकाईयों द्वारा वर्तमान में आवंटित पहचानकर्ताओं को प्री-एलईआई कहा गया है और स्थानीय परिचालन इकाईयों को प्री-एलओयू कहा गया है। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/1360 |