31 दिसंबर 2012 दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2012) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधियां और 2012-13 की प्रथम तिमाही (अप्रैल-जून 2012) के आंशिक रूप से संशोधित आंकड़े वित्तीय वर्ष 2012-13 की दूसरी तिमाही अर्थात जुलाई-सितंबर 2012 के भारत के भुगतान संतुलन संबंधी प्रारंभिक आंकड़े अब उपलब्ध हैं। वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली छमाही अर्थात अप्रैल-सितंबर 2012 के भुगतान संतुलन संबंधी आंकड़ों का संकलन करने के लिए उक्त प्रारंभिक आंकड़ों तथा प्रथम तिमाही अर्थात अप्रैल-जून 2012 के आंशिक रूप से संशोधित आंकड़ों को हिसाब में लिया गया है। इन आंकड़ों का विवरण, भुगतान संतुलन के प्रस्तुतीकरण के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बीपीएम6 में निर्धारित मानक प्रारूप में, विवरण I में दिया गया है। पुराने फार्मेट के अनुसार ये आंकड़े विवरण II में भी दिए गए हैं। 2012-13 के जुलाई-सितंबर (दूसरी तिमाही) के दौरान भुगतान संतुलन संबंधी मुख्य-मुख्य बातें -
व्यापार घाटा अधिक होने के कारण 2012-13 की दूसरी तिमाही में भारत का चालू खाता घाटा बढ गया। -
भुगतान संतुलन के आधार पर, व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात में 2012-13 की दूसरी तिमाही में 12.2 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की कमी हुई जबकि 2011-12 की समरूप तिमाही में इसमें 45.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। -
इसी प्रकार, भुगतान संतुलन के आधार पर तिमाही के दौरान आयातों में भी 4.8 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की कमी हुई जबकि पिछले वर्ष की समान तिमाही में इसमें 38.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। -
आयात की तुलना में निर्यात में अधिक तेजी से कमी होने के कारण दूसरी तिमाही में व्यापार घाटा बढ़कर 48.3 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जो पिछले वर्ष की समरूप तिमाही में 44.5 बिलियन था। -
दूसरी तिमाही में सेवाओं की निवल प्राप्तियों में 11.4 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि हुई जिसमें सॉफ्टवेयर, निर्माण, सूचना सेवाओं, कारोबारी सेवाओं का प्रमुख योगदान था। -
तिमाही के दौरान द्वितीयक आय (निजी अंतरण) के तहत निवल प्राप्तियों में 2.9 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई जो प्राथमिक आय (निवेश आय) के तहत निवल बहिर्गमन से आंशिक रूप से प्रतिसंतुलित हुई। -
सेवाओं की निवल प्राप्तियों में अच्छी वृद्धि होने के बावजूद अदृश्य निवल आय से व्यापार घाटे की प्रतिपूर्ति अल्प अनुपात में ही की जा सकी क्योंकि निवल `प्राथमिक और द्वितीयक' आय की आवक अपेक्षाकृत कम थी। परिणामस्वरूप, 2012-13 की दूसरी तिमाही में चालू खाता घाटा बढ़कर 22.3 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जबकि पिछली तिमाही में यह घाटा 16.4 बिलियन अमरीकी डॉलर था और 2011-12 की दूसरी तिमाही में 18.9 बिलियन अमरीकी डॉलर था। -
2012-13 की दूसरी तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में चालू खाता घाटा का अनुपात 5.4 प्रतिशत रहा जबकि पिछले वर्ष की दूसरी तिमाही में यह 4.2 प्रतिशत था। -
2012-13 की दूसरी तिमाही के दौरान विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और पोर्टफोलियो निवेश की प्रमुखता के चलते वित्तीय खाते (आरक्षित निधि में परिवर्तनों को छोड़कर) के अंतर्गत निवल अंतर्वाह में तेज वृद्धि के बावजूद चालू खाता घाटे के उच्च स्तर पर बने रहने के कारण तिमाही में आरक्षित निधि में 0.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की कमी हुई। 2012-13 के अप्रैल-सितंबर (पहली छमाही) के दौरान भुगतान संतुलन संबंधी मुख्य-मुख्य बाते -
2012-13 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में चालू खाता घाटा 38.7 बिलियन अमरीकी डॉलर के उच्च स्तर पर रहा जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह घाटा 36.3 बिलियन अमरीकी डॉलर था। सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में चालू खाता घाटा 2012-13 की पहली छमाही में तेजी से बढ़कर 4.6 प्रतिशत हो गया जो पिछले वर्ष की पहली छमाही में 4.0 प्रतिशत था। इससे सकल घरेलू उत्पाद में कमी तथा रुपये के मूल्य में काफी गिरावट आने का पता चलता है। -
अप्रैल-सितंबर 2012 के दौरान वित्तीय खाते के तहत निवल अंतर्वाह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में कम रहे जिसका मुख्य कारण बैंकिंग पूंजी में कमी आना था। -
पूंजी अंतर्वाहों में कमी और चालू खाता घाटा के लगातार उच्च स्तर पर बने रहने के कारण अप्रैल-सितंबर 2012 के दौरान विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि में सिर्फ 0.4 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई। 1. जुलाई-सितंबर 2012-13 (दूसरी तिमाही) के लिए भुगतान संतुल जुलाई-सितंबर 2012-13 (दूसरी तिमाही) के लिए भुगतान संतुलन की प्रमुख मदों को नीचे सारणी 1 में दर्शाया गया है। वस्तुओं का व्यापार आयात की तुलना में निर्यात में अधिक कमी होने के कारण 2012-13 की दूसरी तिमाही में व्यापार घाटा और अधिक बढ़ा। -
भुगतान संतुलन के आधार पर, 2012-13 की दूसरी तिमाही के दौरान भारत से व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात, जो 69.8 बिलियन अमरीकी डॉलर का था, में 12.2 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की कमी हुई जबकि पिछले वर्ष की समान तिमाही में इसमें 45.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। -
भुगतान-संतुलन के आधार पर, दूसरी तिमाही के दौरान पण्य आयात में 4.8 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि पिछले वर्ष इसमें 38.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। -
व्यापार घाटा 2011-12 की दूसरी तिमाही के 44.5 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में 2012-13 की दूसरी तिमाही के दौरान बढ़कर 48.3 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया। सारणी 1 : भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें | (बिलियन अमरीकी डॉलर) | | जुलाई-सितंबर 2012 (प्रा.) | जुलाई-सितंबर 2011 (आं.सं.) | अप्रैल-सितंबर 2012 (प्रा.) | अप्रैल-सितंबर 2011 (आं.सं.) | | जमा | नामे | निवल | जमा | जमा | नामे | निवल | जमा | जमा | नामे | निवल | जमा | क. चालू खाता (1+2+3+4) | 124.4 | 146.7 | -22.3 | 131.2 | 150.1 | -18.9 | 255.5 | 294.2 | -38.7 | 261.7 | 298.0 | -36.3 | 1.माल | 69.8 | 118.2 | -48.3 | 79.6 | 124.1 | -44.5 | 146.5 | 237.2 | -90.7 | 158.3 | 247.7 | -89.4 | 2.सेवाएं | 34.8 | 19.2 | 15.6 | 32.3 | 18.3 | 14.0 | 69.6 | 40.0 | 29.6 | 66.0 | 35.7 | 30.3 | 3.प्राथमिक आय | 2.8 | 8.4 | -5.6 | 3.1 | 7.0 | -4.0 | 5.0 | 15.5 | -10.5 | 5.6 | 13.2 | -7.6 | 4. गौण आय | 16.9 | 0.8 | 16.1 | 16.2 | 0.6 | 15.6 | 34.4 | 1.5 | 32.9 | 31.7 | 1.3 | 30.4 | ख) पूंजी खाता | 0.2 | 0.5 | -0.3 | 0.4 | 0.2 | 0.2 | 0.3 | 0.8 | -0.5 | 0.5 | 0.5 | -0.03 | ग) वित्तीय खाता | 110.0 | 85.7 | 24.2 | 117.4 | 98.4 | 19.0 | 219.6 | 179.7 | 39.9 | 246.1 | 208.4 | 37.7 | घ) भूल-चूक (क+ख +ग) | | | -1.6 | | | -0.4 | | | -0.7 | | | 1.3 | बीपीएम 6 की सिफरिश के अनुसार प्रारक्षित राशियों में हुए परिवर्तनों को वित्तीय खाते में शामिल किया गया है। टिप्पणी: पूर्णांकन के कारण हो सकता है कि उप-मदों का जोड़ कुल से मेल न खाए। प्रा. प्रारंभिक आं.सं. - आंशिक रूप से संशोधित | सेवाएं और आय प्रवाह 2012-13 की दूसरी तिमाही के दौरान निवल सेवाओं से प्राप्तियां पिछले वर्ष की समान तिमाही से अधिक रहीं थीं। दूसरी ओर उक्त तिमाही के दौरान निवल आय प्रवाह कम था क्योंकि धन-प्रेषण में बढ़ोतरी पिछले वर्ष की तदनुरूपी तिमाही की तुलना में प्राथमिक आय के कारण और निवल बहिर्वाहों से हुए प्रतिसंतुलन से अधिक रही थी (सारणी 2)। -
2012-13 की दूसरी तिमाही में सेवा-निर्यात 7.7 प्रतिशत की कम वृद्धि के साथ 34.8 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा जबकि 2011-12 की तदनुरूपी तिमाही में यह 10.1 प्रतिशत था। ये मुख्य रूप से परिवहन, यात्रा, बीमा तथा पेंशन और सॉफ्टवेयर सेवाओं के तहत प्राप्तियों में हुई कम वृद्धि के कारण है। -
दूसरी ओर, 2012-13 की दूसरी तिमाही के दौरान सेवा-आयात 5.0 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 19.2 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जबकि 2011-12 की समान अवधि में ये 2.74 प्रतिशत ही बढ़ा था और ये बढ़ोतरी मुख्य रूप से परिवहन, सॉफ्टवेयर और अन्य कारोबारी सेवाओं के कारण हुई थी है। -
2012-13 की दूसरी तिमाही में प्राथमिक आय के कारण 5.6 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवल बहिर्वाह 2011-12 की समान अवधि के स्तर की तुलना में काफी अधिक था। निवेश आय के कारण प्राप्तियों में तदनुरूपी तिमाही की 12.8 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में 13.3 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि निवेश आय से संबंधित भुगतान में 20.4 प्रतिशत (2011-12 की दूसरी तिमाही में 1.7 प्रतिशत की गिरावट) की वृद्धि हुई जिसका मुख्य कारण अधिक ब्याज भुगतान था। सारणी 2: चालू खाते की अलग-अलग मदें | (बिलियन अमरीकी डॉलर) | (बिलियन अमरीकी डॉलर) | जुलाई-सितंबर 2012 (प्रा.) | जुलाई-सितंबर 2011 (आं.सं.) | अप्रैल-सितंबर 2012 (प्रा.) | अप्रैल-सितंबर 2011 (आं.सं.) | 1. वस्तुएं | -48.3 | -44.5 | -90.7 | -89.4 | 2. सेवाएं | 15.6 | 14.0 | 29.6 | 30.3 | 2.क. परिवहन | 0.3 | 0.9 | 0.9 | 1.2 | 2.ख. यात्रा | 1.0 | 0.7 | 1.4 | 0.9 | 2.ग. निर्माण | -0.01 | -0.2 | -0.1 | -0.1 | 2.घ. बीमा एवं पेंशन सेवाएं | 0.3 | 0.2 | 0.5 | 0.5 | 2. ङ. वित्तीय सेवाएं | 0.2 | -0.6 | 0.1 | -1.0 | 2.च. बौद्धिक संपदा के उपयोग हेतु प्रभार | -1.0 | -0.6 | -1.8 | -1.2 | 2.छ. दूरसंचार, कम्प्यूटर एवं सूचना सेवाएं | 15.8 | 13.7 | 31.1 | 28.2 | 2.ज. निजी, सांस्कृतिक एवं मनोरंजन संबंधी सेवाएं | 0.1 | 0.04 | 0.1 | 0.05 | 2.झ. सरकारी वस्तुएं तथा सेवाएं | -0.02 | -0.03 | -0.03 | -0.1 | 2. ञ. अन्य कारोबारी सेवाएं | 0.4 | -0.2 | -0.2 | -0.5 | 2.च. अन्य, अन्यत्र अपरिगणित | -1.3 | 0.1 | -2.3 | 2.4 | 3. प्राथमिक आय | -5.6 | -4.0 | -10.5 | -7.6 | 3.क. कर्मचारियों को मुआवजा | 0.3 | 0.2 | 0.5 | 0.4 | 3.ख. निवेश आय | -6.0 | -4.4 | -11.1 | -8.3 | 4. गौण आय | 16.1 | 15.6 | 32.9 | 30.4 | 4.क. निजी अंतरण | 15.5 | 15.1 | 31.6 | 29.4 | 4.ख. अन्य अंतरण | 0.6 | 0.5 | 1.3 | 1.0 | 5. चालू खाता (1+2+3+4) | -22.3 | -18.9 | -38.7 | -36.3 | टिप्पणी: पूर्णांकन के कारण हो सकता है कि उप-मदों का जोड़ कुल से मेल न खाए। प्रा:प्रारंभिक आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित | -
गौण आय (निवल आधार पर), जो मुख्य रूप से विदेश-स्थित भारतीयों के धन-प्रेषण को दर्शाती है, दूसरी तिमाही के दौरान 2.9 प्रतिशत की कम वृद्धि के साथ 16.1 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गई जो 2011-12 की दूसरी तिमाही के 20.4 प्रतिशत से बहुत कम है। चालू खाता शेष पूंजी खाता वित्तीय खाता वित्तीय खाते में निवल अंतर्वाह, आरक्षित निधि में हुए परिवर्तन को छोड़कर, 2012-13 की दूसरी तिमाही में काफी अधिक रहा था जिसका कारण एफडीआई में बढ़ोतरी और एफआईआई अंतर्वाह में गिरावट होना था (सारणी 3)। ईसीबी और बाह्य सहायता के तहत कम अंतर्वाह के कारण ईक्विटि प्रवाह की ओर स्पष्ट अंतरण हुआ है जिसने 2012-13 की दूसरी तिमाही में दौरान चालू खाते के घाटे के दो-तिहाई से अधिक वित्त-पोषण किया था (2011-12 की दूसरी तिमाही में 28.3 प्रतिशत)। -
2012-13 की दूसरी तिमाही में आरक्षित निधि में परिवर्तन को छोड़कर निवल वित्तीय अंतर्वाह बढ़कर 24.0 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया (पिछले वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान 19.3 बिलियन अमरीकी डॉलर)। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से 2012-13 की दूसरी तिमाही के 7.6 बिलियन अमरीकी डॉलर के निवल पोर्टफोलियो अंतर्वाहों के कारण हुई है जबकि 2011-12 की दूसरी तिमाही में 1.4 बिलियन अमरीकी डॉलर का बहिर्वाह हुआ था। -
2012-13 की दूसरी तिमाही के दौरान भारत में निवल एफडीआई (आवक एफडीआई से जावक एफडीआई को घटाया गया) की स्थिति बेहतर होकर यह 8.9 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गई जबकि 2011-12 की दूसरी तिमाही में 6.5 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवल अंतर्वाह हुआ था। -
2012-13 की दूसरी तिमाही में बैंकों द्वारा लिया गया निवल बाह्य कर्ज 2.0 बिलियन अमरीकी डॉलर था जबकि ये 2011- 12 की इसी तिमाही में 3.9 बिलियन अमरीकी डॉलर का अंतर्वाह हुआ था, यह मुख्य रूप से बैंकों द्वारा विदेशी कर्ज के भुगतान के कारण हुआ था। -
तिमाही के दौरान संवितरण में कमी होने के कारण "गैर-सरकारी और गैर-बैंकिंग क्षेत्रों द्वारा लिए गए निवल बाह्य ऋण" अर्थात् निवल ईसीबी निम्नतर अर्थात् 1.4 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा जबकि 2011-12 की दूसरी तिमाही में यह 4.7 बिलियन अमरीकी डॉलर था। सारणी 3: वित्तीय खाते की अलग-अलग मदें | (बिलियन अमरीकी डॉलर) | | जुलाई -सितम्बर 2012(प्रा.) | जुलाई - सितम्बर 2011(आं.सं.) | अप्रैल-सितम्बर 2012(प्रा.) | अप्रैल-सितम्बर 2011 (आं.सं) | 1.प्रत्यक्ष निवेश (निवल) | 8.9 | 6.5 | 12.8 | 15.7 | 1.क भारत में प्रत्यक्ष निवेश | 10.3 | 9.5 | 16.2 | 21.9 | 1.ख भारत द्वारा प्रत्यक्ष निवेश | -1.4 | -3.0 | -3.4 | -6.1 | 2. पोर्टफोलियो निवेश | 7.6 | -1.4 | 5.6 | 0.9 | 2.क भारत में पोर्टफोलियो निवेश | 7.9 | -1.6 | 6.2 | 0.9 | 2.ख भारत द्वारा पोर्टफोलियो निवेश | -0.3 | 0.2 | -0.6 | -0.02 | 3. अन्य निवेश | 7.9 | 14.2 | 22.7 | 26.8 | 3.क अन्य ईक्विटी (एडीआर/जीडीआर) | 0.1 | 0.2 | 0.2 | 0.5 | 3.ख मुद्रा और जमाराशियां | 3.5 | 3.1 | 9.9 | 4.3 | जमाराशियां लेने वाले निगम, केन्द्रीय बैंक को छोड़कर (एनआरआई जमाराशियां) | 2.8 | 2.8 | 9.4 | 3.9 | 3.ग कर्ज़* | 3.3 | 9.5 | 6.7 | 24.5 | 3.ग i भारत को कर्ज़ | 3.6 | 8.9 | 7.0 | 23.9 | जमाराशियां लेने वाले निगम, केन्द्रीय बैंक को छोड़कर | 2.0 | 3.9 | 5.0 | 15.4 | सामान्य सरकार (बाह्य सहायता) | 0.1 | 0.3 | 0.1 | 0.7 | अन्य क्षेत्र (ईसीबी) | 1.4 | 4.7 | 1.8 | 7.7 | 3.ग ii भारत द्वारा कर्ज़ | -0.3 | 0.6 | -0.2 | 0.6 | सामान्य सरकार (बाह्य सहायता) | -0.1 | -0.04 | -0.1 | -0.1 | अन्य क्षेत्र (ईसीबी) | -0.2 | 0.6 | -0.1 | 0.7 | 3.घ व्यापार ऋण और अग्रिम | 4.1 | 2.9 | 9.5 | 5.9 | 3.ङ अन्य खाता प्राप्य / देय - अन्य | -3.0 | -1.5 | -3.6 | -8.4 | 4.वित्तीय डेरीवेटिव | -0.3 | - | -0.8 | - | 5.आरक्षित आस्तियां | 0.2 | -0.3 | -0.4 | -5.7 | वित्तीय खाता (1+2+3+4+5) | 24.2 | 19.0 | 39.9 | 37.7 | टिप्पणी: पूर्णांकन के कारण हो सकता है उप घटकों का योग कुल से मेल न खाये। प्रा.: प्रारंभिक ; आ.सं.: आंशिक रूप से संशोशित * : बाह्य सहायता, ईसीबी, गैर एनआरआई बैंकिंग पूंजी और अल्पकालिक व्यापार ऋण को शामिल किया गया है। | -
"व्यापार ऋण और अग्रिम" के अंतर्गत निवल अंतर्वाह 2012-13 की दूसरी तिमाही के दौरान 4.1 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा जो गत वर्ष के 2.9 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक है जो व्यापार ऋण द्वारा आयात का अधिक अनुपात में वित्तपोषण होना दर्शाता है। -
2012-13 की दूसरी तिमाही के दौरान विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि (भुगतान संतुलन के आधार पर) से मात्र 0.2 बिलियन अमरीकी डॉलर का थोड़ा सा आहरण किया गया। तथापि, उक्त तिमाही के दौरान विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि में 5.1 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई जो प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं के प्रति अमरीकी डॉलर के मूल्यहास को दर्शाता है। 2. 2012-13 के अप्रैल-सितम्बर (पहली छमाही) में भुगतान संतुलन माल और सेवा व्यापार -
अप्रैल - सितम्बर 2012 के दौरान आयात (4.3 प्रतिशत) की तुलना में निर्यात में 7.4 प्रतिशत की अधिक गिरावट हुई जिसके कारण व्यापार में घाटा और बढ़ गया। डीजीसीआई एंड एस द्वारा प्रकाशित पण्य-वार आंकड़ों से पता चलता है कि निर्यात में कमी मुख्यत: इंजीनियरिंग माल, रत्न और आभूषण एवं पेट्रोलियम उत्पाद जैसी मदों के कारण हुआ था। आयात में कमी मुख्यत: "सोना और चांदी", "मोती, बहुमूल्य एवं मूल्यवान रत्नों" तथा इलेक्ट्रानिक उत्पाद जैसी मदों के तहत हुआ था। -
आयात में गिरावट का कारण तेल के आयातों में निम्नतर वृद्धि था जिसका आंशिक कारण गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में भारतीय कच्चे तेल के समूह के मूल्य में गिरावट आना है। -
सेवा निर्यात वृद्धि अप्रैल-सितम्बर 2012 के दौरान कम होकर 5.4 प्रतिशत रह गई जबकि अप्रैल-सितम्बर 2011 के दौरान यह 21.5 प्रतिशत थी (सारणी 2)। -
2012-13 की पहली छमाही के दौरान निवल कंप्यूटर सेवाओं से प्राप्तियां 30.6 बिलियन अमरीकी डॉलर थीं जबकि गत वर्ष की समवर्ती अवधि में यह 28.3 बिलियन अमरीकी डॉलर थीं। -
निवल आधार पर, सेवाओं संबंधी अधिशेष अप्रैल-सितम्बर 2012 में 2.3 प्रतिशत घटकर 29.6 बिलियन हो गया जो गत वर्ष की समवर्ती अवधि में 30.3बिलियनअमरीकीडॉलरथा। प्राथमिक आय -
प्राथमिक आय में प्रमुख रूप से कर्मचारियों को मुआवज़ा, निवेश संबंधी आय और अन्य प्राथमिक प्राप्तियां शामिल हैं। निवेश संबंधी आय विदेश में ब्याज दर के निम्नतर होने के कारण 2012-13 की पहली छमाही के दौरान 19.4 प्रतिशत घटकर 3.1 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गयी। निवेश संबंधी आय 2012-13 की पहली छमाही के दौरान 17.0 प्रतिशत बढ़कर 14.2 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गयी जिसका कारण बढ़ती बाह्य देयताएं था। गौण आय चालू खाता शेष पूंजी और वित्तीय खाता -
वित्तीय खाते के अंतर्गत सकल अंतर्वाह और बहिर्वाह दोनों 2012-13 की पहली छमाही में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में निम्नतर थे। -
निवल संदर्भ में भी वित्तीय अंतर्वाह 2012-13 की पहली छमाही में घटकर 40.3 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया जबकि 2011-12 की पहली छमाही में यह 43.4बिलियनथा। -
अन्य प्राप्य और देय, जिसने 2012-13 की पहली छमाही में 3.6 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवल अंतर्वाह दर्ज किया था, में निर्यात के अंतर्गत कमी-बेशी, विदेश में धारित निवल निधियां, एफडीआई के अंतर्गत शेयरों के निर्गम तक प्राप्त अग्रिम तथा विविध पूंजी संबंधी प्राप्तियां शामिल हैं । -
2012-13 की पहली छमाही के दौरान आरक्षित निधि में 0.4 बिलियन की निवल वृद्धि (भुगतान संतुलन के आधार पर) हुई जो पिछले वर्ष की पहली छमाही की तुलना में बहुत कम थी। 3. सितम्बर 2012 को समाप्त तिमाही का बाह्य ऋण मौजूदा प्रथा के अनुसार मार्च और जून को समाप्त तिमाहियों के लिए बाह्य ऋण भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा संकलित और जारी किया जाता है जबकि सितंबर और दिसंबर को समाप्त तिमाहियों के लिए बाह्य ऋण वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संकलित और जारी किया जाता है। तदनुसार, सितंबर 2012 को समाप्त तिमाही के लिए बाह्य ऋण के आंकड़े वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी किए जा रहे हैं जो कि http://finmin.nic.in पर उपलब्ध हैं। अजीत प्रसाद सहायक महाप्रबंधक प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/1096 |