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वर्ष 2011-12 की समष्टि आर्थिक और मौद्रिक गतिविधियॉं

25 जुलाई 2011

वर्ष 2011-12 की समष्टि आर्थिक और मौद्रिक गतिविधियॉं

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज समष्टि आर्थिक और मौद्रिक गतिविधियों की प्रथम तिमाही समीक्षा 2011-12 जारी की। यह दस्‍तावेज़ 26 जुलाई 2011 घोषित किए जाने वाले मौद्रिक नीति वक्‍तव्‍य 2011-12 की पृष्‍ठभूमि को दर्शाता है। इस दस्‍तावेज़ की मुख्‍य-मुख्‍य बातें नीचे दी गई हैं।

समग्र दृष्टिकोण

जारी मुद्रास्‍फीति के लिए मुद्रास्‍फीति-विरोधी मौद्रिक रूझान बनाए रखना ज़रूरी है

  • मुद्रास्‍फीति जोखिम बना हुआ है जबकि वृद्धि में सुधार के संकेत दिखाई दे रहे हैं। वर्तमान गणना के आधार पर वृद्धि को लगभग 8.0 प्रतिशत की वृद्धि के रूझान के आस-पास बने रहने की संभावना है। तथापि, अवनतिशील जोखिम बढ़े हुए हैं। समग्र रूप में वर्ष 2011-12 में वृद्धि में कुछ सुधार की आशा की जाती है। विभिन्‍न प्रत्‍याशा सर्वेक्षण भी इसी का संकेत देते है।

  • आने वाली अवधि में मुद्रास्‍फीति के प्रति वृद्धिशील जोखिम उल्‍लेखनीय बना रहेगा। मूल्‍य दबावों को दूसरी तिमाही के दौरान बने रहने की आशा है। इसी के साथ-साथ वर्ष 2011-12 में इसके बाद की अवधि में कुछ सुधार हो सकता है। पारिश्रमिक और खाद्य मूल्‍य वृद्धि की स्थिर गति को तोड़ना मुद्रास्‍फीति को रोकने के लिए महत्‍वपूर्ण है।

  • आधार स्‍तर की वृद्धि के प्रति जोखिम तथा मुद्रास्‍फीति अनुमान तीन कारकों से उत्‍पन्‍न हो सकते हैं: (1) सामान्‍य स्थिति से मानसून का उल्‍लेखनीय पलायन, (2) वैश्विक पण्‍य वस्‍तु कीमतों की उछाल का समाप्‍त होना अथवा पुनर्निर्माण तथा (3) अपने संपूर्ण अनुपात का आकार लेते हुए यूरो क्षेत्र का ऋण संकट।

  • वृद्धि में मंदी के होते हुए भी उच्‍चतर मुद्रास्‍फीति के लिए एक निकट निगरानी और नई सूचना के लिए प्रतिक्रिया के साथ निरंतर मुद्रस्‍फीति विरोधी आधार अपेक्षित है।

वैश्विक आर्थिक गतिविधियॉं

सहज वृद्धि और मुद्रास्‍फीति की जोखिम पर सुधार उन्‍नत अर्थव्‍यवस्‍थाओं में आश्‍चर्य पैदा करता है

  • वैश्विक स्‍तर पर सुधार की गति रूकि हुई प्रतीत होती है। उच्‍चतर तेल और पण्‍य वस्‍तु कीमतें, मध्‍य-पूर्व में राजनीतिक संघर्ष, जापान का भूकंप, वैश्विक ऋण समस्‍याएं तथा संयुक्‍त राज्‍य अमरीका में राजकोषीय और ऋण समस्‍याओं पर गतिरोधों ने आर्थिक गतिविधि के साथ-साथ ग्राहक के विश्‍वास को प्रभावित किया है।

  • वैश्विक मुद्रास्‍फीति तेज़ी से बढ़ रही है जिससे इस चर्चा को प्रोत्‍साहन मिल रहा है कि कितने दीर्घ समय तक उन्‍नत अर्थव्‍यवस्‍थाएं अत्‍यधिक आर्थिक सहायता वाली मौदिक नीति से बाहर रहने पर अलग राय रख सकती हैं। इसी बीच पण्‍य वस्‍तु कीमतों ने वैश्विक वृद्धि के कमज़ोर होने के साथ वर्ष 2011-12 की पहली तिमाही में कुछ गिरावट दर्शाई है लेकिन यह अस्‍प्‍ष्‍ट होगा यदि यह अंतरण काल है।

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था

उत्‍पादन

वर्ष 2010-11 में तेज़ी के बाद नरमी के संकेत

  • वृद्धि ने वर्ष 2011-12 की पहली तिमाही के दौरान कुछ नरमी दर्शाई है। यह अप्रैल-मई 2011 के दौरान आइआइपी में गिरावट तथा वर्ष 2011-12 की पहली तिमाही के दौरान सिमेंट, स्‍टील और ऑटो-मोबाईल के उपभोग से स्‍पष्‍ट है। विनिर्माण और सेवा पीएमआई भी इस वृद्धि के नरम होने को दर्शाते हैं।

  • मानसून समय पर आया है और आगे बढ़ा है। तथापि जून में अच्‍छी वर्षा के बाद मानसून कुछ कमज़ोर होता हुआ दिखाई दे रहा है। 22 जुलाई 2011 को बुआई पिछले वर्ष की तदनुरूपी अवधि की अपेक्षा सीमांत रूप से कम हुई है। तुलना करने पर कृषि में वृद्धि व्‍यापक रूप से जारी रहने की आशा की जाती है।

  • यद्यपि कुछ नरम रहते हुए आइआइपी वृद्धि अधिक व्‍यापक आधारित हुई है। सेवा क्षेत्र ने अपनी गति बनाए रखी है। आगे जाकर यह संभावना बनती है कि निहित इनपूट संकट के परिणामस्‍वरूप औद्योगिक वृद्धि में कुछ नरमी आयेगी।

सकल मॉंग

निवेश मॉंग कम हुई, निजी उपभोग मॉंग मज़बूत बनी रही

  • सकल निवेश के साथ-साथ कंपनी निवेश अभिप्राय वर्ष 2010-11 की दूसरी छमाही में कम हो गए और अभी उनमें सुधार के संकेत नहीं हैं। कंपनी विक्रय वृद्धि मज़बूत बनी हुई है लेकिन उच्‍चतर लागतों के कारण लाभ में कमी आ रही है। कुछ गिरावट के बावजूद निजी उपभोग मॉंग मज़बूत बना हुआ है।

  • घाटा संकेतकों में सुधार वृद्धि-संतुलन के लिए अच्‍छा अवसर प्रदान कर रहे हैं लेकिन आर्थिक सहायता बजट आकलनों को बढ़ा सकती है। जून 2011 में लागू कीमतों में वृद्धि के बाद भी केंद्र से सभी तेल क्षेत्रों को कुल राजकोषीय कमी सकल घरेलू उत्‍पाद का लगभग 1 प्रतिशत बनी हुई है।

बाह्य अर्थव्‍यवस्‍था

सीएडी को वर्ष 2011-12 में प्रबंध योग्‍य बने रहने की आशा है, एफडीआइ में तेज़ी अच्‍छा अवसर प्रदार कर रही है

  • सॉफ्टवेयर निर्यात के कारण निर्यात की गति ओर मज़बूत अदृश्‍य प्राप्तियों से वर्ष 2011-12 में चालू खाता घाटा को प्रबंध योग्‍य बने रहने की आशा की जाती है। निर्यात में इसके उपभोग में विविधता की सहायता से वृद्धि जारी है।

  • विदेशी संस्‍थागत निवेश अंतर्वाह अस्थिर बने हुए हैं लेकिन एफडीआइ अंतर्वाह में अब तक वर्ष 2011-12 में तेज़ी रही है। बाह्य ऋण संकेतकों ने मिश्रित गतिविधि दर्शाई है लेकिन वर्ष 2010-11 में अंतर्राष्‍ट्रीय निवेश स्थिति में कमी हुई है।

  • भुगतान संतुलन संभावना स्थिर बनी हुई है लेकिन आगे जाकर तेल की कीमतों और पूँजी प्रवाहों के ढॉंचे से बाह्य संतुलन प्रभावित होने की संभावना है। यह आवश्‍यक होगा कि भारी एफडीआइ अंतर्वाहों को आकर्षित करते हुए पूँजी प्रवाहों के संरचनात्‍मक संतुलन को समायोजित किया जाए।

मौद्रिक और चलनिधि परिस्थितियॉं

वांछित समायोजन, प्रवृत्ति लाने वाले कड़ी मौद्रिक और चलनिधि परिस्थितियॉं संभवत: बनी रहेंगी

  • वर्ष 2011-12 की प्रथम तिमाही में नीति दरें और एक बार 75 आधार अंकों से बढ़ाई गईं। इससे परिचालनात्‍मक नीति दरें मध्‍य - मार्च 2010 से 15 महीने की अवधि में 425 आधार अंकों से बढ़ाई गईं - यह विश्‍वभर में देखी गई उच्‍च मौद्रिक कड़ाई थी। इसने उच्‍चत मुद्रास्‍फीति के बावजूद वास्‍तविक उधार दरें को सक्रीय रखने में सहायता दी।

  • कड़ी मौद्रिक और घाटेवाली चलनिधि परिस्थितयॉं अपेक्षित समायोजन ला रहे हें और निकटतम अवधि में संभवत: उसे बनाए रखेगी।  जमा वृद्धि और ऋण वृद्धि दोनों के बीच विविधता में कमी लाते हुए जमा वृद्धि तेज़ी से बढ़ी और ऋण वृद्धि में कमी आई। मुद्रा वृद्धि में बढ़ोतरी भी बढ़ी हुई औसत लागत के साथ प्रत्‍यावर्तीत हो गई।

  • ऋण वृद्धि में यद्यपि वर्ष 2011-12 की पहली तिमाही में कमी हुई है वह अभी भी सांकेतिक सीमा के ऊपर बनी हुई है और उसने अभी तक मौसमी मंदी नहीं दर्शाई है। वाणिज्यिक क्षेत्र को गैर-बैंक वित्‍त भी उल्‍लेखनीय रूप से बढ़े हैं। प्रारक्षित मुद्रा वृद्धि में कमी हुई है लेकिन मुद्रा आपूर्ति सीमा से अधिक बनी हुई है।

वित्तीय बाज़ार

मौद्रिक अंतरण में सुधार होने से ब्‍याज दरें बढ़ने के बावजूद कोई तनाव नहीं दिखाई दिया

  • मौद्रिक अंतरण में सुधार दिखाई देने से ब्‍याज दरों के बढ़ने को ध्‍यान में न लेते हुए संपूर्ण वित्तीय बाज़ारों में कोई तनाव नहीं दिखाई दिया। मौद्रिक अंतरण से वर्ष 2011-12 की प्रथम तिमाही के दौरान जमाराशि और उधार दरों में और अधिक बढ़ोतरी हुई।

  • प्रतिलाभ वक्र सीधा बना रहा जो नीति दर की वृद्धि और नकदी प्रबंधन बिलों सहित अल्‍प समय पर अनुमान से अधिक निर्गम को दर्शाता है। विनिमय दर ने दुतरफी गति दर्शाई। वर्ष 2011-12 की प्रथम तिमाही के दौरान ईक्विटी बा़जार मंद रहे किंतु वर्ष 2010-11 में आवास मूल्‍य और लेनदेन की मात्रा में वृद्धि हुई।

मूल्‍य परिस्थिति

वृद्धिशील निकटवर्ती अवधि के साथ व्‍यापक मुद्रास्‍फीति ने कोई सुगमता उपलब्‍ध नहीं कराई

  • मुद्रास्‍फीति मई के नीति वक्‍तव्‍य में किए गए अनुमानों के अनुरूप 2010-11 की पहली तिमाही में उच्‍चतर बनी रही। खाद्येतर विनिर्मित उत्‍पादों से प्रमुख योगदान के साथ दिसंबर 2011 से मुद्रास्‍फीति व्‍यापक बनी रही।

  • खाद्य मुद्रास्‍फीति कम हई। तथापि, आगामी सामान्‍य मानसून से भी मज़दूरी लागत और सहायक मूल्‍यों में बढ़ोतरी के कारण खाद्य मुद्रास्‍फीति पर दबाव कम नहीं होगा। ये प्रवृत्तियॉं आपूर्ति प्रतिक्रिया को बढ़ाने के लिए संरचनात्‍मक सुधारों की आवश्‍यकता दर्शाते हैं जबकि मौद्रिक नीति का मुद्रास्‍फीति विरोधी आधार मुद्रास्‍फीति प्रत्‍याशाओं को नियंत्रित रखता है।

  • अजीत प्रसाद
    सहायक महाप्रबंधक

    प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/129

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