30 जून 2011
2010-11 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2011) के दौरान
भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधियां
वित्तीय वर्ष 2010-11 के भारत के भुगतान संतुलन संबंधी चौथी तिमाही (ति.2) अर्थात जनवरी-मार्च 2011 के प्रारंभिक आंकड़े अब उपलब्ध हो गए हैं। अप्रैल-मार्च 2010-11 के भुगतान संतुलन संबंधी आंकड़ों का संकलन करने के लिए इन प्रारंभिक आंकड़ों तथा पहली तीन तिमाहियों अर्थात अप्रैल-जून 2010 (ति1), जुलाई-सितंबर 2010 (ति2) और अक्तूबर-दिसंबर 2010 (ति3) के संशोधित आंकड़ों को हिसाब में लिया गया है। इन आंकड़ों का विस्तृत विवरण भुगतान संतुलन के प्रस्तुतीकरण के मानक प्रारूप में विवरण I तथा विवरण II में दिया गया है।
2010-11 के जनवरी-मार्च 2011 (ति4) के दौरान भुगतान संतुलन संबंधी मुख्य-मुख्य बातें
2010-11 की ति4 के दौरान आयात की तुलना में वणिक माल निर्यात में अधिक वृद्धि के चलते व्यापार घाटा कम होने और निवल अदृश्य मद अधिदेश में सुधार होने से चालू खाते के घाटे में काफी कमी आयी।
-
भुगतान संतुलन आधार पर 2010-11 की ति4 के दौरान निर्यात में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 47.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि आयात में 27.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
-
निरपेक्ष संदर्भ में भुगतान संतुलन आधार पर व्यापार घाटा 29.9 बिलियन अमरीकी डालर था जो कि पिछले वर्ष की तदनुरूप तिमाही (31.6 बिलियन अमरीकी डालर) की तुलना में कुछ कम था।
-
निवल सेवाओं में 71.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई (एक वर्ष पूर्व इनमें 29.7 प्रतिशत गिरावट हुई थी) जिसका मुख्य कारण प्राप्तियों में मजबूत वृद्धि था जिसमें यात्रा, परिवहन, सॉफ्टवेयर, कारोबार तथा वित्तीय सेवाओं का मुख्य योगदान था।
-
जहां निवल निजी अंतरण प्राप्तियों में 13.8 बिलियन अमरीकी डालर के साथ उछाल बना रहा वहीं निवेश आय के कारण निवल बहिर्वाह हुआ।
-
परिणामस्वरूप, संदर्भाधीन निवल अदृश्य मद शेष में 30.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई (एक वर्ष पूर्व इसमें 5.4 प्रतिशत की गिरावट हुई थी)।
-
5.4 बिलियन अमरीकी डालर के साथ चालू खाते का घाटा वर्ष की पूर्ववर्ती तिमाहियों और पिछले वर्ष की तदनुरूप तिमाही की तुलना में कम रहा है।
-
प्राथमिक रूप से कम विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और पोर्टफोलियो अंतर्वाहों के कारण पूंजी खाते के अधिशेष में तिमाही के दौरान कमी आयी। बाह्य सहायता के तहत अंतर्वाह और अल्पावधि व्यापार ऋण भी कम थे।
-
किंतु तिमाही के दौरान चालू खाते के घाटे की तुलना में पूंजी खाते का अधिशेष अधिक था और विदेशी मुद्रा भंडार में 2.0 बिलियन अमरीकी डालर की निवल वृद्धि हुई थी।
अप्रैल-मार्च 2010-11 के दौरान भुगतान संतुलन की मुख्य-मुख्य बातें
संपूर्ण वर्ष अर्थात अप्रैल-मार्च 2010-11 के दौरान निवल अदृश्य मद अधिशेष में सुधार के बावजूद उच्च व्यापार घाटे से चालू खाते के घाटे की निरपेक्ष मात्रा में वृद्धि हुई। किंतु सकल देशी उत्पाद के अनुपात के रूप में चालू खाते का घाटा पूर्ववर्ती वर्ष की तुलना में कुछ कम था।
-
निरपेक्ष संदर्भ में भुगतान संतुलन आधार पर व्यापार घाटा 2010-11 के दौरान बढ़कर 130.5 बिलियन अमरीकी डालर (सकल देशी उत्पाद का 7.5 प्रतिशत) हो गया जो कि एक वर्ष पूर्व 118.4 बिलियन अमरीकी डालर (सकल देशी उत्पाद का 8.6 प्रतिशत) था।
-
निवल अदृश्य मद आय पिछले वर्ष के 80.0 बिलियन अमरीकी डालर से बढ़कर 86.2 बिलियन अमरीकी डालर हो गयी।
-
2010-11 के दौरान चालू खाते का घाटा 44.3 बिलियन अमरीकी डालर के साथ सकल देशी उत्पाद के 2.6 प्रतिशत था जो कि एक वर्ष पूर्व 38.4 बिलियन अमरीकी डालर (सकल देशी उत्पाद के 2.8 प्रतिशत) था।
-
निवल पूंजी अंतर्वाह बढ़कर 59.7 बिलियन अमरीकी डालर हो गये जिसमें मुख्य योगदान बाह्य सहायता, अल्पावधि व्यापार ऋण, बाह्य वाणिज्यिक उधार और बैंकिंग पूंजी का था।
-
निवल पूंजी अंतर्वाह अधिक होने के बावजूद 2010-11 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि कुछ कम हुई क्योंकि बढ़े हुए प्रवाह का एक बढ़ा हिस्सा बढ़े हुए चालू खाते के घाटे में अवशोषित हो गया था।
1. 2010-11 के जनवरी-मार्च 2011 (ति.4) का भुगतान संतुलन
2010-11 की चौथी तिमाही (ति.4) के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदों की जानकारी नीचे सारणी 1 में दी गई है।
सारणी 1 : भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें
|
(बिलियन अमरीकी डालर)
|
मद
|
अप्रैल-जून
|
जुलाई-सितंबर
|
अक्टूबर-दिसंबर
|
जनवरी-मार्च
|
2009-10
(आं.सं.)
|
2010-11
(आं.सं.)
|
2009-10
(आं.सं.)
|
2010-11
(आं.सं.)
|
2009-10 (आं.सं.)
|
2010-11 (आं.सं.)
|
2009-10 (आं.सं.)
|
2010-11
(प्रा.)
|
1
|
2
|
3
|
4
|
5
|
6
|
7
|
8
|
9
|
1.निर्यात
|
39.2
|
55.3
|
43.4
|
52.0
|
47.2
|
65.9
|
52.5
|
77.2
|
2.आयात
|
65.4
|
87.2
|
73.0
|
89.3
|
78.1
|
97.4
|
84.1
|
107.1
|
3.व्यापार संतुलन (1-2)
|
-26.3
|
-31.9
|
-29.6
|
-37.3
|
-30.9
|
-31.5
|
-31.6
|
-29.9
|
4.अदृश्य मदें, निवल
|
22.1
|
19.8
|
20.4
|
20.5
|
18.7
|
21.5
|
18.8
|
24.5
|
5.चालू खाता शेष (3+4)
|
-4.2
|
-12.1
|
-9.2
|
-16.8
|
-12.2
|
-10.0
|
-12.8
|
-5.4
|
6.पूंजी खाता शेष*
|
4.3
|
15.8
|
18.6
|
20.1
|
14.0
|
14.0
|
15.0
|
7.4
|
7.रिज़र्व में परिवर्तन #
(-चिहन वृद्धि दर्शाता है; + चिहन कमी दर्शाता है)
|
-0.1
|
-3.7
|
-9.4
|
-3.3
|
-1.8
|
-4.0
|
-2.1
|
-2.0
|
*भूल-चूक सहित # भुगतान संतुलन आधार पर (अर्थात् मूल्यन सहित) प्रा : प्रारंभिक आं.सं. : आंशिक रूप से संशोधित
|
टिप्पणी: पूर्णांकन के कारण जोड़ में अंतर हो सकता है।
|
वणिक माल का व्यापार
2010-11 की ति4 के दौरान वणिक माल निर्यात में वृद्धि में काफी तेजी आ गयी जबकि वणिक माल आयात वृद्धि में काफी गिरावट आयी।
-
बीओपी आधार पर 2010-11 की ति4 के दौरान वर्ष-दर-वर्ष आधार पर भारत के वणिक माल निर्यात में 47.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि 2009-10 की इसी तिमाही के दौरान 36.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इसी प्रकार बीओपी आधार पर वणिक माल के आयात में वर्ष-दर-वर्ष 27.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि पिछले वर्ष की इसी तिमाही के दौरान 43.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
-
इस प्रकार निरपेक्ष संदर्भ में व्यापार घाटा कम होकर 29.9 बिलियन अमरीकी डालर रह गया जबकि पिछले वर्ष की इसी तिमाही के दौरान यह 31.6 बिलियन अमरीकी डालर था।
अदृश्य मदें
2010-11 की ति 4 के दौरान वणिक माल व्यापार जैसे ही अदृश्य मद प्राप्तियों में वृद्धि में तेजी रही है और अदृश्य मद भुगतान वृद्धि में काफी गिरावट हुई है जिससे पिछले वर्ष की ति 4 की तुलना में निवल अदृश्य मद में सुधार हुआ।
-
अदृश्य मद प्राप्तियों में 19.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई (पिछले वर्ष 13.6 प्रतिशत वृद्धि हुई थी) जो मुख्यत: सेवा-निर्यात की वजह से थी।
-
सेवा-निर्यात में 27.5 प्रतिशत वृद्धि हुई (एक वर्ष पूर्व 10.8 प्रतिशत वृद्धि हुई थी) जो मुख्यत: यात्रा, परिवहन, सॉफ्टवेयर, कारोबार तथा वित्तीय सेवाओं की वजह से थी।
-
इसी प्रकार तिमाही के दौरान निजी अंतरण प्राप्तियां 11.3 प्रतिशत बढ़कर 14.6 बिलियन अमरीकी डालर हो गईं (एक वर्ष पूर्व 13.1 बिलियन अमरीकी डालर)।
-
किंतु तिमाही के दौरान निवेश आय प्राप्तियां पुन: 25.9 प्रतिशत कम हो गयी (एक वर्ष पूर्व 23.5 प्रतिशत की गिरावट) जिसका मुख्य कारण विदेशों में ब्याज दर कम स्तर पर बनी रहना था।
-
अदृश्य मद भुगतानों में 11.7 प्रतिशत की धीमी वृद्धि हुई (एक वर्ष पूर्व 33.8 प्रतिशत वृद्धि हुई थी) जिसका मुख्य कारण सेवाओं के भुगतान में धीमी वृद्धि था।
-
तिमाही के दौरान सेवाओं के भुगतान में 8.3 प्रतिशत वृद्धि हुई (एक वर्ष पूर्व 48.2 प्रतिशत वृद्धि) जिसका मुख्य कारण यात्रा और विविध सेवाएं, नामत: कारोबार और वित्तीय सेवाएं थीं।
-
इसके परिणामस्वरूप निवल अदृश्य मदों (अदृश्य मद प्राप्तियों से अदृश्य मद भुगतान घटाकर) में 30.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई (एक वर्ष पूर्व 5.4 प्रतिशत की गिरावट हुई थी) और यह 24.5 बिलियन अमरीकी डालर हो गयीं।
आयात की तुलना में निर्यात में अधिक वृद्धि और निवल अदृश्य मदों में सुधार से चालू खाते का घाटा कम होकर 5.4 बिलियन अमरीकी डालर रह गया जो कि एक वर्ष पूर्व 12.8 बिलियन अमरीकी डालर था।
पूंजी खाता
तिमाही के दौरान समग्र निवल पूंजी प्रवाह 8.2 बिलियन अमरीकी डालर के साथ काफी कम था (एक वर्ष पूर्व 15.8 बिलियन अमरीकी डालर) क्योंकि बाह्य वाणिज्यिक उधार और अनिवासी जमाराशि के तहत के उच्च निवल अंतर्वाह विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, बाह्य सहायता और विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवल बहिर्वाहों से समायोजित हो गये थे।
-
भारत को निवल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश अंतर्वाह (आवक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश से जावक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश घटाकर) 2010-11 की ति4 के दौरान कम होकर 0.6 बिलियन अमरीकी डालर रह गये जो कि पिछले वर्ष की इसी तिमाही में 3.4 बिलियन अमरीकी डालर थे। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश कम रहने का मुख्य कारण सकल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश अंतर्वाहों में कमी आना और भारतीय कंपनियों के विदेशी निवेश में काफी वृद्धि होना था।
-
तिमाही के दौरान निवल बाह्य वाणिज्यिक उधार 2.4 बिलियन अमरीकी डालर के साथ काफी अधिक थे (पिछले वर्ष 0.4 बिलियन अमरीकी डालर) जो देशी आर्थिक गतिविधियों की निरंतरता और ब्याज दर अंतर का अनुकूल होना दर्शाता है।
-
अनिवासी भारतीय जमाराशियों के तहत अंतर्वाहों में 0.9 बिलियन की वृद्धि (एक वर्ष पूर्व 0.6 बिलियन का बहिर्वाह) के बावजूद वाणिज्य बैंकों की बैंकिंग पूंजी में तिमाही के दौरान 1.8 बिलियन अमरीकी डालर का उच्च निवल बहिर्वाह हुआ (एक वर्ष पूर्व 0.9 बिलियन अमरीकी डालर का बहिर्वाह) जिसका मुख्य कारण वाणिज्य बैंकों द्वारा विदेशी आस्तियों का निर्माण था।
-
चालू खाते का घाटा कम हो जाने के बावजूद पूंजी खाते के कम अधिशेष से तिमाही के दौरान 2.0 बिलियन अमरीकी डालर के विदेशी मुद्रा भंडार में निवल वृद्धि कुछ कम रही (एक वर्ष पूर्व 2.1 बिलियन अमरीकी डालर)। सामान्य संदर्भ में (अर्थात मूल्यन परिवर्तन सहित) तिमाही के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 7.5 बिलियन अमरीकी डालर की वृद्धि हुई ढविदेशी मुद्रा भंडार में घट-बढ़ के स्रोत पर प्रस प्रकाशनी अलग से जारी की जा रही हैज्।
2. अप्रैल-मार्च 2010-11 का भुगतान संतुलन
-
भुगतान संतुलन आधार पर 2010-11 के दौरान व्यापार घाटा बढ़कर 130.5 बिलियन अमरीकी डालर हो गया (2009-10 के दौरान 118.4 बिलियन अमरीकी डालर) जिसका मुख्य कारण मजबूत देशी आर्थिक निष्पादन के आधार पर निर्यात की तुलना में आयात में निरपेक्ष वृद्धि होना था (सारणी 2)।
-
2010-11 के दौरान निवल अदृश्य मद अधिशेष बढ़कर 86.2 बिलियन अमरीकी डालर हो गया (पिछले वर्ष 80.0 बिलियन अमरीकी डालर) जिसका मुख्य कारण निरपेक्ष संदर्भ में भुगतान की तुलना में अदृश्य मद प्राप्तियों में उच्च वृद्धि होना था। अदृश्य मद प्राप्तियों में वृद्धि मुख्यत: सेवा निर्यात के कारण हुई थी जिसमें 2010-11 के दौरान 37.8 प्रतिशत वृद्धि हुई थी (पूर्ववर्ती वर्ष में 9.6 की गिरावट हुई थी)।
-
2010-11 के दौरान अदृश्य मद भुगतान में 33.6 प्रतिशत वृद्धि हुई जो मुख्य रूप से उच्च सेवा भुगतान दर्शाते हैं जिनमें 40.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी (एक वर्ष पहले 15.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी)।
सारणी 2: भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें
|
(बिलियन अमरीकी डालर)
|
मद
|
अप्रैल-मार्च
|
2008-09
(सं.)
|
2009-10 (आं.सं.)
|
2010-11
(प्रा.)
|
1
|
2
|
3
|
4
|
1.निर्यात
|
189.0
|
182.2
|
250.5
|
2.आयात
|
308.5
|
300.6
|
380.91
|
3.व्यापार संतुलन (1-2)
|
-119.5
|
-118.4
|
-130.5
|
4.अदृश्य मदें, निवल
|
91.6
|
80.0
|
86.2
|
5.चालू खाता शेष (3+4)
|
-27.9
|
-38.4
|
-44.3
|
6.पूंजी खाता शेष*
|
7.8
|
51.8
|
57.3
|
7.रिज़र्व में परिवर्तन # (-चिहन वृद्धि दर्शाता है; + चिहन कमी दर्शाता है)
|
20.1
|
-13.4
|
-13.1
|
*: भूल-चूक सहित #: बीओपी आधार पर (अर्थात मूल्यन को छोड़कर)
सं. : संशोधित प्रा.:प्रारंभिक आंसं: आंशिक रूप से संशोधित
|
सारणी 3: अदृश्य मदों की सकल प्राप्तियां और भुगतान
|
(बिलियन अमरीकी डालर)
|
मद
|
अदृश्य मद प्राप्तियां
|
अदृश्य मद भुगतान
|
अप्रैल-मार्च
|
जनवरी-मार्च
|
अप्रैल-मार्च
|
जनवरी-मार्च
|
2009-10 (आं.सं.)
|
2010-11 (प्रा.)
|
2009-10 (आं.सं.)
|
2010-11 (प्रा.)
|
2009-10 (आं.सं.)
|
2010-11 (प्रा.)
|
2009-10 (आं.सं.)
|
2010-11 (प्रा.)
|
1
|
2
|
3
|
4
|
5
|
6
|
7
|
8
|
9
|
क. सेवाएं (1 से 5)
|
95.8
|
132.0
|
27.8
|
35.5
|
60.0
|
84.3
|
19.4
|
21.0
|
1. यात्रा
|
11.9
|
15.3
|
3.4
|
4.5
|
9.3
|
11.2
|
2.6
|
3.2
|
2. परिवहन
|
11.2
|
14.3
|
3.1
|
4.1
|
11.9
|
13.9
|
3.6
|
3.2
|
3. बीमा
|
1.6
|
1.9
|
0.4
|
0.6
|
1.3
|
1.4
|
0.3
|
0.3
|
4. सरकारें, अन्यत्र शामिल न की गईं
|
0.4
|
0.5
|
0.1
|
0.2
|
0.5
|
0.8
|
0.2
|
0.3
|
5. विविध
|
70.7
|
99.9
|
20.8
|
26.1
|
36.9
|
57.0
|
12.7
|
13.9
|
जिसमें से :
|
|
|
|
|
|
|
|
|
सॉफ्टवेयर
|
49.7
|
59.0
|
14.3
|
17.0
|
1.5
|
2.2
|
0.3
|
0.3
|
सॉफ्टवेयर से इतर
|
21.0
|
40.9
|
6.5
|
9.1
|
35.4
|
54.8
|
12.4
|
13.6
|
ख. अंतरण
|
54.6
|
56.5
|
13.2
|
14.7
|
2.3
|
3.1
|
0.6
|
0.9
|
निजी
|
53.9
|
55.9
|
13.1
|
14.6
|
1.8
|
2.5
|
0.5
|
0.7
|
सरकारी
|
0.7
|
0.6
|
0.1
|
0.1
|
0.5
|
0.6
|
0.1
|
0.2
|
ग. आय
|
13.0
|
9.1
|
2.7
|
2.2
|
21.1
|
24.0
|
5.0
|
6.0
|
निवेश आय
|
12.1
|
8.0
|
2.5
|
1.8
|
19.4
|
21.9
|
4.5
|
5.5
|
कर्मचारियों को मुआवजा
|
0.9
|
1.1
|
0.2
|
0.4
|
1.7
|
2.1
|
0.5
|
0.6
|
अदृश्य मदें (क+ख+ग)
|
163.4
|
197.6
|
43.7
|
52.4
|
83.4
|
111.4
|
25.0
|
27.9
|
प्रा : प्रारंभिक। आं.सं. :आंशिक रूप से संशोधित।
|
-
किंतु निवल निवेश आय प्राप्तियां 2010-11 कर दौरान कम होकर (-) 13.9 बिलियन अमरीकी डालर रह गयीं (एक वर्ष पूर्व (-) 7.2 बिलियन अमरीकी डालर)।
-
निवल अदृश्य मद अधिशेष में सुधार के बावजूद 2010-11 के दौरान चालू खाते का घाटा बढ़कर 44.3 बिलियन अमरीकी डालर हो गया (एक वर्ष पूर्व 38.4 बिलियन अमरीकी डालर)।
-
2010-11 के दौरान निवल पूंजी अंतर्वाह कुछ वृद्धि के साथ 59.7 बिलियन अमरीकी डालर हो गये (एक वर्ष पूर्व 53.4 बिलियन अमरीकी डालर) जो बाह्य सहायता के तहत उच्च निवल अंतर्वाहों, अल्पावधि व्यापार ऋण, बाह्य वाणिज्यिक उधार और बैंकिंग पूंजी से प्रेरित थे (सारणी 4)।
-
निवल पूंजी अंतर्वाहों के उच्च स्तर के बावजूद 2010-11 के दौरान मुद्रा भंडार में वृद्धि (भुगतान संतुलन आधार पर) पिछले वर्ष की तुलना में कुछ कम हुई जिसका मुख्य कारण चालू खाते के घाटे में वृद्धि था।
सारणी 4: निवल पूंजी प्रवाह
|
(बिलियन अमरीकी डालर)
|
मद
|
अप्रैल-मार्च
|
जनवरी-मार्च
|
2009-10
(आं.सं.)
|
2010-11
(प्रा.)
|
2009-10
(आं.सं.)
|
2010-11
(प्रा..)
|
1
|
2
|
3
|
4
|
5
|
1. विदेशी प्रत्यक्ष निवेश
|
18.8
|
7.1
|
3.4
|
0.6
|
आवक एफडीआइ
|
33.1
|
23.4
|
6.1
|
4.9
|
जावक एफडीआइ
|
-14.4
|
-16.2
|
-2.7
|
-4.3
|
2. पोर्टफोलियो निवश
|
32.4
|
30.3
|
8.8
|
0.2
|
जिसमें से :
|
29.0
|
29.4
|
8.5
|
-0.03
|
एफआइआइ
|
3.3
|
2.0
|
0.1
|
0.2
|
एडीआर/जीडीआर
|
2.9
|
4.9
|
1.0
|
0.8
|
3. बाह्य सहायता
|
2.8
|
11.9
|
0.4
|
2.4
|
4. बाह्य वाणिज्यिक उधार
|
2.9
|
3.2
|
-0.6
|
0.9
|
5. एनआरआइ जमाराशियां
|
-0.8
|
1.7
|
-1.5
|
-1.7
|
6. बैंकिंग पूंजी, एनआरआइ जमाराशियों को छोड़कर
|
7.6
|
11.0
|
4.5
|
2.7
|
7. अल्पावधि व्यापार ऋण
|
-0.1
|
-0.1
|
-0.1
|
-0.1
|
8. रुपया ऋण चुकौती
|
-13.0
|
-10.4
|
-1.2
|
2.4
|
कुल (1 से 9)
|
53.4
|
59.7
|
15.8
|
8.2
|
प्रा : प्रारंभिक। आं.सं. :आंशिक रूप से संशोधित।
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3. मार्च 2011 को समाप्त तिमाही का बाह्य ऋण
वर्तमान प्रथा के अनुसार, मार्च तथा जून को समाप्त तिमाहियों के लिए बाह्य ऋण रिज़र्व बैंक द्वारा संकलित एवं जारी किया जाता है जबकि सितंबर और दिसंबर को समाप्त तिमाहियों के लिए बाह्य ऋण वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संकलित तथा जारी किया जाता है। तदनुसार, मार्च 2011 को समाप्त तिमाही के बाह्य ऋण के आंकड़े भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा आज जारी किए जा रहे हैं। इन्हें /en/web/rbi पर देखा जा सकता है।
अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2010-2011/1901
1 भुगतान संतुलन आधार के अनुसार वर्ष 2010-11 के लिए आयात अनुमान 357 बिलियन अमरीकी डॉलर के डीजीसीआईएण्डएस अनुमानों से उतार है। डीजीसीआईएण्डएस वर्ष 2010 के लिए अपने आयात संख्याओं को संशोधित करने की प्रक्रिया में है और भुगतान संतुलन (आरबीआइ) और डीजीसीआईएण्डएस आयात अनुमानों के बीच अंतर कम होने की संभावना है।
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