केंद्रीय बोर्ड द्वारा अनुमोदित भारतीय रिज़र्व बैंक के संशोधित आर्थिक पूंजी ढांचे की मुख्य बातें - आरबीआई - Reserve Bank of India
केंद्रीय बोर्ड द्वारा अनुमोदित भारतीय रिज़र्व बैंक के संशोधित आर्थिक पूंजी ढांचे की मुख्य बातें
26 अगस्त 2019 को आयोजित अपनी 578वीं बैठक में, केंद्रीय बोर्ड ने भारतीय रिज़र्व बैंक के मौजूदा आर्थिक पूंजी ढांचे की समीक्षा करने के लिए विशेषज्ञ समिति (अध्यक्ष: डॉ. बिमल जालान) की सिफारिशों के आधार पर आर्थिक पूंजी ढांचे को अपनाया था। विशेषज्ञ समिति ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह सिफारिश की थी कि इस ढांचे की समीक्षा हर पाँच वर्ष में की जा सकती है। 2. विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के अनुरूप, बैंक ने मौजूदा ईसीएफ के परिचालन से प्राप्त अनुभव, बाह्य परिचालन वातावरण में विकास और रिज़र्व बैंक की आस्ति प्रोफ़ाइल में परिवर्तन के आधार पर ढांचे की आंतरिक समीक्षा की। समीक्षा के परिणाम पर केंद्रीय बोर्ड ने 15 मई 2025 को आयोजित अपनी बैठक में विचार किया और एक संशोधित ढांचे को अनुमोदन प्रदान किया। 3. केंद्रीय बोर्ड ने पाया कि मौजूदा ईसीएफ ने सरकार को अधिशेष का मजबूत अंतरण बनाए रखते हुए, आरबीआई के लिए एक आघात-सहनीय तुलन-पत्र सुनिश्चित करने के अपने उद्देश्य को पूरा किया है। तदनुसार, जोखिम मूल्यांकन पद्धतियों में कोई बड़ा बदलाव न करते हुए मौजूदा ईसीएफ में अंतर्निहित व्यापक सिद्धांतों को बनाए रखने का निर्णय लिया गया। तथापि, रिज़र्व बैंक के तुलन-पत्र के लिए किसी भी उभरते जोखिम के साथ बेहतर तालमेल के लिए ढांचे को और मजबूत करने के उद्देश्य से कतिपय बदलाव किए गए हैं। संशोधित ईसीएफ, मौजूदा समष्टि आर्थिक और अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए जोखिम बफर के रखरखाव में केंद्रीय बोर्ड को वर्ष-दर-वर्ष अपेक्षित लचीलापन प्रदान करता है, और साथ ही सरकार को अधिशेष अंतरण की आवश्यक अंतर-कालिक सुगमता भी सुनिश्चित करता है। 4. जोखिम प्रावधानीकरण और अधिशेष वितरण के संबंध में ईसीएफ में बड़े बदलाव ए. बाजार जोखिम के संबंध में ए1. बाजार जोखिम बफर आवश्यकता की गणना के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया जाए, जिसमें तुलन-पत्र पोर्टफोलियो के साथ-साथ तुलन-पत्रेतर पोर्टफोलियो को भी शामिल किया जाए। ए2. बाजार जोखिम बफर आवश्यकता की गणना में लघु मुद्राओं में विदेशी मुद्रा आस्तियों में निवेश भी शामिल हो सकता है। बी. ऋण जोखिम और परिचालन जोखिम के संबंध में बी1. मौजूदा आवश्यकता बिना किसी परिवर्तन के बनाए रखी गयी है। सी. मौद्रिक और वित्तीय स्थिरता जोखिम के संबंध में सी1. मौद्रिक और वित्तीय स्थिरता जोखिमों के लिए बफर की सीमा को तुलन-पत्र (बी/एस) आकार के 5.0 ± 1.5% तक बढ़ा दिया गया है (मौजूदा सीमा 4.5% - 5.5% की तुलना में)। केंद्रीय बोर्ड मौजूदा समष्टि आर्थिक स्थितियों और रिज़र्व बैंक के तुलन-पत्र को प्रभावित करने वाले अन्य कारकों के अपने आकलन के आधार पर इसे 3.5% - 6.5% की सीमा के बीच किसी भी स्तर पर बनाए रख सकता है। डी. परिणामस्वरूप, आकस्मिक जोखिम बफर, जिसमें मौद्रिक और वित्तीय स्थिरता जोखिम, ऋण जोखिम और परिचालन जोखिम के लिए बफर शामिल हैं, को बी/एस आकार के 6.0 ± 1.5% की सीमा में बनाए रखा जाएगा (6.5% के मौजूदा स्तर की तुलनामें , 5.5% की निचली सीमा के साथ)। ई. केंद्रीय बोर्ड के पास अपेक्षित बाजार जोखिम कारकों के अपने आकलन के आधार पर 99.5% विश्वास स्तर (सीएल) और 97.5% सीएल पर ईएस की सीमा के भीतर किसी भी आघात-सहनीय स्तर पर बाजार जोखिम बफर्स बनाए रखने और पुनर्मूल्यांकन शेष में कमी के लिए जोखिम प्रावधानों को बनाए रखने का लचीलापन होगा। एफ़. अधिशेष वितरण नीति के संबंध में, बी/एस आकार के 7.5% से अधिक किसी भी उपलब्ध इक्विटी (बाजार जोखिम बफर में कमी, यदि कोई हो, पर विचार करने के बाद) को आकस्मिक निधि से आय में वापस लिया जा सकता है। यदि उपलब्ध इक्विटी अपनी आवश्यकता की निचली सीमा से कम है, तो सरकार को तब तक कोई अधिशेष अंतरित नहीं किया जाएगा जब तक कि कम से कम आवश्यक वास्तविक इक्विटी का न्यूनतम स्तर प्राप्त न हो जाए। संशोधित ढांचा वित्तीय वर्ष 2024-25 से लागू होगा। (पुनीत पंचोली) प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/398 |