11 फरवरी 2020 फरवरी 2020 के लिए मासिक बुलेटिन भारतीय रिजर्व बैंक ने आज अपने मासिक बुलेटिन के फरवरी 2020 अंक को जारी किया। बुलेटिन में वर्ष 2019-2020 के लिए छठा द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य, एक भाषण, तीन लेख और वर्तमान सांख्यिकी शामिल हैं। तीन लेख इस प्रकार हैं : I. 2019-20 में निजी कॉर्पोरेट निवेश: सुधार के कुछ संकेत; II. 2018-19 में भारतीय विनिर्माणकर्ताओं की भावनाएं; और III. वितरित लेजर प्रौद्योगिकी, ब्लॉकचेन और केंद्रीय बैंक। I. 2019-20 में निजी कॉर्पोरेट निवेश: सुधार के कुछ संकेत लेख 2018-19 और 2019-20 के दौरान भारत में निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र में निवेश प्रयोजनों पर आंकड़ों का विश्लेषण करता है। मुख्य विशेषताएं:
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वित्त पोषण के विभिन्न चैनलों के माध्यम से स्वीकृत / अनुबंधित कुल परियोजनाओं की कुल लागत 2017-18 में ₹ 2,07,673 करोड़ से 2018-19 में ₹ 2,53,705 करोड़ तक बढ़ गई।
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वित्तपोषण के प्रमुख चैनलों द्वारा स्वीकृत / अनुबंधित परियोजनाओं की कुल लागत में 2018-19 की पहली छमाही से 2019-20 की पहली छमाही तक वृद्धि जारी रही।
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पिछले वर्ष की तुलना में 2019-20 में पाइपलाइन परियोजनाओं पर आधारित नियोजित कैपेक्स (पूर्ववर्ती वर्षों में स्वीकृत) 2019-20 में ₹ 1,20,157 करोड़ से अधिक होने का अनुमान है।
II. 2018-19 में भारतीय विनिर्माणकर्ताओं की भावनाएं तिमाही औद्योगिक आउटलुक सर्वेक्षण (आईओएस) पर आधारित यह लेख वर्ष 2018-19 के दौरान मांग और कीमत की स्थिति के बारे में भारतीय विनिर्माण कंपनियों की धारणाओं को प्रस्तुत करता है। मुख्य विशेषताएं:
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2018-19 में मांग की स्थिति स्थिर रही जबकि 2019-20 की पहली तिमाही में मामूली सुधार की उम्मीद थी।
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इनपुट, विशेष रूप से कच्चे माल की लागत में कमी के कारण 2018-19 की दूसरी तिमाही के बाद से बिक्री कीमतों में कुछ संशोधन हुआ।
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2018-19 के दौरान, प्रतिक्रिया दाताओं ने चौथी तिमाही में मामूली सुधार के साथ पहली तीन तिमाहियों के लिए समग्र वित्तीय स्थिति पर घटता आशावाद व्यक्त किया, जो कि 2019-20 की पहली तिमाही के दृष्टिकोण में निरंतर बना रहा।
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समग्र व्यावसायिक परिस्थितियों का आकलन 2017-18 की चौथी तिमाही में अपने स्तर से एक ढलान को दर्शाता है। हालांकि, अवधि के दौरान संभावनाएं स्थिर रही।
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हिडेन मार्कोव मॉडल (एचएमएम) प्रतिगमन का उपयोग करते हुए एक अनुभवजन्य विश्लेषण से पता चलता है कि सर्वेक्षण पैरामीटर प्रमुख मैक्रोइकॉनॉमिक एग्रीगेट्स की गतिविधियों में मोड़ बिंदुओं को पकड़ने में सक्षम हैं और इसलिए विनिर्माण क्षेत्र में आईआईपी वृद्धि और डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति के लिए एक अच्छे प्रमुख संकेतक के रूप में कार्य करते हैं।
III. वितरित लेजर प्रौद्योगिकी, ब्लॉकचेन और केंद्रीय बैंक यह लेख केंद्रीय बैंकों द्वारा वितरित लेजर प्रौद्योगिकी (डीएलटी) और इसके अनुप्रयोगों के बारे में मुख्य विशेषताएं और समस्याओं को प्रस्तुत करता है। मुख्य विशेषताएं:
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कुछ केंद्रीय बैंकों ने डीएलटी का अध्ययन करने और समझने और उनके परिचालन और वित्तीय प्रणालियों के लिए संभावित लाभों का पता लगाने के लिए पायलट परियोजनाएं शुरू की हैं।
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अब तक इन परियोजनाओं में से अधिकांश मौजूदा प्रणाली की कार्यक्षमता के साथ डीएलटी प्लेटफार्मों में अंतर-बैंक समाधान, डिजिटल परिसंपत्तियों और टोकन की अदायगी और सीमा पार से भुगतान करने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए प्रयोगशील स्वरूप की हैं।
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ये परियोजनाएं परिणामी लाभों के रूप में डीएलटी-आधारित वित्तीय बाजार बुनियादी ढांचे के विकास के लिए केंद्रीय बैंकों और नियामकों की मार्गदर्शन क्षमता में वृद्धि करती है।
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भारतीय संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक और भारत सरकार के डिजिटल लेनदेन पर जोर और बढ़ते समर्थन से विनियामक सैंडबॉक्स और विभिन्न अन्य योजनाओं के माध्यम से नवाचार और उभरती हुई प्रौद्योगिकियां नई अर्थव्यवस्था का मार्ग प्रशस्त करेंगी।
अजीत प्रसाद निदेशक प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/1929 |