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प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण गैर-बैंकिंग वित्तीय विनियमन और बैंकों के साथ उनका संबंध

30 नवम्बर 2006

प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण गैर-बैंकिंग वित्तीय विनियमन और बैंकों के साथ उनका संबंध

जैसा कि वार्षिक नीति वक्तव्य 2006-07 की छमाही समीक्षा के पैरा 141 में उल्लिखित है, रिज़र्व बैंक ने विनियामक अभिमुकता, विनियामक अभिनिर्णय के मामलों का अध्ययन करने तथा वित्तीय क्षेत्र में सभी को समान अवसर देने हेतु एक नीति संरचना की सिफारिश के लिए एक आंतरिक समूह का गठन किया था। समूह की रिपोर्ट रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर विस्तृत चर्चा और अभिमत के लिए डाली गई थी। समूह की सिफारिशों तथा प्राप्त प्रतिसूचना के आलोक में एवं वित्तीय क्षेत्र के इस भाग के महत्त्व की दृष्टि से एक प्रारूप परिपत्र तैयार किया गया और इसे 3 नवम्बर 2006 को और प्रतिसूचना आमंत्रित करने के लिए वेबसाइट पर डाला गया। ये प्रारूप दिशानिर्देश, अभिमत के लिए 17 नवम्बर 2006 को कारोबार की समाप्ति तक खुले हुए थे। प्राप्त प्रतिसूचना के आधार पर प्रारूप दिशानिर्देश उपयुक्त ढंग से संशाधित किये गए हैं और उन्हें 7 दिसंबर 2006 तक पुन: अभिमत आमंत्रित करने के लिए जारी किया गया है। संशाधित प्रारूप निदेशानिर्देशों की मुख्य विशेषताएं निम्न प्रकार हैं :

क) सभी प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां वे होंगी -

    1. जिनके पास न्यूनतम पूंजी पर्याप्तता 10 प्रतिशत है;
    2. जो एकल तथा समूह निवेश मानदण्डों का पालन करती हैं जैसा कि जमाराशि स्वीकार करनेवाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर लागू है;

ख) बैंक किसी एकल गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (जमाराशि स्वीकार करनेवाली और जमाराशि स्वीकार नहीं करनेवाली दोनों कंपनियों) पर निवेश उनकी पूंजीगत निधि के 10 प्रतिशत तक और सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए उनके पूंजीगत निधियों के 40 प्रतिशत तक धारण कर सकते हैं। ये सीमाएं क्रमश: पूंजीगत निधियों के 5 प्रतिशत और 10 प्रतिशत तक बढ़ायी जा सकती हैं यदि अतिरिक्त निवेश गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा मूलभूत सुविधा क्षेत्र को उधार दी गई निधियों के कारण है।

ग) वह गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी जो भारत में कार्य कर रहे किसी मूल/विदेशी बैंक के समूह द्वारा प्रवर्तित है जो उस विदेशी बैंक के मूल/समूह का सहायक कंपनी है और जहाँ वह मूल/समूह प्रबंधन पर नियंत्रण करता है उसे भारत में उस विदेशी बैंक के परिचालन का भाग माना जाएगा और उसे समेकित विवेकपूर्ण विनियमनों की परिधि के अंतर्गत लाया जाएगा।

घ) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां जो बैंकों कि सहायक कंपनी हैं अथवा जहाँ बैंकों का प्रबंधन पर नियंत्रण है को यह अनुमति दी जायेगी की वे मामला-दर-मामला आधार पर अपने ग्राहकों को स्वैच्छिक पोर्टफोलियों प्रबंध योजना का विकल्प दें।

ङ) भारत में परिचालन कर रहे विदेशी बैंकों सहित भारत के बैंक, जमाराशि स्वीकार करने वाली किसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी के 10 प्रतिशत से अधिक की प्रदत्त इक्विटि पूंजी धारण नहीं करेंगे। तथापि, यह प्रतिबंध आवास वित्त कंपनियों के निवेश पर लागू नहीं होगा।

च) स्वचालित मार्ग के अंतर्गत गठित गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को केवल उन 19 गतिविधियों को ही अनुमति दी जायेगी जो स्चचालित मार्ग के अंतर्गत अनुमत हैं। किसी अन्य गतिविधि में विपथन के लिए विदेशी निवेश उन्नयन बोर्ड (एफआइपीबी) की पूर्व अनुमति लेनी होगी। उसी प्रकार कोई कंपनी जो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) नीति (जैसे कि सॉफ्टवेयर) के अंतर्गत अनुमत क्षेत्र में प्रवेश कर चुकी है और बाद में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी क्षेत्र में विपथन करना चाहती है को भी न्यूनतम पूंजीकरण मानदण्डों एवं यथालागू अन्य विनियमों का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा।

इन संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए कि कुछ बैंक/ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां संशोधित विनियामक ढांचे के कुछ बिन्दुओं का अनुपालन नहीं कर सकती हैं, यह निर्णय लिया गया है कि मार्च 2007 के अंत तक की एक अंतरण अवधि उपलब्ध करायी जाए। तदनुसार, बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां 1 अप्रैल 2007 से संशाधित ढांचे के सभी बिन्दुओं का पालन करेंगी। अगर जमाराशि स्वीकार नहीं करनेवाली कोई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - एसआइ अथवा बैंक अनुपालन के लिए और समय चाहता है तो उसे भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित विनियामक विभाग के पास 31 जनवरी 2007 को कारोबार की समाप्ति तक उन कारणों का स्पष्ट उल्लेख करते हुए आवेदन करना होगा जिसके कारण वे उपर्युक्त अवधि के भीतर अनुपालन सुनिश्चित नहीं कर सकेंगे तथा उस समयावधि का भी उल्लेख करना होगा जिसमें वे संगत बिन्दुओं का पालन कर सकेंगे। इससे रिज़र्व बैंक मार्च 2007 के अंत तक इन अनुरोधों पर विचार कर सकेगा।

इस परिपत्र में निहित दिशानिर्देश नीचे उद्धृत श्रेणियों को छोड़कर जिनके लिए वर्तमान विनियामक ढांचा वर्तमान में लागू रहेगा, संगत पैराग्राफों में यथानिर्दिष्ट गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर लागू होंगे।

i) अवशिष्ट गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (आरएनबीसी) और प्राथमिक व्यापारी (पीडी)
ii) कंपनी अधिनियम की धारा 617 के अंतर्गत यथापरिभाषित सरकार द्वारा स्वाधिकृत कंपनियां जो भारतीय रिज़र्व बैंक के पास गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के रूप में पंजीकृत हैं।

वीरेन्द्र गिरि
सहायक प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2006-2007/744

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