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बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के अंतर्गत निदेश – दि भवानी सहकारी बैंक लिमिटेड, मुंबई - आरबीआई - Reserve Bank of India

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बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के अंतर्गत निदेश – दि भवानी सहकारी बैंक लिमिटेड, मुंबई

जन सामान्य के सूचनार्थ एतद्द्वारा यह अधिसूचित किया जाता है कि बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए की उप-धारा (1) के अंतर्गत निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 3 जुलाई 2025 के निदेश संदर्भ सं. CO.DOS.SED.No.S2770/12-22-023/2025-2026 द्वारा दि भवानी सहकारी बैंक लिमिटेड, मुंबई  (“बैंक”) को कतिपय निदेश जारी किए हैं, जिसके द्वारा 4 जुलाई 2025 को कारोबार की समाप्ति से बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक की लिखित पूर्वानुमोदन के बिना भारतीय रिज़र्व बैंक के दिनांक 3 जुलाई 2025 के निदेश, जिसकी एक प्रति इच्‍छुक जन सामान्य के अवलोकनार्थ बैंक की वेबसाइट/ परिसर में प्रदर्शित करने हेतु निदेश दिया गया है, में यथाअधिसूचित को छोड़कर, किसी ऋण और अग्रिम को संस्वीकृत या नवीनीकरण नहीं करेगा, कोई निवेश नहीं करेगा, अपने ऊपर कोई भी देयता नहीं लेगा, जिसमें उधार लेना और नई जमाराशि स्वीकार करना भी शामिल है, किसी भी भुगतान का संवितरण या संवितरित करने के लिए सहमति नहीं देगा चाहे वह उसकी देयताओं और दायित्वों के निर्वहन में हो या अन्यथा, कोई भी समझौता या इस तरह की कोई व्‍यवस्‍था नहीं करेगा और अपनी किसी भी संपत्ति या परिसंपत्ति का विक्रय और स्थानांतरण या अन्यथा निपटान नहीं करेगा। बैंक की वर्तमान चलनिधि स्थिति को ध्यान में रखते हुए, बैंक को जमाकर्ता के बचत बैंक या चालू खातों या किसी भी अन्य खाते में उपलब्ध कुल शेष राशि से कोई राशि निकालने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, लेकिन भारतीय रिज़र्व बैंक के उपरोक्त निदेश में निर्धारित शर्तों के अधीन जमा के एवज में ऋण को समायोजित (सेट ऑफ) करने की अनुमति दी जा सकती है। जैसा कि उक्त निदेशों में निर्दिष्ट है, बैंक कुछ आवश्यक कार्यों, जैसे, कर्मचारियों के वेतन, किराया, बिजली बिल आदि के संबंध में व्यय कर सकता है।

2. भारतीय रिज़र्व बैंक ने हाल ही में बैंक के कामकाज में सुधार के लिए बैंक के बोर्ड और वरिष्ठ प्रबंधन के साथ बातचीत की। तथापि, बैंक द्वारा पर्यवेक्षी समस्याओं को दूर करने और बैंक के जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए ठोस प्रयास न किए जाने के कारण इन निदेशों को जारी करना जरूरी हो गया।     

3. पात्र जमाकर्ता अपनी सहमति प्रस्तुत करने पर तथा उसकी समुचित जांच के बाद, डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के अंतर्गत, निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम से, समान क्षमता और समान अधिकार में ₹5,00,000/- (पाँच लाख रुपये मात्र) की अधिकतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशि के लिए जमा बीमा की दावा राशि प्राप्त करने के हकदार होंगे। अधिक जानकारी के लिए जमाकर्ता अपने बैंक अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं। ये विवरण, डीआईसीजीसी की वेबसाइट: www.dicgc.org.in पर भी देखे जा सकते हैं। 

4. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उपर्युक्त निदेशों को जारी करने का यह अर्थ नहीं लगाया जाना चाहिए कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग लाइसेंस रद्द कर दिया है। बैंक, अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार होने तक उक्त निदेशों में निर्दिष्ट प्रतिबंधों के अधीन बैंकिंग कारोबार करना जारी रखेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक , बैंक की स्थिति की निरंतर निगरानी कर रहा है और परिस्थितियों के आधार पर तथा जमाकर्ताओं के हित को ध्यान में रखते हुए, आवश्यकतानुसार इन निदेशों में संशोधन सहित आवश्यक कार्रवाई करेगा।

5. ये निदेश, 4 जुलाई 2025 को कारोबार की समाप्ति से छह माह की अवधि के लिए लागू रहेंगे और ये समीक्षाधीन होंगे।

(पुनीत पंचोली)
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/657

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