मार्च 2010 के अंत में भारत का बाह्य ऋण - आरबीआई - Reserve Bank of India
मार्च 2010 के अंत में भारत का बाह्य ऋण
30 जून 2010 मार्च 2010 के अंत में भारत का बाह्य ऋण मानक प्रथा के अनुसार मार्च तथा जून को समाप्त होने वाली तिमाहियों के भारत के बाह्य ऋण की सांख्यिकी भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा तथा सितंबर तथा दिसंबर को समाप्त होने वाली तिमाहियों की सांख्यिकी वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी की जाती है। बाह्य ऋण के आंकड़े एक तिमाही के अंतराल के बाद जारी किए जाते हैं। मार्च 2010 के अंत की स्थिति के अनुसार मानक प्रारूप में रुपए तथा अमरीकी डॉलर में तैयार किए गए बाह्य ऋण के आंकड़े तथा पिछली तिमाहियों के संशोधित आंकड़े क्रमशः विवरण 1 तथा 2 में दिए गए हैं। मार्च 2010 के अंत की स्थिति के अनुसार भारत के बाह्य ऋण संबंधी प्रमुख गतिविधियों का ब्यौरा निम्नलिखित पैराग्राफों में दिया गया है। मुख्य-मुख्य बातें (i) मार्च 2010 के अंत में भारत का बाह्य ऋण मार्च 2009 के अंत की स्थिति की तुलना में 36.9 बिलियन अमरीकी डॉलर अथवा 16.5 प्रतिशत बढ़कर 261.4 बिलियन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 18.9 प्रतिशत) हो गया जो अतिरिक्त एसडीआर के आबंटन के कारण आइएमएफ के प्रति देयताओं में उल्लेखनीय वृद्धि होने, एनआरआइ जमाराशियों तथा अल्पावधि ब्यापार ऋण में बढ़ोतरी होने की वजह से था। (ii) प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं तथा भारतीय रुपए की तुलना में अमरीकी डॉलर के मूल्यांस के कारण हुए मूल्यांकन प्रभाव को छोड़कर, बाह्य ऋण की मात्रा में मार्च 2009 के अंत की तुलना में 30.4 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई। (iii) मार्च 2010 के अंत में, बाह्य ऋण में वाणिज्यिक उधार का हिस्सा सबसे अधिक अर्थात 27.2 प्रतिशत था उसके बाद अल्पावधि ऋण (20.1 प्रतिशत), एनआरआइ जमाराशियों (18.4 प्रतिशत) तथा बहुपक्षीय ऋण (16.3 प्रतिशत) का क्रम था। (iv) 2009-10 के दौरान ऋण चुकौती अनुपात 2008-09 के 4.6 प्रतिशत से बढ़कर 5.5 प्रतिशत हो गया। (v) अवशिष्ट परिपक्वता के अनुसार मार्च 2010 के अंत में कु ल बाह्य ऋण में अल्पावधि ऋण का हिस्सा 41.2 प्रतिशत था जबकि मूल परिपक्वता के अनुसार कुल बाह्य ऋण में अल्पावधि ऋण का हिस्सा 20.1 प्रतिशत था। (vi) मार्च 2010 के अंत में, विदेशी मुद्रा भंडार की तुलना में अल्पावधि ऋण अनुपात 18.8 प्रतिशत था जो मार्च 2009 के अंत के 17.2 प्रतिशत की तुलना में अधिक है। (vii) मार्च 2010 के अंत में कुल बाह्य ऋण में अमरीकी डॉलर का हिस्सा 58.2 प्रतिशत था जिसके बाद भारतीय रुपए (13.8 प्रतिशत) का क्रम था। (viii) मार्च 2010 के अंत में, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार ने बाह्य ऋण की मात्रा के 106.7 प्रतिशत का कवर प्रदान किया जबकि मार्च 2009 के अंत में यह कवर 112.2 प्रतिशत था। 1. मार्च 2010 के अंत में भारत का बाह्य ऋण (i) मार्च 2010 के अंत में भारत का बाह्य ऋण मार्च 2009 के अंत की स्थिति की तुलना में 36.9 बिलियन अमरीकी डॉलर अथवा 16.5 प्रतिशत बढ़कर 261.4 बिलियन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 18.9 प्रतिशत) हो गया जो आइएमएफ द्वारा अतिरिक्त एसडीआर के आबंटन के कारण उनके प्रति देयताओं में उल्लेखनीय वृद्धि होने, एनआरआइ जमाराशियों तथा अल्पावधि ब्यापार ऋण में बढ़ोतरी होने की वजह से था। (ii) मार्च 2010 के अंत में, दीर्घावधि ऋण 209.0 बिलियन अमरीकी डॉलर तथा अल्पावधि ऋण 52.4 बिलियन अमरीकी डॉलर का था जो बाह्य ऋण की मात्रा का क्रमशः 79.9 प्रतिशत तथा 20.1 प्रतिशत है। (iii) मार्च 2010 के अंत में, कुल बाह्य ऋण में वाणिज्यिक उधारियों का हिस्सा सबसे अधिक अर्थात 27.2 प्रतिशत बना रहा जिसके बाद अल्पावधि ऋण (20.1 प्रतिशत), एनआरआइ जमाराशियों (18.4 प्रतिशत) तथा बहुपक्षीय ऋण (16.3 प्रतिशत) का क्रम था (सारणी 1)।
2. मूल्यन में परिवर्तन (i) अन्य प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं और भारतीय रुपए की तुलना में अमरीकी डॉलर की गिरावट दर्शाने वाले मूल्यांकन प्रभाव के कारण भारत के बाह्य ऋण में 2009-10 के दौरान 6.6 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि दर्शायी । इसका मतलब है कि मूल्यांकन के प्रभाव को छोड़कर, मार्च 2010 के अंत में बाह्य ऋण का स्टाक मार्च 2009 के अंत के स्तर की तुलना में 30.4 बिलियन अमरीकी डॉलर बढ़ गया होता। (ii) पिछली तिमाही (दिसंबर 2009 के अंत में) की तुलना में अन्य प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं और भारतीय रुपए की तुलना में अमेरिकी डॉलर की वृद्धि दर्शाने वाले मूल्यांकन प्रभाव ने भारत के बाह्य ऋण में 1.0 बिलियन अमरीकी डॉलर की गिरावट दर्शायी । इसका मतलब है कि मूल्यांकन के प्रभाव को छोड़कर, बाह्य ऋण का स्टाक दिसंबर 2009 के अंत में स्तर की तुलना में मार्च 2010 के अंत में 10.6 बिलियन अमरीकी डॉलर बढ़ गया होता (सारणी 2)।
3. बाह्य ऋण के घटक (i) बाह्य सहायता (बहुपक्षीय और द्विपक्षीय ऋण) के अंतर्गत ऋण पिछले वर्ष के दौरान की 1.0 बिलियन अमरीकी डॉलर की कम वृद्धि की तुलना में 2009-10 के दौरान 5.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई।
(ii) मार्च 2010 के अंत में 6.0 बिलियन अमरीकी डॉलर की आइएमएफ देयता में वृद्धि आइएमएफ द्वारा एसडीआर को अतिरिक्त आवंटन के कारण था जो कि 28 अगस्त 2009 को सामान्य आवंटन के तहत 4.7 बिलियन अमरीकी डॉलर और 9 सितंबर 2009 को विशेष आवंटन के अंतर्गत 0.3 बिलियन अमरीकी डॉलर था। (iii) ट्रेड क्रेडिट (दीर्घकालिक और अल्पकालिक दोनों) में मार्च 2009 के अंत के 2.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना मार्च 2010 के अंत में 10.0 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई। (iv) मार्च 2010 के अंत में वाणिज्यिक उधार में मार्च 2009 के अंत में अपने स्तर की तुलना में 8.6 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान इसमें मामूली वृद्धि हुई थी। (v) मार्च 2009 के अंत के 43.4 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में मार्च 2010 के अंत में अल्पावधि ऋण 9.1 बिलियन अमरीकी डॉलर बढ़कर 52.5 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जिसका प्रमुख कारण था अल्पकालिक व्यापार क्रेडिट में वृद्धि था। (vi) मार्च 2010 के अंत में 48.1 बिलियन अमरीकी डॉलर के अनिवासी भारतीय जमा के बकाया में मार्च 2009 के अंत के स्तर की तुलना में 6.5 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई जो मुख्य रूप से मूल्यांकन प्रभाव के कारण थी। 4. भारत के बाह्य ऋण की मुद्रा संरचना (i) भारत के बाह्य ऋण की मुद्रा संरचना प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं जैसे अमरीकी डालर, जापानी येन, यूरो, पाउंड स्टर्लिंग, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) तथा देशी मुद्रा अर्थात भारतीय रुपए से मिलकर बनी है। (ii) मार्च 2010 के अंत में अमरीकी डॉलर में मूल्यवर्गित ऋण 58.2 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़ा बना हुआ है । कुल बाह्य ऋण स्टाक में भारतीय रुपए का हिस्सा मार्च 2010 के अंत में 13.8 प्रतिशत था जिसके बाद जापानी येन(11.4 प्रतिशत) और एसडीआर (10.7 प्रतिशत) है । मार्च 2010 के अंत में यूरो का हिस्सा 3.6 प्रतिशत था ।
5. बाह्य ऋण का लिखतवार वर्गीकरण (i) मार्च 2010 के अंत में भारत के बाह्य ऋण के उधारकर्ताओं के सभी वर्गों का लिखतवार वर्गीकरण दर्शाता है कि बकाया ऋण में ‘ऋण’ का हिस्सा 49.0 प्रतिशत था जबकि मार्च 2009 के अंत में यह 52.9 प्रतिशत था (सारणी 5)। (ii) मार्च 2010 के अंत में व्यापार ऋण (दीर्घावधि तथा अल्पावधि) का हिस्सा 19.0 प्रतिशत रहा जिसने मार्च 2009 के अंत के 18.6 प्रतिशत की तुलना में अत्यल्प वृध्दि दर्ज की। (iii) मार्च 2010 के अंत में भारत के कुल बाह्य ऋण में मुद्रा और जमाराशियों का हिस्सा 18.7 प्रतिशत रहा जिसने मार्च 2009 के अंत के 18.8 प्रतिशत की तुलना में अत्यल्प गिरावट दर्ज की।
6. अवशिष्ट परिपक्वता द्वारा बाह्य ऋण (i) बाह्य ऋण सामान्यतया मूल परिपक्वता के अर्थ में समेकित किया जाता है। बाह्य ऋण, विशेष रूप से अवशिष्ट परिपक्वता के अर्थ में विदेशी मुद्रा चलनिधि प्रबंध की दृष्टि से अल्पावधि ऋण का विश्लेषण करना और निकट भविष्य में ऋण चुकौती भुगतानों की वजह से कुल कितनी विदेशी मुद्रा बाहर जाएगी इसका पता लगाना महत्त्वपूर्ण है। (ii) ’अवशिष्ट परिपक्वता वाले अल्पावधि ऋण’ में मूल परिपक्वता वाले अल्पावधि ऋण सहित एक वर्ष की संदर्भाधीन अवधि में मूल परिपक्वता वाले मध्यम और दीर्घावधि ऋण के अंतर्गत आनेवाली चुकौतियां शामिल हैं। शेष में अवशिष्ट परिपक्वता वाले दिर्घावधि ऋण शामिल हैं। (iii) मार्च 2010 के अंत में मध्यम और दीर्घावधि ऋण के अंतर्गत अगले एक साल के भीतर देय चुकौतियें में कुल अल्पावधि ऋण के 51.3 प्रतिशत अवशिष्ट परिपक्वता वाले ऋण शामिल हैं। (iv) अवशिष्ट परिपक्वता के आधार पर, मार्च 2010 के अंत में कुल बाह्य ऋणों में अल्पावधि ऋण का हिस्सा 41.2 प्रतिशत रहा । मार्च 2010 के अंत में विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि के प्रति अवशिष्ट परिपक्वता वाले दिर्घावधि ऋण के अनुपात का आकलन 38.6 प्रतिशत था (सारणी 6)। 7. सरकारी और गैर-सरकारी बाह्य ऋण (i) मार्च 2010 के अंत में सरकारी (सार्वभौम) बाह्य ऋण मार्च 2009 के अंत के 54.8 बिलियन अमरीकी डॉलर के मुकाबले 67.1 बिलियन अमरीकी डॉलर था। मार्च 2010 के अंत में कुल बाह्य ऋण में सरकारी बाह्य ऋण का हिस्सा मार्च 2009 के 24.4 प्रतिशत की तुलना में 25.7 प्रतिशत बढ़ गया। (ii) इसी अवधि के दौरान, कुल ऋण में गैर-सरकारी ऋण का हिस्सा निरंतर बढ़ गया । यद्यपि, मार्च 2010 के अंत में , कुल ऋण में गैर-सरकारी ऋण का हिस्सा मार्च 2009 के अंत के 75.6 प्रतिशत से गिरकर 74.3 प्रतिशत रह गया (सारणी 7)।
8. बाह्य ऋण के चुनिंदा संकेतक (i) जीडीपी के प्रति बाह्य ऋण का अनुपात मार्च 2009 के अंत के 20.5प्रतिशत से कम होकर मार्च 2010 के अंत में 18.9 प्रतिशत रह गया (सारणी 8)। (ii) ऋण चुकौती अनुपात 2008-09 के 4.6 प्रतिशत की तुलना में 2009-10 में बढ़कर 5.5 प्रतिशत हो गया। (iii) भारत के विदेशी मुद्रा भंडार ने बाह्य ऋण स्टॉक के लिए मार्च 2009 के अंत के 112.2 प्रतिशत की तुलना में मार्च 2010 के अंत में 106.7 प्रतिशत का कवर उपलब्ध कराया। (iv) कुल बाह्य ऋण में रियायती ऋण का हिस्सा मार्च 2009 के अंत के 18.7 प्रतिशत से कम होकर मार्च 2010 के अंत में 16.8 प्रतिशत रह गया जो भारत के बाह्य ऋण स्टॉक में गैर-रियायती निजी ऋण में वृद्धि दर्शाता है। (v) विदेशी मुद्रा भंडार के प्रति अल्पावधि ऋण अनुपात मार्च 2010 के अंत में 18.8 प्रतिशत था जो पिछले वर्ष के 17.2 प्रतिशत से अधिक था। (vi) कुल ऋण में अल्पावधि ऋण का हिस्सा मार्च 2009 के अंत के 19.3 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2010 के अंत में 20.1 प्रतिशत हो गया।
अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2009-2010/1793 |