मौद्रिक नीति की तिमाही के मध्य में समीक्षा : दिसंबर 2013 - आरबीआई - Reserve Bank of India
मौद्रिक नीति की तिमाही के मध्य में समीक्षा : दिसंबर 2013
18 दिसंबर 2013 मौद्रिक नीति की तिमाही के मध्य में समीक्षा : दिसंबर 2013 मौद्रिक और चलनिधि उपाय वर्तमान और उभरती हुई समष्टि आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि:
इसके परिणामस्वरूप चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत प्रत्यावर्तनीय रिपो दर 6.75 प्रतिशत, सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) और बैंक दर 8.75 प्रतिशत पर अपरिवर्तित बनी रहेगी। आकलन वैश्विक वृद्धि की संभावना संपूर्ण औद्यौगिक देशों के बीच असमान सुधार के साथ नरम बनी हुई है। चीन को छोड़कर उभरती हुई प्रमुख बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) में गतिविधि में निर्यात निष्पादन में कुछ सुधार के बज़ाय कमज़ोर घरेलू मांग के कारण गिरावट हुई है। जबकि वित्तीय बाज़ारों में अस्थिरता कम हुई है, बाह्य वित्तीय सहायता पर उभरती हुई बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं को भारी निर्भरता को देखते हुए अमरीका में परिमाणात्मक सहजता की संभावित बंदी के बाद इसमें पुन: तेज़ी आ सकती है। भारत में वर्ष 2013-14 की दूसरी तिमाही में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि में तेज़ी में यद्यपि कुछ कमी आई है, वह कृषि गतिविधि की मज़बूत वृद्धि, निवल निर्यात में सुधार की सहायता से व्यापक रूप में संचालित हुई है। तथापि, तीसरी तिमाही में जारी औद्योगिक गतिविधि में कमज़ोरी, अभी भी सेवाओं के हल्के अग्रणी संकेतकों और कम घरेलू उपभोग मांग में वृद्धि के प्रति जारी आघात को प्रस्तावित करते हैं। बजट अनुमानों को पूरा करने के लिए चौथी तिमाही में सरकारी खर्चे में कड़ाई इन आघातों को बढ़ाएगी। इस संदर्भ में रूके हुए निवेश खासकर निवेश पर मंत्रमंडलीय समिति द्वारा परियोजनाओं में अनुमति को पुन: जारी करना महत्वपूर्ण होगा। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) द्वारा मापी गई खुदरा महंगाई अबतक संपूर्ण वर्ष में लगातार बढ़ी है जो सब्जी की कीमतों में असंगत उछाल, दुहरे अंकों में आवास की महंगाई तथा गैर-खाद्य और गैर-ईंधन श्रेणियों में महंगाई के बढ़े हुए स्तर से प्रभावित हुए हैं। जबकि कतिपय क्षेत्रों में सब्जी की कीमतों में तेज़ी से गिरावट समायोजित होती हुई दिखाई देती है, सर्वाधिक उच्चतर हेडलाईन उपभोक्ता मूल्य सूचकांक महंगाई में बढ़ोतरी दिखाई दे रही है। थोक मूल्य महंगाई भी दूसरी तिमाही के बाद सभी संघटक क्षेत्रों के भीतर बढ़ते हुए प्रत्यक्ष दबाव के साथ तेज़ी से बढ़ी है। थोक और खुदरा दोनों स्तरों पर बढ़ी हुई महंगाई वृद्धि और वित्तीय स्थिरता को खतरा पैदा करते हुए बढ़े हुए अस्वीकार्य स्तरों पर महंगाई प्रत्याशाओं में विस्तार के लिए जोखिम उत्पन्न करती है। ये ग्रामीण मज़दूरी में भारी वृद्धि की शुरूआत के संकेत भी हैं जो दूसरे दौर के प्रभावों को सामने लाते हैं जिनकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। उच्चतर और जारी महंगाई विनिमय दर और अस्थिरता के जोखिमों को भी बढ़ा रही है। अपवादात्मक मौद्रिक उपायों के सामान्यीकरण के साथ चलनिधि स्थितियां सुधरी हैं जैसाकि सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) तक पहुंच में तेज़ गिरावट से दिखाई देता है। बैंकिंग पूंजी और अनिवासी जमाराशियों के लिए रिज़र्व बैंक की स्वैप सुविधा के अंतर्गत पूंजी अंतर्वोहों ने उल्लेखनीय रूप से नवंबर के अंत से घरेलू चलनिधि को बढ़ाया है। दिसंबर के पहले दो सप्ताहों के दौरान ओवर-नाईट चलनिधि समायोजन सुविधा रिपो और निर्यात ऋण पुनर्वित्त के अंतर्गत सीमाओं का बैंकों ने उपयोग नहीं किया है और वस्तुत: प्रत्यावर्तिय रिपो के माध्यम से रिज़र्व बैंक के पास अतिरिक्त चलनिधि जमा हो गई है। अग्रिम कर भुगतानों के कारण दिसंबर 2013 के मध्य से शुरू करते हुए चलनिधि में अस्थायी कड़ाई की आशा के साथ रिज़र्व बैंक ने ओवर-नाईट रिपो, मीयादी रिपो, अनिर्यात ऋण पुनर्वित्त सुविधा के अंतर्गत एनडीटीएल के 1.5 प्रतिशत (अर्थात् ₹1.2 ट्रिलियन) तक रिज़र्व बैंक से चलनिधि के प्रति सामान्य पहुंच को बढ़ाते हुए 13 दिसंबर को ₹100 बिलियन की अतिरिक्त 14-दिवसीय मीयादी रिपो नीलामी संचालित की है। रिज़र्व बैंक ने मध्यम, सूक्ष्म और लघु उद्यमों द्वारा सामना किए जा रहे चलनिधि तनाव के समाधान के लक्ष्य से भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सीडबी) के लिए ₹50 बिलियन की एक पुनर्वित्त सुविधा भी शुरू की है। चलनिधि का प्रबंध इस दृष्टि से किया गया है कि अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को पर्याप्त ऋण प्रवाह सुनिश्चित हो सके। सकारात्मक निर्यात वृद्धि तथा तेल और गैर-तेल आयात दोनों में कमी के कारण जून से नवंबर तक व्यापार घाटे में कमी संपूर्ण रूप से इस वर्ष के लिए एक अधिक धारणीय स्तर तक चालू खाता घाटे (सीएडी) में कमी लाएगी। अगस्त-नवंबर के दौरान रिज़र्व बैंक द्वारा शुरू किए गए स्वैप विण्डों में मज़बूत अंतर्वाहों ने उल्लेखनीय रूप से विदेशी मुद्रा प्रारक्षित निधियों के पुननिर्माण में योगदान किया है जिसमें संभावित बाह्य वित्तीय अपेक्षाएं शामिल हुई हैं और यह विदेशी मुद्रा बाज़ार में स्थिरता ला रहा है। यह संभावित है कि ये अनुकूल गतिविधियां बाह्य आघातों के प्रति अनुकूलता के निर्माण में सहायता करेंगी। नीति रूझान और औचित्य हाल के अध्ययन प्रस्तावित करते हैं कि खुदरा और थोक दोनों में हेडलाईन महंगाई मुख्य रूप से खाद्य कीमतों के कारण बढ़ी है। जबकि खाद्य और ईंधन को छोड़कर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) महंगाई, बाज़ार स्तरों की ओर लागू कीमतों में तेज़ और आवश्यक वृद्धि के बावजूद स्थिर रही है, खाद्य और ईंधन को छोड़कर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक महंगाई के उच्च स्तर में संतुष्टि का कोई स्थान नहीं है। तथापि, मौद्रिक नीति के सिलसिले के निर्धारण के पहले प्रतीक्षा करने की ज़रूरत है। यह संकेत हैं कि सब्जी की कीमतें तेज़ी से नीचे गिर सकती हैं यद्यपि कारोबारी निर्धारण खुदरा महंगाई में संपूर्ण पास-थ्रू में बाधा डाल सकते हैं। इसके अतिरिक्त हाल के विदेशी मुद्रा स्थिरता के गैर-मुद्रास्फितिकारी प्रभाव कीमतों में लक्षित हो सकते है। अंत में सेवा वृद्धि में देखी गई हाल की गिरावट को शामिल करते हुए नकारात्मक उत्पादन अंतराल के साथ-साथ जुलाई से प्रभावी मौद्रिक कड़ाई के जुड़े हुए प्रभाव महंगाई को रोकने में सहायता करेंगे। नीति निर्णय पर अभी बात नहीं होगी। वर्तमान महंगाई बहुत अधिक है। तथापि, अपने वर्तमान उच्चतर स्तरों से महंगाई के अल्पकालिक मार्ग को घेरने वाली अनिश्चितता के व्यापक क्षेत्र को देखते हुए तथा अर्थव्यवस्था की कमज़ोर स्थिति को देखते हुए प्रतिक्रियात्मक नीति कार्रवाई के साथ-साथ मौद्रिक नीति कार्यों से साथ दीर्घावधि अंतराल की संपूर्ण रूप से उपेक्षा करने से अनिश्चितता में कमी के लिए अधिक आंकड़ों की प्रतीक्षा करने में भलाई हैं। अमरीकी फेडरल रिज़र्व बोर्ड द्वारा परिमाणात्मक सहजता की बंदी की संभावना सहित अधिक आंकड़ों के लिए प्रतीक्षा के प्रति स्पष्ट जोखिम बाहरी बाज़ारों में व्यवधान ला सकते हैं और यह कि रिज़र्व बैंक को महंगाई पर नरम होना माना जा सकता है। रिज़र्व बैंक सतर्क रहेगा। यद्यपि आज रिज़र्व बैंक यथास्थिति बनाए हुए है, यह अपनी नीति प्रभाव के कार्यों के स्पष्ट वर्णन के माध्यम से बाज़ार प्रत्याशाओं का मार्गदर्शन करने में सहायता कर सकता है यदि खाद्य महंगाई में नरमी नहीं आती है और यह आंकड़ा प्रसारण के अगले दौर में हेडलाईन मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय कमी में नहीं बदलती है अथवा खाद्य और ईंधन को छोड़कर महंगाई कम नही होती है तो आवश्यक होने पर नीति तारीखों से अलग हटने सहित रिज़र्व बैंक कार्रवाई करेगा ताकि मुद्रास्फीति प्रत्याशाएं स्थिर हों और धारणीय वृद्धि के अनुकूल एक वातावरण बन सके। उन तारीखों पर रिज़र्व बैंक की नीति कार्रवाई समुचित ढंग से समायोजित की जाएगी। अल्पना किल्लावाला प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/1223 |