2007-08 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2007) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधियां और 2005-06, 2006-07 तथा 2007-08 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2007) में संशोधन। - आरबीआई - Reserve Bank of India
2007-08 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2007) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधियां और 2005-06, 2006-07 तथा 2007-08 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2007) में संशोधन।
31 दिसंबर 2007
2007-08 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2007) के दौरान भारत के
भुगतान संतुलन की गतिविधियां और 2005-06, 2006-07 तथा 2007-08
की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2007) में संशोधन।
वित्तीय वर्ष 2007-08 की दूसरी तिमाही अर्थात जुलाई-सितंबर 2007 के भारत के भुगतान संतुलन के प्रारंभिक आंकड़े अब उपलब्ध हैं। इन प्रारंभिक आंकड़ों और पहली तिमाही अर्थात अप्रैल-जून 2007 के आंशिक रूप से संशोधित आंकड़ों को वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली छमाही अर्थात अप्रैल-सितंबर 2007 के लिए भुगतान संतुलन के आंकड़ों को संकलित करते समय हिसाब में लिया गया है। इन आंकड़ों का संपूर्ण ब्यौरा विवरण I और II में भुगतान संतुलन प्रस्तुतीकरण के मानक फार्मेट में दिया गया है।
वित्तीय वर्ष 2005-06 और 2006-07 के संशोधनों में, अन्य बातों के साथ-साथ, कारोबार सेवाओं और सॉफ्टवेयर सेवाओं के बीच संभावित अतिव्याप्ति (ओवर लैप) के मुद्दे को ध्यान में रखा गया है। तदनुसार, प्राधिकृत व्यापारियों के द्वारा सूचित किए गए आंकड़ों की समीक्षा की गई और फीडबैक के आधार पर कारोबार सेवाओं के विभिन्न घटकों में संशोधन किए गए हैं।
अब तक, भारत के भुगतान संतुलन में 180 दिवस तक के आपूर्तिकर्ता के ऋण (भारत में आयातों के वित्तीयन के लिए विदेशी आपूर्तिकर्ता द्वारा दिए गए ऋण) को स्पष्ट रूप से शामिल नहीं किया जाता था। इन आकड़ों को अप्रत्यक्ष रूप से ‘अन्यत्र शामिल नहीं अन्य पूंजी’ तथा ‘भूल - चूक’ शीर्षकों के अन्तर्गत पूँजी खाते में लिया जाता था। अब, इन आंकड़ों को भुगतान संतुलन के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2005-06 से और बाह्य ऋण के अंतर्गत मार्च 2005 के अंत से भारत के अल्पावधि व्यापार ऋण के एक भाग के रूप में शामिल किया गया है।
- जुलाई-सितंबर 2007 (दूसरी तिमाही) के लिए भुगतान संतुलन
2007-08 की दूसरी तिमाही के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें सारणी-1 में नीचे दी गई हैं।
सारणी 1 : भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें (मिलियन अमरीकी डॉलर) | ||||||||
मदें
| जुलाई-सितंबर
| अप्रैल-जून | ||||||
2007 (प्रा) | 2006 (आं.सं.) | 2007 | 2006 | |||||
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | ||||
1. निर्यात | 37,875 | 31,836 | 35,790 | 29,614 | ||||
2. आयात | 59,586 | 48,593 | 56,480 | 46,631 | ||||
3. व्यापार संतुलन (1-2) | -21,711 | -16,757 | -20,690 | -17,017 | ||||
4. अदृश्य मदें, निवल | 16,195 | 10,482 | 15,493 | 12,952 | ||||
5. चालू खाता शेष (3+4) | -5,516 | -6,275 | -5,197 | -4,065 | ||||
6. पूंजी खाता * | 34,752 | 8,545 | 16,397 | 10,444 | ||||
7. प्रारक्षित भंडार में परिवर्तन | -29,236 | -2,270
| -11,200 | -6,379
| ||||
*: भूल चूक सहित. #: मूल्यन परिवर्तन को छोड़कर, भुगतान संतुलन के आधार पर |
पण्य व्यापार
- भुगतान संतुलन आधार पर, भारत के पण्य निर्यात में पिछले वर्ष की दूसरी तिमाही के 27.4 प्रतिशत की तुलना में 2007-08 की दूसरी तिमाही में 19.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
- आयात भुगतानों में 2006-07 की दूसरी तिमाही के 26.5 प्रतिशत की वृद्धि के विपरीत 2007-08 की दूसरी तिमाही में 22.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
- वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन महानिदेशालय (डीजीसीआइ एंड एस) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, निर्यात वृद्धि में गिरावट मुख्य रूप से वस्त्र और वॉा उत्पाद के निर्यात में कमी तथा कृषि उत्पाद, अभियांत्रिकी वस्तुओं और रसायनों के निर्यात में कमी के कारण थी।
- वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन महानिदेशालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, यद्यपि 2007-08 की दूसरी तिमाही में तेल से इतर आयात 25.3 प्रतिशत अधिक थे (2006-07 की दूसरी तिमाही में 18.1 प्रतिशत) जिनमें पूंजीगत माल और स्वर्ण तथा चाँदी के आयात अग्रणी थे। तथापि, कुल आयात वृद्धि तेल आयात में गिरावट के कारण कम थी।
व्यापार घाटा
- जैसा कि ऊपर वर्णित है, निर्यात वृद्धि में गिरावट और तेल से इतर वस्तुओं के अधिक आयातों के परिणामस्वरूप, भुगतान संतुलन के आधार पर व्यापार घाटा 2007-08 की दूसरी तिमाही में 21.7 बिलियन अमरीकी डालर रहा जोकि अधिक था (2006-07 की दूसरी तिमाही में 16.8 बिलियन अमरीकी डालर)।
अदृश्य मदें
- विदेशी भारतीयों, सॉफ्टवेयर सेवाओं और अन्य पेशेवर सेवाओं से होनेवाले विप्रेषण में हुई वृद्धि की गति बनाए रखते हुए, अदृश्य प्राप्तियों में 2006-07 की दूसरी तिमाही के 30.6 प्रतिशत के विपरीत 2007-08 की दूसरी तिमाही में 29.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
- अदृश्य भुगतान ने भारत से बर्हिगामी पर्यटक यातायात, ढुलाई के लिए बढ़ते भुगतान, कारोबार से संबंधित सेवाओं की घरेलू माँग और ब्याज भुगतानों तथा लाभाशों के रूप में अधिक निवेश आय भुगतान को दर्शाया।
चालू खाता घाटा
- व्यापार घाटा बढ़ने के बावजूद, चालू खाता घाटा 16.2 बिलियन अमरीकी डालर (2006-07 की दूसरी तिमाही में 10.5 बिलियन अमरीकी डालर) की अदृश्य मदों के अधिशेष की अधिकता (अदृश्य प्राप्तियों से अदृश्य भुगतान घटाकर) के कारण 2007-08 की दूसरी तिमाही में 5.5 बिलियन अमरीकी डालर (2006-07 की दूसरी तिमाही में 6.3 बिलियन अमरीकी डालर) रहा जो कम है।
पूंजी खाता और आरक्षित निधियां
- निवल पूंजी प्रवाह के अन्तर्गत प्रमुख घटक थे - संविभाग निवेश प्रवाह, बाह्य वाणिज्यिक उधार, बैंकिंग पूँजी और अल्पावधि व्यापार ऋण।
- 2007-08 की दूसरी तिमाही का 10.9 बिलियन अमरीकी डालर का निवल संविभाग निवेश (2006-07 की दूसरी तिमाही में 2.2 बिलियन अमरीकी डालर) पूँजी प्रवाह का सबसे बड़ा घटक था।
- 2007-08 की दूसरी तिमाही में निवल अल्पावधि व्यापार ऋण 3.6 बिलियन अमरीकी डालर (2006-07 की दूसरी तिमाही, में 2.7 बिलियन अमरीकी डालर) था जोकि अधिक है। जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, 180 दिवस तक के आपूर्तिकर्ता के ऋण के आंकड़ों को अब अन्तरराष्ट्रीय सर्वोत्तम व्यवहारों के आधार पर 2005-06 से अल्पावधि व्यापार ऋण के अन्तर्गत शामिल किया गया है (बॉक्स 1)— इस प्रकार, कुल अल्पावधि व्यापार ऋण (3.6 बिलियन अमरीकी डालर) में से, 180 दिवस तक का आपूर्तिकर्ता का ऋण 2007-08 की दूसरी तिमाही में 0.9 बिलियन अमरीकी डालर था (सारणी 2)।
सारणी 2: 180 दिवस तक के आपूर्तिकर्ता के ऋण के अन्तर्गत निवल प्रवाह
(मिलियन अमरीकी डॉलर) | ||
वर्ष / तिमाही | निवल प्रवाह | |
1 | 2 | |
2005-06 (अप्रैल-मार्च) | 1,974 | |
अप्रैल-जून 2005 | 752 | |
जुलाई-सितंबर 2005 | 1,142 | |
अक्तूबर-दिसंबर 2005 | 239 | |
जनवरी-मार्च 2006 | -159 | |
2006-07 (अप्रैल-मार्च) | 3,305 | |
अप्रैल-जून, 2006 | 789 | |
जुलाई-सितंबर 2006 | 1,181 | |
अक्तूबर-दिसंबर 2006 | 2,540 | |
जनवरी-मार्च 2007 | -1,205 | |
2007-08 (अप्रैल-सितंबर) | 1,906 | |
अप्रैल-जून 2007 | 1,034 | |
जुलाई-सितंबर 2007 | 872 |
- 2007-08 की दूसरी तिमाही में भुगतान संतुलन आधार पर (अर्थात मूल्यन को छोड़कर) 29.2 बिलियन अमरीकी डालर की विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि 2006-07 की दूसरी तिमाही के 2.3 बिलियन अमरीकी डालर की तुलना में काफी अधिक थी।
बॉक्स 1 : 180 दिन तक के आपूर्तिकर्ता ऋण के आकलन की पद्धति व्यापार ऋण का अर्थ विदेश स्थित आपूर्तिकर्ता, बैंक और वित्तीय संस्था द्वारा आयात के लिए सीधे ही दिया गया ऋण है। वित्त के स्रोत के आधार पर ऐसे व्यापार ऋण में आपूर्तिकर्ता ऋण या क्रेता ऋण शामिल होता है। आपूर्तिकर्ता ऋण का संबंध विदेश स्थित आपूर्तिकर्ता द्वारा भारत में आयात के लिए दिया गया ऋण होता है जबकि क्रेता ऋण का अर्थ आयातक द्वारा भारत से बाहर के बैंक या वित्तीय संस्था से भारत में आयात के भुगतान के लिए जुटाया गया ऋण होता है। अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं के अनुसार एक वर्ष तक के व्यापार ऋण अल्पावधि व्यापार ऋण में शामिल किए जाते हैं। भारत के भुगतान संतुलन में आयात के लिए अल्पावधि व्यापार ऋण में 180 दिन से अधिक के क्रेता ऋण और आपूर्तिकर्ता ऋण शामिल होते हैं। तथापि, 180 दिन तक के आयात का आपूर्तिकर्ता ऋण स्पष्टत: शामिल नहीं किया गया था। यह ‘अन्यत्र शामिल न की गई अन्य पूंजी’ और ‘भूल-चूक’ शीर्षों के तहत पूंजी खाते में अंतर्निहित था जिससे यह अल्पावधि व्यापार ऋण से बाहर रहा। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ), 1993 के भुगतान संतुलन मैनुअल, पांचवां संस्करण (बीपीएम5) के अनुसार व्यापार ऋण में माल और सेवाओं के लेनदेन के लिए आपूर्तिकर्ता और क्रेता द्वारा सीधे दिए गए ऋण और ऐसे लेनदेन से संबंधित चल रहे कार्य के लिए अग्रिम भुगतानों से उत्पन्न दावे और देयताएं शामिल होती हैं। बीपीएम5 में यह भी उल्लेख किया गया है कि वास्तविक आंकड़ों की अनुपलब्धता की स्थिति में व्यापार ऋण की माप माल और सेवाओं के अंतर्निहित लेनदेन की उन प्रविष्टियों के बीच के अंतर के आधार पर की जाए जो कि स्वामित्व परिवर्तन और इन लेनदेनों से संबंधित भुगतानों की प्रविष्टियों के दिनांकों को दर्ज होती हैं। देशी प्रथाओं के संबंध में, अंतर्राष्ट्रीय निपटान बैंक ने एक सर्वेक्षण (2002) में उल्लेख किया था कि सर्वेक्षण किए गए 32 देशों में से 18 विकासशील और 8 विकसित देश अल्पावधि व्यापार ऋण पर आंकड़ों का संकलन और प्रकाशन आइएमएफ मैनुअल के अनुसार कर रहे हैं। भुगतान संतुलन के भाग के रूप में व्यापार ऋण पर आंकड़े और बाह्य ऋण सांख्यिकी प्रस्तुत करने की अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप रखने के लिए 180 दिन तक के आपूर्तिकर्ता ऋण के आंकड़े बीपीएम5 में सुझाई गई अंतर्राष्ट्रीय तौर पर स्वीकृत पद्धति से निकाले गए हैं। भारत में रिपोर्टिंग प्रणाली के अंतर्गत प्राधिकृत व्यापारी आयात बिल के लिए उनके द्वारा किए गए भुगतान की रिपोर्ट भारतीय रिज़र्व बैंक को इलेक्ट्रॉनिक डाटा रिपोर्टिंग में करते हैं। आयात मूल्य के अलावा, आयातकों द्वारा पोतलदान के दिनांक और भुगतान के दिनांक की सूचना भी दी जाती है। इस सूचना के आधार पर, 180 दिन तक के आपूर्तिकर्ता ऋण का आकलन पोतलदान के दिनांक और आयात के भुगतान के दिनांक के बीच के अंतर के आधार पर किया गया था। यह उल्लेखनीय है कि व्यापार ऋण पूंजी खाते में निवल आधार (चुकौती घटाकर सकल ऋण) पर दर्ज किए जाते हैं। धारणात्मक रूप से,ऐसे व्यापार ऋण सामान्यत: अल्पावधि स्वरूप के होते हैं और उनका आवर्तन किया जाता है। यद्यपि ऐसे व्यापार ऋणों के मामले में सकल कारोबार अपेक्षाकृत उच्च हो सकता है, किसी विशिष्ट समय बिंदु पर बकाया राशि अपेक्षाकृत कम दिखती है। संदर्भ :
|
II. अप्रैल -सितंबर 2007 का भुगतान संतुलन
पहले उल्लेख किए अनुसार, 2007-08 की पहली तिमाही के आंशिक रूप से संशोधित आंकड़े और 2007-08 की दूसरी तिमाही के प्रारंभिक आंकड़े ध्यान में रखते हुए वित्तीय वर्ष 2007-08 की पहली छमाही के भुगतान संतुलन के आंकड़े संकलित किए गए हैं। विस्तृत आंकड़े भुगतान संतुलन प्रस्तुतीकरण के मानक फार्मेट में विवरण I और II में दिए गए हैं, वहीं मुख्य मदें सारणी 3 में दी गई हैं।
सारणी 3 : भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें : अप्रैल-सितंबर 2007 (मिलियन अमरीकी डॉलर) | ||||
मदें | अप्रैल-सितंबर |
| अप्रैल-मार्च |
|
| 2007-08 (प्रा) | 2006-07 (आं.सं.) | 2006-07 (आं.सं.) | 2005-06(सं.) |
1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
1. निर्यात | 73,665 | 61,450 | 128,083 | 105,152 |
2. आयात | 116,066 | 95,224 | 191,254 | 157,056 |
3. व्यापार संतुलन (1-2) | -42,401 | -33,774 | -63,171 | -51,904 |
4. अदृश्य मदें, निवल | 31,688 | 23,434 | 53,405 | 42,002 |
5. चालू खाता शेष (3+4) | -10,713 | -10,340 | -9,766 | -9,902 |
6. पूंजी खाता* | 51,149 | 18,989 | 46,372 | 24,954 |
7. प्रारक्षित भंडार में परिवर्तन# | -40,436 | -8,649 | -36,606 | -15,052 |
*: भूल चूक सहित.#: मूल्यन परिवर्तन को छोड़कर, भुगतान संतुलन के आधार पर |
माल व्यापार
- भुगतान संतुलन आधार पर, माल निर्यात अप्रैल-सितंबर 2007 के दौरान 19.9 प्रतिशत बढ़ा (पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह वृद्धि 25.4 प्रतिशत थी)।
- भुगतान संतुलन आधार पर माल के आयात भुगतान में अप्रैल--सितंबर 2007 में 21.9 प्रतिशत वृद्धि हुई जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में 24.7 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।
- पहले उल्लेख किए अनुसार, डीजीसीआइएंडएस द्वारा जारी अप्रैल-अगस्त 2007 का वस्तुवार आंकड़े यह दर्शाते हैं कि निर्यात में गिरावट का मुख्य कारण वॉा और वॉा उत्पादों के निर्यात में गिरावट और कृषि उत्पाद, इंजीनियरिडग माल और रसायन के निर्यात में मंदी थी।
- डीजीसीआइएंडएस द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार तेल से भिन्न के आयात में अप्रैल-सितंबर 2007 के दौरान 34.8 प्रतिशत की उच्च वृद्धि दर्ज हुई (अप्रैल-सितंबर 2006 में 9.3 प्रतिशत)— अप्रैल- अगस्त 2007-08 के लिए उपलबध वस्तु-वार ब्यौरे से पता चलता है कि मुख्यत: निर्यात से संबंधित मदों तथा सोने और चांदी की आयात वृद्धि पिछले वर्ष की तुलना में अधिक थी।
- डीजीसीआइएंडएस आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-सितंबर 2007 में तेल आयात में 15.7 प्रतिशत वृद्धि हुई (अप्रैल -सितंबर 2006 में 41.0 प्रतिशत) — अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल के भारतीय समूह (दुबई और ब्रेंट की किस्मों का मिश्रण) की औसत कीमतें अप्रैल-सितंबर 2006 के प्रति बैरल 67.2 अमरीकी डालर से बढ़कर 2007 की इसी अवधि में प्रति बैरल 69.2 अमरीकी डालर हो गई (चार्ट 1)।

व्यापार घाटा
- भुगतान संतुलन आधार पर, निर्यात वृद्धि में गिरावट और तेल से भिन्न के उच्च आयात के कारण अप्रैल-सितंबर 2007 के दौरान माल व्यापार का घाटा बढ़कर 42.4 बिलियन अमरीकी डालर हो गया जोकि 2006 की इसी अवधि में 33.8 बिलियन अमरीकी डालर था (चार्ट 2)।

अदृश्य मदें
- अदृश्य मदों की प्राप्ति में हुई वृद्धि अप्रैल-सितंबर 2006 के 31.0 प्रतिशत से कम होकर अप्रैल-सितंबर 2007 में 23.4 प्रतिशत रह गई जिसका मुख्य कारण सॉफ्टवेयर निर्यात और कारोबारी सेवाओं में कमी आना था (सारणी 4 और चार्ट 3)।
सारणी 4 : सकल अदृश्य प्राप्ति और भुगतान : अप्रैल-दिसंबर 2007
(मिलियन अमरीकी डॉलर) | ||||||||
मदें
| अदृश्य प्रतियाँ | अदृश्य भुगतान | ||||||
2007-08 | 2006-07 | 2006-07 | 2005-06 | 2007-08 | 2006-07 | 2006-07 | 2005-06 | |
अप्रैल-सितंबर | अप्रैल-सितंबर | अप्रैल-मार्च | अप्रैल-मार्च | अप्रैल- सितंबर | अप्रैल-सितंबर | अप्रैल-मार्च | अप्रैल-मार्च | |
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 |
1. यात्रा | 4,336 | 3,504 | 9,123 | 7,853 | 3,960 | 3,300 | 6,685 | 6,638 |
2.परिवहन | 4,280 | 3,725 | 8,050 | 6,325 | 5,594 | 3,975 | 8,068 | 8,337 |
3.बीमा | 788 | 553 | 1,202 | 1,062 | 475 | 283 | 642 | 1116 |
4. जहाँ सरकार शामिल नहीं हैं | 167 | 101 | 250 | 314 | 245 | 201 | 403 | 529 |
5. अंतरण | 19,295 | 12,923 | 29,589 | 25,620 | 852 | 665 | 1,421 | 933 |
6.आय | 6,431 | 3,954 | 9,304 | 6,408 | 7,875 | 7,275 | 15,877 | 12,263 |
निवेश आय | 6,142 | 3,816 | 8,908 | 6,229 | 7,383 | 6,851 | 14,926 | 11,491 |
कर्मचारियों की क्षतिपूर्ति | 289 | 138 | 396 | 179 | 492 | 424 | 951 | 772 |
7. विविध | 26,295 | 25,139 | 57,556 | 42,105 | 10,903 | 10,766 | 28,573 | 17,869 |
जिसमें : सॉफ्टवेयर | 16,317 | 14,160 | 31,300 | 23,600 | 1,220 | 820 | 2,267 | 858 |
कुल (1to 7) | 61,592 | 49,899 | 115,074 | 89,687 | 29,904 | 26,465 | 61,669 | 47,685 |
- निजी अंतरण, जिनमें मुख्यत: विदेशों में कार्यरत भारतीयों से प्राप्त विप्रेषण होते हैं, 19.0 बिलियन अमरीकी डालर की उच्च स्थिति में थे (अप्रैल-सितंबर 2006 में 12.7 बिलियन अमरीकी डालर) और यह अप्रैल-सितंबर 2007 में 49.2 प्रतिशत की वृद्धि थी (अप्रैल-सितंबर 2006 में 15.0 प्रतिशत)।
- मुद्रा भंडार में महत्वपूर्ण वृद्धि दर्शाते हुए अप्रैल-सितंबर 2007 के दौरान निवेश आय प्राप्तियां 61.0 प्रतिशत बढ़ी जबकि अप्रैल-सितंबर 2006 में सर्वोच्च वृद्धि 45.9 प्रतिशत थी।
- अप्रैल-सितंबर 2007 में सॉफ्टवेयर प्राप्तियां 16.3 बिलियन अमरीकी डालर थीं जो अप्रैल-सितंबर 2006 के 37.2 प्रतिशत की तुलना में कम अर्थात 15.2 प्रतिशत वृद्धि थी।
- अदृश्य भुगतानों के प्रमुख घटक थे - पर्यटन भुगतान, कारोबार और प्रबंधन परामर्श सेवाएं जैसे कारोबारी सेवा भुगतान, इंजीनियरिडग और अन्य तकनीकी सेवाएं और लाभांश तथा लाभ भुगतान। अदृश्य भुगतानों में अप्रैल-सितंबर 2006 के 31.2 प्रतिशत की तुलना में अप्रैल-सितंबर 2007 में 13.0 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई।
- साफ्टवेयर संबंधी प्राप्तियों को घटाकर अप्रैल-सितंबर 2007 में विविध प्राप्तियां 10.0 बिलियन अमरीकी डालर के आसपास रहीं (अप्रैल-सितंबर 2006 में 11.0 बिलियन अमरीकी डालर)— सारणी-5 में ये आंकड़े विस्तारपूर्वक दर्शाए गए हैं।
सारणी 5 : साफ्टवेयर से इतर विविध प्राप्तियों और भुगतानों का अलग-अलग ब्यौरा (मिलियन अमरीकी डॉलर) | ||||||||
मदें
| प्राप्ति | भुगतान | ||||||
2007-08 | 2006-07 | 2006-07 | 2005-06 | 2007-08 | 2006-07 | 2006-07 | 2005-06 | |
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 |
1. संचार सेवाएं | 896 | 1,056 | 2,099 | 1,575 | 281 | 269 | 659 | 289 |
2. निर्माण | 243 | 158 | 333 | 242 | 227 | 424 | 737 | 724 |
3.वित्तीय | 1,510 | 935 | 2,913 | 1,209 | 1,481 | 628 | 2,087 | 965 |
4. समाचार एजेंसी | 237 | 147 | 334 | 185 | 212 | 74 | 218 | 131 |
5. रायल्टी, सत्वाधिकार और लाइसेंस शुल्क | 79 | 32 | 97 | 191 | 368 | 353 | 1,038 | 594 |
6. व्यापार सेवाएं | 6,380 | 7,954 | 19,266 | 9,307 | 6,195 | 5,902 | 17,093 | 7,748 |
7. वैयक्तिक, सांस्कृतिक, मनोरंजक | 168 | 59 | 173 | 188 | 81 | 58 | 117 | 84 |
8. अन्य | 465 | 638 | 1,041 | 5,608 | 838 | 2,238 | 4,357 | 6,476 |
कुल (1 to 8) | 9,978 | 10,979 | 26,256 | 18,505 | 9,683 | 9,946 | 26,306 | 17,011 |
- कारोबारी सेवाओं संबंधी प्राप्तियों और भुगतानों के महत्त्वपूर्ण घटक मुख्यत: व्यापार संबद्ध सेवाएं, कारोबार और प्रबंधन परामर्श सेवाएं, आर्कीटेक्चरल, इंजीनियरिडग और अन्य सेवाएं तथा कार्यालय रखरखाव से संबंधित सेवाएं रहीं (सारणी - 6)।
सारणी 6 : व्यापार सेवाएं
(मिलियन अमरीकी डॉलर) | ||||||||
मदें
| प्राप्ति |
|
|
|
| भुगतान |
|
|
2007-08 | 2006-07 | 2006-07 | 2005-06 | 2007-08 | 2006-07 | 2006-07 | 2005-06 | |
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 |
1. कारोबार संबंधी | 788 | 345 | 940 | 406 | 684 | 548 | 1,655 | 1,206 |
2. व्यापार और प्रबंध परामर्श | 1,783 | 2,989 | 7,345 | 1,871 | 1,698 | 1,452 | 5,027 | 1,806 |
3. वास्तु, अभियंत्रण और अन्य तकनीकी | 1,392 | 2,329 | 6,134 | 2,428 | 973 | 1,194 | 3,674 | 1,414 |
4. कार्यालयों का रखरखाव | 975 | 1,199 | 2,335 | 1,598 | 882 | 1,349 | 2,437 | 1,462 |
5. अन्य | 1,442 | 1,092 | 2,512 | 3,004 | 1,958 | 1,359 | 4,300 | 1,860 |
कुल | 6,380 | 7,954 | 19,266 | 9,307 | 6,195 | 5,902 | 17,093 | 7,748 |
- अदृश्य अधिशेष में वृद्धि हुई जो मुख्यत: विदेश में रहने वाले भारतीयों से प्राप्त होने वाले विप्रेषणों, आरक्षित निधियों पर उँची ब्याज आय तथा कारोबारी सेवाओं के भुगतानों में अपेक्षाकृत सामान्य वृद्धि को दर्शाती है।
चालू खाता घाटा
- 31.7 बिलियन अमरीकी डालर के निवल अदृश्य अधिशेष के बावजूद चालू खाते घाटे में अप्रैल- सितंबर 2006-07 के 10.3 बिलियन अमरीकी डालर की तुलना में अप्रैल- सितंबर 2007 में 10.7 बिलियन अमरीकी डालर की मामूली वृद्धि हुई जिसका कारण निर्यातों में गिरावट और तेल से इतर अधिक आयातों के कारण व्यापार घाटा ऊँचा रहा (चार्ट 4)।
पूंजी खाता
- निवल पूंजी अतंर्वाहों के अंतर्गत संविभाग निवेश, बाह्य वाणिज्यिक उधार, बैंकिंग पूंजी और अल्पावधि व्यापार ऋण ने अप्रैल-सितंबर 2007 के दौरान अपेक्षाकृत अधिक वृद्धि दर्शायी (सारणी - 7)।
सारणी 7 : अप्रैल-सितंबर 2007 के दौरान निवल पूँजी प्रवाह
(मिलियन अमरीकी डॉलर) | ||||
मदें
| अप्रैल-सितंबर | अप्रैल-मार्च
| ||
2007-08 | 2006-07 | 2006-07 | 2005-06 | |
1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
| 3,880 | 4,491 | 8,479 | 3,034 |
| 18,334 | 1,644 | 7,062 | 12,494 |
| 729 | 386 | 1,767 | 1,702 |
| 10,557 | 5,735 | 16,155 | 2508 |
| -78 | 2,210 | 4,321 | 2,789 |
| 5,341 | 1,133 | -2,408 | -1,416 |
| 5,711 | 3865 | 6,612 | 3,699 |
| -44 | -67 | -162 | -572 |
| 5,978 | -241 | 3,953 | 1,232 |
कुल (1 ूद 9) | 50,408 | 19,156 | 45,779 | 25,470 |
@ सारणी 8 में दर्शाए गए मद सहित |
- अप्रैल-सितंबर 2007 के दौरान 9.9 बिलियन अमरीकी डालर पर रहे भारत में निवल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (अप्रैल-सितंबर 2006 में 7.3 बिलियन अमरीकी डालर) में सतत देशी गतिविधि और विनिर्माण, कारोबार और कंप्यूटर सेवाओं के क्षेत्र में आ रहे अंतर्वाहों के साथ सकारात्मक निवेश वातावरण के बल पर तेजी आई। अप्रैल-सितंबर 2007 के दौरान बर्हिवाही विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में वृद्धि हुई और यह अप्रैल-सितंबर 2007 के दौरान 6.0 बिलियन अमरीकी डालर रहा (अप्रैल-सितंबर 2006 में 2.8 बिलियन अमरीकी डालर) जो बाजारों और संसाधनों के अर्थ में वैश्विक विस्तार के लिए भारतीय कंपनियों की वरीयता को दर्शाता है। इस प्रकार निवल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश अंतर्वाह अप्रैल-सितंबर 2006 के 4.5 बिलियन अमरीकी डालर की तुलना में अप्रैल-सितंबर 2007 के दौरान 3.9 बिलियन अमरीकी डालर रहा।
- अप्रैल-सितंबर 2007 के दौरान रहे 10.6 बिलियन अमरीकी डालर के निवल बाह्य वाणिज्यिक उधारों को बाह्य वाणिज्यिक उधारों पर उँचे स्प्रेड और देशी क्षमता विस्तार के लिए बढ़ती वित्तीयन आवश्यकताओं से सहारा मिला।
- जैसा कि बॉक्स-1 में पहले वर्णन किया गया है, 180 दिन तक के सप्लायर क्रेडिट संबंधी आँकड़े अल्पावधि व्यापार ऋण के अंतर्गत 2005-06 से शामिल किए गए हैं। अप्रैल-सितंबर 2007 में अल्पावधि व्यापार ऋण 5.7 बिलियन अमरीकी डालर था (180 दिन तक के सप्लायर क्रेडिट सहित)— संपूर्ण अल्पावधि व्यापार ऋण (5.7 बिलियन अमरीकी डालर) में से 180 दिन तक के लिए सप्लायर क्रेडिट अप्रैल-सितंबर 2007 में 1.9 बिलियन अमरीकी डालर रहा।
- अप्रैल-सितंबर 2007 में बैंकिंग पूंजी में ज्यादा अंतर्वाह दिखाई दिया जो बैंकिंग प्रणाली द्वारा विदेश में रखी गयी आस्तियों के आहरण को दर्शाता है।
- अप्रैल-सितंबर 2007 के दौरान अनिवासी भारतीय जमाराशियों के कारण निवल अंतर्वाह रहा क्योंकि ऐसी जमाराशियों पर ब्याज दरें हाल ही की अवधि में घटा दी गई हैं।
- ‘अन्य पूंजी’ लेनदेनों में शामिल हैं, निर्यातों में लीड एण्ड लैग्स, विदेश में रखी गयी निधियां, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के अंतर्गत शेयर जारी होने तक प्राप्त अग्रिम और अन्यत्र शामिल न की गई अन्य पूंजी प्राप्तियां। अन्य पूंजी के अंतर्गत लेनदेनों में मुख्यत: फाइनैन्शियल डेरिवेटिव और हेजिंग से संबंधित विदेशी लेनदेन (मार्जिन भुगतान और निपटान), आव्रजक अंतरण और अन्य पूंजी अतंरण (जैसे कि विदेश स्थित भारतीय आव्रजकों द्वारा पूंजी आस्तियों का अंतरण, निवेश सहायता अनुदान, क्षतिपूर्ति संबंधी भुगतान), गारंटियों की वसूली आदि आते हैं (सारणी-8)—
सारणी 8 : ‘अन्य पूँजी’ (निवल) के ब्योरे (मिलियन अमरीकी डॉलर) | ||||
मद | अप्रैल-सितंबर |
अप्रैल-मार्च | ||
1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
| 3,688 | 202 | 773 | -564 |
2. विदेश में धारित निवल निधियाँ | -1,820 | -1,032 | 496 | 236 |
3. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) के अंतर्गत शेयरों के लंबित निर्गम से प्राप्त अग्रिम | 2,010 | - | - | - |
4. कहीं भी शामिल नहीं की गई अन्य पूँजी प्राप्तियाँ (व्युत्पन्नी और अभिरक्षा, प्रवासी अंतरण और अन्य पूँजी अंतरणों सहित) | 2,100 | 589 | 2,684 | 1,560 |
कुल (1 to 4) | 5,978 | -241 | 3,953 | 1,232 |
आरक्षित राशियों में वृद्धि
- भुगतान संतुलन आधार पर विदेशी मुद्रा आरक्षितों में निवल वृद्धि (अर्थात मूल्यन को छोड़कर) अप्रैल-सितंबर 2007 के दौरान 40.4 बिलियन अमरीकी डालर थी जिसे पूंजी खाता घाटा के बावजूद सुदृढ़ पूंजी अंर्तवाहों का सहारा मिला (चार्ट-5)। 8.2 बिलियन अमरीकी डालर के मूल्यन लाभ को हिसाब में लेते हुए अप्रैल-सितंबर 2007 के दौरान 48.6 बिलियन अमरीकी डालर की वृद्धि दर्ज की जबकि पिछले वर्ष की तदनुरूप अवधि में यह 13.7 बिलियन अमरीकी डालर थी [विदेशी मुद्रा आरक्षितों में अभिवृद्धि के स्रोत पर अलग से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की जा रही है]।

- सितंबर 2007 के अंत में विदेशी मुद्रा आरक्षितों का विशाल भंडार 247.8 बिलियन अमरीकी डालर था।
III. 2005-06, 2006-07 और 2007-08 की पहली तिमाही के लिए भुगतान संतुलन
संबंधी आंकड़ों में संशोधन
30 सितंबर 2004 को घोषित संशोधन नीति के अनुसार 2005-06, 2006-07 और 2007-08 की पहली तिमाही के आंकड़े सूचना देने वाली विभिन्न इकाईयों द्वारा दी गई नवीनतम सूचना के आधार पर संशोधित किए गए हैं। ये संशोधित आंकड़े प्रस्तुतीकरण के मानक फॉर्मेट में विवरण-II में दर्शाये गए हैं।
- जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है 2005-06 और 2006-07 के लिए कारोबारी सेवाओं और सॉफ्टवेयर सेवाओं के बीच संभावित अतिव्याप्ति (ओवरलैप) की समीक्षा की गई थी और प्राधिकृत व्यापारियों से प्राप्त प्रतिसूचना (फीडबैक) के आधार पर कारोबारी सेवाओं संबंधी आंकड़ों के विभिन्न घटक संशोधित किए गए हैं। कारोबारी सेवाओं से संबंधित संशोधित आंकड़े सारणी-9 में दिए गए हैं।
सारणी 9 : व्यापार सेवाओं पर आंकड़ों में संशोधन (मिलियन अमरीकी डॉलर) | ||||
मद
| 2006-07 | 2005-06 | ||
प्रकाशित | संशोधित | प्रकाशित | संशोधित | |
1. व्यापार सेवा प्राप्तियाँ | 23,459 | 19,266 | 12,858 | 9,307 |
| 20,200 | 17,093 | 10,496 | 7,748 |
3. निवल (1 - 2) | 3,259 | 2,173 | 2,362 | 1,559 |
IV. आयात संबंधी आंकड़ों का समेकन
ऐतिहासिक रूप से आरबीआइ और डीजीसीआइ एण्ड एस आंकड़ों के बीच अंतर रक्षा, हवाई जहाज, जलयान, पेट्रोलियम से संबंधित आंकड़ों के कवरेज और मूल्यन तथा समय के कारण रहा है। यह नोट किया जा सकता है कि रक्षा आंकड़ों के सिवाय डीजीसीआइ एण्ड एस आंकड़ों में अब आयातों के अंतर्गत हवाई जहाज, जलयान और पेट्रोलियम (सीमा शुल्क संबंधी आंकड़ों के आधार पर) जैसी अन्य सभी मदें शामिल की जाती हैं।
डीजीसीआइ एण्ड एस के आयात संबंधी आंकड़ों और भुगतान संतुलन के व्यापारिक आयात संबंधी आंकड़ों के रेकार्डों के आधार पर अप्रैल-सितंबर 2007 के दौरान आंकड़ों के इन दो सेटों के बीच का अंतर 2006-07 की तदनुरूप अवधि के दौरान 7.9 बिलियन अमरीकी डालर से तुलना करने पर 4.2 बिलियन अमरीकी डालर आता है। राजकोषीय वर्ष 2006-07 के लिए भुगतान संतुलन के व्यापारिक आयात संबंधी आंकड़ों और डीजीसीआइ एण्ड एस के आयात संबंधी आंकड़ों के बीच का अंतर 5.6 बिलियन अमरीकी डालर होता है (सारणी-10)।
सारणी 10 : वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन महानिदेशालय तथा भुगतान संतुलन आयात आंकड़ा (बिलीयन अमरीकी डॉलर) | ||||
मदें
| अप्रैल-सितंबर
| अप्रैल-मार्च | ||
2007-08 | 2006-07 | 2006-07 | 2005-06 | |
1. भुगतान संतुलन आयात | 116.1 | 95.2 | 191.3 | 157.1 |
2. डीजीसीआइएण्डएस आयात | 111.9 | 87.3 | 185.7 | 149.2 |
3. अंतर (1-2) | 4.2 | 7.9 | 5.6 | 7.9 |
V. सितंबर 2007 को समाप्त तिमाही के लिए बाह्य ऋण
विद्यमान प्रथा के अनुसार मार्च और जून को समाप्त तिमाहियों के लिए बाह्य ऋण संबंधी आंकड़े रिज़र्व बैंक द्वारा समेकित और जारी किए जाते हैं जबकि सितंबर और दिसंबर को समाप्त तिमाहियों के लिए बाह्य ऋण संबंधी आंकड़े वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा समेकित और जारी किए जाते हैं। तदनुसार, सितंबर 2007 को समाप्त तिमाही के लिए बाह्य ऋण संबंधी आंकड़े वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आज जारी कि जा रहे हैं। ये आंकड़े http://finmin.nic.in. पर देखे जा सकते हैं। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, बाह्य ऋण संबंधी आंकड़ों में अब मार्च 2005 के अंत से 180 दिन तक के सप्लायर क्रेडिट को भी शामिल किया गया है।
अजीत प्रसाद
प्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2007-2008/859