2006-07 की तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर 2006) और अप्रैल-दिसंबर 2006 के दौरान भारत की भुगतान संतुलन संबंधी गतिविधियां - आरबीआई - Reserve Bank of India
2006-07 की तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर 2006) और अप्रैल-दिसंबर 2006 के दौरान भारत की भुगतान संतुलन संबंधी गतिविधियां
30 मार्च 2007
2006-07 की तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर 2006) और
अप्रैल-दिसंबर 2006 के दौरान भारत की भुगतान संतुलन संबंधी गतिविधियां
वित्तीय वर्ष 2006-07 की तीसरी तिमाही (क्यू 3) अर्थात् अक्तूबर-दिसंबर 2006 के भारत के भुगतान संतुलन के प्रारंभिक आंकड़े अब उपलब्ध हैं। ये प्रारंभिक आंकड़े, पहली दो तिमाहियों (अर्थात्थ अप्रैल-जून 2006 और जुलाई-सितंबर 2006) के आंशिक रूप से संशोधित आंकड़ों के साथ अप्रैल-दिसंबर 2006 की अवधि के भुगतान संतुलन का मूल्यांकन प्रस्तुत करते हैं। भुगतान संतुलन के संपूर्ण आंकड़े विवरण 1 और 2 के मानक फार्मेट में दिए गए हैं।
अक्तूबर - दिसंबर 2006
2006-07 की तीसरी तिमाही के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें सारणी 1 में और ब्योरा विवरण 1 में दिया गया है।
सारणी 1 : भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें - अक्तूबर-दिसंबर 2006 |
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(मिलियन अमरीकी डॉलर) |
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मदें |
अप्रैल-जून |
जुलाई-सितंबर |
अक्तूबर-दिसंबर |
अक्तूबर-दिसंबर |
|
2006 आं.सं. |
2006 आं.सं. |
2006 प्रा. |
2005 आं.सं. |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
निर्यात |
29,674 |
32,798 |
28,862 |
25,318 |
आयात |
46,898 |
48,855 |
47,883 |
38,298 |
व्यापार संतुलन |
-17,224 |
-16,057 |
-19,021 |
-12,980 |
अदृश्य मदें, निवल |
13,127 |
11,375 |
15,979 |
8,198 |
चालू खाता शेष |
-4,097 |
-4,682 |
-3,042 |
-4,782 |
पूंजी खाता* |
10,475 |
6,950 |
10,547 |
110 |
निधि भंडार में परिवर्तन (-चिन्ह वृद्धि दर्शाता है)# |
-6,378 |
-2,268 |
-7,505 |
4,672 |
*: भूल चूक सहित #: मूल्यन परिवर्तन को छोड़कर, भुगतान संतुलन के आधार पर |
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प्रा : प्रारंभिक आं.सं. : आंशिक रूप से संशोधित |
पण्य व्यापार
- भुगतान संतुलन के आधार पर, भारत के पण्य निर्यात में 2006-07 की तीसरी तिमाही में 14 प्रतिशत वृद्धि हुई, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में 21.2 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।
- भुगतान संतुलन के आधार पर, आयात भुगतान में 2006-07 की तीसरी तिमाही में 25.0 प्रतिशत वृद्धि हुई, जबकि 2005-06 की तीसरी तिमाही में 17.3 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।
- वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन महानिदेशालय (डीजीसीआई एण्ड एस ) द्वारा जारी वस्तुवार विवरण के अनुसार, निर्यात वृद्धि में गिरावट (नवंबर 2006 तक) मुख्य रूप से विनिर्मित माल के निर्यात में कमी के कारण थी।
- वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन महानिदेशालय (डीजीसीआई एण्ड एस) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, तेल आयात में 2006-07 की तीसरी तिमाही में 35.4 प्रतिशत (2005-06 की तीसरी तिमाही में 53.9 प्रतिशत) की वृद्धि हुई, वहीं तेल से इतर के आयात में 24.0 प्रतिशत (2005-06 की तीसरी तिमाही में 11.9 प्रतिशत) की वृद्धि हुई।
- तेल आयात में अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के भारतीय समूह (दुबई और ब्रेंट किस्में) के मूल्य की अधिकता का प्रभाव परिलक्षित हुआ, जो पिछले वर्ष की तदनुरूपी तिमाही के प्रति बैरल 54.3 अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2006-07 की तीसरी तिमाही में प्रति बैरल 58.3 अमरीकी डॉलर हो गया।
- तेल से इतर आयात में तेजी देखी गई जिसका कारण सोने की मांग में मौसमी तेजी और कीमत स्थिरता तथा धातुमय अयस्क और धात्विक कबाड़, लोहा और इस्पात, मोती, मूल्यवान और अर्ध मूल्यवान पत्थरों में तेजी तथा पूंजीगत सामान में लगातार वृद्धि था।
व्यापार घाटा
- भुगतान संतुलन आधार पर, तेल आयात की प्रबल मांग के साथ तेल से इतर मदों के आयात में तेजी आने के कारण व्यापार घाटे में 2006-07 की तीसरी तिमाही में 19.0 बिलियन अमरीकी डॉलर (2005-06 की तीसरी तिमाही में 13.0 बिलियन अमरीकी डॉलर) की निरंतर वृद्धि हुई।
अदृश्य मदें
- अदृश्य मदों की प्राप्तियों में तेज वृद्धि (33.4 प्रतिशत) के आधार पर अदृश्य मदों की निवल प्राप्तियाँ 2006-07 की तीसरी तिमाही में लगभग दुगुनी हो गई, जबकि भुगतान जिनमें इंडिया मिलेनियम (आइएमडी) ब्याज भुगतान शामिल हैं पिछले वर्ष की समरूपी अवधि के स्तर के आसपास ही बने रहे।
- अदृश्य मद अधिशेष में निरंतर वृद्धि परिलक्षित हुई जिससे मुख्य रूप से सॉफ्टवेयर, व्यावसायिक और कारोबार तथा सेवाओं तथा विदेश में रहने वाले भारतीयों के प्रेषणों में वृद्धि दिखी ।
चालू खाता घाटा
- व्यापार घाटा 2006-07 की तीसरी तिमाही में बढ़कर 19.0 बिलियन अमरीकी डॉलर हो जाने के बावजूद (2005-06 की तीसरी तिमाही में 13.0 बिलियन अमरीकी डॉलर) चालू खाते का घाटा 2006-07 की तीसरी तिमाही में कम होकर 3.0 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया (2005-06 की तीसरी तिमाही में 4.8 बिलियन अमरीकी डॉलर) जिसका कारण अदृश्य मदों की भारी प्राप्तियां था।
पूंजी खाता और विदेशी मुद्रा भंडार
- निवल पूंजी अंतर्वाह 2005-06 की तीसरी तिमाही के 0.4 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में 2006-07 की तीसरी तिमाही में 10.7 बिलियन अमरीकी डॉलर के उच्च स्तर पर थे। यह उल्लेखनीय है कि 2005-06 की तीसरी तिमाही में आइएमडी की चुकौती (5.5 बिलियन अमरीकी डॉलर) के कारण हुए बहिर्वाह से निवल पूंजी प्रवाह प्रभावित हुए थे।
- पूंजी खाते के अंतर्गत, प्रत्यक्ष निवेश में मजबूत द्विमार्गी गतिविधि देखी गई जो उच्च अंतर्वाही और साथ ही बहिर्वाही निवेश दर्शाती है, वहीं संविभागीय निवेश गतिशील हो गए जिसका आधार स्टॉक की कीमतों में वृद्धि था।
- भारत में प्रत्यक्ष निवेश में तीसरी तिमाही में तेजी आ गई (8.7 बिलियन अमरीकी डॉलर), वही भारत से बाहर होने वाले प्रत्यक्ष निवेश में भी कुछ बड़े विदेशी अधिग्रहणों के कारण भारी वृद्धि (6.4 बिलियन अमरीकी डॉलर ) देखी गई।
- निवल पूंजी अंतर्वाहों में प्रमुख योगदानकर्ता बाह्य वाणिज्यिक उधार, अनिवासी भारतीय जमाराशियां और अन्य पूंजी थे।
- अन्य पूंजी 2006-07 की तीसरी तिमाही में पूंजी-खाते का एक महत्वपूर्ण घटक रही है (3.2 बिलियन अमरीकी डालर) । अन्य पूंजी में यह भारी वृद्धि बैंकिंग चैनल और वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन महानिदेशालय के आंकड़ों में अंतर के कारण है।
- भुगतान संतुलन आधार पर विदेशी मुद्रा भंडार (मूल्यन को छोड़कर) में 2006-07 की तीसरी तिमाही में 7.5 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि 2005-06 की तीसरी तिमाही की 4.7 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि की तुलना में अधिक थी।
अप्रैल-दिसंबर 2006
वित्तीय वर्ष 2006-07 की अप्रैल-दिसंबर अवधि के भुगतान संतुलन की स्थिति का आकलन 2006-07 की पहली और दूसरी तिमाही के आंशिक तौर पर संशोधित आंकड़ों और 2006-07 की तीसरी तिमाही के प्रारंभिक आंकड़ों को हिसाब में लेते हुए किया गया है। जबकि विस्तृत आंकड़े प्रस्तुतीकरण के मानक फार्मेट में विररण-2 में दिए गए हैं, प्रमुख मदें सारणी 2 में दी गई हैं।
सारणी 2 : भारत का भुगतान संतुलन : अप्रैल-दिसंबर 2006 |
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(मिलियन अमरीकी डॉलर) |
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|
अप्रैल-दिसंबर 2006 |
अप्रैल-दिसंबर 2005 |
1 |
2 |
3 |
निर्यात |
91,334 |
74,573 |
आयात |
143,636 |
114,662 |
व्यापार संतुलन |
-52,302 |
-40,089 |
अदृश्य मदें, निवल |
40,481 |
28,147 |
चालू खाता शेष |
-11,821 |
-11,942 |
पूंजी खाता* |
27,972 |
13,773 |
आरक्षित निधियों में परिवर्तन # |
-16,151 |
-1,831 |
* : भूल चूक सहित # :मूल्यन को छोड़कर भुगतान संतुलन पर आधारित |
पण्य व्यापार
- भुगतान संतुलन के आधार पर पण्य निर्यातों में अप्रैल-दिसंबर 2006 के दौरान 22.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई (पिछले वर्ष की तदनुरूपी अवधि में 29.5 प्रतिशत)।
- पण्य आयात भुगतानों ने भुगतान संतुलन आधार पर पिछले वर्ष की तदनुरूपी अवधि में हुई 36.2 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में अप्रैल-दिसंबर 2006 में 25.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाई।
- वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन महानिदेशालय द्वारा जारी पण्यवार आंकड़ों के अनुसार (नवंबर 2006 तक) विनिर्मित सामानों यथा रसायन और उससे संबद्ध उत्पाद, वॉा और वॉा निर्मित उत्पाद, चमड़ा और उससे निर्मित वस्तुओं के निर्यात में मंदी के कारण निर्यात वृद्धि की गति धीमी हुई और हस्तनिर्मित वस्तुओं, रत्न एवं आभूषणों की कमी के कारण निर्यात वृद्धि में गिरावट आई।
- वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन महानिदेशालय के अनुसार तेल आयातों में अप्रैल-दिसंबर 2006 में 39.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई (अप्रैल-दिसंबर 2005 में 46.9 प्रतिशत), जबकि तेल से इतर वस्तुओं के आयात में 18.6 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की गई (अप्रैल-दिसंबर 2005 में 34.3 प्रतिशत)।
- कच्चे तेल के आयातों में हुई वृद्धि (i) 2006-07 की तीसरी तिमाही में कुछ नरमी के बावज़ूद तेल के अंतरराष्ट्रीय मूल्यों और (ii) मात्रा में हुई सुदृढ़ वृद्धि को भी दर्शाती है। अप्रैल-दिसंबर 2006 के दौरान कच्चे तेल के औसत मूल्यों में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 19 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि मात्रात्मक रूप में यह वृद्धि 16 प्रतिशत थी।
- कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय भारतीय बास्केट (दुबई और ब्रेंट किस्मों का मिश्रण) का औसत मूल्य पिछले वर्ष की तदनुरूप अवधि में 54 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर अप्रैल-दिसंबर 2006 में 64.3 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल हो गया (चार्ट 1)।
व्यापार घाटा
- निर्यात वृद्धि के कदम को पीछे छोड़ते हुए आयातों में वृद्धि के साथ जो मुख्यत: तेल आयातों के कारण थी, भुगतान संतुलन आधार पर पण्य व्यापार घाटे में तेज वृद्धि हुई और यह अप्रैल-दिसंबर 2005 के 40.1 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 52.3 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया (चार्ट 2)।
अदृश्य प्राप्तियां
- अदृश्य प्राप्तियों में विदेश में रहनेवाले भारतीयों से आनेवाले विप्रेषणों के अतिरिक्त साफ्टवेयर निर्यात अन्य पेशेवर और कारोबारी सेवाएं, यात्रा एवं परिवहन में मुख्यत:
- महत्वपूर्ण वृद्धि के चलते 29.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई (सारणी 3)।
सारणी 3 : अदृश्य मदों की सकल प्राप्तियां और भुगतान - अप्रैल-दिसंबर 2006 |
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(मिलियन अमरीकी डालर) |
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मदें |
अदृश्य प्राप्तियां |
अदृश्य भुगतान |
||
अप्रैल-दिसंबर
|
अप्रैल-दिसंबर |
अप्रैल-दिसंबर |
अप्रैल-दिसंबर |
|
2006 |
2005 |
2006 |
2005 |
|
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
यात्रा |
6,425 |
5,344 |
5,444 |
4,556 |
परिवहन |
5,848 |
4,510 |
6,298 |
5,597 |
बीमा |
844 |
778 |
479 |
678 |
सरकारी, अन्यत्र न शामिल किए गए |
211 |
223 |
308 |
330 |
अंतरण |
19,964 |
17,562 |
1021 |
625 |
आय |
5,970 |
3,890 |
9,496 |
9,096 |
निवेश आय |
5,728 |
3,789 |
8,828 |
8,530 |
कर्मचारियों का वेतन |
242 |
101 |
668 |
566 |
विविध |
43,371 |
31,287 |
19,106 |
14,565 |
उसमें से : साफ्टवेयर |
21,762 |
16,575 |
1619 |
978 |
कुल |
82,633 |
63,594 |
42,152 |
35,447 |
- निजी अंतरण प्राप्तियां जिनमें मूलत: विदेश में कार्य करने वाले भारतीयों से प्राप्त होने वाले विप्रेषणों का समावेश रहता है, अप्रैल दिसंबर 2005 के 17.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में अप्रैल-दिसंबर 2006 में 19.6 बिलियन अमरीकी डॉलर पर स्थिर रहीं (चार्ट 3)।
- अदृश्य भुगतानों में बाहर जानेवाले पर्यटकों की संख्या में तेज वृद्धि, कारोबारी सेवाओं जैसे कि कारोबार और प्रबंधन परामर्श, इंजीनियरी, तकनीकी सेवाएं तथा लाभांश और लाभ अदायगियों के चलते भी वृद्धि (18.9 प्रतिशत) हुई।
- विविध प्राप्तियों में सॉफ्टवेयर को घटाकर अप्रैल-दिसंबर 2006 में 21.6 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई (अप्रैल-दिसंबर 2005 में 14.7 बिलियन अमरीकी डॉलर) । आंकड़ों का अलग-अलग विवरण सारणी 4 में प्रस्तुत किया गया है।
सारणी 4 : सॉफ्टवेयर से इतर प्राप्तियों और भुगतानों का अलग-अलग विवरण |
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(मिलियन अमरीकी डॉलर) |
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मदें |
प्राप्तियां |
भुगतान |
||
अप्रैल-दिसंबर |
अप्रैल-दिसंबर |
अप्रैल-दिसंबर |
अप्रैल-दिसंबर |
|
2006 |
2005 |
2006 |
2005 |
|
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
संचार सेवाएं |
1451 |
1442 |
550 |
459 |
भवन निर्माण |
279 |
792 |
575 |
522 |
वित्तीय |
1,598 |
1231 |
966 |
958 |
समाचार एजेंसी |
316 |
257 |
119 |
206 |
रॉयल्टी, कॉपीराइट एवं लाइसेंस शुल्क |
84 |
100 |
703 |
484 |
कारोबारी सेवाएं |
16,496 |
8,333 |
12,501 |
6,811 |
निजी, सांस्कृतिक, मनोरंजन |
176 |
86 |
93 |
74 |
अन्य |
1,209 |
2,471 |
1,980 |
4,073 |
जोड़ |
21,609 |
14,712 |
17,487 |
13,587 |
- कारोबारी सेवाओं संबंधी प्राप्तियां और भुगतान दोनों ही मुख्यत: व्यापार संबद्ध सेवाएं, कारोबार और प्रबंधन परामर्श सेवाओं, आर्किटेक्चर, इंजीनियरी और अन्य तकनीकी सेवाओं तथा कार्यालयों के संचालन से संबंधित सेवाओं द्वारा संचालित रहे। ये व्यावसायिक और प्रौद्योगिकी से संबद्ध सेवाओं में निहित गति को प्रतिबिंबित करते हैं।
चालू खाता घाटा
अप्रैल-दिसंबर 2006 में 11.8 बिलियन अमरीकी डालर का चालू खाता घाटा मुख्य रूप से निवल अदृश्य मदों की प्राप्तियों की अधिकता के कारण मौटे तौर पर पूर्व वर्ष की तदनुरूपी अवधि के समान स्तर पर बना रहा।
चार्ट 4 चालू खाता शेष में उतार-चढ़ाव
पूँजी खाता
- निवल पूंजी प्रवाह अप्रैल-दिसंबर 2005 में 13.4 बिलियन अमरीकी डालर से 27.3 बिलियन अमरीकी डालर बढ़ा।
- विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में प्रबल द्वि-मार्गी उतार-चढ़ाव और बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी), अनिवासी जमा तथा पोर्टफालियो प्रवाह के माध्यम से गतिशील अन्तर्वाह, पूँजी प्रवाह से अधिक थे (सारणी 5)।
सारणी 5 : अप्रैल-दिसंबर 2006 के दौरान निवल पूँजी प्रवाह |
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(मिलियन अमरीकी डॉलर) |
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मदें |
अप्रैल-दिसंबर 2006 |
अप्रैल-दिसंबर 2005 |
1 |
2 |
3 |
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश |
5,822 |
3,347 |
पोर्टफालियो निवेश |
5,170 |
8,161 |
बाह्य सहायता |
934 |
1090 |
बाह्य वाणिज्यिक उधार |
9,104 |
-1,211 |
अनिवासी जमाराशियां |
3,201 |
1114 |
अन्य बैंकिंग पूँजी |
-2,095 |
686 |
अल्पकालिक ऋण |
1,329 |
1731 |
अन्य |
3,878 |
-1,484 |
कुल |
27,343 |
13,434 |
- भारत में निवल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआइ) निरंतर घरेलू गतिविधि की सुदृढ़ता और धनात्मक निवेश वातावरण के कारण बढ़ा जिसमें अन्तर्वाह विनिर्माण, कारोबार और कंप्यूटर सेवाओं में लगाए गए। एफडीआइ मुख्य रूप से वित्तीय सेवाओं, विनिर्माण, बैंकिंग सेवाओं सूचना तकनीक सेवाओं और निर्माण में लगाए गए। मारीशस, अमरीका और सिंगापुर भारत में एफडीआइ के प्रमुख स्रोत बने रहे।
- वैश्विक विस्तार के प्रति भारतीय कंपनियों की आकांक्षाओं के कारण भारत के बाह्य एफडीआइ में सुदृढ़ वृद्धि दिखी जो कुछ बड़े-बड़े विदेशी अधिग्रहणों के रूप में परिलक्षित हुई।
- जहाँ तक पोर्टफोलियो इक्विटी प्रवाहों की बात है, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) ने अगस्त-नवंबर 2006 के दौरान भारतीय शेयर बाजार में बड़ी-बड़ी खरीदें की जो मई-जुलाई 2006 के दौरान दिखे बर्हिवाहों को समंजित करने से अधिक थीं। तथापि, दिसंबर 2006 के दौरान, थाइलैण्ड द्वारा पूँजी नियंत्रणों को कठोर बनाने के पश्चात, एशिया इक्विटी बाजार में अस्थिरता के कारण एफआइआइ में बर्हिवाह दिखे। कुल मिलाकर, अप्रैल-दिसंबर 2006 के दौरान निवल एफआइआइ अन्तर्वाह पिछले वर्ष की तदनुरूपी अवधि से तुलना करने पर कम थे। विदेश में अमरीकन निक्षेपागार रसीद (एडीआर) / वैश्विक निक्षेपागार रसीद (जीडीआर) के निर्गमों के माध्यम से जुटाए गए संसाधन भी अधिक बने रहे।
- पूंजी अंतर्वाह में अन्य बड़े योगदान करने वाले बाह्य वाणिज्यिक उधार और अनिवासी जमाराशियां थीं। बाह्य उधारों के कम अंतर (स्प्रेड) और घरेलू तौर पर क्षमता विस्तार के लिए बढ़ती वित्तीय आवश्यकताओं के कारण ईसीबी का अधिक सहारा लिया गया।
- अप्रैल-दिसंबर 2006 के दौरान अनिवासी जमाराशियों के अंतर्गत निवल अंतर्वाह एक वर्ष पहले की तुलना में वास्तविक रूप से अधिक थे, जिसके लिए आंशिक रूप से प्रस्तावित अधिक ब्याज दर को उत्तरदायी माना जा सकता है। अनिवासी जमाओं पर ब्याज दर की अधिकतम सीमा अप्रैल 2006 में 25 आधार अंक बढ़ाकर अमरीकी डॉलर की लिबोर / स्वैप दर + 100 आधार अंक तथा एफसी एन आर (बी) जमाओं पर मार्च 2006 में 25 आधार अंक बढ़ाकर लिबोर / स्वैप दर कर दी गई।
- अन्य पूँजी बढ़ी, मुख्य रूप से निर्यात प्राप्तियों में अग्रिम स्थिति रही, खास तौर से 2006-07 की तीसरी तिमाही में। अन्य पूंजी जो मुख्य रूप से निर्यात में घट बढ़ को प्रदर्शित करती है, अप्रैल-दिसंबर के दौरान 3.9 बिलियन अमरीकी डॉलर थी। उल्लेखनीय है कि ये 2006-07 की तीसरी तिमाही में किए गए निर्यात संबंधी बैंकिंग माध्यम और सीमा शुल्क के आंकड़ों के अंतर को दर्शाते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि
- भुगतान संतुलन आधार पर (अर्थात मूल्यन को छोड़कर) विदेशी मुद्रा भंडार में 16.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की निवल वृद्धि, चालू खाते में काफी घाटे के बावजूद, सुदृढ़ पूंजी अंतर्वाह के कारण थी (चार्ट 5) । 9.5 बिलियन अमरीकी डॉलर के मूल्यन लाभ को ध्यान में रखते हुए, अप्रैल-दिसंबर 2006 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 25.6 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई (पिछले वर्ष की तदनुरूपी अवधि के दौरान 4.3 बिलियन अमरीकी डॉलर के बर्हिवाह के विपरीत) ।
- दिसंबर 2006 के अंत में, जब बकाया विदेशी मुद्रा भंडार 177.3 बिलियन अमरीकी डॉलर था, भारत उभरते बाजार में सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भंडार रखने वाला पांचवा और विश्व में छठा सबसे बड़ा देश था।
वर्ष 2006-07 की पहली दो तिमाहियों के भुगतान संतुलन में संशोधन
30 सितंबर 2004 को घोषित संशोधित नीति के अनुसार 2006-07 की पहली दो तिमाहियों के आकड़े संशोधित किए जाने हैं। भुगतान संतुलन के आकड़ों को विभिन्न रिपोर्ट करने वाली संस्थाओं द्वारा दी गई अद्यतन सूचनाओं के आधार पर तदनुसार संशोधित किया गया है। संशोधित आंकड़े विवरण 1 और 2 के मानक फार्मेट के प्रस्तुतीकरण में दिए गए हैं।
अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2006-2007/1324