2007-08 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2007) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन में गतिविधियां - आरबीआई - Reserve Bank of India
2007-08 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2007) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन में गतिविधियां
28 सितंबर 2007
2007-08 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2007) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन में गतिविधियां
वित्तीय वर्ष 2007-08 की पहली तिमाही (क्यू1) अर्थात् अप्रैल-जून 2007 का भारत के भुगतान संतुलन का प्रारंभिक डाटा अब उपलब्ध है। भुगतान संतुलन का संपूर्ण डाटा विवरण 1 और विवरण 2 में प्रस्तुतीकरण के मानक फाम&ज्i्ा;ट में दिया गया है।
यह उल्लेखनीय है कि सेवाओं के बढ़ते महत्व को देखते हुए अनेक प्रकार की सेवाओं जैसे कारोबारीय सेवा, वित्तीय सेवा और संप्रेषण सेवा जो पहले विविध मदों में रखी गई थीं , के लिए डाटा 29 सितंबर 2006 से भुगतान संतुलन की प्रेस विज्ञप्ति में प्रस्तुत किया गया है। अलग-अलग सेवा का डाटा उपलब्ध कराने की दृष्टि से कारोबारी सेवाओं का विश्लेषण इस प्रेस विज्ञप्ति में दिया गया है (सारणी 3.1)—
इसके अलावा, अनिवासी सामान्य (एनआरओ) खाते का डाटा पहले पूंजी खाते में ‘अन्य पूंजी’ में शामिल किया जाता था। इस डाटा को अलग से दर्ज करने की रिपोर्टिंग प्रणाली प्रारंभ करने से इस डाटा को अब अनिवासी भारतीय (एनआरआइ) जमाराशि में शामिल किया गया है।
2007-08 की पहली तिमाही के दौरान की भुगतान संतुलन गतिविधियां निम्नलिखित परिच्छेदों में दी गई हैं।
अप्रैल-जून 2007
2007-08 की पहली तिमाही के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें सारणी 1 में और ब्योरा विवरण 1 में प्रस्तुत किया गया है।
वणिक माल व्यापार
- भारत के वणिक माल निर्यात में, भुगतान संतुलन आधार पर, 2007-08 की पहली तिमाही में 17.8 प्रतिशत की तुलनात्मक रूप से कम वृद्धि हुई, जबकि 2006-07 की पहली तिमाही में 23.7 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।
- भुगतान संतुलन आधार पर आयात भुगतान में वृद्धि की गति बनी रही और 2007-08 की पहली तिमाही में 21.3 प्रतिशत वृद्धि देखी गई (2006-07 की पहली तिमाही में 22.9 प्रतिशत)।
- वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन महानिदेशालय (डीजीसीआईएंडएस) द्वारा जारी डाटा के अनुसार 2007-08 की पहली तिमाही में तेल आयात में 8.0 प्रतिशत की कम वृद्धि दर्ज हुई (2006-07 की पहली तिमाही में 45.2 प्रतिशत) जबकि तेल से अन्य के आयात में 47.4 प्रतिशत की तेज वृद्धि हुई (2006-07 की पहली तिमाही में 8.9 प्रतिशत)।
- कच्चे तेल के भारतीय समूह की औसत कीमतें 2006-07 की पहली तिमाही के प्रति बैरल 66.8 अमरीकी डॉलर की तुलना में 2007-08 की पहली तिमाही में प्रति बैरल 66.3 अमरीकी डॉलर हो गईं (चार्ट1)
व्यापार घाटा
-
भुगतान संतुलन आधार पर, व्यापार घाटा बढकर 2007-08 की पहली तिमाही में 21.6 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया (2006-07 की पहली तिमाही में 16.9 बिलियन अमरीकी डॉलर) (चार्ट 2)। डीजीसीआईएंडएस के अनुसार, व्यापार घाटे में वृद्धि का मुख्य कारण तेल से भिन्न का आयात था।
अदृश्य मदें
-
अदृश्य मदों की प्राप्तियों, जिसमें सेवा, चालू अंतरण और आय शामिल है, ने 2007-08 की पहली तिमाही में लगातार वृद्धि दर्शाई जबकि भुगतान में कुछ कम वृद्धि देखी गई।
-
सॉफ्टवेयर सेवाओं, यातायात आय, अन्य व्यावसायिक और कारोबारी सेवाओं में वृद्धि की गति बनी रहने के मुख्य कारण से और विदेश स्थित भारतीयों के विप्रेषणों के लगातार अंतर्वाह से अदृश्य मदों की प्राप्तियां 2007-08 की पहली तिमाही में 27.5 प्रतिशत बढ़ गई (2006-07 की पहली तिमाही में 23.7 प्रतिशत) (सारणी 2 और चार्ट 3)।
-
यातायात आय में 2006-07 की पहली तिमाही के 19.0 प्रतिशत की तुलना में 2007-08 की पहली तिमाही में 22.2 प्रतिशत वृद्धि हुई जो मुख्यत: पर्यटकों के आगमन की पद्धति दर्शाती है।
-
अन्य व्यावसायिक और कारोबारी सेवाओं, जिनमें मुख्यत: वणिक कार्य, व्यापार से संबंधित सेवाएं, विधिक सेवाएं, लेखांकन, लेखा-परीक्षा, बही-लेखा और कर सलाह, कारोबार और प्रबंधन सेवाएं, विज्ञापन, अनुसंधान और विकास सेवाएं, वास्तु, अभियांत्रिकी और अन्य तकनीकी सेवाएं आती हैं, में भी निर्यात में निरंतर वृद्धि देखी गई।
-
निजी अंतरण प्राप्तियां, जिनमें मुख्यत: विदेशों में कार्यरत भारतीयों के विप्रेषण होते हैं, 2006-07 की पहली तिमाही के 5.9 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2007-08 की पहली तिमाही में 8.6 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गईं।
-
अदृश्य मदों के भुगतान 2007-08 की पहली तिमाही में 18.6 प्रतिशत बढ़े जिनका कारण यातायात संबंधी भुगतान, कारोबार और प्रबंधन परामर्शी सेवाओं, अभियांत्रिकी और तकनीकी सेवाओं तथा लाभांश और लाभ भुगतानों में तेजी आना था।
-
कारोबारी, स्वास्थ्य और शिक्षा से संबंधित यातायात, आधारभूत यातायात कोटा सहित विदेश में यातायात करने वाले भारतीयों से संबंधित भुगतान 2006-07 की पहली तिमाही के 10.4 प्रतिशत की तुलना में 2007-08 की पहली तिमाही में 26.4 प्रतिशत बढ़े।
-
सॉफ्टवेयर से भिन्न विविध प्राप्तियां 2006-07 की पहली तिमाही के 6.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में 2007-08 की पहली तिमाही में 6.8 बिलियन अमरीकी डॉलर थीं (सारणी 3)।
-
कारोबारी सेवाओं की प्राप्तियां और भुगतान मुख्यत: व्यापार से संबंधित सेवाओं, कारोबार और प्रबंधन परामर्शी सेवाओं, वास्तु और अभियांत्रिकी सेवाओं तथा तकनीकी सेवाओं और कार्यालय रखरखाव सेवाओं से प्रेरित थीं (सारणी 3.1)— यह व्यावसायिकों और प्रौद्योगिकी से संबंधित सेवाओं के व्यापार में निहित गति दर्शाती है।
सारणी 3.1 : कारोबारी सेवाओं का ब्योरा*
(मिलियन अमरीकी डॉलर)
मद
प्राप्तियां
भुगतान
2007-08
अप्रैल-जून प्रारंभिक2006-07
अप्रैल-जून आं.सं.2006-07
अप्रैल-मार्च प्रारंभिक2005-06
अप्रैल-माच्र आं.सं.2007-08
अप्रैल-जून प्रारंभिक2006-07
अप्रैल-जून आं.सं.2006-07
अप्रैल-मार्च प्रारंभिक2005-06
अप्रैल-मार्च आं.सं.1
2
3
4
5
6
7
8
9
कुल
4,479
4,565
23,459
12,858
3,610
3,174
20,200
10,496
जिसमें से :
व्यापार से संबंधित
380
272
1,388
888
406
22
1,849
1,498
कारोबार और प्रबंधकीय परामर्श
1,393
1,424
8,370
3,721
939
621
5,501
2,120
वास्तुविदीय, अभियांत्रिकी और अन्य तकनीकी
1,297
1,390
7,704
4,639
593
605
3,833
1,641
कार्यालयों का रखरखाव
664
1,056
2,684
1,490
438
640
2,683
1,746
* डटा अनंतिम है जिसे बाद में अंतिम रूप दिया जाएगा और संशोधित किया जाएगा।
प्रा.: प्रारंभिक आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित.
-
निवेश आय भुगतान, जो मुख्यत: वाणिज्यिक उधारों पर ब्याज भुगतान, बाह्य सहायता और अनिवासी जमाराशि, भारत में कार्यरत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश वाले उद्यमों की आय का पुनर्निवेश दर्शाता है, 2007-08 की पहली तिमाही में 3 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गए (2006-07 की पहली तिमाही में 2.7 बिलियन अमरीकी डॉलर)।
-
निवल अदृश्य मदें (भुगतान हटाकर प्राप्तियां), जिनमें निजी अंतरणों की उच्च वृद्धि मुख्य थी, 2007-08 की पहली तिमाही में 16.9 बिलियन अमरीकी डॉलर थी और यह 2006-07 की पहली तिमाही के 19.4 प्रतिशत की तुलना में 36.4 प्रतिशत वृद्धि थी।
चालू खाते का घाटा
-
वणिक माल के व्यापार में भारी घाटे के बावजूद मुख्यत: निजी अंतरणों से निकले निवल अदृश्य मदों के उच्च अधिशेष ने चालू खाते के घाटे को 2007-08 की पहली तिमाही में 4.7 बिलियन अमरीकी डॉलर पर सीमित रखा जो लगभग 2006-07 की पहली तिमाही जैसा ही था (चार्ट 4)—
पूंजी खाता और आरक्षित निधियां
-
2007-08 की पहली तिमाही (ति.1) में भुगतान संतुलन गतिविधियों पर भारी पूंजी प्रवाह हावी रहे। 2007-08 की पहली तिमाही में निवल पूंजी प्रवाह 15.3 बिलियन अमरीकी डालर होकर उछाल पर रहा (2006-07 की पहली तिमाही में 10.6 बिलियन अमरीकी डालर) जो देशी पूंजी गतिविधि के निरंतर आवेग, बेहतर कंपनी निष्पादन, सकारात्मक निवेश माहौल, निवेश लक्ष्य के रूप में भारत का दीर्घावधि दृष्टिकोण और वैश्विक बाजार में चलनिधि तथा ब्याज दरों की अनुकूलता को दर्शाता है।
-
निवल पूंजी प्रवाहों के प्रमुख स्रोत बाह्य वाणिज्यिक उधार (इसीबी) और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) के इक्विटी पूंजी अंतर्वाह रहे (सारणी 4)—
(मिलियन अमरीकी डॉलर) |
||||
मद |
2007-08 |
2006-07 |
2006-07 |
2005-06 |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश |
461 |
1,416 |
8,437 |
4,730 |
संविभाग निवेश |
7,458 |
-505 |
7,062 |
12,494 |
बाह्य सहायता |
258 |
49 |
1,770 |
1,682 |
बाह्य वाणिज्यिक उधार |
7,048 |
3,959 |
16,084 |
2,723 |
अनिवासी भारतीय जमाराशियाँ* |
-447 |
1,231 |
3,895 |
2,789 |
अल्पावधि क्रेडिट |
1,048 |
417 |
3,275 |
1,708 |
अन्य |
-564 |
3,997 |
4,421 |
-2,726 |
कुल |
15,262 |
10,564 |
44,944 |
23,400 |
* अप्रैल-जून 2007 के लिए अनिवासी भारतीय सामान्य (एनआरओ) जमाराशियाँ शामिल हैं। |
-
भारत की दिशा में बाह्य वाणिज्यिक उधारों का अंतर्वाह 7 बिलियन अमरीकी डालर रहा। कुल निवल पूंजी प्रवाहों का लगभग 45.8 प्रतिशत अकेले बाह्य वाणिज्यिक उधारों का अंतर्वाह रहा जो एक ओर वैश्विक बाजारों में अनुकूल चलनिधि स्थिति और ब्याज दरों तथा दूसरी ओर देश में क्षमता विस्तार हेतु बढ़ती वित्तीय अपेक्षाओं के चलते संभव हुआ।
-
सीधे निवेश में द्विमार्गी गतिविधि दिखाई दी जो भारत की ओर भारी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के साथ-साथ भारतीय कंपनियों द्वारा विदेश में किए जानेवाले निवेश को दर्शाती है।
-
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के अंतर्गत भारत की ओर होने वाले पूंजी प्रवाह 2007-08 की पहली तिमाही में 5.9 बिलियन अमरीकी डालर रहे (2006-07 की पहली तिमाही में 2.5 बिलियन अमरीकी डालर) और इनमें महत्त्वपूर्ण वृद्धि दिखाई दी जो देशी गतिविधियों के सतत विस्तारकारी कदम तथा निवेश लक्ष्य के रूप में भारत के दीर्घावधि दृष्टिकोण को दर्शाती है। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का यह प्रवाह मुख्यत: सेवा क्षेत्र (37.3 प्रतिशत) और उसके बाद भवन निर्माण उद्योगों (21.9 प्रतिशत) की ओर रहा।
-
भारत से बाहर जानेवाले विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में महत्त्वपूर्ण वृद्धि दिखाई दी जो 2007-08 की पहली तिमाही में 5.4 बिलियन अमरीकी डालर रहा (2006-07 की पहली तिमाही में 1.1 बिलियन अमरीकी डालर) और इसका कारण वैश्विक विस्तार हेतु भारतीय कंपनियों की भूख थी।
-
भारी बाह्य विदेशी संस्थागत निवेश के चलते 2006-07 की पहली तिमाही के 1.4 बिलियन अमरीकी डालर की तुलना में 2007-08 की पहली तिमाही में यह 0.5 बिलियन अमरीकी डालर था, जो कम है।
-
2007-08 की पहली तिमाही में विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा होने वाले निवल अंतर्वाह 7.1 बिलियन अमरीकी डालर रहे जो बेहतर कंपनी निष्पादन के साथ-साथ एशियाई शेयर बाजारों की प्रवृत्तियों के अनुरूप सुदृढ़ देशी इक्विटी बाजारों की स्थिति को दर्शाता है। अमेरिकन डिपाज़िटरी रसीदों/वैश्विक डिपाज़िटरी रसीदों के अंतर्गत होनेवाले अंतर्वाह अप्रैल-जून 2007 की अवधि के लिए 308 मिलियन अमरीकी डालर रहे। भारत द्वारा किए जानेवाले निवल संविभाग प्रवाह 53 मिलियन अमरीकी डालर थे। कुल मिलाकर निवल संविभाग निवेश प्रवाह 2007-08 की पहली तिमाही में 7.5 बिलियन अमरीकी डालर रहा।
-
बैंकिंग पूंजी के घटकों में अनिवासी भारतीय जमाराशियों में 2007-08 की पहली तिमाही में निवल बहिर्वाह 447 मिलियन अमरीकी डालर रहा और इसमें 2006-07 की पहली तिमाही में हुए 1,231 मिलियन अमरीकी डालर के निवल अंतर्वाह की जगह विपरीत रुख दिखाई दिया जो जनवरी 2007 और अप्रैल 2007 में ब्याज दरों की उच्चतम सीमा में किए गए दो अधोगामी संशोधनों के प्रभाव को दर्शाता है। हालांकि विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) डएफ सी एन आर (बी) जमाराशियों के अंतर्गत अंतर्वाह थे, अनिवासी बाह्य रुपया खाता डएन आर (ई) आर ए जमाराशियों के अंतर्गत बहिर्वाहों की भारी मात्रा के परिणामस्वरूप समग्र निवल बहिर्वाह हुआ।
-
अनिवासी सामान्य (एन आर ओ) खाता संबंधी आंकड़े पहले पूंजी खाता में ‘अन्य पूंजी’ के अंतर्गत शामिल किए गए थे। इन आंकड़ों को अलग से रिकार्ड करने के लिए प्रयुक्त की जा रही रिपोर्टिंग प्रणाली के चलते इन्हें अब अनिवासी भारतीय (एन आर आइ) जमाराशियों के अंतर्गत शामिल किया गया है। एन आर ओ जमाराशियां 2007-08 की पहली तिमाही में 116 मिलियन अमरीकी डालर रहीं (सारणी 5)—
सारणी 5 : अनिवासी सामान्य (एनआरओ) जमाराशियाँ (US $ million) |
|
वर्ष |
राशि |
1 |
2 |
2005-06 (अप्रैल-मार्च) |
931 |
2006-07 (अप्रैल-मार्च) |
427 |
2007-08 (अप्रैल-जून ) |
116 |
2006-07 (अप्रैल-जून ) |
70 |
-
‘अन्य पूंजी’ में मुख्यत: शामिल हैं - सीमा शुल्क आकड़ों और बैंकिंग चैनल के आंकड़ों का अंतर, विदेश में रखी निधियां और अन्यत्र शामिल न की गई अन्य पूंजी लेनदेनों की अवशिष्ट मद। अन्यत्र शामिल न किए गए अन्य पूंजी लेनदेनों की अवशिष्ट मद में मुख्यत: 180 दिन तक के लिए सप्लायर क्रेडिट, विदेशी वित्तीय व्युत्पन्नियों(डेरीवेटिव्स) और कमोडिटी हेजिंग लेनदेनों, प्रवासी अंतरणों (अर्थात् निवास स्तर में परिवर्तन के फलस्वरूप उत्पन्न निजी सामानों और वित्तीय आस्तियों के लेनदेन को कवर करना) तथा पेटेंट, कापीराइट, ट्रेडमार्कों, आदि जैसी अमूर्त आस्तियों की बिक्री शामिल है जो 2007-08 की पहली तिमाही में 1.2 बिलियन अमरीकी डालर रहा। अन्य पूंजी के विवरण सारणी - 6 में दिए गए हैं।
(मिलियन अमरीकी डॉलर) |
||||
Iूास् |
2007-08 |
2006-07 |
2006-07 |
2005-06 |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
कुल |
1,152 |
305 |
6,391 |
-738 |
निर्यात में उतार-चढ़ाव |
1,627 |
-523 |
1,772 |
-572 |
प्रत्याविर्तित एडीआर-जीडीआर/एफ सीसीबी |
26 |
54 |
420 |
125 |
बाहर-रखी निवल निधियाँ |
-493 |
-884 |
-2,053 |
-2,471 |
अग्रिम भुगतान आयात |
-1,692 |
-74 |
-59 |
-2,090 |
अन्यत्र शामिल न की गई अन्य पूंजी आस्तियों* |
1,684 |
1,732 |
6,311 |
4,270 |
*: इसमें 180 दिन तक के क्रेडिट, प्रवासी अंतरण, डेरिवेटिव्स, हेजिंग, पूंजी अतरण शामिल हैं। |
आरक्षित राशियों में वृद्धि
-
भुगतान संतुलन आधार पर विदेशी मुद्रा प्रारक्षितों में वृद्धि (अर्थात् मूल्यन को छोड़कर) जो 2007-08 की पहली तिमाही में 11.2 बिलियन अमरीकी डालर थी, की मुख्य वजह भारी पूंजी अंतर्वाह थे (चार्ट-5)— 3.0 बिलियन अमरीकी डालर के मूल्यन लाभ को हिसाब में लेने पर विदेशी मुद्रा आरक्षितों में 2007-08 की पहली तिमाही में 14.2 बिलियन अमरीकी डालर की वृद्धि रिकार्ड की गई (2006-07 की पहली तिमाही (ति.1) में 11.3 बिलियन अमरीकी डालर) डविदेशी मुद्रा आरक्षितों में वृद्धि के स्रोतों से संबंधित प्रेस विज्ञप्ति अलग से जारी की जा रही है—
-
जून 2007 के अंत में 213.4 बिलियन अमरीकी डालर के विशाल विदेशी मुद्रा भंडार के साथ भारत के पास उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में पांचवां और विश्व में छठा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार था।
अजीत प्रसाद
प्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2007-2008/438