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लेखा आदाता चेक का समाहरण - अन्य व्यक्ति के खाते में आय जमा करने पर प्रतिबंध

23 जनवरी 2005

लेखा आदाता चेक का समाहरण - अन्य व्यक्ति के खाते में आय जमा करने पर प्रतिबंध

कतिपय व्यक्तियों/कंपनियों द्वारा हाल ही में प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव प्रक्रिया के दुरूपयोग तथा इस संबंध में सेबी से प्राप्त रिपोर्टों को देखते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक ने प्रणाली में चालबाजी करने के लिए विभिन्न पार्टियों द्वारा अपनायी गयी कार्य-प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए कुछ बैंकों से विस्तृत छानबीन की। यह पाया गया कि वर्तमान अनुदेशों के बावजूद, बैंकों ने डीपी प्रोवाइडर्स एसोसिएट्स के अनुरोध पर व्यक्तिगत लेखा आदाता जमा की वापसी के आदेशों की आय व्यक्तिगत खातों के बजाय दलालों के खातों में जमा की। इससे भुगतान प्रणाली में चालबाजी हुई और अनियमितताओं का अपराधकर्म सुगम हो गया। यदि बैंक लेखा आदाता चेकों की समाहरण प्रक्रिया अपनाते तो यह चालबाजी नहीं होती। विवेकपूर्ण बाजार प्रणाली के रूप में इस विचलन को दोषमुक्त नहीं किया जा सकता क्योंकि इसमें बैंकों को विभिन्न जोखिमों में डालने की क्षमता है।

रिज़र्व बैंक यह आवश्यक समझता है कि बैंकों को लेखा आदाता चेक उसमें उल्लिखित आदाता के नाम से अन्य किसी भी व्यक्ति के खाते में जमा करने से प्रतिबंधित किया जाये। तदनुसार रिज़र्व बैंक ने बैंकों को निदेश दिये कि वे घटक आदाता से अन्य किसी भी व्यक्ति के लिए लेखा आदाता चेक का समाहरण न करें।

इस संबंध में एक परिपत्र भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर रखा गया है।

 

 

पी.वी.सदानंदन
प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2005-06/928

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