गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लेखा-परीक्षकों को पूंजी पर्याप्तता - आरबीआई - Reserve Bank of India
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लेखा-परीक्षकों को पूंजी पर्याप्तता
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लेखा-परीक्षकों को पूंजी पर्याप्तता
अनुपात अपेक्षाओं के सतत अनुपालन के सत्यापन के निदेश
6 जून 2002
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज विवेकशील मानदंडों और अर्द्धवार्षिक विवरणी में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों तथा उनके लेखा-परीक्षकों द्वारा प्रस्तुत किये जानेवाले प्रमाणपत्रों के फॉर्मेट (फॉर्म एनबीएस-2) आशोधित किये। अब से लेखा-परीक्षकों को यह सत्यापित करना होगा कि इन कंपनियों द्वारा पूंजी पर्याप्तता अनुपात निरंतर आधार पर बनाया रखा गया है। रिज़र्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी कंपनी द्वारा इस अपेक्षा का उल्लंघन होता है तो ऐसी कंपनियों के लेखा-परीक्षक उनके द्वारा कंपनी के निदेशक मंडल, उसके शेयरधारकों तथा रिज़र्व बैंक को, रिज़र्व बैंक द्वारा जारी लेखा-परीक्षक दिशा-निर्देशों के अंतर्गत प्रस्तुत की जानेवाली अपनी रिपोर्ट में इस तरह के उल्लंघन का उल्लेख करेंगे।
रिज़र्व बैंक ने यह याद दिलाया है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को जनवरी 2002 में पहले ही यह सूचित किया गया था कि पूंजी पर्याप्तता अनुपात न केवल रिपोर्ट की तारीख को लागू होता है बल्कि यह निरंतर आधार पर भी लागू होता है। इस तरह से गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को नये कारोबार लिखते समय अवश्य ही यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पूंजी पर्याप्तता अनुपात निर्धारित न्यूनतम से कम नहीं होता।
रिज़र्व बैंक ने सूचित किया है कि 31 मार्च 2002 की स्थिति के अनुसार छमाही विवरणी (30 जून 2002 को प्रस्तुत की जानेवाली) नये फॉर्मेट में प्रस्तुत की जानी चाहिए।
विस्तृत परिपत्र तथा आशोधन करने वाली अधिसूचना रिज़र्व बैंक की वेबसाइट www.rbi.org.in पर उपलब्ध है।
अल्पना किल्लावाला
महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2001-2002/1348