बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35क के अंतर्गत निदेश- मराठा सहकारी बैंक लि., मुंबई, महाराष्ट्र - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35क के अंतर्गत निदेश- मराठा सहकारी बैंक लि., मुंबई, महाराष्ट्र
28 फरवरी 2017 बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 35ए के अंतर्गत मराठा सहकारी बैंक लिमिटेड, मुंबई को 6 माह की अवधि (अर्थात 28 फरवरी 2017 तक) के लिए 31 अगस्त 2016 के निदेश जारी किये गये थे जिन्हें बाद में जारी किए गए 07 सितंबर 2016 के निदेश के माध्यम से संशोधित किया गया । ये निदेश 6 माह अर्थात 28 फरवरी 2017 तक वैध तथा समीक्षाधीन हैं । वर्तमान निदेशों के अनुसार, अन्य शर्तों के साथ साथ प्रत्येक बचत बैंक या चालू बैंक या अन्य किसी जमा खाता चाहे नाम जो भी हो, के कुल शेष राशि में से जमाकर्ता को ₹ 5000/- तक की राशि आहरण करने की अनुमति दी गई थी। भारतीय रिज़र्व बैंक ने उक्त बैंक की वित्तीय स्थिति की समीक्षा की और पाया कि जनता के हित में उपर्युक्त निदेशों में संशोधन आवश्यक है । तदनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए की उप-धारा (1) और (2) में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए एतद्द्वारा निदेश दिए हैं कि मराठा सहकारी बैंक लिमिटेड., मुंबई को 31 अगस्त 2016 और 07 सितंबर 2016 को जारी निदेशों के पैरा1(i) को निम्नानुसार संशोधित किया जाए : “(i) जमाकर्ता को प्रत्येक बचत खाता या चालू खाता या सावधि जमा खाता या अन्य कोई जमा खाता (चाहे जिस किसी नाम से जाना जाता हो) से ₹ 20,000 (रु. बीस हज़ार मात्र) राशि आहरण करने की अनुमति दी जाए बशर्ते यदि कोई जमाकर्ता बैंक के प्रति उधारकर्ता या जमानतदार जिनमें बैंक जमा के आधार पर दिए गए ऋण भी शमिल है, की हैसियत से देयता रखता है, तो सबसे पहले उक्त राशि को तत्संबंधी उधारखातों में समायोजित किया जाना चाहिए। जमाकर्ता को अदा करने वाली राशि को निलंब खाते में और / या चिह्नि प्रतिभूतियों में अलग से रखना चाहिए जिसका उपयोग, बैंक संशोधित निदेशों के अनुसार केवल जमाकर्ता को भुगतान करने के लिए करेगा।" (ii) बैंक को निम्नलिखित अतिरिक्त शर्तों के आधार पर मीयादी जमा के ज़रिए ऋण के समंजन की अनुमति दी जाती है कि यदि उधारकर्ता के ऋण करार में यह प्रावधान है कि विशिष्ट जमा खाते में उपलब्ध राशि (चाहे नाम जो भी हो) की सहायता से बैंक द्वारा उसके ऋण खाते का समायोजन किया जा सकता है, तो ऐसे समायोजन ऋण खाते में उपलब्ध बकाया शेष राशि के लिए किया जा सकता है:
आगे हम सूचित करते हैं कि निदेश की वैधता की अवधि को 31 अगस्त 2017 तक 6 माह के लिए बढ़ाया गया है। उपरोक्त वैधता को सूचित करनेवाले दिनांक 23 फरवरी 2017 के निदेश की एक प्रति बैंक के परिसर मे जनता की सूचना के लिए लगाई गई है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उपरोक्त वैधता बढाने या और संशोधित करने का यह अर्थ न लगाया जाए कि भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंक की वित्तीय स्थिति में मौलिक सुधार से संतुष्ट है। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/2310 |