मौद्रिक नीति की तिमाही के मध्य में समीक्षा: सितंबर 2013 : डॉ. रघुराम जी. राजन, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक का वक्तव्य - आरबीआई - Reserve Bank of India
मौद्रिक नीति की तिमाही के मध्य में समीक्षा: सितंबर 2013 : डॉ. रघुराम जी. राजन, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक का वक्तव्य
20 सितंबर 2013 मौद्रिक नीति की तिमाही के मध्य में समीक्षा: सितंबर 2013 "नमस्कार। आज तिमाही के मध्य की समीक्षा में हमने जुलाई में लागू अपवादात्मक चलनिधि उपायों में एक समायोजित परिवर्तन शुरू किया है जिसमें आज की प्रभावी नीति दर सीमांत स्थायी सुविधा में 75 आधार बिंदुओं अथवा 0.75 प्रतिशत बिंदुओं तक कटौती की गई है। हमने बैंकों द्वारा कायम रखने योग्य न्यूनतम दैनिक आरक्षित नकदी निधि अनुपात शेष की अपेक्षा में भी कमी करते हुए इसे 95 प्रतिशत किया है। हमारा विश्वास है कि अपवादात्मक चलनिधि उपायों में इसे देखते हुए कमी की जरूरत है कि बाह्य वातावरण में सुधार हुआ है और यह देखते हुए कि सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस समय का तब से उपयोग किया है जब ये उपाय चालू खाता घाटा को कम करने तथा इसके वित्तपोषण में कमी लाने के लिए शुरू किए गए थे। समायोजित वापसी वृद्धि को प्रोत्साहन उपलब्ध कराएगी, उन वित्तपोषण असमानताओं में कमी लाएगी जो बाजार में उभर रही हैं तथा कंपनी और बैंक तुलन पत्रों में कमी लाएगी। हम बाह्य बाजार स्थितियों के बारे में सतर्क हैं तथा वो सब आवश्यक उपाय करेंगे यदि उनमें एक बार फिर गिरावट होती है। हमनें सामान्य मौद्रिक परिचालनों को वापिस लाने के अभिप्राय को भी घोषित किया है जहां रिपो दर जो प्रभावी नीति दर बनने के लिए वापस आएगी तथा चलनिधि स्थितियों को उतना कड़ा करने की जरूरत नहीं होगी जितना वे वर्तमान में हैं। मैं इस बात पर जोर डालना चाहता हूं कि सीमांत स्थायी सुविधा दर और रिपो दर के बीच के अंतर को 100 आधार अंकों तक नीचे लाया जाएगा। उसी समय यह जानते हुए कि मुद्रास्फीतिक दबाव बढ़ रहे हैं और एक सांकेतिक व्यवस्थापक बनने के लिए तैयार हैं, जिसके लिए हमें रुपए के आंतरिक मूल्य को संरक्षित रखना होगा, हमने रिपो दर को 25 आधार अंकों तक बढ़ा दिया है। इसका आश्य यह है कि जब रिपो दर प्रभावी नीति दर हो जाती है तो यह अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीतिक स्थितियों के अनुरूप होगी। कुल मिलाकर ये उपाय आवश्यक रूप से बैंक वित्तपोषण की लागत में कमी लाएंगे जबकि हमें मुद्रास्फीति पर एक समुचित पूर्व सतर्कता रूझान रखना होगा। हमें स्मरण रखना है कि बंद किए जाने का आस्थगन मात्र एक आस्थगन है। हमें इस समय का उपयोग एक बुलेट प्रूफ राष्ट्रीय तुलन पत्र तथा वृद्धि कार्यक्रम के सृजन में करना है जो समान रूप से नागरिकों और निवेशकों में विश्वास पैदा करेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक में मेरे सहयोगी और मैं दो सप्ताह पहले घोषित उन उपायों को विकसित करने में व्यस्त रहे हैं। कल भारतीय रिज़र्व बैंक ने समावेशन को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ अभिरक्षाओं के साथ बैंक शाखाकरण के संपूर्ण उदारीकरण का कार्यान्वयन किया है। हमनें एफसीएनआर (बैंक) स्वैप सुविधा के साथ-साथ बैंक उधारों के लिए स्वैप सुविधा, दोनों की घोषणा की है। मुझे यह कहते हुए खुशी है कि बैंकों ने पैसा लाना शुरू कर दिया है। कल तक हमनें एफसीएनआर (बैंक) के माध्यम से $466 मिलियन तथा स्वैप सुविधा के माध्यम से $917 मिलियन प्राप्त किए हैं जो कुल मिलाकर लगभग $1.4 बिलियन हैं। हमनें खुदरा मुद्रास्फीति सूचकांकित खुदरा प्रमाण पत्रों के दो स्वरूपों को जारी करने की प्रक्रिया शुरू की है जिसमें एक अंत में एकमुश्त भुगतान के साथ और दूसरा सूचकांकित ब्याज भुगतानों के साथ होगा। हमनें बड़े बैंक उधारकर्ताओं के लिए केन्द्रीय ऋण पंजीयन स्थापित किया है। हमारे द्वारा घोषित विभिन्न समितियों ने कार्य शुरू कर दिया है। अगले कुछ सप्ताहों में सरकार के साथ-साथ हम कंपनी चिंता और बैंक की अनर्जक आस्तियों पर यह देखने के लिए निकट से निगरानी रखेंगे कि किस प्रकार हम समाधान की प्रक्रिया को तेज कर सकते हैं। अंत में हम विभिन्न प्रकार के बाजारों को और सघन बनाने और क्रियाशील करने पर ध्यान दे रहे हैं। उपाय समय-समय पर घोषित किए जाएंगे। " अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/607 |