डीआरजी अध्ययन: आघात और मुद्रास्फीति - आरबीआई - Reserve Bank of India
डीआरजी अध्ययन: आघात और मुद्रास्फीति
30 मार्च 2017 डीआरजी अध्ययन: आघात और मुद्रास्फीति भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर “आघात और मुद्रास्फीति” शीर्षक से डीआरजी अध्ययन* जारी किया है। यह अध्ययन प्रोफेसर एम.रामचंद्रन, पुदुच्चेरी विश्वविद्यालय और श्री राकेश कुमार, सहायक परामर्शदाता, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किया गया है। सामान्य तौर पर, मानना है कि आपूर्ति पक्ष कारकों द्वारा प्रेरित आघातों का मुद्रास्फीति पर कोई दीर्घकालीन प्रभाव नहीं पड़ता है। इसलिए, आपूर्ति आघातों से प्रेरित मुद्रास्फीति नीति हस्तक्षेप की गारंटी नहीं दे सकती। इस डीआरजी अध्ययन में ऐसे आघातों से मुद्रास्फीति की गतिशील प्रतिक्रिया को समझने के लिए अनुभवजन्य साक्ष्य हैं। आपूर्ति आघातों के पारंपरिक उपाय महत्वपूर्ण माप त्रुटियों से ग्रसित हैं। इसलिए,वर्तमान अध्ययन में आपूर्ति आघातों का माप बनाने के लिए एक नई पद्धति का उपयोग किया जाता है। अध्ययन से पता चलता है कि नए उपाय के आधार पर किया गया अनुमान परंपरागत सोच के विपरीत है। एक गतिशील वेक्टर ऑटोरेग्रेशन मॉडल से प्राप्त अर्थमितिय साक्ष्य यह संकेत देते हैं कि आपूर्ति आघात का मुद्रास्फीति पर स्थायी प्रभाव पड़ता है। वास्तविक आउटपुट की तुलना में मुद्रास्फीति गतिशीलता को वास्तविक मुद्रा स्टॉक के अप्रतिबंधित घटक द्वारा बेहतर समझाया गया है। आगे, समय वेक्टर ऑटोरेग्रेस मॉडल के साक्ष्य से यह पुष्टि की जाती है कि जिस तरीके से मांग और आपूर्ति आघात मुद्रास्फीति को प्रभावित करते हैं उसमें समय के साथ महत्वपूर्ण बदलाव आया है। कुल मिलाकर, साक्ष्य इस बात का समर्थन करता है कि वास्तविक मुद्रा स्टॉक में आघात भारत में मुद्रास्फीति पर नज़र रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक हैं। * मजबूत विश्लेषणात्मक और अनुभवजन्य आधार के सहयोग से वर्तमान रुचि के विषयों पर तीव्र और प्रभावी नीतिगत अनुसंधान करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग में विकास अनुसंधान समूह (डीआरजी) का गठन किया है। डीआरजी अध्ययन भारतीय रिज़र्व बैंक के बाहर के विशेषज्ञों तथा बैंक के अंदर अनुसंधान प्रतिभा के पूल के बीच सहयोगात्मक प्रयासों का परिणाम है। व्यावसायिक अर्थशास्त्रियों और नीति निर्माताओं के बीच रचनात्मक चर्चा करने की दृष्टि से इन अध्ययनों को व्यापक प्रचलन हेतु जारी किया जाता है। डीआरजी अध्ययन भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर ही जारी किए जाते हैं और इनकी कोई मुद्रित प्रतियां उपलब्ध नहीं होंगी। जोस.जे.कट्टूर प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/2619 |