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मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2025-26 मौद्रिक नीति समिति का संकल्प 7 से 9 अप्रैल 2025

मौद्रिक नीति निर्णय

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की 54वीं बैठक 7 से 9 अप्रैल 2025 तक श्री संजय मल्होत्रा, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक की अध्यक्षता में आयोजित की गई। एमपीसी के सदस्य डॉ. नागेश कुमार, श्री सौगत भट्टाचार्य, प्रो. राम सिंह, डॉ. राजीव रंजन और श्री एम. राजेश्वर राव बैठक में शामिल हुए।

2. वर्तमान और उभरती समष्टि-आर्थिक स्थिति के आकलन के पश्चात, एमपीसी ने सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को तत्काल प्रभाव से 25 आधार अंक घटाकर 6.00 प्रतिशत करने के लिए वोट किया। परिणामस्वरूप, चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 5.75 प्रतिशत तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.25 प्रतिशत पर समायोजित हो जाएगी। यह निर्णय संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति के लिए +/- 2 प्रतिशत के दायरे में 4 प्रतिशत के मध्यम अवधि लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य के अनुरूप है।

संवृद्धि और मुद्रास्फीति संभावना

3. वैश्विक आर्थिक संभावना तेजी से बदल रही है। हाल ही में व्यापार शुल्क संबंधी उपायों ने अनिश्चितताओं को बढ़ा दिया है जो सभी क्षेत्रों में आर्थिक संभावना पर छा गया जिससे वैश्विक संवृद्धि और मुद्रास्फीति के लिए नई चुनौतियां उत्पन्न हो गई हैं। वित्तीय बाजारों ने डॉलर सूचकांक में तेज गिरावट और इक्विटी में बिकवाली के साथ बॉण्ड प्रतिफल और कच्चे तेल की कीमतों में उल्लेखनीय नरमी के माध्यम से प्रतिक्रिया दी है।

4. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने 2024-25 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) संवृद्धि का अनुमान 6.5 प्रतिशत लगाया है, जो 2023-24 में 9.2 प्रतिशत के अलावा है। आगे चलकर, ग्रामीण क्षेत्रों से धारणीय मांग, शहरी खपत में प्रत्याशित बहाली, बढ़े हुए सरकारी पूंजीगत व्यय द्वारा समर्थित स्थिर पूंजी निर्माण के अपेक्षित सुधार, उच्चतर क्षमता उपयोग तथा कॉर्पोरेट्स और बैंकों के मजबूत तुलन पत्र से संवृद्धि को समर्थन मिलने की आशा है। मौजूदा समय में अनिश्चित प्रतीत होने वाले वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के कारण व्यापारिक निर्यात पर अधोगामी दबाव पड़ेगा, जबकि सेवा निर्यात में आघात-सहनीयता जारी रहने की आशा है। आपूर्ति पक्ष पर, जबकि कृषि की संभावनाएं उज्ज्वल दिखाई दे रही हैं, औद्योगिक गतिविधि में सुधार जारी है, और सेवा क्षेत्र के आघात सह रहने की आशा है। वैश्विक व्यापार व्यवधानों से होने वाली प्रतिकूल परिस्थितियाँ अधोगामी जोखिम उत्पन्न कर रहीं हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2025-26 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि अब 6.5 प्रतिशत अनुमानित है, जो पहली तिमाही में 6.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.7 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 6.3 प्रतिशत रहेगी। (चार्ट 1)। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।

5. जनवरी-फरवरी 2025 के दौरान सीपीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति में कुल 1.6 प्रतिशत अंकों की गिरावट आई, जो दिसंबर 2024 में 5.2 प्रतिशत से घटकर फरवरी 2025 में 3.6 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ गई। इस वर्ष सब्जियों की कीमतों में मजबूत मौसमी सुधार के कारण, फरवरी में खाद्य मुद्रास्फीति 21 महीने के निचले स्तर 3.8 प्रतिशत पर आ गई। ईंधन समूह में अपस्फीति बनी रही। दिसंबर 2024 - जनवरी 2025 में स्थिर रहने के बाद मूल मुद्रास्फीति फरवरी 2025 में 4.1 प्रतिशत तक बढ़ गई, जो मुख्य रूप से स्वर्ण की कीमतों में तेज उछाल से प्रेरित थी।

6. खाद्य मुद्रास्फीति की संभावना निर्णायक रूप से सकारात्मक हो गई है। सब्जियों की कीमतों में पर्याप्त और व्यापक मौसमी सुधार हुआ है। रबी फसलों पर अनिश्चितताएं काफी कम हो गई हैं तथा दूसरे अग्रिम अनुमानों में पिछले वर्ष की तुलना में रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन और प्रमुख दालों के अधिक उत्पादन की ओर इशारा किया गया है। खरीफ की मजबूत आवक के साथ, इससे खाद्य मुद्रास्फीति में टिकाऊ नरमी रहने की आशा है। तीन महीने और एक वर्ष आगे की अवधि के लिए मुद्रास्फीति की प्रत्याशाओं में तेज गिरावट से आगे चलकर मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं को सुस्थिर करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट मुद्रास्फीति की संभावना के लिए शुभ संकेत है। वैश्विक बाजार की अनिश्चितताओं और प्रतिकूल मौसम संबंधी आपूर्ति व्यवधानों की पुनरावृत्ति की चिंताएं, मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र के लिए ऊर्ध्वगामी जोखिम उत्पन्न करती हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए और सामान्य मानसून की परिकल्पना करते हुए, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो पहली तिमाही में 3.6 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 3.9 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.4 प्रतिशत रहेगी। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।

Chart 1 and 2

मौद्रिक नीति निर्णयों का औचित्य

7. एमपीसी ने कहा कि मुद्रास्फीति वर्तमान में खाद्य मुद्रास्फीति में तेज गिरावट के समर्थन से लक्ष्य से नीचे है। इसके अलावा, मुद्रास्फीति की संभावना में निर्णायक सुधार हुआ है। अनुमानों के अनुसार, अब 12 महीने के क्षितिज पर 4 प्रतिशत के लक्ष्य के साथ हेडलाइन मुद्रास्फीति के टिकाऊ संरेखण का अधिक विश्वास है। दूसरी ओर, चुनौतीपूर्ण वैश्विक वातावरण से बाधित, 2024-25 की पहली छमाही में निराशाजनक निष्पादन के बाद संवृद्धि अभी भी बहाली की राह पर है। यद्यपि जोखिम, संवृद्धि के आधारभूत अनुमानों के आसपास समान रूप से संतुलित हैं, वैश्विक अस्थिरता में हाल की तेजी के कारण अनिश्चितताएं उच्च स्तर पर बनी हुई हैं। ऐसी चुनौतीपूर्ण वैश्विक आर्थिक स्थितियों में, सौम्य मुद्रास्फीति और मध्यम संवृद्धि संभावना की मांग है कि एमपीसी संवृद्धि का समर्थन प्रदान करना जारी रखे। तदनुसार, एमपीसी ने सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को 25 आधार अंक घटाकर 6.00 प्रतिशत करने के लिए वोट किया। इसके अलावा, एमपीसी ने अपने रुख को तटस्थ से बदलकर निभावकारी करने का भी निर्णय लिया। तथापि, एमपीसी ने कहा कि तेजी से उभरती परिस्थितियों के लिए आर्थिक संभावना की निरंतर निगरानी और आकलन की आवश्यकता है।

8. एमपीसी की इस बैठक का कार्यवृत्त 23 अप्रैल 2025 को प्रकाशित किया जाएगा।

9. एमपीसी की अगली बैठक 4 से 6 जून 2025 के दौरान निर्धारित है।
 

(पुनीत पंचोली)  
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/61

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