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डॉ. सुबीर गोकर्ण ने भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया

24 नवंबर 2009

डॉ. सुबीर गोकर्ण ने भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया

डॉ. सुबीर विठ्ठल गोकर्ण ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। डॉ. गोकर्ण को कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से तीन वर्षों की अवधि के लिए उप गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया है। वे चौथे उप गवर्नर होंगे, अन्य तीन उप गवर्नर श्रीमती श्यामला गोपीनाथ, श्रीमती उषा थोरात और डॉ. के.सी.चक्रवर्ती हैं। उप गवर्नर के रूप में डॉ. गोकर्ण मौद्रिक नीति विभाग, आर्थिक विश्लेषण और नीति विभाग, सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग, संचार विभाग और निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम का कार्य देखेंगे। डॉ. गोकर्ण जी-20 उप गवर्नरों के फोरम में रिज़र्व बैंक का प्रतिनिधित्व भी करेंगे।

रिज़र्व बैंक में कार्यभार ग्रहण करने के पूर्व डॉ. गोकर्ण नई दिल्ली स्थित स्टेण्डर्ड एण्ड पुअर्स एशिया-पेसिफिक के मुख्य अर्थशास्ञी थे। भारतीय साख निर्धारण सूचना सेवा लिमिटेड (सीआरआइएसआइएल) के कार्यपालक निदेशक और मुख्य अर्थशास्ञी रहने के बाद उन्होंने अगस्त 2007 में यह पदभार संभाला था जिसमें स्टेण्डर्ड एण्ड पुअर्स में वर्ष 2005 में एक प्रमुख स्टेक अर्जित किया था। मुख्य अर्थशास्ञी के रूप में अपनी भूमिका के अतिरिक्त भारतीय साख निर्धारण सूचना सेवा लिमिटेड (सीआरआइएसआइएल) में अपने पाँच वर्षों के कार्यकाल के दौरान उन्होंने विभिन्न भूमिकाएं अदा की जिसमें सीआरआइएसआइएल तथा उसकी कई सहायक कंपनियों के अनुसंधान समूह की अध्यक्षता और सीआरआइएसआइएल के बोर्ड की सदस्यता शामिल है।

वर्ष 2002 में सीआरआइएसआइएल में कार्य ग्रहण करने से पूर्व वे राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएइआर), नई दिल्ली (2000-2002) में औद्योगिक विकास भारतीय औद्योगिक वित्त निगम (आइएफसीआइ) में प्रमुख अर्थशास्ञी तथा अध्यक्ष रहे। साथ ही, इंदीरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान (आइजीआइडीआर), मुंबई (वर्ष 1991-2000) के सहायक प्रोफेसर भी रहे।

डॉ. गोकर्ण ने अर्थशास्ञ में (1979) बी.ए.(आनर्स) के साथ सेंट झेवियर्स महाविद्यालय, मुंबई से स्नातक की उपाधि प्राप्त की तथा अर्थशास्ञ में (1981) एम.ए. दिल्ली स्कूल ऑफ इकानॉमिक्स से स्नातोक्तर उपाधि प्राप्त की। औद्योगिक लागत तथा मूल्य ब्यूरो में दो वर्ष तक कार्य करने के बाद वे अमरीका में केस वेस्टर्न रिज़र्व विश्वविद्यालय में अर्थशास्ञ में पी.एचडी करने के लिए गये जो उन्हें वर्ष 1989 में प्राप्त हुई। उनके कार्य का मुख्य विषय दक्षिण कोरिया में औद्योगिक कार्यनिष्पादन पर पूँजी बाज़ार उदारीकरण का प्रभाव था। वर्ष 1997 में उन्हें फूल ब्राईट अनुसंधान सदस्यता प्राप्त हुई जहाँ उन्होंने अमरीका के ऐल विश्वविद्यालय में आर्थिक विकास केंद्र में एक शैक्षणिक वर्ष बिताया।

डॉ. गोकर्ण को औद्योगिक अर्थशास्ञ, मौद्रिक अर्थशास्ञ, कंपनी वित्त में महारथ हासिल है। उनकी शैक्षणिक अनुसंधान के विभिन्न क्षेत्र हैं जिनमें व्यष्टि अर्थव्यवस्था के अलावा पूर्वी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के उद्योग, मूलभूत सुविधाएं और तुलनात्मक अध्ययन शामिल हैं। उनके द्वारा लिखित कई कार्य तथा परियोजना रिपोर्टें प्रकाशित हुई हैं जिनमें पूर्व एशिआई विकास प्रक्रिया पर सह-लिखित दो पुस्तकें तथा भारतीय उद्योग के ढाँचे पर सह-संपादित खण्ड शामिल हैं।

उन्होंने 13 वर्ष तक बिजनेस सैन्डर्ड के वर्तमान आर्थिक विषयों पर एक पाक्षिक स्तंभ में अपना योगदान दिया है। वे वर्ष 2002 से 2009 के दौरान बोर्ड ऑफ इंडिया टूडे इकानॉमिक्स के सदस्य भी रह चूके हैं। वे उद्योग संगठनों, शैक्षणिक संस्थाओं, सरकारी एजेंसियों और सिविल नागरिक संस्थाओं द्वारा आयोजित समितियों और अन्य गतिविधियों में नियमित रूप से भाग लेते रहे हैं।

डॉ. गोकर्ण का जन्म 3 अक्टूबर 1959 में हुआ। उनका विवाह डॉ. ज्योत्सना बापट, एक स्वतंत्र अनुसंधान और सलाहकार से हुआ है। उनकी एक बेटी है जिसका नाम कनक है।

अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2009-2010/755

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