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2012-13 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2013) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधियां

27 जून 2013

2012-13 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2013) के दौरान
भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधियां

वित्तीय वर्ष 2012-13 की चौथी तिमाही अर्थात् जनवरी-मार्च 2013 के भारत के भुगतान संतुलन के प्रारंभिक आंकड़े अब उपलब्ध हो गये हैं। इन आंकड़ों के आधार पर 2012-13 के भुगतान संतुलन के आंकड़े संकलित किये गये हैं जिनमें पिछली तिमाहियों में किये गये संशोधन, यदि कोई हो, भी शामिल किये गये हैं। विवरण I में प्रस्तुत किये गये भुगतान संतुलन के आंकड़े अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा सिफारिश किये गये विवरण बीपीएम6 में दिये गये हैं, जब कि विवरण 2 में पुराने फार्मेट के अनुसार आंकड़े दिये गये हैं।

2012-13 के जनवरी-मार्च (चौथी तिमाही) के दौरान भुगतान संतुलन की मुख्य-मुख्य बातें

  • व्यापार घाटा कम होने के चलते 2012-13 की चौथी तिमाही में भारत का चालू खाता घाटा 2012-13 की तीसरी तिमाही के 6.7 प्रतिशत के ऐतिहासिक स्तर से घटकर 3.6 प्रतिशत रह गया।

  • 2012-13 की चौथी तिमाही में पण्य निर्यात (बीओपी आधार पर) में 5.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि 2011-12 की चौथी तिमाही में 2.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

  • 2012-13 की चौथी तिमाही में वाणिज्यिक आयात में 1.0 प्रतिशत की मामूली गिरावट आयी जबकि 2011-12 की चौथी तिमाही में 22.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इस दौरान तेल से इतर एवं स्वर्ण से इतर वस्तुओं के आयातो में गिरावट आयी और यह घरेलू अर्थव्यवस्था में आयी गिरावट को दर्शाती है।

  • इसके परिणामस्वरूप 2012-13 की चौथी तिमाही में व्यापार घाटा घटकर 45.6 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया जबकि 2011-12 की चौथी तिमाही में यह 51.6 बिलियन अमरीकी डॉलर था।

  • परंतु 2012-13 की चौथी तिमाही में निवल अदृश्य मदों में 7.7 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि 2011-12 की चौथी तिमाही में 27.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी जो निवल सेवाओं, अंतरणों तथा आय प्राप्तियों में गिरावट आने की वजह से थी।

  • 2012-13 की चौथी तिमाही में वित्तीय लेखा के अंतर्गत निवल पूंजी अंतर्वाह में गिरावट आयी जो मुख्यत: निवल पोर्टफोलियो निवेश एवं बैंकों तथा कंपनियों द्वारा ऋणों के निवल भुगतान के चलते थी। परंतु, निवल पूंजी अंतर्वाह चालू खाते के घाटे को पूरा करने की जरूरत से भी अधिक था जिसके चलते विदेशी मुद्रा भंडार में 2.7 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई।

2012-13 के दौरान भुगतान संतुलन की मुख्य-मुख्य बातें:

  • 2012-13 के दौरान चालू खाते का घाटा 87.8 बिलियन अमरीकी डॉलर का था (जीडीपी का 4.8 प्रतिशत) जबकि 2011-12 के दौरान यह 78.2 बिलियन (जीडीपी का 4.2 प्रतिशत) था।

  • बढ़ते व्यापार घाटे के साथ-साथ अदृश्य मदों से संबंधित आय में उल्लेखनीय गिरावट आने के चलते वर्ष के दौरान चालू खाता घाटे में वृद्धि हुई।

  • अदृश्य मदों से संबंधित आय में आई गिरावट का मुख्य कारण 2012-13 के दौरान निवेश आय के भुगतान में 21.2 प्रतिशत की भारी वृद्धि एवं सेवाओं से हुई प्राप्तियों में मामूली वृद्धि होना था।

  • 2012-13 के दौरान वित्तीय लेखा के अंतर्गत निवल अंतर्वाह 2011-12 के 80.7 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 85.4 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जो मुख्यत: एफआईआई, अनिवासी जमाराशियों तथा अल्पावधि ऋण तथा अग्रिमों के अंतर्गत उच्चतर अंतर्वाह के कारण था।

  • पूंजी के अंतर्वाह में वृद्धि होने के चलते 2012-13 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 3.8 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई।

1. 2012-13 के जनवरी-मार्च (चौथी तिमाही) के दौरान भुगतान संतुलन

2012-13 की चौथी तिमाही के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदों का विवरण सारणी 1 में दिया गया है।

वस्तुओं का व्यापार

  • 2012-13 की चौथी तिमाही में भुगतान संतुलन आधार पर भारत के वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात 5.9 प्रतिशत बढ़कर 84.8 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जबकि 2011-12 की चौथी तिमाही में इसमें 2.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। निर्यात में हुई वृद्धि का कारण चाय, चमड़े तथा उससे बनी वस्तुओं, प्लास्टिक एवं लिनोलियम उत्पादों, मशीनरी तथा उपकरणों, सुती वस्त्रों और कार्पेटों के निर्यात में सुधार होना था।

  • 2012-13 की चौथी तिमाही में वाणिज्यिक वस्तुओं का आयात 1.0 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 130.4 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा जबकि 2011-12 की चौथी तिमाही में 22.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इस गिरावट का मुख्य कारण तेल और स्वर्ण से इतर आयातों में गिरावट आना था जबकि घरेलू गतिविधियों में गिरावट आना इसका आंशिक कारण था (सारणी 2)।

  • 2012-13 की चौथी तिमाही में व्यापार घाटा घटकर 45.6 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा गया जोकि जीडीपी का 9.0प्रतिशतहै।

सेवाएं तथा आय प्रवाह

2012-13 की चौथी तिमाही में सेवाओं का निर्यात 0.4 प्रतिशत बढ़कर 37.8 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जबकि पिछले वर्ष की इसी तिमाही में इसमें 6.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। निर्यात में आई गिरावट का मुख्य कारण अनुसंधान तथा विकास, प्रोफेशनल तथा प्रबंधन कंसल्टिंग, तकनीकी तथा व्यापार संबंधी सेवाओं से जुड़ी अन्य कारोबारी सेवाओं में गिरावट आना था।

सारणी 1: भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें

(बिलियन अमरीकी डॉलर)

 

जन-मार्च 2013 (प्रा.)

जन-मार्च 2012 (आं.सं.)

अप्रै-मार्च 2012-13 (प्रा.)

अप्रै-मार्च 2011-12 (आं.सं.)

 

जमा

नामे

निवल

जमा

नामे

निवल

जमा

नामे

निवल

जमा

नामे

निवल

क. चालू खाता (1+2+3+4)

142.0

160.1

-18.1

137.7

159.4

-21.7

530.2

618.1

-87.8

527.0

605.2

-78.2

1. वस्तुएं जिनमें से

84.8

130.4

-45.6

80.0

131.7

-51.6

306.6

502.2

-195.7

309.8

499.5

-189.7

पीओएल

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

स्वर्ण

15.8

44.7

-28.8

13.7

44.0

-30.3

60.0

169.4

-109.4

56.0

155.0

-98.9

2. सेवाए

1.8*

15.8

-14.0

1.7*

14.7

-13.0

6.5*

53.8

-47.3

6.7*

56.5

-49.7

3. प्राथमिक आय

37.8

20.9

17.0

37.7

20.0

17.6

145.7

80.8

64.9

140.9

76.9

64.0

4. द्वितीयक आय

2.6

7.8

-5.2

2.3

6.8

-4.6

10.3

31.7

-21.5

10.1

26.1

-16.0

ख. पूंजी खाता

16.8

1.0

15.8

17.7

0.9

16.9

67.7

3.3

64.4

66.1

2.7

63.5

ग. वित्तीय लेखा

0.6

0.4

0.2

0.1

0.3

-0.2

1.6

1.9

-0.3

0.9

1.0

-0.1

घ.भूल-चूक (क+ख-ग)

133.3

115.7

17.6

131.5

109.1

22.4

472.0

386.5

85.4

497.1

416.4

80.7

क. चालू खाता (1+2+3+4)

 

 

0.3

 

 

-0.6

 

 

2.7

 

 

-2.4

प्रा: प्रारंभिक; आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित *अनुमानित
टिप्पणी: 1. रिज़र्व आस्तियों में हुए परिवर्तन को बीपीएम 6 की संस्तुति के अनुसार वित्तीय लेखा के अंतर्गत शामिल किया गया है।
2. पूर्णांकन के कारण हो सकता है कि उप-मदों का जोड़ कुल से मेल न खाए।

  • 2012-13 की चौथी तिमाही में सेवाओं का आयात 4.2 प्रतिशत की उच्च दर से बढ़कर 20.9 बिलियन अमरीकी डॉलर का रहा जबकि 2011-12 की चौथी तिमाही में इसमें 4.1 प्रतिशत की गिरावट आई थी। इस गिरावट का कारण निर्माण, दूरसंचार तथा अन्य कारोबारी सेवाओं के संबंध में अधिक भुगतान किया जाना था।

  • 2012-13 की चौथी तिमाही में समग्र रूप में निवल सेवा प्राप्तियों में पिछले वर्ष की इसी तिमाही की तुलना में 3.9 प्रतिशत की गिरावट आई।

  • 2012-13 की चौथी तिमाही में प्राथमिक आय के संबंध में 5.2 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवल बहिर्वाह हुआ जबकि 2011-12 की चौथी तिमाही में 4.6 बिलियन अमरीकी डॉलर का बहिर्वाह हुआ था जो निवल निवेश आय प्राप्तियो में गिरावट आने की वजह से था। 2012-13 की चौथी तिमाही में जहां निवेश आय प्राप्तियों में 4.5 प्रतिशत की गिरावट आई (2011-12 की चौथी तिमाही में 16.6 प्रतिशत की गिरावट) वहीं निवेश आय भुगतानों में 12.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई (2011-12 की चौथी तिमाही में 4.8 प्रतिशत की गिरावट) (सारणी 2)।

  • 2012-13 की चौथी तिमाही में द्वितीयक आय 2011-12 की इसी तिमाही के 16.9 बिलियन अमरीकी डॉलर से घटकर 15.8 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गयी जो विदेश स्थित भारतीयों के निवल विप्रषणों में आई गिरावट को दर्शाती है।

सारणी 2: चालू खाते की विभिन्न मदें (निवल)

(बिलियन अमरीकी डॉलर)

 

जन-मार्च 2013
(प्रा.)

जन-मार्च 2012 (आं.सं.)

अप्रै-मार्च 2012-13 (प्रा.)

अप्रै-मार्च 2011-12 (आं.सं.)

1. वस्तुएं

-45.6

-51.6

-195.7

-189.7

2. सेवाएं

17.0

17.6

64.9

64.0

2. क परिवहन

1.1

0.4

2.5

1.8

2. ख यात्रा

2.8

2.2

6.2

4.7

2. ग निर्माण

-0.2

-0.1

-0.2

-0.2

2. घ बीमा और पेंशन सेवाएं

0.3

0.3

0.8

1.1

2. ङ वित्तीय सेवाएं

-0.1

-0.4

0.3

-2.0

2. च बौद्धिक संपत्ति के उपयोग के लिए प्रभार

-1.1

-0.9

-3.9

-2.9

2. छ दूरसंचार, कंप्यूटर और सूचना सेवा

17.3

16.7

64.3

60.7

2. ज निजी, सांस्कृतिक और मनोरंजन संबंधी सेवाएं

0.1

0.0

0.3

0.1

2. झ सरकारी वस्तु और सेवाएं

-0.2

-0.2

-0.2

-0.3

2. ञ अन्य कारोबारी सेवाएं

-0.9

-0.2

-1.9

-0.9

2. ट अन्य जो अन्यत्र शामिल नहीं है

-2.1

-0.2

-3.3

1.9

3. प्राथमिक आय

-5.2

-4.6

-21.5

-16.0

3. क कर्मचारियों को मुआवज़ा

0.2

0.0

0.9

0.5

3. ख निवेश आय

-5.3

-4.5

-22.6

-16.7

3. ग अन्य प्राथमिक आय

-0.1

-0.1

0.2

0.2

4. द्वितीयक आय

15.8

16.9

64.4

63.5

4.क निजी अंतरण

15.3

16.4

62.0

61.5

4. ख अन्य अंतरण

0.5

0.4

2.3

2.0

5. चालू खाता (1+2+3+4)

-18.1

-21.7

-87.9

-78.2

प्रा: प्रारंभिक; आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित
टिप्पणी: पूर्णांकन के कारण हो सकता है कि उप-मदों का जोड़ कुल से मेल न खाए।

चालू खाते का शेष

  • व्यापार घाटे में सुधार आने के चलते चालू खाता घाटे में सुधार हुआ जो 2012-13 की चौथी तिमाही में 2011-12 की इसी तिमाही के 21.7 बिलियन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 4.4 प्रतिशत) से घटकर 18.1 बिलियन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 3.6 प्रतिशत) रह गया।

सारणी 3: वित्तीय लेखा की विभिन्न मदें (निवल)

(बिलियन अमरीकी डॉलर)

 

जन-मार्च 2013
(प्रा.)

जन-मार्च 2012 (आं.सं.)

अप्रै-मार्च 2012-13 (प्रा.)

अप्रै-मार्च 2011-12 (आं.सं.)

1. प्रत्यक्ष निवेश (निवल)

5.7

1.4

19.8

22.1

1. क भारत में प्रत्यक्ष निवेश

7.2

4.2

27.0

33.0

1. ख भारत द्वारा प्रत्यक्ष निवेश

-1.4

-2.9

-7.1

-10.9

2. पोर्टफोलियो निवेश

11.3

13.9

26.7

16.6

2. क भारत में पोर्टफोलियो निवेश

11.5

14.1

27.6

16.8

इक्विटी

9.6

9.2

23.3

7.1

ऋण

1.9

4.9

4.3

9.8

2. ख भारत द्वारा प्रत्यक्ष निवेश

-0.2

-0.2

-0.9

-0.2

3. अन्य निवेश

4.2

1.4

45.2

29.2

3. क अन्य इक्विटी (एडीआर/जीडीआर)

0.0

0.0

0.2

0.6

3. ख मुद्रा और जमाराशियां

2.8

4.6

15.3

12.1

जमाराशियां लेने वाले निगम, केंद्रीय बैंक को छोड़कर: (अनिवासी भारतीय जमाराशियां)

2.8

4.7

14.8

11.9

3. ग ऋण*

-1.6

0.0

10.7

16.8

3. ग. i भारत को ऋण

-1.6

0.0

11.1

15.7

जमाराशियां लेने वाले निगम, केंद्रीय बैंक को छोड़कर

-6.3

-2.6

1.3

4.1

सामान्य सरकार (बाह्य सहायता)

0.6

0.3

1.3

2.5

अन्य क्षेत्र (ईसीबी)

4.1

2.3

8.6

9.1

3. ग. ii भारत द्वारा ऋण

0.0

0.0

-0.4

1.0

सामान्य सरकार (बाह्य सहायता)

-0.1

0.0

-0.3

-0.2

अन्य क्षेत्र (ईसीबी)

0.1

0.0

-0.1

1.2

3. घ व्यापार ऋण और अग्रिम

4.5

0.2

21.7

6.7

3. ङ अन्य खाता प्राप्य/देय- अन्य

-1.5

-3.3

-2.7

-6.9

4. वित्तीय डेरिवेटिव

-0.9

0.0

-2.3

0.0

5. रिज़र्व आस्तियां

-2.7

5.7

-3.8

12.8

वित्तीय लेखा (1+2+3+4+5)

17.6

22.4

85.4

80.7

*: बाह्य सहायता, ईसीबी और गैर-अनिवासी भारतीय बैंकिंग पूंजी शामिल है।
प्रा: प्रारंभिक; आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित
टिप्पणी: पूर्णांकन के कारण हो सकता है कि उप-मदों का जोड़ कुल से मेल न खाए।

पूंजी तथा वित्तीय लेखा

  • निवल एफडीआई में वृद्धि होने के बावजूद 2012-13 की चौथी तिमाही में वित्तीय लेखा के अंतर्गत निवल अंतर्वाह में गिरावट आई जो मुख्यत: निवल पोर्टफोलियो निवेश, अनिवासी जमाराशियों में गिरावट आने तथा बैंकों द्वारा ऋणों की निवल चुकौती के कारण था।

  • 2012-13 की चौथी तिमाही में जहां निवल प्रत्यक्ष निवेश 2011-12 की चौथी तिमाही के 1.4 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 5.7 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया वहीं निवल पोर्टफोलियो निवेश 2012-13 की चौथी तिमाही में पिछले वर्ष की इसी अवधि के 13.9 बिलियन अमरीकी डॉलर से घटकर 11.3 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया।

  • बैंकों द्वारा विदेशी उधार की निवल चुकौती 2012-13 की चौथी तिमाही में 6.3 बिलियन अमरीकी डॉलर थी जबकि 2011-12 की चौथी तिमाही में 2.6 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवल बहिर्वाह हुआ था।

  • निवल बाह्य वाणिज्यिक उधार 2011-12 की चौथी तिमाही के 2.3 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2012-13 की चौथी तिमाही में 4.1 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गए।

  • आयातों के वित्तपोषण में व्यापार ऋण की बढ़ती प्रमुखता "व्यापार ऋण और अग्रिम" के अंतर्गत निवल अंतर्वाह में तेज वृद्धि से स्पष्ट हो जाती है जो कि 2012-13 की चौथी तिमाही में 4.5 बिलियन अमरीकी डॉलर था जबकि 2011-12 की ति4 में यह 0.2 बिलियन अमरीकी डॉलर था।

  • भुगतान संतुलन आधार पर, विदेशी मुद्रा भंडार में 2012-13 की चौथी तिमाही में 2.7 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई जबकि 2011-12 में इस भंडार से 5.7 बिलियन अमरीकी डॉलर का आहरण हुआ था।

2. 2012-13 के दौरान भुगतान संतुलन

व्यापार घाटे में काफी वृद्धि और अदृश्य मदों से आय में काफी गिरावट से वर्ष के दौरान सीएडी में वृद्धि हुई।

माल और सेवा व्यापार

  • 2012-13 की चौथी तिमाही के दौरान निष्पादन में सुधार होने के बावजूद 2012-13 में व्यापार घाटा 195.7 बिलियन अमरीकी डॉलर के उच्च स्तर पर बना रहा जिसका कारण वर्ष-दर-वर्ष आधार पर आयात में 0.5 प्रतिशत वृद्धि और पण्य निर्यात में 1.1 प्रतिशत गिरावट आना था।

  • डीजीसीआईएंडएस के आंकड़ों पर आधारित पण्यवार विश्लेषित आंकड़ों से पता चलता है कि निर्यात में गिरावट का कारण इंजीनियरिंग सामान, वस्त्र, रत्न और आभूषण जैसी विनिर्मित मदों और साथ ही लौह अयस्क तथा खनीज जैसे प्राथमिक उत्पादों के निर्यात में गिरावट आना था।

  • वर्ष के दौरान पीओएल और स्वर्ण कुल पण्य आयात का लगभग 45 प्रतिशत भाग बने रहे। 2012-13 के दौरान जहां पीओएल आयात में 9.3 प्रतिशत वृद्धि हुई, वहीं स्वर्ण आयात में 4.8 प्रतिशत की गिरावट आयी।

  • 2012-13 में निवल सेवा प्राप्तियां 1.4 प्रतिशत की कम दर पर बढ़ी और 64.9 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गईं (2011-12 में 64.0 बिलियन अमरीकी डॉलर)।

  • 2012-13 के दौरान जहां यात्रा, परिवहन, सॉफ्टवेयर सेवाओं, वित्तीय सेवाएं, संप्रेषण सेवाओं के अंतर्गत निवल प्राप्तियां बढ़ी, वहीं बीमा, कारोबारी सेवाओं की निवल प्राप्तियों में गिरावट हुई।

प्राथमिक आय

  • प्राथमिक आय, जिसमें मुख्यत: कर्मचारियों को मुआवजा, निवेश आय और अन्य प्राथमिक प्राप्तियां शामिल होती हैं, 2012-13 के दौरान काफी गिरावट के साथ 21.5 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गई जिसका मुख्य कारण निवेश आय के अंतर्गत काफी बहिर्वाह होना था।

  • जहां निवेश आय प्राप्तियां पिछले वर्ष के 7.1 बिलियन अमरीकी डॉलर से 12.1 प्रतिशत कम होकर 2012-13 में 6.2 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गईं, वहीं निवेश आय भुगतान 2011-12 के 23.7 बिलियन अमरीकी डॉलर से 21.2 प्रतिशत बढ़कर 2012-13 में 28.8 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया। इस अवधि के दौरान निवेश आय भुगतान में हुई वृद्धि मुख्यत: बढ़ते विदेशी ऋण पर ब्याज भुगतान में काफी वृद्धि होना दर्शाती है।

गौण आय

  • निवल गौण आय प्राप्तियां, जिसमें मुख्यत: निजी अंतरण शामिल होते हैं, 2012-13 के दौरान 1.4 प्रतिशत बढ़कर 64.4 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गयीं जबकि पिछले वर्ष इनमें 19.5 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।

चालू खाता शेष

  • इस प्रकार, निवेश आय भुगतान में तेज वृद्धि और साथ ही निवल सेवा प्राप्तियों में मामूली वृद्धि के साथ-साथ व्यापार घाटे में वृद्धि के कारण 2012-13 में सीएडी बढ़कर 87.8 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जो कि जीडीपी का 4.8 प्रतिशत है जबकि 2011-12 में यह 4.2 प्रतिशत था।

पूंजी और वित्तीय खाता

  • वित्तीय खाते के अंतर्गत निवल अंतर्वाह 2011-12 के 80.7 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर चालू वर्ष में 85.4 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया और इस प्रकार 2012-13 में इसमें 5.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

  • निवल प्रत्यक्ष निवेश में गिरावट होने के बावजूद पूंजीगत अंतर्वाहों में वृद्धि हुई जिसका मुख्य कारण इस अवधि के दौरान संविभागीय निवेश, अनिवासी जमाराशियों और अल्प कालिक ऋण तथा अग्रिमों में वृद्धि होना था।

  • जहां निवल प्रत्यक्ष निवेश 2011-12 के 22.1 बिलियन अमरीकी डॉलर से कम होकर 2012-13 में 19.8 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया, वहीं निवल संविभागीय निवेश बढ़कर 2012-13 में 26.7 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जो कि एक वर्ष पूर्व 16.6 बिलियन अमरीकी डॉलर था। जहां संविभागीय निवेश में वृद्धि का मुख्य कारण इक्विटी निवेश में वृद्धि होना था, वहीं विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा ऋण निवेश पिछले वर्ष की तुलना में कम था।

  • 2012-13 के दौरान भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 3.8 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई (भुगतान संतुलन आधार पर) जबकि 2011-12 में इस भंडार से 12.8 बिलियन अमरीकी डॉलर का आहरण हुआ था।

3. मार्च 2013 को समाप्त तिमाही का बाह्य ऋण

मौजूदा प्रथा के अनुसार मार्च और जून को समाप्त तिमाहियों के लिए बाह्य ऋण भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा संकलित और जारी किया जाता है जबकि सितंबर और दिसंबर को समाप्त तिमाहियों के लिए बाह्य ऋण वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संकलित और जारी किया जाता है। तदनुसार, जून 2013 को समाप्त तिमाही के लिए बाह्य ऋण के आंकड़े भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए जा रहे हैं जो कि www.rbi.org.in पर उपलब्ध हैं।

अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/2184

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