गवर्नर का वक्तव्य: 6 अगस्त 2025 - आरबीआई - Reserve Bank of India
गवर्नर का वक्तव्य: 6 अगस्त 2025
नमस्कार, रक्षाबंधन, स्वतंत्रता दिवस, जन्माष्टमी, पारसी नववर्ष और गणेश चतुर्थी के इस माह में सभी को बधाई। यह पवित्र और शुभ माह हम सभी के लिए और हमारी अर्थव्यवस्था के लिए सौभाग्य लेकर आए। मानसून का मौसम अच्छा चल रहा है। हम त्योहारों के मौसम के भी करीब पहुँच रहे हैं, जो आमतौर पर आर्थिक गतिविधियों में अधिक उत्साह और उछाल लाता है। यह अनुकूल घरेलू माहौल, सरकार और रिज़र्व बैंक की अनुकूल नीतियों के साथ, निकट भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत है, क्योंकि भू-राजनीतिक अनिश्चितताएँ कुछ हद तक कम हुई हैं, तथापि वैश्विक व्यापार संबंधी चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। मध्यम अवधि में भी, बदलती विश्व व्यवस्था में भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी अंतर्निहित शक्ति, मज़बूत बुनियादी ढाँचे और आरामदायक बफर के समर्थन से उज्ज्वल संभावनाओं से युक्त है। अवसर मौजूद हैं, और हम नीति-निर्माण के बहु-आयामी किन्तु सुसंगत दृष्टिकोण के माध्यम से अनुकूल परिस्थितियाँ बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। 2. वैश्विक स्तर पर, नीति निर्माताओं को धीमी संवृद्धि और अवस्फीति की धीमी होती गति का सामना करना पड़ रहा है, साथ ही कुछ उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में तो मुद्रास्फीति में भी वृद्धि देखी जा रही है। जैसे-जैसे स्थिति स्थिर होती जाएगी और नई वैश्विक व्यवस्था में एक नया संतुलन उभरेगा, नीति निर्माताओं के लिए धीमी संवृद्धि, अड़ियल मुद्रास्फीति और बढ़े हुए सार्वजनिक ऋण स्तरों वाले विश्व में आगे बढ़ना एक कठिन कार्य होगा। 3. रिज़र्व बैंक में, मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय कमी से उत्पन्न हुई गुंजाइश का लाभ उठाते हुए, हमने संवृद्धि को बढ़ावा देने के लिए निर्णायक और दूरदर्शी उपाय किए हैं। हमारे पास उपलब्ध विभिन्न साधनों के समन्वित उपयोग से वर्तमान नरमी के चक्र में मौद्रिक नीति संचरण में तेज़ी लाने में मदद मिली है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के निर्णय 4. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 4, 5 और 6 अगस्त को हुई जिसमें नीतिगत रेपो दर पर विचार-विमर्श और निर्णय लिया गया। उभरते समष्टि आर्थिक और वित्तीय गतिविधियों तथा संभावना का विस्तृत आकलन करने के बाद, एमपीसी ने सर्वसम्मति से चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत नीतिगत रेपो दर को 5.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया; परिणामस्वरूप, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 5.25 प्रतिशत पर तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर तथा बैंक दर 5.75 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रहेंगी। एमपीसी ने तटस्थ रुख बनाए रखने का भी निर्णय लिया। 5. एमपीसी ने कहा कि, यद्यपि हेडलाइन मुद्रास्फीति पहले के अनुमान से काफी कम है, लेकिन इसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों, विशेषतया सब्जियों की कीमतों में उतार-चढ़ाव है। दूसरी ओर, मूल मुद्रास्फीति, जैसा कि अनुमान था, 4 प्रतिशत के आसपास स्थिर बनी हुई है। इस वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही से मुद्रास्फीति में वृद्धि का अनुमान है। संवृद्धि मजबूत है और पहले के अनुमानों के अनुसार है, तथापि हमारी आकांक्षाओं से कम है। प्रशुल्क (टैरिफ) की अनिश्चितताएँ अभी भी विकसित हो रही हैं। मौद्रिक नीति संचरण अभी भी जारी है। फरवरी 2025 से 100 आधार अंकों की दर कटौती का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव अभी भी सामने आ रहा है। 6. अतः, कुल मिलाकर, वर्तमान समष्टि आर्थिक परिस्थितियाँ, संभावनाएं और अनिश्चितताएँ, 5.5 प्रतिशत की नीतिगत रेपो दर को जारी रखने और ब्याज दरों में की गई अग्रिम कटौती का ऋण बाज़ारों और व्यापक अर्थव्यवस्था तक आगे संचरण का इंतज़ार करने की माँग करती हैं। तदनुसार, एमपीसी ने सर्वसम्मति से रेपो दर को अपरिवर्तित रखने के लिए वोट किया। एमपीसी ने उपयुक्त मौद्रिक नीति मार्ग निर्धारित करने के लिए आने वाले आँकड़ों और उभरती घरेलू संवृद्धि-मुद्रास्फीति गतिकी पर कड़ी निगरानी रखने का भी संकल्प लिया। तदनुसार, सभी सदस्यों ने तटस्थ रुख बनाए रखने का निर्णय लिया। संवृद्धि और मुद्रास्फीति का आकलन संवृद्धि 7. घरेलू संवृद्धि स्थिर है और व्यापक तौर पर हमारे आकलन के अनुरूप ही विकसित हो रही है, तथापि कुछ उच्च-आवृत्ति संकेतकों ने मई-जून में मिश्रित संकेत दिए हैं। ग्रामीण उपभोग सुदृढ़1 बना हुआ है, जबकि शहरी उपभोग में बहाली, विशेष रूप से विवेकाधीन व्यय, मंद2 है। सरकारी पूंजीगत व्यय में तेजी से समर्थित स्थिर निवेश3, आर्थिक गतिविधियों को समर्थन दे रहा है। 8. आपूर्ति पक्ष पर, स्थिर दक्षिण-पश्चिम मानसून4 खरीफ की बुवाई5 को बढ़ावा दे रहा है, जलाशयों के स्तर6 को फिर से भर रहा है और कृषि गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है। इसके अलावा, सेवा गतिविधियाँ स्थिर बनी हुई हैं, तथापि कुछ उच्च-आवृत्ति संकेतकों में मामूली वृद्धि दर्ज की गई है।7 सेवा पीएमआई8 जुलाई 2025 में बढ़कर 11 महीने के उच्चतम स्तर 60.5 पर पहुँच गई। निर्माण गतिविधि में सुदृढ़ता जारी है।9 तथापि, विद्युत और खनन के कारण औद्योगिक क्षेत्र में वृद्धि धीमी और असमान रही।10 जबकि विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई)11 पहली तिमाही में उच्च रहा, वहीं औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी)12 में नरमी देखी गई। 9. संवृद्धि की संभावना के संबंध में सामान्य से बेहतर दक्षिण-पश्चिम मानसून, न्यूनतर मुद्रास्फीति, बढ़ता क्षमता उपयोग और अनुकूल वित्तीय परिस्थितियाँ, घरेलू आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रही हैं। मज़बूत सरकारी पूंजीगत व्यय13 सहित अनुकूल मौद्रिक, विनियामक और राजकोषीय नीतियों से भी माँग में वृद्धि होनी चाहिए। निर्माण और व्यापार क्षेत्रों में निरंतर वृद्धि के साथ, आने वाले महीनों में सेवा क्षेत्र में भी तेजी बनी रहने की आशा है। तथापि, चल रही टैरिफ घोषणाओं और व्यापार वार्ताओं के बीच, बाह्य माँग की संभावनाएँ अनिश्चित बनी हुई हैं। लंबे समय से चले आ रहे भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक अनिश्चितताओं और वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियाँ संवृद्धि की संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न करती हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2025-26 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो पहली तिमाही में 6.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.7 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 6.3 प्रतिशत रहेगी। 2026-27 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं। मुद्रास्फ़ीति 10. सीपीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति लगातार आठवें महीने घटकर जून में 77 महीने के निचले स्तर 2.1 प्रतिशत पर आ गई।14 यह मुख्य रूप से खाद्य मुद्रास्फीति में तेज गिरावट के कारण हुआ, जिसका नेतृत्व बेहतर कृषि गतिविधि और विभिन्न आपूर्ति पक्ष उपायों ने किया। खाद्य मुद्रास्फीति ने फरवरी 2019 के बाद से जून में (-) 0.2 प्रतिशत पर अपना पहला नकारात्मक प्रिंट दर्ज किया। सब्जियों और दालों में दोहरे अंकों की अपस्फीति ने इस संकुचन को बढ़ावा दिया।15 उच्च आवृत्ति वाले मूल्य संकेतक जुलाई में भी खाद्य कीमतों में कम मूल्य गति जारी रहने का संकेत देते हैं। ईंधन समूह की मुद्रास्फीति जून में लगातार दो महीनों में घटकर 2.6 प्रतिशत दर्ज की गई।16 मूल मुद्रास्फीति17, जो फरवरी-मई के दौरान 4.1-4.2 प्रतिशत की सीमित दायरे के भीतर रही, जून में बढ़कर 4.4 प्रतिशत हो गई, जिसका आंशिक कारण स्वर्ण की कीमतों में निरंतर वृद्धि थी। 11. 2025-26 के लिए मुद्रास्फीति की संभावना जून में अपेक्षा से अधिक सौम्य हो गई है। दक्षिण-पश्चिम मानसून की स्थिर प्रगति, मजबूत खरीफ बुवाई, पर्याप्त जलाशय स्तर और खाद्यान्नों के पर्याप्त बफर भंडार18 के साथ बड़े अनुकूल आधार प्रभावों ने इस नरमी में योगदान दिया है। तथापि, प्रतिकूल आधार प्रभावों और नीतिगत कार्रवाइयों से उत्पन्न मांग पक्ष कारकों के प्रभाव में आने के कारण, सीपीआई मुद्रास्फीति 2025-26 की चौथी तिमाही और उसके बाद 4 प्रतिशत से ऊपर जाने की संभावना है। इनपुट कीमतों पर किसी भी बड़े नकारात्मक आघात को छोड़कर, मूल मुद्रास्फीति वर्ष के दौरान 4 प्रतिशत से थोड़ा ऊपर रहने की संभावना है। मौसम संबंधी आघात मुद्रास्फीति की संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न करते हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2025-26 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति अब 3.1 प्रतिशत अनुमानित है, जो दूसरी तिमाही में 2.1 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 3.1 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.4 प्रतिशत रहेगी। 2026-27 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.9 प्रतिशत अनुमानित है (चार्ट 2)। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं। बाह्य क्षेत्र 12. भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) 2023-24 में जीडीपी के 0.7 प्रतिशत से घटकर 2024-25 में जीडीपी का 0.6 प्रतिशत रह गया, जिसका कारण उच्च पण्य व्यापार घाटे के बावजूद मज़बूत सेवा निर्यात और मज़बूत विप्रेषण प्राप्तियाँ रहीं। 2025-26 की पहली तिमाही में पण्य व्यापार घाटा और बढ़ गया। विश्व सेवा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 2005 के लगभग 2 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 4.3 प्रतिशत हो गई है, जो मज़बूत सॉफ़्टवेयर और व्यावसायिक सेवाओं के निर्यात के कारण है। मज़बूत सेवा निर्यात19 और मज़बूत विप्रेषण प्राप्तियों से चालू वित्त वर्ष के दौरान चालू खाता घाटा (सीएडी) के धारणीय स्तर पर बने रहने की आशा है। 13. बाह्य वित्तपोषण के संदर्भ में, भारत में सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) अप्रैल-मई 2025-26 के दौरान मज़बूत रहा। तथापि, इस अवधि के दौरान अधिक जावक एफ़डीआई के कारण निवल एफ़डीआई में कमी आई।20 ईएमई में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफ़पीआई) का अंतर्वाह मई और जून 2025 में मज़बूत बना रहा।21 तथापि, ऋण क्षेत्र में बहिर्वाह के कारण 2025-26 में अब तक (अप्रैल-31 जुलाई) भारत में निवल एफ़पीआई का बहिर्वाह 0.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर दर्ज किया गया है।22 दूसरी ओर, बाह्य वाणिज्यिक उधारों में पिछले वर्ष की तुलना में अधिक निवल अंतर्वाह देखा गया। अनिवासी जमाओं के अंतर्गत अंतर्वाह भी सकारात्मक रहा, तथापि इसमें कुछ कमी देखी गई।23 1 अगस्त 2025 तक, भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि 688.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर थीं, जो 11 महीने से अधिक के पण्य आयात को पूरा करने के लिए पर्याप्त थीं।24 कुल मिलाकर, भारत का बाह्य क्षेत्र आघात-सह बना हुआ है।25 हमें अपनी बाह्य वित्तपोषण आवश्यकताओं को आसानी से पूरा करने का विश्वास है। चलनिधि और वित्तीय बाजार की स्थिति 14. प्रणालीगत चलनिधि, जैसा कि चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ़) के अंतर्गत निवल स्थिति द्वारा मापा जाता है, पिछली एमपीसी के बाद से औसतन ₹3.0 लाख करोड़ प्रतिदिन के हिसाब से अधिशेष में रही है, जबकि पिछले दो महीनों के दौरान औसत दैनिक अधिशेष ₹1.6 लाख करोड़ था।26 आगे बढ़ते हुए, जैसे ही पिछली नीति में घोषित सीआरआर कटौती सितंबर से चरणबद्ध तरीके से लागू होगी, यह चलनिधि की स्थिति को और मजबूत करेगी। 15. बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त चलनिधि ने मौजूदा नरमी चक्र के दौरान नीतिगत रेपो दर में कटौती का मुद्रा27, बॉण्ड28 और ऋण बाजारों तक संचरण को सुदृढ़ किया है। ऋण बाजार में, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की भारित औसत उधार दर (डब्ल्यूएएलआर) में नए रुपया ऋणों के लिए 71 आधार अंकों की गिरावट आई है (जिसमें से 55 आधार अंकों की गिरावट ब्याज दर में कमी के कारण है) और फरवरी 2025 से जून 2025 तक बकाया रुपया ऋणों के लिए 39 आधार अंकों की गिरावट आई है। जमा पक्ष पर, इसी अवधि के दौरान नई जमाराशियों पर भारित औसत घरेलू मीयादी जमा दर (डब्ल्यूएडीटीडीआर) में 87 आधार अंकों की कमी आई है। इसके अलावा, उधार दरों में संचरण सभी क्षेत्रों में व्यापक रहा है। 16. आगे भी, रिज़र्व बैंक अपने चलनिधि प्रबंधन में चुस्त और लचीला बना रहेगा। हम बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त चलनिधि बनाए रखने का प्रयास करेंगे ताकि अर्थव्यवस्था की उत्पादक आवश्यकताएँ पूरी हो सकें और मुद्रा बाज़ारों और ऋण बाज़ारों में संचरण सुचारू रहे। 17. एक आंतरिक कार्य दल ने रिज़र्व बैंक के मौजूदा चलनिधि प्रबंधन ढांचे (एलएमएफ) की समीक्षा की है, जो फरवरी 2020 से लागू है। दल ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है और इसे सार्वजनिक परामर्श के लिए शीघ्र ही आरबीआई की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। भारित औसत मांग दर (डबल्यूएसीआर) संपार्श्विक खंडों में अन्य एक दिवसीय मुद्रा बाज़ार दरों (टीआरईपीएस और बाज़ार रेपो) के साथ अत्यधिक सहसंबद्ध पाई गई है। इसके अलावा, डबल्यूएसीआर को विभिन्न परिपक्वताओं में अन्य मुद्रा बाज़ार लिखतों को संकेत प्रेषित करने में भी प्रभावी पाया गया है। अतः, दल ने मौद्रिक नीति के परिचालन लक्ष्य के रूप में एक दिवसीय डब्ल्यूएसीआर को जारी रखने की सिफारिश की है। दल ने अन्य बातों के साथ-साथ, नीतिगत दर पर परिचालन लक्ष्य दर को बनाए रखने के उद्देश्य से विभिन्न अवधियों के रेपो और रिवर्स रेपो परिचालनों के लिए परिवर्तनीय दर नीलामी तंत्र को जारी रखने की भी सिफारिश की है। वित्तीय स्थिरता 18. अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की पूंजी पर्याप्तता, चलनिधि, परिसंपत्ति गुणवत्ता और लाभप्रदता से संबंधित प्रणाली-स्तरीय वित्तीय मानदंड स्वस्थ बने हुए हैं।29 जून 2025 के अंत में बैंकिंग प्रणाली के लिए ऋण जमा अनुपात (सीडी अनुपात) 78.9 प्रतिशत था, जो मोटे तौर पर एक वर्ष पहले के समान ही था। इसी प्रकार, एनबीएफसी के प्रणाली-स्तरीय मानदंड भी सुदृढ़ हैं, जिनमें पर्याप्त पूँजी स्थिति और बेहतर जीएनपीए अनुपात शामिल हैं।30 19. 2024-25 के दौरान बैंक ऋण में 12.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हालाँकि यह 2023-24 की 16.3 प्रतिशत की वृद्धि दर से धीमी है, लेकिन यह 2024-25 से पहले की दस वर्षों की अवधि में दर्ज की गई 10.3 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर से अधिक है। इसके अलावा, जबकि वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान गैर-खाद्य बैंक ऋण का प्रवाह ₹21.4 लाख करोड़ से लगभग ₹3.4 लाख करोड़ घटकर लगभग ₹18 लाख करोड़ हो गया, गैर-बैंक स्रोतों से प्रवाह ने इस कमी की भरपाई कर दी।31 इस प्रकार, भले ही पिछले वर्ष बैंक ऋण की संवृद्धि दर धीमी रही, लेकिन वाणिज्यिक क्षेत्र को वित्तीय संसाधनों का समग्र प्रवाह 2023-24 में ₹33.9 लाख करोड़ से बढ़कर 2024-25 में ₹34.8 लाख करोड़ हो गया। यह प्रवृत्ति चालू वित्त वर्ष में भी जारी है।32 चूंकि मुद्रा बाजारों में संचरण तेजी से हुआ है, इसलिए बड़े निगमों ने धन जुटाने के लिए वाणिज्यिक पत्र और कॉर्पोरेट बांड जैसे बाजार-आधारित लिखतों पर अधिक भरोसा किया है, जिससे बैंक ऋण पर उनकी निर्भरता कम हो गई है।33 साथ ही, जैसे-जैसे बड़े निगमों की लाभप्रदता बढ़ी है, उनके आंतरिक संसाधन व्यवसाय विस्तार के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गए हैं। अतिरिक्त उपाय 20. अपनी बात समाप्त करने से पहले, मैं यह रेखांकित करना चाहता हूँ कि आरबीआई के लिए, भारत के नागरिकों का हित और कल्याण सर्वोपरि है। भारत के लोग, जिनमें समाज के सबसे निचले तबके के लोग भी शामिल हैं, ही हमारे अस्तित्व का आधार हैं। इस संबंध में, मैं उपभोक्ता-केंद्रित तीन घोषणाएँ करना चाहता हूँ। 21. पहला, जन-धन योजना के 10 वर्ष पूरे होने पर, बड़ी संख्या में खातों की पुनः-केवाईसी की आवश्यकता हो गई है। बैंक ग्राहकों के घर-द्वार पर सेवाएँ प्रदान करने के प्रयास में 1 जुलाई से 30 सितंबर तक पंचायत स्तर पर शिविर आयोजित कर रहे हैं। नए बैंक खाते खोलने और पुनः-केवाईसी के अलावा, शिविरों में वित्तीय समावेशन और ग्राहक शिकायत निवारण के लिए सूक्ष्म बीमा और पेंशन योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। 22. दूसरा, हम बैंक खातों तथा मृत बैंक ग्राहकों के सुरक्षित अभिरक्षा या सुरक्षित जमा लॉकरों में रखी वस्तुओं के संबंध में दावों के निपटान की प्रक्रिया को मानकीकृत करेंगे। इससे निपटान अधिक सुविधाजनक और सरल हो जाने की आशा है। 23. तीसरा, हम आरबीआई रिटेल-डायरेक्ट प्लेटफॉर्म की कार्यक्षमता का विस्तार कर रहे हैं ताकि खुदरा निवेशक व्यवस्थित निवेश योजनाओं के माध्यम से खजाना बिलों में निवेश कर सकें। समापन टिप्पणी 24. अब मैं अपनी अंतिम टिप्पणी करता हूँ। चुनौतीपूर्ण बाह्य परिवेश के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था मूल्य स्थिरता के साथ स्थिर संवृद्धि पथ पर अग्रसर है। मौद्रिक नीति ने मूल्य स्थिरता के प्राथमिक उद्देश्य से समझौता किए बिना संवृद्धि को समर्थन देने के लिए सौम्य मुद्रास्फीति परिदृश्य द्वारा सृजित नीतिगत गुंजाइश का उचित उपयोग किया है। हमारी हालिया नीतिगत कार्रवाइयों का व्यापक अर्थव्यवस्था में प्रसारण अभी जारी है। 25. चूंकि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपना उचित स्थान प्राप्त करने का प्रयास कर रही है, इसलिए सभी क्षेत्रों में मजबूत नीतिगत ढांचे, न केवल मौद्रिक नीति तक सीमित है, बल्कि इसकी यात्रा में महत्वपूर्ण होंगे। हम, अपनी ओर से, आने वाले आंकड़ों और संवृद्धि-मुद्रास्फीति गतिशीलता के विकास के आधार पर सुविधाजनक मौद्रिक नीति प्रदान करने में चुस्त और सक्रिय बने रहेंगे। हमेशा की तरह, हमारे पास स्पष्ट, सुसंगत और विश्वसनीय संचार होगा जो कार्य के लिए आवश्यक कार्यों पर आधारित होगा। धन्यवाद। नमस्कार और जय हिन्द। (पुनीत पंचोली) प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/842 1 2025-26 की पहली तिमाही के दौरान ट्रैक्टर की बिक्री और खुदरा दोपहिया वाहनों की बिक्री में क्रमशः 9.2 प्रतिशत और 4.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। 2 नीलसनआईक्यू रिटेल ऑडिट सेवा के अनुसार, 2025-26 की पहली तिमाही के दौरान एफएमसीजी की बिक्री में 6.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में क्रमशः 8.4 प्रतिशत और 4.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। पहली तिमाही के दौरान यात्री वाहनों की खुदरा बिक्री में 3.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई और इस अवधि के दौरान घरेलू हवाई यात्री यातायात में 5.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 3 केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय में 2025-26 की पहली तिमाही के दौरान 52.0 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की मजबूत वृद्धि हुई। पूंजीगत वस्तुओं के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में 10.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई और पूंजीगत वस्तुओं के आयात में 2025-26 की पहली तिमाही में 12.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 4 4 अगस्त 2025 तक संचयी दक्षिण-पश्चिम मानसून (एसडब्ल्यूएम) वर्षा दीर्घावधि औसत (एलपीए) से 4 प्रतिशत अधिक है। 5 1 अगस्त 2025 तक खरीफ फसलों के अंतर्गत बोया गया क्षेत्रफल पिछले वर्ष के इसी क्षेत्रफल से 5.1 प्रतिशत अधिक है। 6 31 जुलाई 2025 तक जलाशय का स्तर पूर्ण क्षमता के 69 प्रतिशत पर था, जो पिछले वर्ष के स्तर के साथ-साथ दशकीय औसत 46 प्रतिशत से भी अधिक था। 7 जून 2025 में ई-वे बिल में 19.3 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि हुई और जून-जुलाई 2025 में टोल संग्रह में 15.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। मई में 16.4 प्रतिशत की वृद्धि के बाद, जून-जुलाई 2025 में सकल जीएसटी संग्रह में 6.9 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई। घरेलू हवाई माल ढुलाई में जून 2025 में 2.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई; बंदरगाह माल ढुलाई में 2025-26 की पहली तिमाही में 5.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई; वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में पहली तिमाही में 0.6 प्रतिशत की गिरावट आई। 8 पीएमआई सेवाएं मई के 58.8 से बढ़कर जून 2025 में 60.4 और जुलाई में 60.5 हो गई। 9 2025-26 की पहली तिमाही में इस्पात की खपत में 7.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई तथा इस अवधि के दौरान सीमेंट उत्पादन में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। 10 2025-26 की पहली तिमाही के दौरान खनन और विद्युत उत्पादन में क्रमशः 3.0 प्रतिशत और 1.9 प्रतिशत की गिरावट आई। 11 विनिर्माण पीएमआई जुलाई 2025 में 16 महीने के उच्चतम स्तर 59.1 पर पहुंच गई, जो विनिर्माण क्षेत्र में मजबूत गति का संकेत है। 12 2025-26 की पहली तिमाही के दौरान विनिर्माण आईआईपी में 3.4 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की गई। 13 केंद्रीय बजट 2025-26 के अनुसार, केंद्र सरकार के प्रभावी पूंजीगत व्यय (पूंजीगत आस्तियों के निर्माण के लिए अनुदान सहायता सहित) में 17.4 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। 14 सीपीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति अप्रैल के 3.2 प्रतिशत से घटकर जून 2025 में 2.1 प्रतिशत (जनवरी 2019 के बाद सबसे कम) हो गई, जिसमें लगभग 110 आधार अंकों की संचयी गिरावट देखी गई। यह कमी मुख्य रूप से सब्जियों, दालों और अनाज की कीमतों में और गिरावट के कारण आई, जिसके परिणामस्वरूप सीपीआई खाद्य समूह में फरवरी 2019 के बाद पहली बार जून में (-)0.2 प्रतिशत अपस्फीति दर्ज की गई। ईंधन समूह की मुद्रास्फीति भी अप्रैल के 2.9 प्रतिशत से घटकर जून में 2.6 प्रतिशत हो गई। तथापि, मूल मुद्रास्फीति, फरवरी से मई के दौरान 4.1 से 4.2 प्रतिशत के बीच व्यापक तौर पर स्थिर रहने के बाद, जून 2025 में बढ़कर 4.4 प्रतिशत हो गई। 15 जून 2025 में सब्जियों की कीमतों में 19.0 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि दालों की कीमतों में 11.8 प्रतिशत की गिरावट आई। 16 ईंधन समूह की मुद्रास्फीति भी अप्रैल के 2.9 प्रतिशत से घटकर जून में 2.6 प्रतिशत रह गई। 17 खाद्य एवं ईंधन को छोड़कर सीपीआई हेडलाइन। 18 16 जुलाई 2025 तक, भारतीय खाद्य निगम के पास गेहूं का भंडार बफर मानदंडों से 1.3 गुना (पिछले 4 वर्षों में सर्वाधिक भंडार) तथा चावल का भंडार बफर मानदंडों से 3.9 गुना है। 19 अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-जून 2025-26 के दौरान भारत का सेवा निर्यात 10.1 प्रतिशत बढ़ा, जबकि इसी अवधि में सेवा आयात में 1.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसी अवधि में निवल सेवा निर्यात में 20.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 20 सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) अंतर्वाह अप्रैल-मई 2025-26 में 5 प्रतिशत बढ़कर 15.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो एक वर्ष पूर्व इसी अवधि में 15.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। निवल एफडीआई अंतर्वाह अप्रैल-मई 2025-26 में 2.2 प्रतिशत घटकर 3.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया, जो एक वर्ष पूर्व इसी अवधि में 4.0 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। 21 जून 2025 के दौरान ईएमई में निवल पोर्टफोलियो अंतर्वाह 42.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जबकि मई 2025 में यह 16.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर था (स्रोत: अंतर्राष्ट्रीय वित्त संस्थान)। 22 अप्रैल-जुलाई 2025 के दौरान इक्विटी खंड में 2.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवल अंतर्वाह हुआ, जबकि ऋण खंड में 3.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवल बहिर्वाह हुआ। 23 भारत में बाह्य वाणिज्यिक उधारों के अंतर्गत निवल अंतर्वाह अप्रैल-जून 2025-26 के दौरान बढ़कर 3.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि एक वर्ष पूर्व यह 1.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। अनिवासी जमाओं में अप्रैल-मई 2025-26 के दौरान 1.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवल अंतर्वाह दर्ज किया गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 2.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से कम है। 24 चार तिमाहियों की अवधि (2024-25 की पहली तिमाही से 2024-25 की चौथी तिमाही) के दौरान वास्तविक पण्य आयात (बीओपी आधार पर) और मार्च 2025 के अंत तक कुल बाह्य ऋण के लगभग 94 प्रतिशत के आधार पर। 25 भारत का जीडीपी की तुलना में चालू खाता घाटा अनुपात 2023-24 के 0.7 प्रतिशत से घटकर 2024-25 में 0.6 प्रतिशत रह गया। भारत का जीडीपी की तुलना में बाह्य ऋण अनुपात मार्च 2024 के अंत में 18.5 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2025 के अंत में 19.1 प्रतिशत हो गया। इसी अवधि के दौरान जीडीपी की तुलना में निवल अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति अनुपात (-) 10.1 प्रतिशत से बढ़कर (-) 8.7 प्रतिशत हो गया। 26 अप्रैल और मई के दौरान चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत औसत दैनिक निवल अवशोषण क्रमशः ₹1.5 लाख करोड़ और ₹1.8 लाख करोड़ रहा। एलएएफ के अंतर्गत औसत दैनिक निवल अवशोषण जून 2025 में बढ़कर ₹2.82 लाख करोड़ और जुलाई 2025 में ₹3.12 लाख करोड़ हो गया। एसडीएफ के अंतर्गत दैनिक औसत अवशोषण अप्रैल-मई 2025 के ₹2.06 लाख करोड़ से बढ़कर जून-जुलाई के दौरान ₹2.17 लाख करोड़ हो गया। 27 मौजूदा नरमी चक्र (4 अगस्त तक) में संचयी नीतिगत रेपो दर में 100 आधार अंकों (बीपीएस) की कटौती के सापेक्ष, डब्ल्यूएसीआर में 108 बीपीएस की कमी आई। फरवरी की नीति के बाद से, 3-माह के खजाना बिल दर में 110 बीपीएस, एनबीएफसी द्वारा जारी 3-माह के सीपी में 161 बीपीएस और 3-माह के सीडी दर में 170 बीपीएस की गिरावट आई है। 28 फरवरी की नीति के बाद से, 5-वर्षीय और 10-वर्षीय सरकारी प्रतिभूतियों (6.79 जीएस बेंचमार्क) पर प्रतिफल में क्रमशः 63 आधार अंक और 28 आधार अंक की गिरावट आई है। इसी अवधि में, 5-वर्षीय एएए कॉर्पोरेट बॉण्ड प्रतिफल में 56 आधार अंकों की गिरावट आई है। इस अवधि के दौरान, भारतीय बॉण्ड बाजार वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले बाजारों में से एक रहा। 29 एससीबी मानदंड: जून 24 और जून 25 के बीच बकाया ऋण और जमा में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर क्रमशः 9.9 प्रतिशत और 10.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। जून 2025 में प्रणाली-स्तरीय जोखिम भारित आस्तियों की तुलना में पूंजी अनुपात (सीआरएआर) 17.44 प्रतिशत था, जो विनियामक न्यूनतम स्तर से काफी ऊपर था। गैर-निष्पादित ऋणों के अनुपात में और सुधार हुआ (जून 2025 में जीएनपीए अनुपात 2.24 प्रतिशत जबकि जून 2024 में 2.67 प्रतिशत, जून 2025 में एनएनपीए अनुपात 0.53 प्रतिशत जबकि जून 2024 में 0.60 प्रतिशत)। जून 2025 के अंत तक 132.80 प्रतिशत के एलसीआर के साथ चलनिधि बफर मजबूत था। जून 2025 में वार्षिक आस्तियों पर प्रतिलाभ (आरओए) और इक्विटी पर प्रतिलाभ (आरओई) क्रमशः 1.34 प्रतिशत और 12.70 प्रतिशत रहा। जून 2025 के लिए शुद्ध ब्याज मार्जिन 3.24 प्रतिशत (जून 2024 में 3.54 प्रतिशत) था। 30 एनबीएफसी मानदंड: जून 2025 में एनबीएफसी का कुल सीआरएआर 25.78 प्रतिशत और टियर I सीआरएआर 23.83 प्रतिशत था, जो न्यूनतम विनियामक आवश्यकताओं से काफी ऊपर था। जीएनपीए अनुपात जून 2024 में 2.47 प्रतिशत से बढ़कर जून 2025 में 2.21 प्रतिशत हो गया है, जबकि एनएनपीए अनुपात भी जून 2024 में 1.08 प्रतिशत से बढ़कर जून 2025 में 0.95 प्रतिशत हो गया है। इस क्षेत्र के लिए आरओए जून 2024 में 3.23 प्रतिशत से थोड़ा कम होकर जून 2025 में 3.11 प्रतिशत हो गया है। एनआईएम जून 2024 में 4.82% से थोड़ा कम होकर जून 2025 में 4.40% हो गया है। 31 गैर-बैंकों (घरेलू और विदेशी स्रोतों सहित) से संसाधनों का कुल प्रवाह 2023-24 में ₹12.5 लाख करोड़ से ₹4.3 लाख करोड़ बढ़कर 2024-25 में ₹16.8 लाख करोड़ हो गया। 32 11 जुलाई 2025 तक बैंक ऋण में 9.8 प्रतिशत की वृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) दर्ज की गई, जबकि एक वर्ष पहले यह वृद्धि 14.0 प्रतिशत थी। बैंक ऋण में मंदी के बावजूद, वित्तीय संसाधनों का कुल प्रवाह अप्रैल-जुलाई 2025-26 के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में लगभग समान स्तर पर बना रहा। 33 गैर-वित्तीय संस्थाओं द्वारा जारी किए गए वाणिज्यिक पत्र, वित्त वर्ष 2025-26 (जून तक) में बढ़कर 0.78 लाख करोड़ हो गए, जबकि एक वर्ष पहले यह 0.30 लाख करोड़ था। गैर-वित्तीय संस्थाओं द्वारा जारी कॉर्पोरेट बांड एक वर्ष पहले के 0.09 लाख करोड़ की तुलना में वित्त वर्ष 2025-26 (जून तक) में बढ़कर 0.95 लाख करोड़ हो गए। |