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गैर-सरकारी गैर-वित्‍तीय सार्वजनिक लिमिटेड कंपिनियों की वित्‍तीय स्थिति – आंकड़ों का प्रकाशन

13 मार्च 2015

गैर-सरकारी गैर-वित्‍तीय सार्वजनिक लिमिटेड कंपिनियों की
वित्‍तीय स्थिति – आंकड़ों का प्रकाशन

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर गैर-सरकारी गैर-वित्‍तीय (एनजीएनएफ) सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों की वर्ष 2013-14 की वित्‍तीय स्थिति संबंधी आंकड़े जारी किए।

इन आंकड़ों का समेकन उन चुनिंदा 4,388 एनजीएनएफ सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों के लेखापरीक्षित वार्षिक लेखे के आधार पर किया गया है जो आबादीमूलक चुकता पूंजी के 32 प्रतिशत का हिस्‍सा रखती हैं। इसमें 2011-12 से 2013-14 तक की तीन वर्ष की अवधि का तुलनात्‍मक चित्रण प्रस्‍तुत किया गया है। इन आंकड़ों के संबंध में ‘व्‍याख्‍यात्‍मक टिप्‍पणी’ अनुबंध में दी गई है।

प्रमुख निष्‍कर्ष :

  • वर्ष 2013-14 में चुनिंदा एनजीएनएफ सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों की बिक्री दर में गिरावट आई। ब्‍याज, कर, मूल्‍यह्रास, और परिशोधन पूर्व अर्जन (ईबीआईटीडीए) दर में भी गिरावट दर्ज हुई। 2013-14 में कर पश्‍चात लाभ (पीएटी) में भी कमी आई तथा चुनिंदा कंपनियों के लाभ की स्थिति बरकरार रही (विवरण 1)।

  • 1 बिलियन और उससे अधिक राशि’ के बिक्री-आकार वाले समूहों की बिक्री दर की गति धीमी हुई, जबकि ‘ 1 बिलियन’ तक के बिक्री-आकार वाली छोटे पैमाने की कंपनियों की बिक्री दर में गिरावट आई (विवरण 7)।

  • वर्ष 2012-13 की तुलना में 2013-14 में 5 बिलियन तक के बिक्री-आकार वाली कंपनियों की ईबीआईटीडीए दर में गिरावट दर्ज हुई, वहीं ‘‘ 5 बिलियन से 10 बिलियन’’ तक के बिक्री-आकार के दायरे में आने वाली कंपनियों के ईबीआईटीडीए की वृद्धि दर में भारी गिरावट आई (विवरण 7)।

  • वर्ष 2013-14 में विनिर्माण क्षेत्र में ‘चीनी’, ‘सिमेंट और सिमेंट उत्‍पादों’, ‘मोटर वाहनों एवं परिवहन के अन्‍य उपकरणों’ और ‘आभूषणों’ में तथा सेवा क्षेत्र में ‘रियल एस्‍टेट’ में तथा निर्माण क्षेत्र में बिक्री दर में गिरावट आई। 2013-14 में इन उद्योगों के ईबीआईटीडीए दर में भी कमी आई (विवरण 11)।

  • वर्ष 2013-14 में ‘खनन और उत्‍खनन’ उद्योगों की बिक्री दर में सुधार आया, किंतु उनकी ईबीआईटीडीए दर में भारी गिरावट आई। 2013-14 में ‘बिजली, गैस, भाप और वातानुकूलन की आपूर्ति’ उद्योग के ईबीआईटीडीए दर में सुधार आया (विवरण 11)।

  • आलोच्‍य अवधि अर्थात् 2011-12 से 2013-14 तक की अवधि में चुनिंदा कंपनियों के लाभ मार्जिन में भारी गिरावट आई। तथापि, 2012-13 की तुलना में 2013-14 में लाभांश और निवल मालियत अनुपात में मामूली बढ़ोतरी हुई (विवरण 2)।

  • लाभ मार्जिन की दृष्टि से विचार करें तो विनिर्माण क्षेत्र की कंपनियों का प्रदर्शन निराशजनक रहा। तथापि, 2013-14 में ‘कपड़ा’, ‘चर्म उत्‍पाद’, ‘टयर और ट्यूब’, ‘इलेक्ट्रिकल उपकरण’ और ‘मशीनरी एवं उपकरण’ जैसे उद्योगों के लाभ मार्जिन में सुधार आया। 2013-14 में ‘दूरसंचार’ और ‘कंप्‍यूटर सेवाओं’ जैसे उद्योगों के लाभ मार्जिन में सुधार आया (विवरण 12)।

  • समीक्षाधीन अवधि में इक्विटी की तुलना में कुल उधार तथा इक्विटी की तुलना में कर्ज के परिकलन से निकाले जाने वाले लीवरेज में काफी बढ़ोतरी हुई, जबकि ब्‍याज करवेज अनुपात में क्रमिक रूप से गिरावट दर्ज हुई (विवरण 2)।

  • ‘‘ 1 बिलियन से 5 बिलियन’’ तक के बिक्री-आकार के दायरे में आने वाली कंपनियों की कुल निवल आस्तियों में धीमी गति से वृद्धि हुई। ‘‘ 5 बिलियन से 10 बिलियन’’ तक के बिक्री-आकार के दायरे में आने वाली कंपनियों की कुल निवल आस्तियों में गिरावट आई (विवरण 7)।

  • वर्ष 2013-14 में जुटाई गई कुल निधियों में बढ़ोतरी हुई और इससे यह पता चला कि अल्‍पकालीन उधार की तुलना में दीर्घकालीन उधारों को प्राथमिकता दी गई है।

  • वर्ष 2011-12 से 2013-14 तक की तीन वर्ष की अवधि में कुल प्रयोज्‍य निधियों में सकल नियत आस्ति निर्माण के हिस्‍से में गिरावट आई। प्रयोज्‍य निधि में गैर-चालू निवेशों के हिस्‍से में बढ़ोतरी हुई, जबकि ‘नकदी और नकदी समतुल्‍य रूपों’ में क्रमिक रूप से गिरावट दर्ज हुई (विवरण 5)।

एनजीएनएफ सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों के कार्यनिष्‍पादन के संबंध में आरबीआई बुलेटिन के अप्रैल 2015 अंक में समग्र स्‍तर पर और बिक्री के अकार और उद्योगवार एक विश्‍लेषणात्‍मक आलेख प्रकाशित किया जा रहा है।

संगीता दास
निदेशक

प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/1926

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