निर्यात डाटा प्रसंस्करण और निगरानी प्रणाली (ईडीपीएमएस) में लदान बिलों को बंद करने संबंधी निदेश – प्रतिक्रिया हेतु मसौदा
भारतीय रिज़र्व बैंक ने निर्यात के बदले निधियों की उगाही की निगरानी हेतु फरवरी 2014 में ईडीपीएमएस की शुरुआत की थी। समय के साथ, सीमा शुल्क प्राधिकरण से लदान बिलों का प्रवाह आइसगेट के माध्यम से स्वचालित हो गया और जनवरी 2022 से ईसीसीएस (एक्सप्रेस कार्गो क्लीयरेंस सिस्टम) से प्राप्त डाटा भी ईडीपीएमएस में आने लगा। इसके अलावा, डाक निर्यात बिलों का डेटा भी जनवरी 2025 से ईडीपीएमएस में आने लगा। 2. पिछले कुछ वर्षों में, ईडीपीएमएस में आने वाले निर्यात लेनदेन की संख्या में काफी वृद्धि हुई है, जहाँ प्रत्येक लदान बिल का, प्राप्त भुगतान राशि के साथ मिलान किया जाता है। अनुपालन को आसान बनाने के उद्देश्य से, विशेष रूप से कम मूल्य की वस्तुओं के निर्यातकों के लिए, ईडीपीएमएस में मिलान की प्रक्रिया को सरल बनाने का निर्णय लिया गया है। तदनुसार, ईडीपीएमएस में छोटे मूल्य के निर्यातों के मिलान संबंधी विनियामक अनुपालन से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए निदेशों का मसौदा तैयार किया गया है। 3. निदेशों के मसौदे पर टिप्पणियां/प्रतिक्रिया रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध ‘कनेक्ट 2 रेगुलेट’ खंड के अंतर्गत उपलब्ध लिंक के माध्यम से प्रस्तुत की जा सकती हैं या वैकल्पिक रूप से 31 जुलाई 2025 तक पर ईमेल के माध्यम से भेजी जा सकती हैं, जिसके विषय पंक्ति में “ईडीपीएमएस में लदान बिलों को बंद करने संबंधी निदेशों के मसौदे पर प्रतिक्रिया” लिखा होना चाहिए। (पुनीत पंचोली) प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/705 |