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भारत: वित्तीय क्षेत्र मूल्यांकन कार्यक्रम, 2024

वित्तीय क्षेत्र मूल्यांकन कार्यक्रम (एफएसएपी), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक (डब्ल्यूबी) का एक संयुक्त कार्यक्रम है, जो किसी देश के वित्तीय क्षेत्र का व्यापक और गहन विश्लेषण करता है। सितंबर 2010 से यह अभ्यास प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण वित्तीय क्षेत्रों वाले अधिकार- क्षेत्रों के लिए अनिवार्य हो गया है। वर्तमान में, यह भारत सहित 32 अधिकार- क्षेत्रों के लिए प्रत्येक पाँच वर्ष में और अन्य 15 अधिकार- क्षेत्रों के लिए प्रत्येक  दस वर्ष में अनिवार्य है। भारत के लिए पिछला एफएसएपी 2017 में आयोजित किया गया था और वित्तीय प्रणाली स्थिरता मूल्यांकन (एफएसएसए) रिपोर्ट 21 दिसंबर 2017 को आईएमएफ द्वारा प्रकाशित की गई थी।

2. आईएमएफ ने 2024 के दौरान किए गए मूल्यांकन के आधार पर 28 फरवरी 2025 को अपनी वेबसाइटों पर नवीनतम भारत-एफएसएसए रिपोर्ट जारी की, जबकि विश्व बैंक की वित्तीय क्षेत्र मूल्यांकन (एफएसए) रिपोर्ट प्रकाशन के लिए निर्धारित है।

3. भारत, आईएमएफ-विश्व बैंक की संयुक्त टीम द्वारा भारतीय वित्तीय प्रणाली का उच्चतम अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप किया गया मूल्यांकन का स्वागत करता है।

4. आईएमएफ की एफएसएसए रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की वित्तीय प्रणाली, 2017 में पिछली एफएसएपी के बाद से अधिक आघात- सह और विविध हो गई है, जो तीव्र आर्थिक संवृद्धि से प्रेरित है। भारत में वित्तीय क्षेत्र ने 2010 के दशक के विभिन्न संकटों से उबरते हुए महामारी का भी अच्छी तरह सामना किया है। वित्तीय क्षेत्र परिदृश्य के विकास के संदर्भ में, गैर-बैंकिंग वित्तीय मध्यवर्ती संस्था(एनबीएफआई) क्षेत्र विविधतापूर्ण हो गया है, लेकिन अधिक परस्पर जुड़ा हुआ है।  बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के पास गंभीर समष्टि वित्तीय परिदृश्यों में भी मध्यम ऋण देने के लिए पर्याप्त समग्र पूंजी है।

5. एनबीएफसी के विनियमन और पर्यवेक्षण पर, आईएमएफ ने मान आधारित विनियामक ढांचे के साथ एनबीएफसी की विवेकपूर्ण आवश्यकताओं के लिए भारत के व्यवस्थित दृष्टिकोण की सराहना की। आईएमएफ ने बड़ी एनबीएफसी के लिए बैंक- जैसी चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर) शुरू करने के भारत के दृष्टिकोण की सराहना की। बैंकों के पर्यवेक्षण के लिए, आईएमएफ ने आईएफएसआर 9 को अपनाकर ऋण जोखिम प्रबंधन को मजबूत करने तथा व्यक्तिगत ऋणों, संपार्श्विक मूल्यांकन, संबंधित उधारकर्ता समूहों, बड़ी एक्सपोज़र सीमा और संबंधित-पक्ष लेनदेन में पर्यवेक्षण को उन्नत करने का सुझाव दिया।

6. आईएमएफ ने बताया कि उभरते जोखिमों को प्रबंधित करने और रोकने के लिए प्रतिभूति बाजारों में विनियामक ढांचे को अंतर्राष्ट्रीय पद्धति के अनुरूप बढ़ाया गया है। उल्लेखनीय सुधारों में, कॉर्पोरेट ऋण बाजार विकास निधि (सीडीएमडीएफ) की स्थापना, स्विंग मूल्य निर्धारण और बांड म्यूचुअल फंडों के लिए चलनिधि आवश्यकताओं की शुरूआत शामिल है। विनियामक दायरे का विस्तार, तेजी से बढ़ते इक्विटी डेरिवेटिव उत्पादों के लिए स्थिरता और निवेशक संरक्षण उपायों जैसे उभरते क्षेत्रों तक भी किया गया है।

7. आईएमएफ ने कहा है कि सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे ने खुदरा वित्तीय समावेशन में काफी सुधार किया है और अनुशंसा की है कि आस्ति-आधारित और डिजिटल उधार के लिए विधिक, कर और सूचनात्मक बुनियादी ढांचे को मजबूत करके वित्तीय रूप से कम सेवा प्राप्त क्षेत्रों की ऋण तक पहुंच को बढ़ाया जा सकता है। 

8. एफ़एसएसए रिपोर्ट में सूचित किया  गया है कि भारत का बीमा क्षेत्र मजबूत है और विकसित हो रहा है, जिसकी जीवन बीमा और सामान्य बीमा दोनों में मजबूत उपस्थिति है। बेहतर विनियमन और डिजिटल नवाचारों की सहायता  से यह क्षेत्र स्थिर बना हुआ है। रिपोर्ट में भारत की निगरानी, ​​जोखिम प्रबंधन और अभिशासन में सुधार की प्रगति का उल्लेख किया गया है और जोखिम आधारित ऋण-शोधन क्षमता/ पर्यवेक्षण ढांचे और मजबूत समूह पर्यवेक्षण की दिशा में आगे का सुझाव दिया गया है। रिपोर्ट में  बीमा क्षेत्र में जोखिम-आधारित दृष्टिकोण की ओर परिवर्तनकारी योजनाओं के बारे में सूचना दी गई है। यह वैश्विक सर्वश्रेष्ठ पद्धतियां और एक आघात-सह बीमा क्षेत्र के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

9. आईएमएफ की अनुशंसा है कि समष्टिविवेकपूर्ण प्राधिकारियों का प्राथमिक उद्देश्य, वित्तीय स्थिरता  होना चाहिए। 

10. उभरते जोखिमों के संदर्भ में, साइबर सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और प्रणाली-वार संक्रमण पर ध्यान देने की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन से वित्तीय स्थिरता के जोखिम प्रबंधनीय प्रतीत होते हैं, लेकिन सावधानीपूर्वक निगरानी की आवश्यकता है। इस मूल्यांकन ने जलवायु से संबंधित वित्तीय जोखिमों के मानचित्रण के लिए बेहतर कणिकता (ग्रैन्युलैरिटी) के साथ बेहतर डेटा कवरेज का सुझाव दिया है।

11. आईएमएफ ने बैंकिंग क्षेत्र, वित्तीय बाजार अवसंरचना (एफएमआई), महत्वपूर्ण सूचना प्रणाली और प्रतिभूति बाजार के अन्य प्रासंगिक प्लेयर्स में साइबर सुरक्षा ढांचे का भी विश्लेषण किया। आईएमएफ ने पाया कि भारतीय प्राधिकारियों के पास विशेष रूप से बैंकों के लिए उन्नत साइबर सुरक्षा जोखिम निगरानी  है। तथापि, आईएमएफ ने कहा कि बैंकों के लिए व्यापक साइबर सुरक्षा संकट अनुरूपण (सिमुलेशन) और दबाव परीक्षणों को अंतर- क्षेत्र (क्रॉस-सेक्टरल) और बाजार-वार घटनाओं के लिए विस्तारित किया जा सकता है ताकि साइबर सुरक्षा आघात-सहनीयता को और मजबूत किया जा सके।

12. भारत एफ़एसएपी के संबंध में अनुशंसाएं मुख्य रूप से वित्तीय प्रणाली की संरचना और कार्यप्रणाली में और सुधार लाने पर केंद्रित हैं तथा कई विस्तृत अनुशंसाएं संबंधित प्राधिकारियों/ विनियामकों की अपनी विकास योजनाओं के अनुरूप हैं। भारत घरेलू आवश्यकताओं और आर्थिक स्थितियों के अनुरूप, जहाँ भी आवश्यक हो, चरणबद्ध तरीके से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत मानकों और सर्वश्रेष्ठ पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

आईएमएफ द्वारा जारी एफएसएसए को यहां देखा जा सकता है:

(https://www.imf.org/en/Publications/CR/Issues/2025/02/28/India-Financial-Sector-Assessment-Program-Financial-System-Stability-Assessment-562815)

 

(पुनीत पंचोली)  
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/2449

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