मौद्रिक नीति की तिमाही के मध में समीक्षा: सितंबर 2013 मौद्रिक और चलनिधि उपाय - आरबीआई - Reserve Bank of India
मौद्रिक नीति की तिमाही के मध में समीक्षा: सितंबर 2013 मौद्रिक और चलनिधि उपाय
20 सितंबर 2013 मौद्रिक नीति की तिमाही के मध में समीक्षा: सितंबर 2013 वर्तमान और उभरती हुई समष्टिआर्थिक स्थितियों के आकलन के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि :
इसके परिणामस्वरूप चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत प्रत्यावर्तनीय रिपो दर 6.5 प्रतिशत पर समायोजित हो जाती है तथा बैंक दर तत्काल प्रभाव से कम होकर 9.5 प्रतिशत हो जाती हैसाथ। इन परिवर्तनों के साथ सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर तथा बैंक दर रिपो दर से अधिक 200 आधार अंकों तक पुन:समायोजित हो जाएगी। आकलन जुलाई की पहली तिमाही समीक्षा (एफक्यूआर) के बाद जापान और यूके में वृद्धि में तेजी के साथ उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में एक हल्का सुधार हो रहा है तथा यूरो क्षेत्र मंदी से निकल रहा है। तथापि, अमेरिका में परिमाणात्मक सहजता(क्यूई) के बंद किए जाने की संभावना के कारण बढ़ी हुई वित्तीय बाजार अस्थिरता के धक्के से उभरती हुई कई अर्थव्यवस्थाओं में गतिविधि मंद हुई है। अमरीकी फेडरल रिज़र्व द्वारा इस बंदी काक रोके जाने के निर्णय ने वित्तीय बाजारों में उछाल लाया है लेकिन अवश्यंभावी है। घरेलू मोर्चे पर औद्योगिक गतिविधि और सेवाओं में जारी मंदी के साथ वृद्धि कमजोर हुई है। मूलभूत सुविधा परियोजनाओं के पूरा किए जाने की गति मंद हुई है और नई परियोजनाएं अभी शुरु भी नहीं हुई हैं। सापेक्षिक रूप से अब तक मजबूत रहते हुए उपभोग ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्थायी वस्तु उपभोग में भारी कमी के साथ कमजोर होने लगा है। परिणामत: वृद्धि सेभावना से पीछे चल रही है और उत्पादन अंतराल बड़ा हो रहा है। खरीफ उत्पादन से कृषि में अच्छी संभावना और निर्यात में तेजी के कारण कुछ तेजी की आशा की जा रही है। मूलभूत सुविधा निवेश में तेजी तथा निवेश पर मंत्रीमंडलीय समिति द्वारा परियोजनाएं स्वीकृत किए जाने से भी वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि में तेजी आएगी। थोक मूल्य सूचकांक जो वर्ष 2013-14 की पहली तिमाही में कम हो गया था, वह फिर से बढ़ना शुरू हो गया है क्योंकि रुपए के तेज अवमूल्यन और बढ़ती हुई अंतर्राष्ट्रीय पण्य वस्तुओं की कीमतों के साथ मिलकर ईंधन कीमतों के पास-थ्रू में बढ़ोतरी हुई है। नकारात्मक परिणाम अंतर का मुद्रास्फीति पर ह्रासोन्मुख दबाव पड़ेगा और इस प्रक्रिया में विशेषकर खाद्य और मूलभूत सुविधा की सहजता से संबंधित आपूर्ति पक्ष के अवरोधों के रूप में सहायता मिलेगी। तथापि, वर्तमान आकलन यह है कि उचित नीति कार्रवाई के अभाव में थोक मूल्य सूचकांक वर्ष की शेष अवधि के लिए प्रारंभ में अनुमानित स्तर से उच्चतर रहेगा। समान रूप से चिंता की बात यह है कि खुदरा स्तर पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक द्वारा मापित मुद्रास्फीति कई वर्षों से उच्चतर रही है जो ऊंचे स्तरों पर मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं को विस्तारित कर रही है और उपभोक्ता और काराबारी विश्वास कम हो रहा है। यद्यपि, अच्छी खरीफ फसल की बेहतर संभावनाओं से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति में कुछ सुधार होगा, लेकिन अधिक संतुष्टि की कोई गुंजाइश नहीं है। बाह्य क्षेत्र पर, कमजोर होती घरेलू बचत, कम निर्यात मांग और तेल आयात का बढ़ता मूल्य जो अभी हाल में मध्य पूर्व के भूराजनैतिक जोखिमों के कारण है, उससे चालू खाता घाटा (सीएडी) बढ़ गया है। यूएस फेडरल रिज़र्व द्वारा आस्ति खरीद की प्रत्याशित कमी से प्रेरित पूंजी बहिर्वाह द्वारा परिवर्धित चालू खाता घाटे के निधियन के बारे में चिंताओं से विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता बढ़ गई है। हाल में, चालू खाता घाटा नियंत्रित करने और बाह्य वित्तपोषण के परिवेश में सुधार करने के लिए सरकार और रिज़र्व बैंक द्वारा उठाए गए कदमों से ये चिंताएं कम हो गई हैं, ध्यान रुपए के मूल्य के आंतरिक निर्धारक तत्वों, मुख्य रूप से राजकोषीय घाटे और घरेलू मुद्रास्फीति की तरफ चला गया है। नीति रूझान और औचित्य चूंकि मध्य जुलाई के बीच रिज़र्व बैंक ने विदेशी शेयर बाजार में अस्थिरता कम करने की दृष्टि से चलनिधि में कमी करने के लिए अनेक अपवादात्मक उपाय किए हैं। इन उपायों से मौद्रिक नीति परिचालनों के लिए प्रभावी नीति दर बढ़कर 10.25 प्रतिशत हो गया है जिसे पुनःसमायोजित सीमांत स्थायी सुविधा के साथ जोड़ दिया गया है। इसका उद्देश्य मीयादी संरचना के थोड़े समय के लिए कम चलनिधि स्थिति को कायम रखना है जब तक चालू खाता घाटे के मार्ग में परिवर्तन करने और इसके स्थायी निधियन की संभावनाओं में सुधार करने के लिए डिजाइन किए गए उपाय प्रभावी नहीं हो जाते हैं। चूंकि इस समय अनेक उपाय शुरू किए गए हैं और क्योंकि बाह्य वातावरण में सुधार हुआ है, रिज़र्व बैंक के लिए अब यह संभावित है कि समायोजित तरीके से इन अपवादात्मक उपायों में कमी लाने पर विचार किया जाए। अतः पहले चरण में सीमांत स्थायी सुविधा दर को 75 आधार अंकों तक घटाया जा रहा है, इसके अतिरिक्त रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) के न्यूनतम दैनिक रख-रखाव को 99 प्रतिशत की अपेक्षा से नीचे लाते हुए 95 प्रतिशत किया गया है। अपवादात्मक उपायों पर अगली कार्रवाइयों की समयावधि और दिशा शेयर बाजार स्थिरता पर निर्भर होगी और यह दुतरफी हो सकती है। अगली कार्रवाइयों को नीति तारीखों पर घोषित करने की जरूरत नहीं है, तथापि आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) के न्यूनतम दैनिक रख-रखाव में किसी अगले परिवर्तन पर विचार नहीं किया जा रहा है। चूंकि यह उपाय लागू हो गए हैं, इनका उद्देश्य मौद्रिक नीति के संचालन और परिचालनों को सामान्य बनाना है ताकि चलनिधि समायोजन सुविधा रिपो दर को परिचालनात्मक नीति ब्याज दर के रूप में इसकी भूमिका को शुरू करने की अनुमति दी जा सके। तथापि, मुद्रास्फीति हमेशा उच्चतर है तथा पारिवारिक वित्तीय बचत अपेक्षा से कम है। चूंकि शेयर बाजार गिरावट के मुद्रास्फीतिकारी परिणाम और अब तक दबी हुई मुद्रास्फीति जारी है, वे बेहतर फसलों और नकारात्मक उत्पादन अंतरों के अवस्फीतिक प्रभावों को शुरू करेंगे। मुद्रास्फीति और मुद्रास्फीतिक प्रत्याशाओं को व्यवस्थित रखने की जरूरत को पुनः औद्योगिक क्षेत्र और शहरी मांग की कमजोर स्थिति के बदले निर्धारित करना है। इन सब को ध्यान में रखते हुए अधिक सहनीय स्तरों पर मुद्रास्फीति को नीचे लाने के लिए चलनिधि समायोजन सुविधा रिपो दर को तत्काल 25 आधार अंकों तक बढ़ाए जाने की जरूरत है। रिज़र्व बैंक यथावश्यक रूप से पूर्व-तत्परता और तैयारी के साथ उभरती हुई वृद्धि-मुद्रास्फीति गतिशीलता की निकट से निरंतर निगरानी करेगा। इस समीक्षा में नीति रूझान और निर्धारित उपाय उन अपवादात्मक उपायों को सतर्कता से लागू करने की प्रक्रिया शुरु करते हैं जो वित्तीय प्रवाहों में सामान्य स्थिति को वापस लाएंगे। उनका आशय मुद्रास्फीतिकारी दबावों का समाधान करना है ताकि अर्थव्यवस्था के लिए एक स्थायी सांकेतिक व्यवस्था उपलब्ध करायी जा सके जिसके द्वारा शेयर बाजार दबावों को कम किया जा सके तथा संवृद्धि के पुनरुद्धार के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार किया जा सके। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/604 |