प्रथम द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य 2014-15 - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्रथम द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य 2014-15
1 अप्रैल 2014 प्रथम द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य 2014-15 ''नमस्कार, रिज़र्व बैंक में आपका स्वागत है। वर्तमान और उभरती हुई समष्टि आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर आज हमने निर्णय लिया है कि चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत नीति रिपो दर को 8.0 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा जाए। हमने यह भी निर्णय लिया है कि 7-दिवसीय और 14-दिवसीय सावधि रिपो के अंतर्गत उपलब्ध कराई जाने वाली चलनिधि तत्काल प्रभाव से बैंकिंग प्रणाली की निवल मांग और समय देयताओं (एनडीटीएल) के 0.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 0.75 प्रतिशत कर दी जाए और चलनिधि समायोजन सुविधा के तहत ओवरनाइट रिपो के अंतर्गत उपलब्ध कराई जाने वाली चलनिधि बैंक-वार निवल मांग और समय देयताओं के 0.5 प्रतिशत से घटाकर 0.25 प्रतिशत किया जाए। अब मैं इसके औचित्य पर आता हूं। वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद से वर्ष 2013-14 में 5 प्रतिशत से थोड़ा कम से बढ़कर 2014-15 में 5 से 6 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान लगाया गया है, यद्यपि, 5.5 प्रतिशत के केंद्रीय अनुमान में कमी होने का जोखिम है। घरेलू आपूर्ति बाधाओं के सहज होने तथा पहले से मंजूर की गई अवरूद्ध परियोजनाओं के कार्यान्वयन की प्रगति से विकास में योगदान मिलेगा तथा जैसे-जैसे वैश्विक अर्थव्यवस्था गति पकड़ेगी वैसे ही प्रत्याशित निर्यात वृद्धि में मज़बूती आएगी। पूरे वर्ष के लिए चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 2.0 प्रतिशत रहने की संभावना है। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों द्वारा मार्च के दौरान रिज़र्व बैंक को अपनी विदेशी करेंसी देयताओं के भुगतान से निरंतर अंतर्वाहों से आरक्षित निधियों में वृद्धि हुई है। आगे, सब्जियों की कीमतें अपनी मौसमी कमी तक पहुंच गई है तथा इनमें और नरमी की संभावना नहीं है। जनवरी 2015 तक 8 प्रतिशत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति के बारे में हमारे केंद्रीय अनुमान के लिए भी जोखिम हैं। इसमें संभाव्य एल निनो प्रभाव के कारण सामान्य से कम मानसून, कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के निर्धारण पर अनिश्चितता और अन्य प्रशासित कीमतों का निर्धारण, विशेषकर ईंधन, उर्वरक और विद्युत की कीमतें, राजकोषीय नीति का दृष्टिकोण, भू-राजनीतिक गतिविधियां और अंतर्राष्ट्रीय पण्य वस्तुओं की कीमतों पर उनका प्रभाव शामिल हैं। जून-नवंबर 2013 के दौरान उच्च मुद्रास्फीति के मूल प्रभावों के कारण इस वर्ष में बाद में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति पर सांख्यिकीय दबाव होगा। इन मूल प्रभावों सहित किन्ही क्षणिक प्रभावों को देखना महत्वपूर्ण है जिनसे 2014 के दौरान हेडलाइन मुद्रास्फीति में अस्थायी रूप से नरमी या मजबूती आ सकती है। हमारा नीतिगत रूझान आर्थव्यवस्था को अवस्फीतिकारी गिरावट के मार्ग पर रखने का होगा जिसका लक्ष्य जनवरी 2015 में 8 प्रतिशत और जनवरी 2016 तक 6 प्रतिशत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति प्राप्त करने का है। वर्तमान समय में नीति दर को बरकरार रखना उचित होगा और साथ ही सितंबर 2013 से जनवरी 2014 के दौरान दरों में हुई वृद्धि को अवसर देना चाहिए ताकि वे अर्थव्यवस्था में अपने ढंग से कार्य कर सकें। इसके अलावा यदि मुद्रास्फीति अपेक्षित अवनति के मार्ग पर अग्रसर रहती है तो आने वाले समय में नीति को और अधिक सख्त बनाने की अभी प्रत्याशा नहीं है। चलनिधि प्रबंध के लिए ओवरनाइट “गारंटीकृत पहुंच” पर ज़ोर न डालने और क्रमिक रूप से सावधि रिपो के माध्यम से चलनिधि प्रबंध करने के लिए डॉ. उर्जित आर.पटेल समिति की सिफारिशों के अनुसरण में हमने निर्णय लिया है कि चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत ओवरनाइट रिपो की पहुंच को और कम किया जाए जबकि रिज़र्व बैंक से सावधि रिपो के लिए बाज़ार की पहुंच के अनुरूप विस्तार से भरपाई की जाएगी। प्राथमिक उद्देश्य ब्याज दर श्रेणी में नीतिगत प्रभावों के अंतरण में सुधार करना है। विकासात्मक और विनियामक नीतियां हमने रिज़र्व बैंक की विकासात्मक और विनियामक नीतियों में मार्गदर्शन देने हेतु पांच स्तंभ निर्धारित किए हैं। मैं आप सभी को इस नीति वक्तव्य के दूसरे भाग को पढ़ने के लिए आमंत्रित करता हूं जिसमें विकासात्मक और विनियामक उपाय, की गई प्रगति और शुरू किए जा रहे कुछ नए प्रयास दिए गए हैं। मैं इनमें से कुछ पर प्रकाश डालता हूं।
बाज़ार के लिए
समावेशन और ग्राहक संरक्षण के लिए
ग्राहकों की सुरक्षा के लिए अनेक उपायों की परिकल्पना की जा रही है। उदाहरण के लिए,
अंतत: प्रणाली में निराशा के समाधान के लिए
अंतत: आज की मौद्रिक नीति के लिए एकमात्र आश्चर्यजनक बात इसमें आश्चर्य की कमी है। मुझे खुशी है कि वित्तीय बाज़ारों और विश्लेषकों ने यह समझना शुरू कर दिया है कि हम क्या कर रहे हैं। ध्यान देने के लिए धन्यवाद''। अल्पना किल्लावाला प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/1927 |