31 मार्च 2011 2010-11 की तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर 2010) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधियां वित्तीय वर्ष की 2010-11 की तीसरी तिमाही अर्थात् अक्तूबर-दिसंबर से संबंधित भारत के भुगतान संतुलन के प्रारंभिक आंकड़े अब उपलब्ध हैं। अप्रैल-दिसंबर 2010 की अवधि के भुगतान संतुलन के आंकड़ों का संकलन करने के लिए इन प्रारंभिक आंकड़ों तथा पिछली दो तिमाहियों अर्थात् अप्रैल-जून 2010 (ति.1) एवं जुलाई-सितंबर 2010 (ति.2) के आंशिक रूप से संशोधित आंकड़ों को हिसाब में लिया गया है। इन आंकड़ों का संपूर्ण ब्यौरा भुगतान संतुलन के प्रस्तुतीकरण संबंधी मानक फार्मेट विवरण I तथा II में दिया गया है। 2010-11 की तीसरी तिमाही अर्थात् अक्तूबर-दिसंबर 2010 के दौरान की भुगतान संतुलन की मुख्य-मुख्य बातें
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2010-11 की तीसरी तिमाही के दौरान बीओपी आधार पर निर्यात में वर्ष-दर-वर्ष 39.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि आयात में 24.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
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राशि के रूप में व्यापार घाटे की राशि 31.6 बिलियन अमरीकी डॉलर रही जो कि पिछले वर्ष की इसी तिमाही के लगभग बराबर है।
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सेवाओं से निवल प्राप्तियों में 49.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई (एक वर्ष पूर्व की 46.0 प्रतिशत की गिरावट के मुकाबले) जो मुख्यत: यात्रा, परिवहन, सॉफ्टवेयर, कारोबारी तथा वित्तीय सेवाओं से हुई प्राप्तियों में भारी वृद्धि होने की वजह से थी।
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तिमाही के दौरान निजी अंतरण प्राप्तियों की राशि बढ़कर 14.1 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गयी।
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इसके परिणामस्वरूप, संदर्भाधीन शेष राशि में (एक वर्ष पूर्व की 19.0 प्रतिशत की गिरावट के मुकाबले) 17.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
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पिछले वर्ष की तदनुरूपी तिमाही की तुलना में चालू खाते का घाटा (सीएडी) घटकर 9.7 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जो मुख्यत: अदृश्य मद संबंधी अधिशेष में बेहतरी आने की वजह से है।
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पूंजी खाते के अधिशेष में पिछले वर्ष की इसी तिमाही की तुलना में थोड़ी-सी वृद्धि हुई जो एफआइआइ निवेशों, बाह्य सहायता, बाह्य वाणिज्यिक उधार(इसीबी) तथा बैंकिंग पूंजी के रूप में उच्चतर निवल अंतर्वाह होने की वजह से थी।
-
चालू खाते के घाटे की तुलना में पूंजी खाते का अधिशेष अधिक होने के कारण तिमाही के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 4.0 बिलियन अमरीकी डॉलर की निवल वृद्धि हुई।
अप्रैल-दिसंबर 2010 के दौरान भुगतान संतुलन की मुख्य-मुख्य बातें
-
निवल अदृश्य मद अधिशेष में सुधार होने के बावजूद अप्रैल-दिसंबर 2010 के दौरान चालू खाते के घाटे में वृद्धि हुई जो मुख्यत: पिछले वर्ष की तदनुरूप अवधि की तुलना में व्यापार घाटा अधिक रहने की वजह से थी। इस स्तर पर अप्रैल-दिसंबर 2010 के दौरान चालू खाते का घाटा जीडीपी का 3.1 प्रतिशत था।
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निवल पूंजी अंतर्वाह में उल्लेखनीय वृद्धि हुई जो एफआइआइ के निवेशों, बाह्य सहायता, अल्पावधि व्यापार ऋण, बाह्य वाणिज्यिक उधार तथा बैंकिंग पूंजी की मद में उच्चतर निवल अंतर्वाह होने की वजह से थी।
-
पूंजी के निवल अंतर्वाह में उल्लेखनीय वृद्धि होने के बावजूद अप्रैल-दिसंबर 2010 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार की वृद्धि में थोड़ी-सी कमी आई जो मुख्यत: अप्रैल-दिसंबर 2009 के दौरान चालू खाते का घाटा अधिक रहने की वजह से थी।
1. 2010-11 की तीसरी तिमाही अर्थात् अक्तूबर-दिसंबर के दौरान भुगतान संतुलन की स्थिति 2010-11 की तीसरी तिमाही के दौरान भुगतान संतुलन की प्रमुख मदों की जानकारी सारणी 1 में दी गयी है।
सारणी 1 : भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें
|
(बिलियन अमरीकी डालर) |
मद |
अप्रैल-जून |
जुलाई-सितंबर |
अक्टूबर-दिसंबर |
2009-10 (आं.सं.) |
2010-11 (आं.सं.) |
2009-10 (आं.सं.) |
2010-11 (आं.सं.) |
2009-10 (आं.सं.) |
2010-11 (प्रा.) |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
1.निर्यात |
39.2 |
55.3 |
43.4 |
51.8 |
47.2 |
66.0 |
2.आयात |
65.4 |
88.0 |
73.0 |
89.6 |
78.1 |
97.5 |
3.व्यापार संतुलन (1-2) |
-26.3 |
-32.8 |
-29.6 |
-37.8 |
-30.9 |
-31.6 |
4.अदृश्य मदें, निवल |
22.1 |
20.3 |
20.4 |
21.0 |
18.7 |
21.9 |
5.चालू खाता शेष (3+4) |
-4.2 |
-12.5 |
-9.2 |
-16.8 |
-12.2 |
-9.7 |
6.पूंजी खाता शेष* |
4.3 |
16.2 |
18.6 |
20.1 |
14.0 |
13.7 |
7.रिज़र्व में परिवर्तन # (-चिहन वृद्धि दर्शाता है; + चिहन कमी दर्शाता है) |
-0.1 |
-3.7 |
-9.4 |
-3.3 |
-1.8 |
-4.0 |
*भूल-चूक सहित # भुगतान संतुलन आधार पर (अर्थात् मूल्यन सहित) प्रा : प्रारंभिक आं.सं. : आंशिक रूप से संशोधित |
टिप्पणी: पूर्णांकन के कारण जोड़ में अंतर हो सकता है।
-
2010-11 की तीसरी तिमाही के दौरान बीओपी आधार पर भारत के पण्य निर्यात में वर्ष-दर-वर्ष 39.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि 2009-10 की तदनुरूप तिमाही में 19.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
-
इसी प्रकार तिमाही के दौरान बीओपी आधार पर पण्य आयातों में 24.9 प्रतिशत की वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि हुई जबकि पिछले वर्ष की इसी तिमाही में 4.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
-
आयातों की तुलना में निर्यातों में अधिक वृद्धि होने की बावजूद राशि के रूप में व्यापार घाटा बढ़कर 31.6 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जबकि पिछले वर्ष की तदनुरूप तिमाही में यह घाटा 30.9 बिलियन अमरीकी डॉलर का था।
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अदृश्य मद प्राप्तियों में (पिछले वर्ष की 4.6 प्रतिशत की गिरावट की तुलना में) 33.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो मुख्यत: सेवाओं के निर्यात में वृद्धि होने की वजह से थी।
-
सेवा संबंधी मदों के अंतर्गत प्राप्त राशियों में (पिछले वर्ष की 14.4 प्रतिशत की गिरावट की तुलना में) 55.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो मुख्यत: यात्रा, परिवहन, सॉफ्टवेयर, कारोबार तथा वित्तीय सेवाओं में वृद्धि होने की वजह से थी।
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तिमाही के दौरान निजी अंतरण की प्राप्तियां (एक वर्ष पूर्व की 13.3 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में) 5.9 प्रतिशत बढ़कर 14.1 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गईं।
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तिमाही के दौरान निवेश आय प्राप्तियों में (एक वर्ष पूर्व की 20.5 प्रतिशत की गिरावट की तुलना में) 24.1 प्रतिशत की गिरावट आई जो मुख्यत: विदेशों में ब्याज दरों के कम रहने की वजह से थी।
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अदृश्य मद भुगतानों में (एक वर्ष पूर्व की 12.7 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में) 48.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो मुख्यत: सेवाओं और निवेश आय के अंतर्गत अधिक भुगतान किये जाने की वजह से थी।
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सेवा संबंधी भुगतानों में (पिछले वर्ष की 22.1 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में) 59.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो मुख्यत: यात्रा, परिवहन, कारोबार तथा वित्तीय सेवाओं के संबंध में हुए व्यय की वजह से थी।
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प्राप्तियों की तुलना में अदृश्य मदों के भुगतान में उच्चतर वृद्धि के बावजूद, निवल अदृश्य मदें (अदृश्य मद प्राप्तियों से घटाया अदृश्य मद भुगतान) 17.0 प्रतिशत बढ़कर (एक वर्ष पहले के 19.0 प्रतिशत की कमी की तुलना में) 21.9 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गईं ।
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उच्चतर व्यापार घाटे के बावजूद, चालू खाता घाटा घटकर 9.7 बिलियन अमरीकी डॉलर (एक वर्ष पहले के 12.2 बिलियन अमरीकी डॉलर से) हो गया जो मुख्य रूप से अदृश्य मद आधिक्य में प्रबल सुधार के कारण था।
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चूंकि एफआइआइ निवेश, बाह्य सहायता, ईसीबी और बैंकिंग पूंजी के अंतर्गत उच्चतर निवल अंतर्वाह विदेशी प्रत्येक्ष निवेश (एफडीआइ) और अल्पकालिक व्यापार ऋण के अंतर्गत अंतर्वाहों में कमी के द्वारा प्रति संतुलित हो गया, तिमाही के दौरान पूंजी खाता आधिक्य केवल मामूली रूप से बढ़कर 14.9 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया (एक वर्ष पहले 14.6 बिलियन अमरीकी डॉलर)।
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निवल एफआइआइ अंतर्वाह 2010-11 की तीसरी तिमाही के दौरान बढ़कर 7.2 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गए जबकि पिछले वर्ष की तदनुरूपी तिमाही की तुलना में ये 5.3 बिलियन अमरीकी डॉलर थे, तिमाही के दौरान एफआइआइ निवेश के अंतर्गत सकल अंतर्वाह और बहिर्वाह लगभग तीन गुना हो गए जो अक्तूबर 2010 में कोल इंडिया आइपीओ में अंशदान की अधिकता और इसके पश्चात प्रत्यावर्तनों को परिलक्षित करता है।
-
तिमाही के दौरान निवल इसीबी 3.6 बिलियन अमरीकी डॉलर पर काफी अधिक उच्च था (पिछले वर्ष के 1.7 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में) जो मुख्य रूप से भारत को वाणिज्यिक ऋणों के उच्चतर संवितरण के कारण था।
-
तिमाही के दौरान बैंकिंग पूंजी में 4.9 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवल अंतर्वाह दर्ज हुआ (एक वर्ष पहले के 1.9 बिलियन अमरीकी डॉलर के निवल अंतर्वाह की तुलना में) जो मुख्य रूप से वाणिज्यिक बैंकों की विदेशी आस्तियों के आहरण के कारण था।
-
2010-11 की तीसरी तिमाही के दौरान निवल एफडीआइ प्रवाह (निवल आवक एफडीआइ से घटाया निवल जावक एफडीआइ ) घटकर 2.1 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया (एक वर्ष पहले 3.0 बिलियन अमरीकी डॉलर) जो मुख्य रूप से तिमाही के दौरान कम निवल आवक एफडीआइ के कारण था।
-
पूंजी खाता आधिक्य के चालू खाता घाटे से अधिक होने के कारण, तिमाही के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 4.0 बिलियन अमरीकी डॉलर की निवल वृद्धि हुई (एक वर्ष पहले 1.8 बिलियन अमरीकी डॉलर)। सांकेतिक अर्थ में (अर्थात मूल्यन परिवर्तन सहित), तिमाही के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 4.5 बिलियन अमरीकी डॉलर बढ़ा ढविदेशी मुद्रा भंडार में स्रोतों की विभिन्नता पर एक प्रेस प्रकाशनी अलग से जारी की गई है।
2. अप्रैल-दिसंबर 2010 के लिए भुगतान संतुलन
-
भुगतान संतुलन आधार पर, अप्रैल-दिसंबर 2010 के दौरान व्यापार घाटा बढ़कर 102.1 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया (अप्रैल-दिसंबर 2009 के दौरान 86.8 बिलियन अमरीकी डॉलर) जो मुख्य रूप से सुदृढ़ देशी आर्थिक निष्पादन की पृष्ठभूमि में निर्यात की तुलना में आयात में उच्चतर निरपेक्ष वृद्धि के कारण था (सारणी 2)।
-
अप्रैल-दिसंबर 2010 के दौरान निवल अदृश्य मद आधिक्य बढ़कर 63.2 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया (पिछले वर्ष 61.2 बिलियन अमरीकी डॉलर) जो मुख्य रूप से समग्र राशि के अर्थ में भुगतान की तुलना में अदृश्य मद प्राप्तियों में उच्चतर वृद्धि के कारण था। अदृश्य मद प्राप्तियों में वृद्धि मुख्य रूप से सेवा निर्यात द्वारा प्रेरित थी जिसमें अप्रैल-दिसंबर 2010 के दौरान 41.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई (एक वर्ष पहले के 16.0 प्रतिशत की गिरावट की तुलना में)।
- अप्रैल-दिसंबर 2010 के दौरान अदृश्य मद भुगतान 39.5 प्रतिशत बढ़े जो मुख्य रूप से उच्चतर सेवा भुगतान को दर्शाते हैं, जिसमें 51.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई (एक वर्ष पहले के 4.3 प्रतिशत की मामूली वृद्धि की तुलना में)।
सारणी 2: भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें |
(बिलियन अमरीकी डालर) |
मद |
अप्रैल-मार्च |
अप्रैल-दिसंबर |
2008-09 (सं.) |
2009-10 (आं.सं.) |
2009-10 (आं.सं.) |
2010-11 (प्रा.) |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
1.निर्यात |
189.0 |
182.2 |
129.7 |
173.0 |
2.आयात |
308.5 |
300.6 |
216.5 |
275.1 |
3.व्यापार संतुलन (1-2) |
-119.5 |
-118.4 |
-86.8 |
-102.1 |
4.अदृश्य मदें, निवल |
91.6 |
80.0 |
61.2 |
63.2 |
5.चालू खाता शेष (3+4) |
-27.9 |
-38.4 |
-25.5 |
-38.9 |
6.पूंजी खाता शेष* |
7.8 |
51.8 |
36.8 |
50.0 |
7.रिज़र्व में परिवर्तन # (-चिहन वृद्धि दर्शाता है; + चिहन कमी दर्शाता है) |
20.1 |
-13.4 |
-11.3 |
-11.0 |
*: भूल-चूक सहित #: बीओपी आधार पर (अर्थात मूल्यन को छोड़कर) प्रा.:प्रारंभिक आंसं: आंशिक रूप से संशोधित |
- अप्रैल-दिसंबर 2010 के दौरान निजी अंतरण प्राप्तियां मामूली रूप से बढ़कर 41.3 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गईं (एक वर्ष पहले 40.8 बिलियन अमरीकी डॉलर) (सारणी 3)।
सारणी 3: अदृश्य मदों की सकल प्राप्तियां और भुगतान |
(बिलियन अमरीकी डालर) |
मद |
अदृश्य मद प्राप्तियां |
अदृश्य मद भुगतान |
अप्रैल-मार्च |
अप्रैल-दिसंबर |
अप्रैल-मार्च |
अप्रैल-दिसंबर |
2008-09 (सं.) |
2009-10 (आं.सं.) |
2009-10 (आं.सं.) |
2010-11 (प्रा.) |
2008-09 (ीं) |
2009-10 (आं.सं.) |
2009-10 (आं.सं.) |
2010-11 (प्रा.) |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
8 |
9 |
क. सेवाएं (1 से 5) |
106.0 |
95.8 |
67.9 |
95.9 |
52.0 |
60.0 |
40.7 |
61.7 |
1. यात्रा |
10.9 |
11.9 |
8.5 |
10.8 |
9.4 |
9.3 |
6.7 |
8.0 |
2. परिवहन |
11.3 |
11.2 |
8.1 |
10.1 |
12.8 |
11.9 |
8.4 |
10.6 |
3. बीमा |
1.4 |
1.6 |
1.2 |
1.4 |
1.1 |
1.3 |
1.0 |
1.1 |
4. सरकारें, अन्यत्र शामिल न की गईं |
0.4 |
0.4 |
0.3 |
0.4 |
0.8 |
0.5 |
0.4 |
0.5 |
5. विविध |
81.9 |
70.7 |
49.9 |
73.3 |
27.9 |
36.9 |
24.3 |
41.4 |
जिसमें से : |
|
|
|
|
|
|
|
|
सॉफ्टवेयर |
46.3 |
49.7 |
35.4 |
41.8 |
2.6 |
1.5 |
1.2 |
1.9 |
सॉफ्टवेयर से इतर |
35.6 |
21.0 |
14.5 |
31.4 |
25.3 |
35.5 |
23.1 |
39.5 |
ख. अंतरण |
47.5 |
54.6 |
41.4 |
41.8 |
2.7 |
2.3 |
1.7 |
2.2 |
निजी |
46.9 |
53.9 |
40.8 |
41.3 |
2.3 |
1.8 |
1.3 |
1.8 |
सरकारी |
0.6 |
0.7 |
0.6 |
0.5 |
0.4 |
0.5 |
0.3 |
0.5 |
ग. आय |
14.3 |
13.0 |
10.3 |
6.9 |
21.4 |
21.1 |
16.1 |
17.6 |
निवेश आय |
13.5 |
12.1 |
9.7 |
6.2 |
20.1 |
19.4 |
14.9 |
16.1 |
कर्मचारियों को मुआवजा |
0.8 |
0.9 |
0.7 |
0.8 |
1.3 |
1.7 |
1.2 |
1.5 |
अदृश्य मदें (क+ख+ग) |
167.8 |
163.4 |
119.7 |
144.7 |
76.2 |
83.4 |
58.4 |
81.5 |
प्रा : प्रारंभिक। आं.सं. :आंशिक रूप से संशोधित। सं. : संशोधित |
-
अप्रैल-दिसंबर 2010 के दौरान निवेश आय प्राप्तियां 36.1 प्रतिशत घटकर 6.2 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गईं (एक वर्ष पहले 9.7 बिलियन अमरीकी डॉलर)।
-
निवल अदृश्य मद आधिक्य में सुधार के बावजूद, अप्रैल-दिसंबर 2010 के दौरान चालू खाता घाटा बढ़कर 38.9 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया (एक वर्ष पहले 25.5 बिलियन अमरीकी डॉलर) जो मुख्य रूप से उच्चतर व्यापार घाटे के कारण था।
-
अप्रैल-दिसंबर 2010 के दौरान निवल पूंजी अंतर्वाह काफी अधिक बढ़कर 52.7 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया (एक वर्ष पहले 37.6 बिलियन अमरीकी डॉलर) जो एफआइआइ निवेश, बाह्य सहायता, अल्पकालिक व्यापार ऋण, ईसीबी और बैंकिंग पूंजी के अंतर्गत उच्चतर निवल अंतर्वाह द्वारा प्रेरित था (सारणी 4)।
-
निवल पूंजी अंतर्वाह में काफी अधिक वृद्धि के बावजूद, अप्रैल-दिसंबर 2010 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि (बीओपी आधार पर) मामूली रूप से कम थी जो मुख्य रूप से अप्रैल-दिसंबर 2009 की तुलना में चालू खाता घाटा बढ़ने के कारण थी।
सारणी 4: निवल पूंजी प्रवाह |
(बिलियन अमरीकी डालर) |
मद |
अप्रैल-मार्च |
अप्रैल-दिसंबर |
2008-09 (सं.) |
2009-10 (आं.सं.) |
2009-10 (आं.सं.) |
2010-11 (प्रा.) |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
1. विदेशी प्रत्यक्ष निवेश |
19.8 |
18.8 |
15.4 |
7.6 |
आवक एफडीआइ |
37.7 |
33.1 |
27.0 |
18.0 |
जावक एफडीआइ |
-17.9 |
-14.4 |
-11.6 |
-10.4 |
2. पोर्टफोलियो निवश |
-14.0 |
32.4 |
23.6 |
30.1 |
जिसमें से : |
-15.0 |
29.0 |
20.5 |
29.5 |
एफआइआइ |
1.2 |
3.3 |
3.2 |
1.8 |
एडीआर/जीडीआर |
2.4 |
2.9 |
1.9 |
4.2 |
3. बाह्य सहायता |
7.9 |
2.8 |
2.4 |
9.3 |
4. बाह्य वाणिज्यिक उधार |
4.3 |
2.9 |
3.5 |
2.3 |
5. एनआरआइ जमाराशियां |
-7.5 |
-0.8 |
-0.5 |
3.4 |
6. बैंकिंग पूंजी, एनआरआइ जमाराशियों को छोड़कर |
-2.0 |
7.6 |
3.1 |
8.5 |
7. अल्पावधि व्यापार ऋण |
-0.1 |
-0.1 |
-0.02 |
-0.02 |
8. रुपया ऋण चुकौती |
-4.0 |
-13.0 |
-11.8 |
-12.7 |
9. अन्य पूंजी |
6.8 |
53.4 |
37.6 |
52.7 |
सं. : संशोधित । प्रा : प्रारंभिक। आं.सं. :आंशिक रूप से संशोधित। |
3. दिसंबर 2010 को समाप्त तिमाही के लिए बाह्य ऋण (i) वर्तमान प्रथा के अनुसार, मार्च तथा जून को समाप्त तिमाहियों के लिए बाह्य ऋण भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा संकलित एवं जारी किया जाता है, जबकि सितंबर और दिसंबर को समाप्त तिमाहियों के लिए बाह्य ऋण वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संकलित तथा जारी किया जाता है। तदनुसार, दिसंबर 2010 को समाप्त तिमाही के लिए बाह्य ऋण के आंकड़े वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी किए जा रहे हैं। इसे http://finmin.nic.in पर भी देखा जा सकता है। अजीत प्रसाद सहायक महाप्रबंधक प्रेस प्रकाशनी : 2010-2011/1412 |