डीआरजी अध्ययन सं. 41- व्यापार नीति और विनिर्माण कार्यनिष्पादन: वर्ष 1990-2010 की अवधि में भारत के संगठित विनिर्माण में व्यापार खुलेपन के स्तर को तलाशना - आरबीआई - Reserve Bank of India
डीआरजी अध्ययन सं. 41- व्यापार नीति और विनिर्माण कार्यनिष्पादन: वर्ष 1990-2010 की अवधि में भारत के संगठित विनिर्माण में व्यापार खुलेपन के स्तर को तलाशना
29 जनवरी 2016 डीआरजी अध्ययन सं. 41- व्यापार नीति और विनिर्माण कार्यनिष्पादन: भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर “व्यापार नीति और विनिर्माण कार्यनिष्पादन: वर्ष 1990-2010 की अवधि में भारत के संगठित विनिर्माण में व्यापार खुलेपन के स्तर को तलाशना” शीर्षक से डीआरजी अध्ययन* जारी किया है। यह अध्ययन डॉ. देब कुसुम दास, अर्थशास्त्र विभाग, रामजस कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा किया गया है। इस अध्ययन में वर्ष 1990-91 से 2009-10 तक की अवधि के दौरान संगठित विनिर्माण क्षेत्र और संगठित विनिर्माण के उपयोग आधारित क्षेत्रों को कवर किया गया है। यह अध्ययन विनिर्माण के अलग-अलग क्षेत्रों के स्तर पर व्यापार उदारीकरण के स्तर का प्रमाण प्रस्तुत करते हुए कई मामलों में मौजूदा साहित्य में योगदान देता है, इसके लिए व्यापार नीति उन्मुखीकरण की स्पष्ट युक्तियों का उपयोग किया गया है। व्यापार-औद्योगिक उत्पादकता लिंकेज के पैनल डेटा इकॉनोमेट्रिक मॉडलिंग के माध्यम से विनिर्माण कार्यनिष्पादन पर व्यापार के खुलेपन के प्रभाव की जांच की गई है और इसके साथ अन्य नीतियों – औद्योगिक और समष्टि आर्थिक परिवेश को समाविष्ट किया गया है। अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष
यह अध्ययन निष्कर्ष निकालता है कि उन मुद्दों को सुलझाने की आवश्यकता है जो व्यापार और औद्योगिक नीति सुधारों के लाभों को और बढ़ा सकते हैं। इन सुधारों में आपूर्ति प्रतिबंधों को सहज बनाना और उचित नीतिगत बदलाव करना शामिल है जिससे कि परिवहन बाधाओं, विद्युत की कमी, अनियत ऊर्जा आपूर्ति (पानी और बिजली) तथा श्रम विनियमनों को दूर किया जा सके। * मजबूत विश्लेषणात्मक और अनुभवजन्य आधार के सहयोग से वर्तमान रुचि के विषयों पर तीव्र और प्रभावी नीतिगत अनुसंधान करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग में विकास अनुसंधान समूह (डीआरजी) का गठन किया है। डीआरजी अध्ययन भारतीय रिज़र्व बैंक के बाहर के विशेषज्ञों तथा बैंक के अंदर अनुसंधान प्रतिभा के पूल के बीच सहयोगात्मक प्रयासों का परिणाम है। व्यावसायिक अर्थशास्त्रियों और नीति निर्माताओं के बीच रचनात्मक चर्चा करने की दृष्टि से इन अध्ययनों को व्यापक प्रचलन हेतु जारी किया जाता है। डीआरजी अध्ययन भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर ही जारी किए जाते हैं और इनकी कोई मुद्रित प्रतियां उपलब्ध नहीं होंगी। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2015-2016/1786 |