भारत में स्वर्ण मूल्य और वित्तीय स्थिरता : भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारत में स्वर्ण मूल्य और वित्तीय स्थिरता : भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला
28 फरवरी 2012 भारत में स्वर्ण मूल्य और वित्तीय स्थिरता : भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाईट पर फरवरी 2012 माह के लिए ''भारत में स्वर्ण मूल्य और वित्तीय स्थिरता'' शीर्षक वर्किंग पेपर जारी किया। यह वर्किंग पेपर डॉ. रवी एन.मिश्रा और श्री जगन मोहन द्वारा लिखित है। हाल के महीनों में अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण कीमतों में प्राय: निरंतर वृद्धि हुई है। चूँकि अधिसंख्य बचतकर्ताओं के लिए स्वर्ण बचत का एक अनिवार्य हिस्सा है, इससे यह आशंका हुई है कि क्या स्वर्ण कीमतों में किसी सुधार से वित्तीय बाज़ारों पर अस्थिरता के प्रभाव होंगे। इस पृष्ठभूमि में वर्तमान अध्ययन प्रारंभिक रूप से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण कीमतों के बीच अंतरसहबद्धता और तब पिछले दो दशकों के दौरान अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण कीमतों को प्रभावित करने वाले कारकों में परिवर्तन की प्रकृति की जांच करता है। घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण कीमतों के बीच संपूर्ण रूप से अंतरसहबद्धता के अस्तित्व का अनुभवजन्य मूल्यांकन करते समय पेपर यह निष्कर्ष देता है कि वर्ष 2003 की पहली की अवधि में अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण कीमतों को प्रभावित करने वाले कारकों में एक संरचनात्मक बदलाव हुआ है, अंतर्राष्ट्रीय पण्य कीमतों, अमरीकी विनिमय दर तथा ईक्विटी मूल्यों जैसे पारंपरिक कारकों के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण कीमतों में अल्पावधि उतार-चढ़ाव हुए हैं। वर्ष 2003 के बाद यही प्रभाव व्यापक रूप से अमरीकी विनिमय दर में अस्थिरता के कारण तथा कुछ नरम रूप से ईक्विटी मूल्यों में अस्थिरता के कारण हुए हैं। इन अनुभवजन्य साक्ष्यों के आधार पर लेखकों ने वित्तीय स्थिरता सूचकांक पर स्वर्ण कीमतों में सुधार के प्रभाव का अध्ययन किया है। उनका निष्कर्ष यह है कि भारतीय वित्तीय बाज़ारों पर स्वर्ण कीमतों में किसी सुधार के प्रभाव नगण्य होने संभावित है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने अप्रैल 2011 में रिज़र्व बैंक के स्टाफ को अपने अनुसंधान अध्ययन को प्रस्तुत करने के साथ-साथ जानकार अनुसंधानकर्ताओं से प्रतिसूचना प्राप्त करने के लिए एक मंच उपलब्ध कराने हेतु 'भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखलाएं' (आरबीआइ-डब्ल्यूपी) लागू किया था। भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखलाओं सहित रिज़र्व बैंक के सभी अनुसंधान प्रकाशनों में व्यक्त किए गए विचार आवश्यक रूप से रिज़र्व बैंक के विचारों को नहीं दर्शाते हैं अत: इन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व करने वाले रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। इन पेपरों पर प्रतिसूचना, यदि हो तो उसे अनुसंधान अध्ययनों के संबंधित लेखकों को भेजा जा सकता है। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/1378 |