विदेशों से बड़ी निधियॉं प्राप्त करने के लिए पैसा न भरें : भारतीय रिज़र्व बैंक की सलाह - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशों से बड़ी निधियॉं प्राप्त करने के लिए पैसा न भरें : भारतीय रिज़र्व बैंक की सलाह
15 फरवरी 2011 विदेशों से बड़ी निधियॉं प्राप्त करने के लिए पैसा न भरें : भारतीय रिज़र्व बैंक ने जनता को विदेशों से धन के किसी भी प्रकार के प्रस्तावों के बारे में सावधान रहने की पुनः सलाह दी है़ I उन्होंने कहा है कि ऐसे प्रस्ताव जाली है और जनता से अनुरोध किया है कि यदि उन्हें ऐसे प्रस्ताव प्रात होते है अथवा वे ऐसे किसी धोखाधड़ी का शिकार होते है तो वे तुरंत स्थानीय पुलीस / सायबर क्राइम प्राधिकारियों के पास शिकायत दर्ज कराएं I जनता को इस बात से भी सावधाना किया गया है कि वे अंजान संस्थाओं की ऐसी योजनाओं / प्रस्तावों में पैसों का विप्रेषण न करें, क्योंकि ऐसे विप्रेषण अवैद्य है और भारत का काई भी निवासी भारत के बाहर ऐसे प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष भुगतानों के संग्रहण और विप्रेषण करने पर विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 का उल्लंघन करने के कारण उनके विरूद्व कार्रवाई की जा सकती है I उन पर अपने ग्राहक को जाने मानदण्ड / धनशोधन निवारण मानकों से संबंधित विनिमयों का उल्लंघन करने के कारण भी कार्रवाई की जा सकती है I रिज़र्व बैंक ने आगे यह सूचित किया है कि वह पैसे की व्यवस्था का किसी भी प्रकार का कार्य, किसी भी नाम में नहीं करती है और ऐसे बोगस संप्रेषण के लिए जनता द्वारा भरे गये पैसों की चुकौती की कोई भी जिम्मेदारी नहीं लेती है I इस संबंध में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जनता रिज़र्व बैंक के विभिन्न क्षेत्रीय कार्यालयों के विदेशी मुद्रा विभाग के अधिकारियों अथवा केन्द्रीय कार्यालय के विदेशी मुद्रा विभाग के अधिकारियों को कार्यालय घण्टें (सोमवार से शुक्रवार सुबह 9.45 बजे से शाम 5.45 बजे तक ) के दौरान टेलिफोन संख्या 022-22610589 / 22610618 अथवा 22601000 विस्तार 2772 / 2732 पर संपर्क कर सकते हैं अथवा ई-मेल कर स्पष्टीकरण प्राप्त कर सकते है I जनता अधिक जानकारी के लिए भारतीय रिज़र्व की बेबसाईट www.rbi.org.in के होम पेज पर दर्शाए गये टीकर से भी सावधानी की सलाह प्राप्त कर सकते है I रिज़र्व बैंक ने कहा है कि उन्होंने भारतीय बैंक संघ और बैंकों को ऐसे जाली प्रस्तावों के बारे में अपने ग्राहकों को अत्यधिक सतर्क रहने के बारे में जानकारी देने को कहा I बैंकों को यह भी सूचित किया कि वे ऐसे जाली गतिविधियों में जब भी अपने ग्राहकों के खातों का दुरुपयोग होता है तो वे कानून अधिकार एजेंसियों के पास मामला उठाएं I धोखेबाज किस प्रकार से कार्य करते है ? भारतीय रिज़र्व बैंक ने पूर्व में भी कई अवसरों पर जनता को तथाकथित विदेशी संस्थाओं/व्यक्तियों अथवा ऐसी संस्थाओं/व्यक्तियों के प्रतिनिधि के रुप में कार्य कर रहे भारतीय निवासियों को विदेश से विदेशी मुद्रा में सस्ती निधियों के जाली प्रस्तावों/ लॉटरी जीतने आदि का शिकार बनने से आगाह किया था I धोखेबाज किस तरह से कार्य करते है इसके बारे में बताते हुए रिज़र्व बैंक ने कहा है कि धाखेबाज पत्र, ई-मेल, मोबाईल फोन, एसएमएस आदि के माध्यम से भोलीभाली जनता को आकर्षक प्रस्ताव भेजकर फसाते है I लोगों को विश्वास दिलाने के लिए ऐसे प्रस्ताव,ऐसे पत्रशीर्षों / वेबसाइटों के माध्यम से भेजे जाते है जो भारतीय रिज़र्व बैंक जैसी कोई सार्वजनिक प्राधिकरण जैसे दिखायी देती है I ऐसे प्रस्ताव ऐसे संस्थाओं के शीर्ष कार्यपालकों / वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षरित किए गए हो ऐसे दिखाई देते है I तथापि, केवल अधिकारियों का नाम सही होता है किन्तु उनके हस्ताक्षर जाली होते है I प्रस्ताव दस्तावेज में रिज़र्व बैंक के कुछ विभाग में कार्य कर रहे भारतीय रिज़र्व बैंक के अधिकारी का संपर्क पता भी दिया गया होता है I धोखेबाज पहले तो शिकार व्यक्ति को विभिन्न आधिकारिक कारणों से छोटे मूल्य में पैसे जमा करने के लिए कहते है I ये पैसे वे प्रक्रिया शुल्क / लेन-देन शुल्क, कर समाशोधन प्रभार, अंतरण प्रभार, समाशोधन शुल्क आदि के रुप प्राप्त करते है I शिकार व्यक्ति को निर्धारित बैंक खाते में पैसा जमा करने के लिए कहते है I ऐसे प्रभारों को इकठ्ठा करने के लिए धोखेबाज के पास विभिन्न बैंक शाखाओं में एकल अथवा किसी संस्था के नाम में कई खाते होते है I धोखेबाज असली खाताधारकों को ऐसे जाली गतिविधियों से कुछ कमीशन प्राप्त कराने के लिए उनके खातों की जानकारी प्राप्त करते है I पैसा जमा हो जाने के बाद अधिक विश्वास भरे कारणों को जताते हुए वे अधिक पैसों की मांग करते है I इन खातों में एक बार अच्छी रकम जमा हो जाने के बाद धोखेबाज पैसा आहरित कर लेते है अथवा विदेश पैसा अंतरित कर देता है और लापता हो जाता है I कई निवासी पहले ही इसके शिकार हो चुके हैं और ऐसे जाली प्रस्तावों का शिकार होकर भारी मात्रा में पैसा गवां चुके है I अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2010-2011/1177 |