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2007-08 की तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर) और अप्रैल-दिसंबर 2007 के दौरान भारत की भुगतान संतुलन संबंधी गतिविधियाँ

31 मार्च 2008

2007-08 की तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर) और
अप्रैल-दिसंबर 2007 के दौरान भारत की भुगतान संतुलन संबंधी गतिविधियाँ

वित्तीय वर्ष 2007-08 की तीसरी तिमाही अर्थात् अक्तूबर-दिसंबर 2007 के भारत के भुगतान संतुलन के प्रारंभिक आँकड़े अब उपलब्ध हैं। वर्तमान वित्तीय वर्ष अर्थात् 2007-08 की अप्रैल-दिसंबर की अवधि के भुगतान संतुलन के आँकड़ों का समेकन करते समय, इन प्रारंभिक आँकड़ों और पहली दो तिमाहियों अर्थात् अप्रैल-जून 2007 (ति1) और जुलाई-सितंबर 2007 (ति2) के आंशिक रूप से संशोधित आँकड़ों को, ध्यान में रखा गया है। इस आँकड़ों के पूरे ब्यौरे भुगतान संतुलन के प्रस्तुतीकरण संबंधी विवरण 1 और 2 के मानक फार्मेट में दिए गए हैं।

I. अक्तूबर-दिसंबर 2007 (ति3) का भुगतान संतुलन

2007-08 की तीसरी तिमाही के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें सरणी 1 में नीचे ति1 और ति2 के साथ दी गई हैं।

सारणी 1 : भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें

(मिलियन अमरीकी डॉलर)

मदें

अक्तूबर-दिसंबर

 

जुलाई-सितंबर

 

अप्रैल-जून

 

 

2007
(प्रा)

2006
(आं.सं.)

2007
(प्रा)

2006
(आं.सं.)

2007
(प्रा)

2006
(आं.सं.)

1

2

3

4

5

6

7

1. निर्यात

41,737

30,933

37,595

31,836

35,752

29,614

2. आयात

67,090

47,460

58,049

48,593

56,493

46,631

3. व्यापार संतुलन (1-2)

-25,353

-16,527

-20,454

-16,757

-20,741

-17,017

4. अदृश्य मदें, निवल

19,967

12,849

15,712

10,482

14,823

12,952

5. चालू खाता शेष (3+4)

-5,386

-3,678

-4,742

-6,275

-5,918

-4,065

6. पूंजी खाता *

32,124

11,183

33,978

8,545

17,118

10,444

7. प्रारक्षित भंडार में परिवर्तन #
(-चिहन वृद्धि दर्शाता है)

-26,738

-7,505

-29,236

-2,270

-11,200

-6,379

*: भूल चूक सहित. #: मूल्यन को छोड़कर, भुगतान संतुलन के आधार पर

प्रा: प्रारंभिक. आं.सं.: आंशिक संशोधित.

 

वणिक माल व्यापार

  • भुगतान संतुलन के आधार पर, भारत के वणिक माल निर्यात में 2007-08 की तीसरी तिमाही में 34.9 प्रतिशत वृद्धि हुई, जबकि पिछले वर्ष की तीसरी तिमाही में 20.9 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।
  • अक्तूबर-नवंबर 2007 की अवधि के लिए वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन महानिदेशालय (डीजीसीआई एण्ड एस) द्वारा जारी वस्तुवार निर्यात के आँकड़ों से स्पष्ट है कि निर्यात में उच्चतर वृद्धि मुख्य रूप से अभियांत्रिकी माल, पेट्रोलियम उत्पाद, रत्न और आभूषण तथा अयस्क और खनिजों के कारण थी।
  • भुगतान संतुलन के आधार पर, आयात भुगतान में 2007-08 की तीसरी तिमाही में 41.4 प्रतिशत वृद्धि हुई, जबकि 2006-07 की तीसरी तिमाही में 23.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
  • तेल आयात में हुई वृद्धि 2007-08 की तीसरी तिमाही के दौरान औसतन 85.5 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल के बराबर भारतीय समूह के कच्चे तेल के अंतर्राष्ट्रीय मूल्य में अधिकता को दर्शाती है (जो 2007-08 की तीसरी तिमाही के दौरान 79 अमरीकी डॉलर और 89 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल के बीच थी)।
  • अक्तूबर-नवंबर 2007 की अवधि के लिए वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन महानिदेशालय (डीजीसीआई एण्ड एस) द्वारा जारी वस्तुवार आयात के आँकड़ों के अनुसार, तेल से इतर आयात की उच्च वृद्धि में योगदान करने वाले घटक पूँजीगत माल के आयात (52.5 प्रतिशत) और मुख्य रूप से निर्यात से संबंधित वस्तुओं के आयात (18.7 प्रतिशत) थे।
  • व्यापार घाटा उपर्युक्त गतिविधियों के फलस्वरूप, भुगतान संतुलन के आधार पर व्यापार घाटा 2007-08 की तीसरी तिमाही में 25.4 बिलियन अमरीकी डॉलर था (2006-07 की तीसरी तिमाही में 16.5 बिलियन अमरीकी डॉलर)।

अदृष्य मदें

  • भारत के भुगतान संतुलन में, सॉफ्टवेयर सेवाएं और प्रेषण मुख्य रूप से एक दिशा में प्रवाहित होते हैं अर्थात् अंतर्वाहों की प्रधानता है, जबकि इन मदों से संबंधित भुगतान बहुत कम हैं। इस प्रकार, अदृश्य मदों के खातों के भुगतानों में कारोबार, वित्तीय और संचार सेवाओं तथा बाह्य ऋण पर ब्याज भुगतान जैसे गैर सॉफ्टवेयर सेवाओं से संबंधित भुगतान परिलक्षित होते हैं।
  • 38.4 बिलियन अमरीकी डॉलर की अदृश्य मदों की प्राप्तियों में, जिसमें सेवाएं (23.4 बिलियन अमरीकी डॉलर), चालू अंतरण (11.5 बिलियन अमरीकी डॉलर) और आय (3.5 बिलियन अमरीकी डॉलर) शामिल हैं, 2007-08 की तीसरी तिमाही में 30.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि 2006-07 की तीसरी तिमाही में 27.2 प्रतिशत की वृद्धि दर थी। अदृश्य मदों की प्राप्तियों में वृद्धि मुख्य रूप से समुद्रपारीय भारतीयों के प्रेषणों, सॉफ्टवेयर सेवाओं और यात्रा अर्जनों का परिणाम थी।
  • 2007-08 की तीसरी तिमाही में 18.4 बिलियन अमरीकी डॉलर की अदृश्य मदों के भुगतानों में मुख्य रूप से गैर-सॉफ्टवेयर विविध सेवाओं से संबंधित बढ़ते भुगतान (6.7 बिलियन अमरीकी डॉलर), ब्याज भुगतानों के रूप में उच्च निवेश आय भुगतान (4.4 बिलियन अमरीकी डॉलर), लाभांश और लाभ भुगतान, परिवहन (3.0 बिलियन अमरीकी डॉलर) और भारत से बहिर्गामी पर्यटक ट्रैफिक के बढ़ते भुगतान (2.5 बिलियन अमरीकी डॉलर) परिलक्षित हुए।
  • निवल आधार पर (प्राप्तियों से घटाया भुगतान), अदृश्य मदों के खाते में 2007-08 की तीसरी तिमाही में 20.0 बिलियन अमरीकी डॉलर का अधिशेष दिखा, जबकि 2006-07 की तीसरी तिमाही में 12.8 बिलियन अमरीकी डालर का अधिशेष था।

चालू खाता घाटा

  • ऊपर उल्लिखित उच्च अदृश्य मदों के अधिशेष के बावजूद, चालू खाता घाटा उच्चतर व्यापार घाटे के कारण 2007-08 की तीसरी तिमाही में 5.4 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा (2006-07 की तीसरी तिमाही में 3.7 बिलियन अमरीकी डॉलर)।

पूँजी खाता और आरक्षित निधि

  • 2007-08 की तीसरी तिमाही के निवल पूँजी प्रवाह (31.5 बिलियन अमरीकी डॉलर) के प्रमुख घटकों में पोर्टफोलियो प्रवाह, विदेशी वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) तथा अल्पावधि व्यापार ऋण थे।
  • 2007-08 की तीसरी तिमाही का निवल आवक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआइ) 7.2 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा जो 2006-07 की तीसरी तिमाही के 9.7 बिलियन अमरीकी डॉलर से कम है। वर्ष 2007-08 की तीसरी तिमाही का निवल जावक एफडीआई 3.6 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा जो 2006-07 की तीसरी तिमाही के 6.6 बिलियन अमरीकी डॉलर से कम स्तर पर है।
  • 2007-08 की तीसरी तिमाही में 14.7 बिलियन अमरीकी डॉलर (2006-07 की तीसरी तिमाही में 3.6 बिलियन अमरीकी डॉलर) का निवल पोर्टफोलियो निवेश पूँजी प्रवाह का सबसे बड़ा घटक था।
  • भारतीय कंपनियों द्वारा 2007-08 की तीसरी तिमाही में लिया गया निवल बाहरी उधार 5.3 बिलियन अमरीकी डॉलर था जो 2006-07 की तीसरी तिमाही के 4.0 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक है।
  • 2007-08 की तीसरी तिमाही में निवल अल्पाविधि व्यापार ऋण 4.3 बिलियन अमरीकी डॉलर (2006-07 की तीसरी तिमाही में 1.8 बिलियन अमरीकी डॉलर) के उच्चतर स्तर पर था। जैसा कि 31 दिसंबर 2007 की भुगतान संतुलन संबंधी रिज़र्व बैंक की प्रेस प्रकाशनी में उल्लेख किया गया है, अंतर्राष्ट्रीय श्रेष्ठ प्रथाओं के अनुसार 2005-06 से 180 दिन तक की आपूर्तिकर्ताओं के ऋण संबंधी आँकड़े अल्पावधि व्यापार ऋण के अंतर्गत शामिल किए जा रहे हैं।
  • 2007-08 की तीसरी तिमाही में भुगतान संतुलन आधार पर (अर्थात् मूल्यांकन को छोड़कर) विदेशी मुद्रा भंडार में 26.7 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई जो कि 2006-07 की तीसरी तिमाही के 7.5 बिलियन अमरीकी डॉलर की राशि से उल्लेखनीय रूप से अधिक है।
    संक्षेप में, 2007-08 की तीसरी तिमाही के भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख विशेषताएं हैं - (i) आयात में वृद्धि के कारण व्यापार घाटे में तीव्र बढ़ोतरी, (ii) मुख्य रूप से विदेश स्थित भारतीयों द्वारा किए गए प्रेषणों तथा सॉफ्टवेयर सेवाओं के चलते अदृश्य मद के अधिशेष में उल्लेखनीय वृद्धि, तथा (iii) पूँजी खाते के अंतर्गत पोर्टफोलियो निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि।

II अप्रैल-दिसंबर 2007 का भुगतान संतुलन

जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, 2007-08 की पहली और दूसरी तिमाहियों के आंशिक रूप से संशोधित आँकड़ों तथा 2007-08 की तीसरी तिमाही के प्रारंभिग आँकड़ों के आधार पर वित्तीय वर्ष 2007-08 के पहले नौ महिनों (अर्थात् अप्रैल-दिसंबर) के भुगतान संतुलन के आँकड़े संकलितस किए गए हैं। भुगतान संतुलन से संबंधित विस्तृत आँकड़े विवरणी 1 तथा 2 में दिए गए हैं, जबकि प्रमुख मदों की जानकारी सारणी 2 में दी गई है।

सारणी 2 : भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें : अप्रैल-दिसंबर 2007

(मिलियन अमरीकी डॉलर)

मदें

अप्रैल-दिसंबर

 

अप्रैल-मार्च

 

 

2007-08
(प्रा.)

2006-07
(आं.सं.)

2006-07
(आं.सं)

2005-06
(सं.)

1

2

3

4

5

1. निर्यात

1,15,084

92,383

1,28,083

1,05,152

2. आयात

1,81,632

1,42,684

1,91,254

1,57,056

3. व्यापार संतुलन (1-2)

-66,548

-50,301

-63,171

-51,904

4. अदृश्य मदें, निवल

50,502

36,283

53,405

42,002

5. चालू खाता शेष (3+4)

-16,046

-14,018

-9,766

-9,902

6. पूंजी खाता *

83,220

30,172

46,372

24,954

7. प्रारक्षित भंडार में परिवर्तन #

-67,174

-16,154

-36,606

-15,052

(-चिहन वृद्धि दर्शाता है)

 

 

 

 

*: भूल चूक सहित. #: मूल्यन परिवर्तन को छोड़कर, भुगतान संतुलन के आधार पर

प्रा: प्रारंभिक. आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित. सं.: संशोधित

वणिक माल का व्यापार

  • भुगतान संतुलन आधार पर अप्रैल-दिसंबर 2007 के दौरान व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात में 24.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई (पिछले वर्ष तदनुरूप अवधि में 23.9 प्रतिशत)।
  • डीजीसीआइएण्डएस द्वारा अप्रैल-नवंबर 2007 की अवधि के लिए जारी वस्तुवार आँकड़ों से ज्ञात होता है कि निर्यात की वृद्धि में मुख्य रूप से पेट्रोलियम उत्पादों (35.4 प्रतिशत), इंजीनियरी वस्तुओं (22.4 प्रतिशत) तथा रत्नों और आभूषणों (25.5 प्रतिशत) के निर्यात की अहम भूमिका थी।
  • भुगतान संतुलन आधार पर, अप्रैल-दिसंबर 2007 के दौरान आयात के भुगतान में 27.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि पिछले वर्ष तदनुरूप अवधि में यह दर 24.4 प्रतिशत थी।
  • डीजीसीआइएण्डएस के आँकड़ों के अनुसार, अप्रैल-दिसंबर 2007 के दौरान गैर तेल आयात में 30.6 प्रतिशत की डच्चतर वृद्धि दर्ज की गई (अप्रैल-दिसंबर 2006 में 22.1 प्रतिशत)। अप्रेल-नवंबर 2007-08 के वस्तुवार विवरणों के अनुसार गैर-तेल आयातों की वृद्धि में मुख्यत: पूँजीगत वस्तुओं, मोती और मूल्यवान रत्नों, रसायनों तथा सोना और चांदी की भूमिका प्रमुख थी।
  •  

  • डीजीसीआइएण्डएस के आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-दिसंबर 2007 के दौरान तेल के आयात में 21.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई (अप्रैल-दिसंबर 2006 के दौरान 39.4 प्रतिशत)। अप्रैल-दिसंबर 2007 के दौरान अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल (दुबई तथा ब्रेंट वेरायटी का मिश्रण) के भारतीय बास्केट की औसत कीमत बढ़कर 74.7 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल (65 से 89 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल के बीच) हो गई जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान इसकी कीमत 64.4 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल थी (चार्ट 1) तेल प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अनुसार अप्रैल-दिसंबर 2007 के दौरान आयात की मात्रा में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

व्यापार घाटा

  • भुगतान संतुलन आधार पर, उक्त गतिविधियाँ दर्शाते हुए वणिक माल व्यापार का घाटा अप्रैल-दिसंबर 2006 के 50.3 बिलियन अमरीकी डॉलरसे बढ़कर अप्रैल-दिसंबर 2007 में 66.5 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जिसका मुख्य कारण तेल से भिन्न आयातों की अधिकता थी (चार्ट 2)।
  •  

अदृश्य मदें

  • सॉफ्टवेयर सेवाओं और कारोबार संबंधी सेवाओं में नरमी के चलते अदृश्य मदों की प्राप्तियों में अप्रैल-दिसंबर 2006 की 29.6 प्रतिशत वृद्धि की तुलना में अप्रैल-दिसंबर 2007 में 26.3 प्रतिशत वृद्धि दर्ज हुई। अदृश्य मदों में मुख्य योगदान विदेशों में स्थित भारतीयों के विप्रेषणों, सॉफ्टवेयर सेवाओं तथा यात्रा आय का था (सारणी 3 और चार्ट 3)।
  •  

सारणी 3 : सकल अदृश्य प्राप्ति और भुगतान : अप्रैल-दिसंबर 2007

(मिलियन अमरीकी डॉलर)

मदें

अदृश्य प्रतियाँ

अदृश्य भुगतान

 

अप्रैल-दिसंबर

अप्रैल-मार्च

अप्रैल-दिसंबर

अप्रैल-मार्च

 

2007-08

2006-07

2006-07

2005-06

2007-08

2006-07

2006-07

2005-06

1

2

3

4

5

6

7

8

9

1. यात्रा

7,731

6,125

9,123

7,853

6,474

4,938

6,685

6,638

2.परिवहन

6,571

5,829

8,050

6,325

8,100

6,077

8,068

8,337

3.बीमा

1,142

846

1,202

1,062

730

484

642

1,116

4. जहाँ सरकार शामिल नहीं हैं

257

188

250

314

319

298

403

529

5. अंतरण

 

 

 

 

 

 

 

 

6.आय

29,319

20,711

29,589

25,620

1,342

1,006

1,421

933

निवेश आय

9,575

6,269

9,304

6,408

13,422

11,422

15,877

12,263

कर्मचारियों की क्षतिपूर्ति

9,297

6,029

8,908

6,229

12,655

10,763

14,926

11,491

7. विविध

278

240

396

179

767

659

951

772

जिसमें :
सॉफ्टवेयर

45,616

39,391

57,556

42,105

19,322

18,851

28,573

17,869

कुल (1ूद 7)

27,494

21,762

31,300

23,600

2,530

1,504

2,267

1,338

1. यात्रा

1,00,211

79,359

1,15,074

89,687

49,709

43,076

61,669

47,685

    निजी अंतरण, सरणी 4 में दिए अनुसार, मुख्यत: निम्नलिखित स्वरूप में हैं :
    i.
    विदेशों में स्थित भारतीय कर्मचारियों से परिवार की देखभाल हेतु अंतर्वाही विप्रेषण,
    ii.अनिवासी भारतीय रुपया जमाराशि से स्थानीय आहरण,
    iii. यात्री सामान के माध्यम से लाया गया सोना और चांदी, और
    iv. धर्मादा/धार्मि संस्थाओं को निजी उपहार/दान।

  • निजी अंतरण के अंतर्वाह अप्रैल-दिसंबर 2007 में 28.8 बिलियन अमरीकी डॉलर पर उच्च थे (अप्रैल-दिसंबर 2006 में 20.2 बिलियन अमरीकी डॉलर) जो अप्रैल-दिसंबर 2007 में 42.5 प्रतिशत की वृद्धि थी। परिवार की देखभाल संबंधी विप्रेषण में 39 प्रतिशत वृद्धि हुई, वहीं स्थानीय आहरण 49 प्रतिशत अधिक थे।
  • घरेलू तौर पर आहरित अनिवासी भारतीय जमाराशियाँ निजी अंतरणों का भाग होती हैं क्योंकि एक बार स्थानीय उपयोग के लिए आहरित कर लेने पर ये एकपक्षीय अंतरण हो जाती हैं और उनमें कोई मुआवजा नहीं होता है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के भुगतान संतुलन मैनुअल के 5वें संस्करण (1993) के अनुसार ‘अंतरण’ एकपक्षीय लेनदेन अर्थात् बिना मुआवजे वाले लेनदेन होते हैं, जैसे कि अनुदान, उपहार और प्रवासियों के वे अंतरण जो परिवार की देखभाल के लिए पिप्रेषणों के माध्यम से होते हैं, बचत का प्रत्यावर्तन और प्रवासियों की निवासी स्थिति में बदल संबंधी वास्तविक संसाधन तथा वित्तीय अंतरण।
  • विदेशों में स्थित भारतीयों द्वारा स्थानीय आहरणों के माध्यम से किए गए अंतर्वाहों में उच्च वृद्धि का कारण घरेलू तौर पर उच्च प्रतिलाभ की तुलना में अनिवासी भारतीय खातों में धारित ऐसी जमाराशिं हैं (सारणी 4)।
  •  

सारणी 4 : भारत को निजी अंतरण के ब्यौरे

(मिलियन अमरी डॉलर)

वर्ष

कुल

जिसमें से :

 

 

परिवार की दखरेख संबंधी अंतर्वाही विप्रेषण

अनिवासी भारतीय जमाराशि से स्थानीय आहरण/शोधन

1

2

3

4

2005-06

24,951

10,455

12,454

2006-07

28,951

13,561

13,208

2006-07 (अप्रैल-दिसंबर)

20,234

9,909

8,729

2007-08 (अप्रैल-दिसंबर)

28,832

13,785

13,020

     

  • हाल की अवधि में, अनिवासी भारतीय जमाराशें के अंतर्गत निरंतर अंतर्वाह हुए हैं (सारणी 5)। किंतु, उसी समय, बहिर्वाह भी बढ़े हैं। अनिवासी भारतीय जमाराशि से बहिर्वाह का एक मुख्य भाग स्थानीय आहरणों के रूप में होता है। किंतु, ये आहरण वास्तव में प्रत्यावर्तित नहीं होते हैं बल्कि घरेलू तौर पर उपयोग में लाए जाते हैं। तथापि, अनिवासी भारतीय जमाराशि से कुल बहिर्वाह में स्थानीय आहरणों का हिस्सा अप्रेल-दिसंबर 2006 के 79 प्रतिशत और राजकोषीय वर्ष 2006-07 के 85 प्रतिशत से कम होकर अप्रैल-दिसंबर 2007 में 67 प्रतिशत रह गया।
  •  

सारणी 5 : अनिवासी भारतीय जमराशि से अंतर्वाह और बहिर्वाह तथा स्थानीय आहरण

 

 

 

(मिलियन अमरीकी डॉलर)

वर्ष

अंतर्वाह

बहिर्वाह

स्थानीय आहरण

1

2

3

4

2005-06

17,835

15,046

12,454

2006-07

19,914

15,593

13,208

2006-07 (अप्रैल- दिसंबर)

14,756

11,083

8,729

2007-08
(अप्रैल- दिसंबर)

18,617

19,548

13,020

     

  • आरक्षित निधि में वृद्धि में उल्लेखनीय बढ़त दर्शाते हुए निवेश आय प्राप्तियाँ अप्रैल-दिसंबर 2006 के 38.6 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल-दिसंबर 2007 में 54.2 प्रतिशत बढ़ीं।
  • अप्रैल-दिसंबर 2007 में 27.5 बिलियन अमरीकी डॉलर के सॉफ्टवेयर सेवा निर्यात ने 26.3 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की (अप्रैल-दिसंबर 2006 में 31.3 प्रतिशत)।
  • सॉफ्टवेयर निर्यात घटाकर विविध प्राप्तियाँ अप्रैल-दिसंबर 2007 में 18.1 बिलियन अमरीकी डॉलर थीं (अप्रैल-दिसंबर 2006 में 17.6 बिलियन अमरीकी डॉलर)। इन आँकड़ों का विश्लेषण सारणी 6 में दिया गया है।

सरणी 6 : सॉफ्टवेयर से भिन्न विविध प्राप्तियों और भुगतानों का विश्लेषण

(मिलियन अमरीकी डॉलर)

मद

प्रप्तियाँ

भुगतान

 

अप्रैल- दिसंबर

अप्रैल-मार्च

अप्रैल-दिसंबर

अप्रैल-मार्च

 

2007-08

2006-07

2006-07

2005-06

2007-08

2006-07

2006-07

2005-06

1

2

3

4

5

6

7

8

9

1. संचार सेवाएं

1,756

1,538

2,099

1,575

570

508

659

289

2. निर्माण

552

239

332

242

514

529

737

723

3. वित्तीय

2,204

1,455

2,913

1,209

2,072

903

2,087

965

4. समाचार एजेंसी

508

243

334

185

355

110

219

130

5. रॉयल्टी, कॉपीराइट एवं लाइसेंस शुल्क

111

45

97

191

771

641

1,038

594

6. कारोबारी सेवाएं

12,098

13,174

19,266

9,307

11,252

10,394

17,093

7,748

7. निजी, सांस्कृतिक, मनोरंजन

434

124

173

189

129

85

116

84

8.अन्य

459

811

1,041

5,608

1,129

4,177

4,357

5,998

कुल (1 से 8)

18,122

17,629

26,256

18,505

16,792

17,347

26,306

16,531

     

  • अदृश्य मदों के भुगतान के मुख्य घटक यात्रा भुगतान, परिवहन, कारोबारी और प्रबंधन परामर्श, अभियांत्रिकी और अन्य तकनीकी सेवाएं, लाभांश, लाभ और ब्याज भुगतान थे। अदृश्य मदों के भुगतान में अप्रैल-दिसंबर 2006 के 21.3 प्रतिशत की तुलना में अप्रैल-दिसंबर 2007 में 15.4 प्रतिशत की कम वृद्धि हुई जिसका मुख्य कारण कारोबारी और संप्रेषण सेवाओं संबंधी कम भुगतान था।
  • अप्रैल-दिसंबर 2007 में यात्रा भुगतान में तेज वृद्धि (अप्रैल-दिसंबर 2006 के 4.4 प्रतिशत की तुलना में 31.1 प्रतिशत ) ने बहिर्वाही पर्यटन यात्रा में तेजी दर्शाई)
  • अप्रैल-दिसंबर 2007 में अधिक परिवहन भुगतानों (अप्रैल-दिसंबर 2006 की नगण्य वृद्धि की तुलना में 33.3 प्रतिशत) ने मुख्यत: कच्चे तेल के मूल्यों के उच्च स्तर के कारण भाड़ा लागत में वृद्धि और आयात की मात्रा में वृद्धि की गति दर्शाई।
  • कारोबारी सेवा प्राप्तियाँ और भुगतान के मुख्य घटक मुख्यत: व्यापार संबंधी सेवाएं, कारोबारी और प्रबंधन परामर्श सेवाएं, वास्तुशाॉााय, अभियांत्रिकी और अन्य तकनीकी सेवाएं तथा कार्यालयों के रखरखाव से संबंधित सेवाएं थीं (सारणी 7)।
  •  

सारणी 7 : कारोबारी सेवाए

(मिलियन अमरीकी डॉलर)

 

प्राप्तियाँ

भुगतान

 

अप्रैल-दिसंबर

अप्रैल-मार्च

अप्रैल-दिसंबर

अप्रैल-मार्च

मद

2007-08

2006-07

2006-07

2005-06

2007-08

2006-07

2006-07

2005-06

1

2

3

4

5

6

7

8

9

1. व्यापार संबंधी

1,586

620

939

521

1,621

1,188

1,655

1,206

2. कारेबार और प्रबंधन परामर्श

3,612

4,530

7,346

2,320

2,400

2,853

5,027

1,806

3. वास्तुशाॉााय,, अभियांत्रिकी और अन्य तकनीकी

2,001

4,616

6,134

3,193

2,167

2,090

3,673

1,414

4. कार्यालयों का रखरखाव

2,154

1,755

2,334

1,577

1,748

1,896

3,424

2,074

5. अन्य

2,745

1,653

2,513

1,696

3,316

2,367

3,314

1,248

कुल (1 से 5)

12,098

13,174

19,266

9,307

11,252

10,394

17,093

7,748

     

  • निवेश आय प्राप्तियों में वृद्धि का मुख्य कारण विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि पर ब्याज आय, लाभांश और लाभ तथा पुनर्निवेशित आय था जबकि निवेश आय भुगतान बढ़ने का मुख्य कारण पुनर्निवेशित आय और लाभांश तथा लाभ था (सारणी 8)।
  •  

सारणी 8 : निवेश आय की प्राप्तियों और भुगतानों का ब्योरा

(मिलियन अमरीकी डॉलर)

 

अप्रैल-दिसंबर

अप्रैल-मार्च

मद

2007-08

2006-07

2006-07

2005-06

1

2

3

4

5

प्राप्तियाँ
जिसमें से :

9,297

6,029

8,908

6,229

1. पुनर्निवेशित आय

813

807

1,076

1,092

2. विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि पर ब्याज/बट्टा

6,889

4,364

6,640

4,519

भुगतान
जिसमें से :

12,655

10,763

14,926

11,491

1. अनिवासी भारतीय जमाराशि पर ब्याज भुगतान

1,504

1,469

1,971

1,497

2. ईसीबी पर ब्याज भुगतान

1,917

1,131

1,685

3,148

3.बाह्य सहायता पर ब्याज भुगतान

821

719

982

825

4. लाभांश और लाभ

2,689

2,453

3,485

2,502

5. पुनर्निवेशित आय

4,476

3,726

5,091

2,760

     

  • अदृश्य मदों के अधिशेष में विस्तार (अप्रैल-दिसंबर 2006 के 36.3 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में अप्रैल-दिसंबर 2007 में 50.5 बिलियन अमरीकी डॉलर) ने मुख्यत: विदेशों में स्थित भारतीयों से विप्रेषण और सॉफ्टवेयर सेवा निर्यात में वृद्धि दर्शाई।

चालू खाता घाटा

  • अदृश्य मदों में ऊंचे अधिशेषों के बावजूद, बढ़ते हुए व्यापार घाटे की वज़ह से चालू खाता घाटा अप्रैल-दिसंबर 2006 के 14.0 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर अप्रैल-दिसंबर 2007 में 16.0 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।

पूँजी खाता

  • भारत में आनेवाले पँजी अंतर्वाहों की कुल मात्रा अप्रैल-दिसंबर में 288.2 बिलियन अमरीकी डॉलर रही जबकि बहिर्वा 206.2 बलियन अमरीकी डॉलर रहे (सारणी9)। इसे दर्शाते हुए अप्रैल-दिसंबर 2007 में रहा 81.9 बिलियन अमरीकी डॉलर (अंतर्वाहों से बहिर्वाह घटाकर) का निवल पूँजी अंतर्वाह अप्रैल-दिसंबर 2006 की तुलना में 2.7 गुना और पूरे राजकोषीय वर्ष 2006-07 में निवल प्रवाहों का 1.8 गुना रहा।
  •  

सरणी 9 : अप्रैल-दिसंबर 2007 के दौरान सकल पूँजी अंतर्वाह और बहिर्वाह

  (मिलियन अमरीकी डॉलर)

मद

अंतर्वाह

बहिर्वाह

 

अप्रैल-दिसंबर

अप्रैल-मार्च

अप्रैल-दिसंबर

अप्रैल-मार्च

 

2007-08

2006-07

2006-07

2005-06

2007-08

2006-07

2006-07

2005-06

1

2

3

4

5

6

7

8

9

1. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश

19,748

17,453

22,959

9,178

11,346

9,873

14,480

6,144

2. संविभाग निवेश

161,387

77,400

109,622

68,120

128,391

72,187

102,560

55,626

3. बाह्य सहायता

2,788

2,475

3,763

3,631

1,538

1,472

1,996

1,929

4. बाह्य वाणिज्यिक उधार

22,641

13,191

20,973

14,343

6,345

3,379

4,818

11,835*

5. अनिवासी भारतीय जमाराशियाँ

18,617

14,756

19,914

17,835

19,548

11,083

15,593

15,046

6. अनिवासी भारतीय जमाराशियों को छोड़कर बैंकिंग पूँजी

16,005

8,067

17,295

3,823

9,303

11,510

19,703

5,239

7. अल्पावधि व्यापार ऋण

32,306

21,831

29,992

21,505

21,461

16,153

23,380

17,806

8. रुपया ऋण सेवा

0

0

0

0

45

69

162

572

9. अन्यू पूँजी

14,688

3,044

7,724

5,941

8,261

2,352

3,771

4,709

कुल (1 से 9)

288,180

158,217

232,242

144,376

206,238

128,078

186,463

118,906

* इसमें 5.5 बिलियन अमरीकी डॉलर का इंडिया मिलिनियम डिपॉजिट का प्रतिदान शामिल है।

 

  • अनिवासी भारतीय जमाराशियों को छोड़कर पूँजी प्रवाहों के सभी घटकों ने अप्रैल-दिसंबर 2007 के दौरान ऊंचे अंतर्वाह दर्ज कराए(सारणी10)।
  •  

सारणी 10 : अप्रैल-दिसंबर 2007 के दौरान निवल पूँजी प्रवाह

  (मिलियन अमरीकी डॉलर)

मद

अप्रैल-दिसंबर

अप्रैल-मार्च

 

2007-08

2006-07

2006-07

2005-06

1

2

3

4

5

1. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश

8,402

7,580

8,479

3,034

2. संविभाग निवेश

32,996

5,213

7,062

12,494

3. बाह्य सहायता

1,250

1,003

1,767

1,702

4. बाह्य वाणिज्यिक उधार

16,296

9,812

16,155

2,508*

5. अनिवासी भारतीय जमाराशियाँ

-931

3,673

4,321

2,789

6. अनिवासी भारतीय जमाराशियों को छोड़कर बैंकिंग पूँजी

6,702

-3,443

-2,408

-1,416

7. अल्पावधि व्यापार ऋण

10,845

5,678

6,612

3,699

8. रुपया ऋण सेवा

-45

-69

-162

-572

9. अन्यू पूँजी @

6,427

692

3,953

1,232

कुल (1 से 9)

81,942

30,139

45,779

25,470

* इसमें 5.5 बिलियन अमरीकी डॉलर का इंडिया मिलिनियम डिपॉजिट का प्रतिदान शामिल है। @ इसमें सरणी 11 में दर्शाए गए मद शामिल हैं।

 

  • विदेशी प्रत्यक्ष निवेशों (एफडीआइ) में मोटे तौर पर इक्विटी, पुनर्निवेशित आय और ऋण रहते हैं। अप्रैल-दिसंबर 2007 के दौरान 18.0 बिलियन अमरीकी डॉलर पर रहे निवल अंतर्वाही विदेशी प्रत्यक्ष निवेशों (अप्रैल-दिसंबर 2006 में 17.0 बिलियन अमरीकी डॉलर) ने सतत घरेलू गतिविधि और सकारात्मक निवेश माहौल की सतत दृढ़ता दर्शायी और ये अंतर्वाह भवन-निर्माण, विनिर्माण, कारोबारी औ कम्प्यूटर सेवाओं की ओर आए। अप्रैल-दिसंबर 2007 के दौरान निवल बहिर्वाह विदेशी प्रत्यक्ष निवेश 9.5 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा (अप्रैल दिसंबर 2006 में 9.4 बिलियन अमरीकी डॉलर) जो बाज़ार और संसाधनों के अर्थ में वैश्विक विस्तार के लिए भारतीय कंपनियों की वरीयता को दर्शाता है। इस प्रकार, अप्रैल-दिसंबर 2006 के 7.2 बिलियन अमरीकी डॉलर के निवल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्रवाहों की तुलना में अप्रैल-दिसंबर 2007 में 8.4 बिलियन अमरीकी डॉलर रिकार्ड किए गए थे।
  • अप्रैल-दिसंबर 2007 के दौरान 16.3 बिलियन अमरीकी डॉलर पर रहे निवल ऊंचे बाह्य वाणिज्यिक उधार (अप्रैल-दिसंबर 2006 के दौरान 9.8 बिलियन अमरीकी डॉलर) बाह्य वाणिज्यिक उधारों पर सूक्ष्मतम स्प्रेड और घरेलू क्षमता विस्तार के लिए बढ़ती वित्तीय आवश्यकताओं की वज़ह से संभव हो सके।
  • यह उल्लेख किया जा सकता है कि समीक्षा के आधार पर बाह्य वाणिज्यिक उधार 7 अगस्त 2007 को निम्नानुसार आशोधित किए गए थे :

(क) स्वचालित रूट के अंतर्गत, अंतिम उपभोगों के लिए केवल विदेशी मुद्रा व्ययों हेतु प्रति वित्तीय वर्ष प्रति उधारग्राही कंपनी 500 मिलि. अमरीकी डॉलर तक के बाह्य वाणिज्यिक उधार अनुमत है।
(ख) रुपया व्यय के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार अंतिम उपयोग के लिए केवल 20 मिलि. अमरीकी डॉलर तक के लिए अनुमत है और इसके लिए रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन लेना होगा।

  • अप्रैल-दिसंबर 2007 में निवल अल्पावधि व्यापार ऋण 10.8 बिलि. अमरीकी डॉलर था (180 दिन तक के आपूर्तिकर्ता क्रेडिट को मिलाकर)। कुल अल्पावधि व्यापार ऋण में से अप्रैल-दिसंबर 2007 के दौरान 180 दिन तक के आपूर्तिकर्ता ऋण 4.2 बिलि. अमरीकी डॉलर के रहे।
  • अप्रैल-दिसंबर 2007 के दौरान अनिवासी भारतीय जमाराशियों के कारण निवल पूँजी बहिर्वाह रहा क्योंकि हाल ही की अवधि में ऐसी जमाराशियों पर ब्याज दरें घटा दी गई हैं।
  • अप्रैल-दिसंबर 2007 के दौरान अनिवासी भारतीय जमाराशियों को घटाकर बैंकिंग पूँजी में ऊंची अंतर्वाह रहे जो खासकर 2007-08 की दूसरी तिमाही में भारतीय बैंकों द्वारा विदेश में रखी गई अपनी आस्तियों के आहरण को दर्शाता है।
  • अन्य पूँजी में निर्यातों में कमीबेशी (लीड्स एण्ड लैग्स), विदेशी में रखी गई निधियाँ, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के अंतर्गत शेयरों के निर्गम को लंबित रखते हुए प्राप्त अग्रिम और अन्यत्र शामिल न की गई अन्य पूंजी प्राप्तियाँ (एन.आइ.ई.) रहती हैं (सारणी 11)।
  • निर्यातों में ‘कमीबेशी’ बैंकिंग चैनल के माध्यम से रिकार्ड किए गए वणिक निर्यात संबंधी आँकड़ों तथा समय और मूल्यन भिन्नताओं के चलते सीमा शुल्क विभाग के माध्यम से रिकार्ड किए गए आँकड़ों के बीच के अंतर को दर्शाता है।
  • ‘विदेश में धारित निधियाँ’ बाह्य वाणिज्यिक उधारों और एडीआर-जीडीआर के माध्यम से जुटाई गई निधियाँ जो बाहर रखी गई हैं और भारत में प्रत्यावर्तित नहीं की गई हैं, को दर्शाता है।
  • ‘विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के अंतर्गत शेयरों के निर्गम को लंबित रखते हुए प्राप्त अग्रिम’ में सामान्य बैंकिंग चैनल के माध्यम से अंतर्वाही प्रेषणों द्वारा ऐसे शेयरों के लिए रखी गई राशि शामिल है। हालांकि, शेयरों के वास्तविक निर्गमों के लिए अग्रिमों के विप्रेषणों की समस्त राशि का उपयोग नहीं किया जाता है। इस प्रकार, प्राप्त अग्रिम विप्रेषणों और जारी किए गए वास्तविक शेयरों के बीच का अंतर ‘अन्य पूँजी’ के एक भाग के रूप में माना जाता है।
  • ‘अन्यत्र शामिल न की गई’ (एनआइई) अन्य पूँजी के अंतर्गत वित्तीय डेरिवेटिव और हेजिंग के मार्जिनों, प्रवासी अंतरणों और अन्यू पूँजी अंतरणों तथा चूक होने पर वित्तीय गारंटियों की वसूली और जोखिम पूँजी से संबंधित पारदेशी लेनदेनों का समावेश रहा है। वित्तीय व्युत्पन्नियों और हेजिंग से संबंधित लेनदेन ऐसे लेनदेनों के मार्जिनों हेतु भुगतान और निपटान से संबंधित होते हैं। विदेशी जोखिम पूँजी को भारतीय जोखिम पूँजी उपक्रमों (आइवीसीयू) और जोखिम पूँजी निधियों (वीसीएफ) की यूनिटों में निवेश करने की अनुमति है। चूँकि विदेशी जोखिम पूँजी निवेशकों द्वारा भारतीय जोखिम पूँजी उपक्रमों में किया गया निवेश भारतीय रिज़र्व बैंक को सूचित किया जाता है, अत:, इसे विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के मौजूदा रिपोर्टिंग ढांचे के अंतर्गत शामिल किया जाता है। तथापि, आइवीसीएफ के निधीयन के लिए कोई अलग रिपोर्टिंग प्रणाली नहीं है इसलिए ये अन्य पूँजी एनआइई के अंतर्गत कवर हो जाती हैं। अप्रवासी अंतरणों में विदेश में बसे भारतीय अप्रवासियों द्वारा किए जानेवाले पूँजी आस्तियों के अंतरण और क्षतिपूर्ति भुगतान शामिल रहेते हैं।
  •  

सारणी 11 : ‘अन्य पूँजी’ (निवल) के ब्यौर

  (मिलियन अमरीकी डॉलर)

मद

अप्रैल-दिसंबर

अप्रैल-मार्च

 

2007-08

2006-07

2006-07

2005-06

1

2

3

4

5

1. निर्यात में कमी-बेशी

2,772

2,192

773

-564

2. विदेशी में धारित निवल निधियाँ

-3,718

-1,305

496

236

3. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के अंतर्गत शेयरों के लंबित निर्गम से प्राप्त अग्रिम

5,561

 -

-

-

4. अन्य पूँजी प्राप्तियाँ जो कहीं शामिल नहीं हैं (एन.आइ.इ) (इसमें व्युत्पन्नी और हेज़िग, प्रवासी अंतरण और अन्य पूँजी अंतरण शामिल हैं

1,812

-195

2,684

1,560

कुल (1 से 4)

6,427

692

3,953

1,232

 

आरक्षित राशियों में वृद्धि

     

  • अप्रैल-दिसंबर 2007 के दौरान 67.2 बिलि. अमरीकी डॉलर पर विदेशी मुद्रा आरक्षित राशियों में भुगतान संतुलन आधार पर निवल वृद्धि (मल्यन को छोड़कर) चालू खाता घाटे के होते हुए भी सुदृढ़ पूँजी अंतर्वाहों द्वारा संभव हुई थी (चार्ट 5)। 8.9 बिलि. अमरीकी डॉलर के मूल्यन लाभ को हिसाब में लेते हुए विदेशी मुद्रा आरक्षित राशियों में पिछले वर्ष की तदनुरूप अवधि के दौरान रहे 25.6 बिलि. अमरीकी डॉलर की वृद्धि की तुलना में अप्रैल-दिसंबर 2007 के दौरान 76.1 बिलि. अमरीकी डॉलर की वृद्धि रिकार्ड की गई (विदेशी मुद्रा आरक्षितों के ॉााटतों में वृद्धि से संबंधित एक प्रेस विज्ञप्ति अलग से जारी की गई है)।

     

  • दिसंबर 2007 के अंत में विदेशी मुद्रा आरक्षितों का विशाल भंडार 275.3 बिलि. अमरीकी डॉलर रहा। आरक्षित राशियों के स्तर में और वृद्धि हुई और यह बढ़कर 21 मार्च 2008 को 304.7 बिलि. अमरीकी डॉलर होगया।
  •  

अंत में, भारत के भुगतान संतुलन के महत्त्वपूर्ण पहलू जो अप्रैल-दिसंबर 2007-08 में उभरे, वे थे (i) व्यापार घाटे में तेज वृद्धि जिसमें मुख्यत: भारी आयात सबसे ज्यादा थे, (ii) अदृश्य अधिशेषों में महत्त्वपूर्ण्प वृद्धि जिसमें विदेश स्थित भारतीयों द्वारा भेजे जानेवाले विप्रेषण और सॉफ्टवेयर सेवाओं का स्थान अग्रणी था, (iii) बढ़ते जा रहे व्यापार घाटे के कारण उच्च चालू खाता घाटा, (iv) पूँजी प्रवाहों (निवल) में भारी वृद्धि जोकि अप्रैल-दिसंबर 2006 की 2.7 गुना थी, (v) आरक्षित राशियों में 67.2 बिलि. अमरीकी डॉलर की भारी वृद्धि।

     

  1. 2007-08 की पहली और दूसरी तिमाही के लिए भुगतान संतुलन के आँकड़ों में संशोधन

    30 सितंबर 2004 को घोषित संशोधन नीति के अनुसार 2007-08 की पहली और दूसरी तिमाही के आँकड़े विभिन्न इंकाईयों द्वारा रिपोर्ट की गई अद्यतन सूचना के आधार पर संशोधित किए गए हैं। विवरण 1 में प्रस्तुत मानक फार्मेट में ये संशोधित आँकड़े दर्शाए गए हैं।

  2. आयात विषयक आँकड़ो का मिलान
  3. अप्रैल-दिसंबर 2007 के दौरान डीजीसीआइएण्डएस के आयात संबंधी आँकड़ों और भुगतान संतुलन संबंधी वणिक आयातों के आधार पर इन दो आँकड़ा सेटों के बीच का अंतर 2006-07 की तदनुरूप अवधि के दौरान 8.6 बिलि. अमरीकी डॉलर की तुलना में 10.4 बिलि. अमरीकी डॉलर बैठता है। राजकोषीय वर्ष 2006-07 के लिए भुगतान संतुलन संबंधी वणिक आयातों और डीजीआइएण्डएस के आयात संबंधी आँकड़ों के बीच अंतर 5.6 बिलि. अमरीकी डॉलर निकलता है (सारणी 12)।

    सारणी 12 : वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन महाविदेशालय तथा
    भुगतान संतुलन आयात आँकड़ें

      (मिलियन अमरीकी डॉलर)

    मद

    अप्रैल-दिसंबर

    अप्रैल-मार्च

     

    2007-08

    2006-07

    2006-07

    2005-06

    1

    2

    3

    4

    5

    1. भुगतान संतुलन आयात

    181.6

    142.7

    191.3

    157.1

    2. वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन महाविदेशालय

    171.2

    134.1

    185.7

    149.2

    3. अंतर (1-2)

    10.4

    8.6

    5.6

    7.9

     

     

  4. दिसंबर 2007 को समाप्त तिमाही के लिए बाह्य ऋण

मौजूदा प्रथा के अनुसार मार्च और जून को समाप्त तिमाही के लिए बाह्य ऋण समेकित किए जाते हैं और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस संबंध में सूचना जारी की जाती है। जबकि सितंबर और दिसंबर को समाप्त तिमाहियों के लिए बाह्य ऋण संबंधी आँकड़ वित्त मंऋालय, भारत सरकार द्वारा समेकित और जारी किए जाते हैं। तदनुसार, दिसंबर 2007 को समाप्त तिमाही के लिए बाह्य ऋण से संबंधित आँकड़े वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आज जारी किए जा रहे हैं। यह आँकड़े http://finmin.nic.in पर देखे जा सकते हैं। जैसाकि पहले उल्लेख किया जा चुका है मार्च 2005 के अंत से इन आँकड़ों में अब 180 दिन तक के आपूर्तिकर्ता ऋण संबंधी आँकड़ें बाह्य ऋण आँकड़ों में शामिल रहते हैं।

 

जी. रघुराज
उप महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2007-2008/1268

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