वाणिज्यिक बैंकों और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों के सांविधिक लेखा परीक्षकों एवं मुख्य वित्तीय अधिकारियों का सम्मेलन - आरबीआई - Reserve Bank of India
वाणिज्यिक बैंकों और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों के सांविधिक लेखा परीक्षकों एवं मुख्य वित्तीय अधिकारियों का सम्मेलन
रिज़र्व बैंक ने 9 जुलाई 2024 को मुंबई में वाणिज्यिक बैंकों और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों के सांविधिक लेखा परीक्षकों एवं मुख्य वित्तीय अधिकारियों (सीएफओ) के लिए एक सम्मेलन का आयोजन किया। यह सम्मेलन उन पर्यवेक्षी कार्य की शृंखला का एक हिस्सा था जो रिज़र्व बैंक प्रमुख हितधारकों के साथ सक्रिय रूप से कर रहा है। सम्मेलन का विषय था ‘साझा दृष्टिकोण, साझा जिम्मेदारी: बैंकिंग पर्यवेक्षण में आश्वासन को सुदृढ़ करना’। सम्मेलन में 300 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर श्री एम. राजेश्वर राव और श्री स्वामीनाथन जे.; श्री अजय भूषण प्रसाद पांडे, अध्यक्ष, राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए); और श्री रंजीत कुमार अग्रवाल, अध्यक्ष, भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) ने प्रतिभागियों को संबोधित किया। रिज़र्व बैंक के विनियामक और पर्यवेक्षी कार्यों के प्रभारी कार्यपालक निदेशकों ने भी सम्मेलन में भाग लिया। उप गवर्नर श्री राव ने अपने मुख्य भाषण में उभरती चुनौतियों और सांविधिक लेखा परीक्षकों से भारतीय रिज़र्व बैंक की अपेक्षाओं, विशेष रूप से सिद्धांत-आधारित नियामक व्यवस्था और प्रकटीकरण ढांचे में लेखा परीक्षकों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उप गवर्नर श्री स्वामीनाथन ने अपने संबोधन में वित्तीय विवरणों की अखंडता सुनिश्चित करने में सांविधिक लेखा परीक्षकों और सीएफओ की महत्वपूर्ण भूमिका को अभिस्वीकृत किया। पारदर्शिता पर जोर देते हुए, उन्होंने सीएफओ से अपने संगठनों के साथ-साथ लेखा परीक्षकों और पर्यवेक्षकों के साथ स्पष्ट और विश्वसनीय संचार बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने लेखा परीक्षकों से लेखा-परीक्षा में सख्ती बनाए रखने और वस्तुनिष्ठता, पारदर्शिता तथा नैतिकता के उच्चतम मानकों का पालन करने का भी अनुरोध किया। एनएफआरए के अध्यक्ष श्री अजय भूषण प्रसाद पांडे ने वित्तीय विवरण की सत्यता एवं निष्पक्षता तथा उनमें कोई गलत बयानी न हो, को सुनिश्चित करने में बैंकों के सीएफओ और लेखा परीक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। एनएफआरए में मामलों के निपटारे के दौरान प्राप्त अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने हितधारकों के बीच प्रभावी संचार, निधियों के अंतिम उपयोग की निगरानी और शाखा के लेखा-परीक्षकों के काम पर सक्रिय निगरानी के महत्व पर जोर दिया। आईसीएआई के अध्यक्ष श्री रंजीत कुमार अग्रवाल ने इस बात पर जोर दिया कि विधि और विनियमन द्वारा सनदी लेखाकार व्यवसाय पर जताए गए भरोसे को पूरा करते हुए, 2047 तक भारत को एक विकसित अर्थव्यवस्था बनाने की आकांक्षा को प्राप्त करने में इस व्यवसाय से योगदान की आवश्यकता है। उन्होंने सनदी लेखाकारों के क्षमता संवर्धन में संस्थान द्वारा की गई विभिन्न पहल के बारे में, विशेषकर बैंक लेखा-परीक्षा के संबंध में, विस्तार से बताया। सम्मेलन में उद्योग जगत के अतिथि वक्ताओं और रिज़र्व बैंक के मुख्य महाप्रबंधकों के तकनीकी सत्र शामिल थे, जिसमें सांविधिक लेखा परीक्षकों और सीएफओ से अपेक्षाएं, साइबर सुरक्षा, वित्तीय रिपोर्टिंग में आंतरिक नियंत्रण और लेखा परीक्षा में डेटा एनालिटिक्स के उपयोग पर चर्चा की गई। भारतीय रिज़र्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक संवादात्मक सत्र के साथ सम्मेलन का समापन हुआ।
(पुनीत पंचोली) प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/663 |