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ग्लोबल ट्रस्ट बैंक लिमिटेड का ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के साथ विलयन की योजना का प्रारूप

26 जुलाई 2004

ग्लोबल ट्रस्ट बैंक लिमिटेड का ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के साथ विलयन की योजना का प्रारूप

ग्लोबल ट्रस्ट बैंक लिमिटेड को 24 जुलाई 2004 के अधिस्थगन आदेश के अंतर्गत रखा गया है, जो 23 अक्तूबर 2004 तक और यदि कोई वैकल्पिक व्यवस्था कर ली जाती है तो उससे पहले की किसी तारीख तक लागू रहेगा। इस अधिस्थगन अवधि के दौरान रिज़र्व बैंक को ग्लोबल ट्रस्ट बैंक लिमिटेड के भावी ढांचे के बारे में निर्णय लेना है।

ग्लोबल ट्रस्ट बैंक लिमिटेड को पूंजी में वफ्द्धि करने, साथ ही अपेक्षित पूंजी जुटाने या किसी अन्य देशी बैंक के साथ वैकल्पिक विलयन की व्यवस्था करने जैसे विकल्पों की छानबीन करने के लिए समय दिया गया था। निवेशकों के मेलजोल से पूंजी में वफ्द्धि करने संबंधी ग्लोबल ट्रस्ट बैंक लिमिटेड का प्रस्ताव स्वीकार्य नहीं लगा। बैंक ने देशी निवेशकों से अपेक्षित पूंजी जुटाने तथा किसी अन्य देशी बैंक के साथ स्वैच्छिक विलयन में अपनी असमर्थता भी सूचित की है। अब स्वैच्छिक विलयन का विकल्प उपलब्ध नहीं है।

रिज़र्व बैंक के पास उपलब्ध अन्य विकल्प बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 45 के अंतर्गत अनिवार्य विलयन है। इस मामले में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने रूचि दिखायी है। रिज़र्व बैंक के पास सरकारी क्षेत्र के अन्य बैंकों से इस मामले में रूचि दर्शानेवाली अनौपचारिक पूछताछ भी प्राप्त हुई है। इस मामले पर ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स की रूचि के बारे में भारतीय रिज़र्व बैंक ने उसके वित्तीय मानदंड, उसके खुदरा नेटवर्क तथा उसकी सहक्रिया (सिनर्जी) साथ ही रणनीतिगत अनुकूलता का ध्यान रखते हुए जांच की। ग्लोबल ट्रस्ट बैंक लिमिटेड के लाखों जमाकर्ताओं के हित का तथा बैंक का सामर्थ्य और कमज़ोरी का विचार करते हुए रिज़र्व बैंक ने ग्लोबल ट्रस्ट बैंक लिमिटेड के ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के साथ विलयन की योजना का प्रारूप तैयार किया है। आज ही दोनों बैंकों के पास उसे प्रेषित किया गया है। इस प्रारूप योजना का विचार करने के लिए बैंकों को 2 सप्ताह का समय अर्थात् 7 अगस्त 2004 तक का समय दिया गया है।

यह प्रारूप योजना पब्लिक डोमैन पर रखी गयी है तथा सुझाव और अभिमतों के लिए उसे समाचारपत्रों में अधिसूचित किया जायेगा। ये सुझाव और अभिमत बैंकों और रिज़र्व बैंक को शनिवार, 7 अगस्त 2004 तक प्राप्त हो जाने चाहिए। रिज़र्व बैंक उसके बाद शीघ्र ही निर्णय लेगा।

पी. वी. सदानंदन

प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2004-2005/105

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