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समष्टि आर्थिक और मौद्रिक गतिविधियां : दूसरी तिमाही समीक्षा 2012-13

29 अक्‍टूबर 2012

समष्टि आर्थिक और मौद्रिक गतिविधियां : दूसरी तिमाही समीक्षा 2012-13

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज समष्टि आर्थिक और मौद्रिक गतिविधियों की दूसरी तिमाही समीक्षा 2012-13 जारी किया। यह दस्‍तावेज़ 30 अक्‍टूबर 2012 को घोषित किए जाने वाले मौद्रिक नीति वक्‍तव्‍य 2012-13 की दूसरी तिमाही समीक्षा की पृष्‍ठभूमि को दर्शाता है। मुख्‍य-मुख्‍य बातें इस प्रकार हैं :

समग्र संभावना
वृद्धि - मुद्रास्‍फीति के लिए सतर्क नीति समायोजन आवश्‍यक है क्‍योंकि वृद्धि मंद हो रही है लेकिन मुद्रास्‍फीति जोखिम बने हुए है

  • चूंकि मुद्रास्‍फीति से माइक्रो जोखिम तथा जुड़वें घाटे में और कमी हो रही है उससे वृद्धि चिंताओं के प्रति और प्रभावी ढ़ंग से कार्रवाई करने में मौद्रिक नीति के लिए ज़रूरत से कम अवसर मिल रहे हैं।

  • सरकार द्वारा घोषित हाल के नीति उपायों को शीघ्र लागू करना तथा जारी सुधार अर्थव्‍यवस्‍था को वापस प्रगति के मार्ग पर लाने के लिए महत्‍वपूर्ण है।

  • रिज़र्व बैंक के औद्योगिक सर्वेक्षण संभावना सहित विभिन्‍न सर्वेक्षण यह प्रस्‍तावित करते हैं कि कारोबारी भावनाएं कमज़ोर बनी रहेंगी। भारत सहित वैश्विक वृद्धि अनुमान अवनतशील रूप से संशोधित हो रहे हैं।

  • रिज़र्व बैंक के व्‍यवसायिक अनुमानकर्ता सर्वेक्षण में वर्ष 2012-13 के लिए मध्‍यावधि अनुमान वृद्धि के लिए 6.5 प्रतिशत से घटाकर 5.7 प्रतिशत रखे गए हैं जबकि औसत थोक मूल्‍य सूचकांक मुद्रास्‍फीति को वृद्धिगत रूप में 7.3 प्रतिशत से संशोधित करके 7.7 प्रतिशत रखा गया है।

वैश्विक आर्थिक स्थितियां
वैश्विक वृद्धि संभावना कमज़ोर हुई है, संक्रामण जोखिम बने हुए हैं

  • उन्‍नत अर्थव्‍यवस्‍थाओं (एई) तथा उभरती हुई और विकासशील अर्थव्‍यवस्‍थाओं (ईडीई) दोनों में वैश्विक वृद्धि संभावनाएं कमज़ोर हुई हैं। अक्‍टूबर 2012 में अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्राकोष ने इन दोनों समूहों के लिए अपने वृद्धि अनुमानों को कम किया है।

  • यूरो क्षेत्र जोखिमों ने कारोबारी विश्‍वास को प्रभावित किया है तथा वैश्विक व्‍यापार को ह्रासोन्‍मुख किया है जिससे बाह्य मांग प्रभावित हुई है। वैश्विक वृद्धि के प्रति शुरूआती जोखिम एक संभावित अमरीकी राजकोषीय बढ़ोतरी से उत्‍पन्‍न हुई है जिससे एक अचानक और तेज़ राजकोषीय समेकन हुआ है।

  • उन्‍नत अर्थव्‍यवस्‍थाओं में उत्‍पादन और रोज़गार में मंदी और कई बड़ी विकासशील अर्थव्‍यवस्‍थाओं की गिरती हुई वृद्धि के साथ वैश्विक मुद्रास्‍फीति दबाव 2012 की शेष अवधि के लिए स्थिर बने रह सकते है।

  • वैश्विक वित्तीय बाज़ारों से जोखिम का प्रसार बना हुआ है। गैर-पारंपरिक मौद्रिक नीतियों ने अनिश्चितताओं को संक्रमण करते हुए कम किया है लेकिन अंतर्निहित तनाव अधुरे लिवरेजि़ंग की कमी तथा अधुरे वित्तीय क्षेत्र सुधारों के साथ खत्‍म नहीं हुए हैं।

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था
उत्‍पादन
वृद्धि मंद बनी हुई है, सुधार गिरावट को रोक सकते हैं

  • आर्थिक संकेतक यह प्रस्‍तावित करते हैं कि मंदी वर्ष 2012-13 में जारी है। तथापि, हाल के नीति सुधार इस गिरावट को रोकने में सहायता करेंगे। उनके सफल कार्यान्‍वयन पर वे बाद में सुधार में सहायता कर सकते हैं।

  • भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की संभावित वृद्धि दर जो वर्ष 2007-08 के मध्‍य में ऊचांई पर थी वह अब वर्ष 2012-13 की पहली तिमाही में ह्रासोन्‍मुख गिरावट दर्शाते हुए लगभग 7.0 प्रतिशत हो गई है। जारी नकारात्‍मक उत्‍पादन अंतराल के साथ वर्ष 2012-13 में वृद्धि में रिज़र्व बैंक के पहले के अनुमान की अपेक्षा कमी होना संभावित है।

  • देरी से मानसून आने के बाद रबी के लिए सुधरी हुई संभावनाएं आंशिक रूप में खरीफ उत्‍पादन में गिरावट शुरू कर सकती है। गैर-कानूनी खनन पर कसते हुए शिकंजे के बाद खनन क्षेत्र में कमी जारी है। विनिर्माण उत्‍पादन कमज़ोर निवेश और बाह्य मांग के कारण स्थिर बना हुआ है। सेवाओं के अग्रणी संकेतक नरमी का संकेत दे रहे हैं।

  • रिज़र्व बैंक की आदेश पुस्तिकाएं, वस्‍तु सूची और क्षमता उपयोग सर्वेक्षण यह दर्शाते हैं कि 13 तिमाहियों में क्षमता उपयोग अपने न्‍यूनतम स्‍तर पर रहा है यद्यपि उल्‍लेखनीय रूप से नई आदेश स्थितियां सुधरी हैं।

  • निवेश चक्र की वापसी खासकर ऊर्जा और कोयला क्षेत्र का सामना करने वाली नीति अनिश्‍चतताओं के समाधान पर झूल रही है। जबकि नए ईंधन आपूर्ति करारों (एफएसए) के प्रति आवश्‍यक प्रगति हुई है, कोयले में कमी बनी रहने की संभावना है।

सकल मांग
राजकोषीय समेकन तथा मूलभूत सुविधा निवेश के प्रति अवरोधों को दूर करना वृद्धि की वापसी की कुंजी है

  • निवेश में गिरावट के कारण सकल मांग कमज़ोर हो रही है। संस्‍वीकृत वित्तीय सहायता वाली नई परियोजनाओं में निवेश अभिप्राय वर्ष 2012-13 की पहली तिमाही में कम बने हुए हैं।

  • वर्ष 2012-13 की पहली तिमाही में निजी, गैर-वित्तीय फर्मों की बिक्री में सुधार हुआ है जबकि इन फर्मों के परिचालन लाभ में गिरावट हुई है। वर्ष 2012-13 की दूसरी तिमाही के शुरूआती परिणाम परिचालन लाभों में कुछ सुधार का संकेत देते हैं मद्यपि बिक्री में गिरावट बनी हुई है।

  • वर्ष 2012-13 में राजको्षीय गिरावट सरकार द्वारा हाल के उपायों के बावजूद संभावित है। खाद्यान्‍न, उर्वरक और पेट्रोलियम आर्थिक सहायता उच्‍चतर बनी रहेगी तथा इससे केंद्र सरकार के बज़ट आकलनों में बढ़ोतरी संभावित है।

  • राज्‍य वितरण कंपनियों (डिस्‍कम्‍स) की वित्तीय पुनर्संरचना का राज्‍य वित्त पर तात्‍कालिक प्रभाव नहीं हो सकता है लेकिन इसके मध्‍यावधि से दीर्घावधि प्रभाव होंगे।

बाह्य क्षेत्र
भुगतान संतुलन में सुधार के बावजूद चालू खाता घटा सुगमता स्‍तर से काफी अधिक

  • 2012-13 की पहली तिमाही के दौरान भुगतान संतुलन (बीओपी) में सुधार के बावजूद बाह्य क्षेत्र जोखिम बनी हुई है। हालांकि वाणिज्‍य व्‍यापार घाटा 2012-13 में अब तक पिछले वर्ष से कम बना रहा, इस धीमी वृद्धि के चलते आयात में कमी व्‍यापक रूप से दर्शाई गई।

  • वैश्विक वृद्धि अनिश्चितताओं का भारत की निर्यात वृद्धि पर अतिक्रमण करना जारी है। कमज़ोर बाह्य मांग ने अभियांत्रिकी माल, रत्‍न और जवाहरात, वस्‍त्र-उद्योग तथा पेट्रोलियम उत्‍पादों के निर्यातों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया।

  • सेवा व्‍यापार अधिशेष भी कम है जिससे यदि वैश्विक जोखिम की प्रतिकूलता बढ़ती है अथवा घरेलू सुधार विफल होते हैं तो चालू खाता घाटा (सीएडी) के वित्तपोषण दबावों की संभावना बढ़ जाएगी।

  • मूल्‍यांकन लाभों के कारण बाह्य ऋण 2012-13 की पहली तिमाही में केवल सीमांत रूप से बढ़ा। तिमाही के दौरान संवेदनशीलता के संकेतकों में कमी आयी किंतु समकक्ष देशों के साथ तुलनात्‍मक स्थिति अच्‍छी बनी रही।

मौद्रिक और चलनिधि परिस्थितियॉं
रिज़र्व बैंक ने चलनिधि डाली, उभरते वृद्धि-मुद्रास्‍फीति गतिशीलता के लिए मौद्रिक नीति को अंशाकित (कैलब्रेट) किया

  • आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) और सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) में कटौती करने के माध्‍यम से सक्रिय चलनिधि प्रबंधन तथा खुले बाज़ार परिचालनों (ओएमओ) की सहायता से मुद्रास्‍फीति की चिंताओं को संतुलित रखने और विकास को सहायता देने के लिए ऋण आपूर्ति को सुनिश्चित करने की आवश्‍यकता को ध्‍यान में रखते हुए चलनिधि को काफी हद तक नीति लक्ष्‍यों के अनुरूप बनाए रखा।

  • मौद्रिक और ऋण समग्रता अपनी सांकेतिक सीमा से नीचे बनी रही। मौजूदा ऋण मंदी व्‍यापक रूप से बेमन मांग परिस्थितियों और सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों और विदेशी बैंकों द्वारा उल्‍लेखनीय रूप से कम ऋण विस्‍तार का संकेत देती हैं जो आंशिक रूप से उनकी जोखिम प्रतिकूलता को दर्शाती है।

  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के सकल और निवल अनर्जक आस्तियों के अनुपातों में वर्ष 2012-13 की पहली तिमाही के दौरान और अधिक बढ़ोतरी हुई।

वित्तीय बाज़ार
बाज़ारों ने सुधार उपायों में अनुकूलता दिखाई

नीति के सुधार उपायों से बाजार विचारों में सुधार हुआ जिससे ईक्विटी मूल्यों और रुपया विनियम दर में मज़बूती आयी। फिर भी, धीमे प्राथमिक पूँजी बाज़ार को पुनर्जीवित करने के लिए उपाय करने की आवश्यकता है ताकि कंपनी निवेशों के लिए वित्तपोषण की समस्याएं कम की जा सके।

  • सरकारी प्रतिभूति प्रतिलाभ हालांकि कुछ कम दबाव के साथ सीमा के भीतर बनी रही। यह चलनिधि परिस्थितियों में सुधार को दर्शाती है। बाण्ड बाज़ारों का लाभ वर्ष के दौरान राजकोषीय मंदी की संभावना की चिंताओं के कारण सीमित बना रहा।

  • रिज़र्व बैंक का आवास मूल्य सूचकांक (एचपीआई) यह दर्शाता है कि लगभग सभी शहरों में 2012-13 की पहली तिमाही के दौरान आवास मूल्य और अधिक बढ़ें। पूर्ववर्ती तिमाही में गिरावट के बाद अधिकतर शहरों में लेनदेन ने भी ज़ोर पकड़ा।

मूल्य स्थिति
मुद्रास्फीति कठिन बनी हुई है जो सतर्क रहने की चेतावनी देती है

  • मुद्रास्फीति लगभग 7.5 प्रतिशत पर कठिन बनी रही। विकास में कमी के बावजूद जारी खाद्येत्तर विनिर्मित उत्पाद मुद्रास्फीति चिंता के रूप में उभरी है।

  • उपभोक्‍ता मूल्य मुद्रास्फीति थोक मूल्य सूचकांक में मुद्रास्फीति के ऊपर बनी रही।

  • ग्रामीण वेतनों में वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि अगस्त 2011 में 22 प्रतिशत से अगस्त 2012 में 18 प्रतिशत से कम होने के बावजूद वेतन दबाव बना हुआ है। सुनियोजित क्षेत्र में स्टाफ लागत में वृद्धि 2011-12 में लगभग 17 प्रतिशत थी और 2012-13 की पहली तिमाही में लगभग उसी गति में बनी रही।

  • जबकि आनेवाले समय में मुद्रास्फीति जोखिम अधिक है 2012-13 की चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति के कम होने की संभावना है। फिर भी, मुद्रास्फीति को सुगमता के स्तर पर लाने के लिए आपूर्ति प्रतिकूलता में सुधार और वेतन मुद्रास्फीति में कमी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/708

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