प्रधान मंत्री ने स्मारक सिक्का सेट जारी किया: वित्त मंत्री ने मिंट रोड माइलस्टोन जारी किया: भारतीय रिज़र्व बैंक के 75 वर्ष पूरे हुए - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्रधान मंत्री ने स्मारक सिक्का सेट जारी किया: वित्त मंत्री ने मिंट रोड माइलस्टोन जारी किया: भारतीय रिज़र्व बैंक के 75 वर्ष पूरे हुए
1 अप्रैल 2010 प्रधान मंत्री ने स्मारक सिक्का सेट जारी किया: "चूँकि हम तीव्र और संम्मिलित विकास प्राप्त करने के उद्देश्य का पालन कर रहे हैं, हमारी मौद्रिक और वित्तीय नीतियाँ तीन उद्देश्यों द्वारा निर्देशित होनी चाहिए। पहला, वे यह सुनिश्चित करे कि मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखा जाए क्योंकि सबसे अधिक यह आम आदमी पर चोट करती है तथा आर्थिक संकेतकों को भी विरूपित करती है। दूसरा, वे बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता सुनिश्चित करे क्योंकि अन्य प्रकार से हम वित्तीय संकटों का अनुभव करते हुए जोखिम को धारण कर रहे हैं जिसे सर्वदा उच्चतर लागत आती है। तीसरा, वे तीव्र और सम्मिलित विकास की वित्तीय मध्यस्थ आवश्यकताओं को पूरा करें।" मुख्य अतिथि भारत के माननीय प्रधान मंत्री डॉ. मन मोहन सिंह का 1 अप्रैल 2010 को नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स, मुंबई में आयोजित भारतीय रिज़र्व बैंक के प्लैटिनम जयंती के समापन समारोह का यह मुख्य संदेश था। अपने अस्तित्त्व के 75 वर्षों में अति विशिष्टता के साथ हमारे देश की सेवा करने के लिए रिज़र्व बैंक की प्रशंसा करने हुए प्रधान मंत्री ने कहा कि बैंक ने पहले ही विकसित होने के लिए बैंकिंग एजेंटों की प्रणाली को अनुमति देने में प्रशंसनीय लचीलापन दिखाया है। उन्होंने कहा कि यह बैंकिंग सेवाओं के और विस्तार के लिए प्रतिबद्ध रहेगा ताकि बैंक अधिक-से-अधिक लोगों के जीवन को छू सकें। भारत के माननीय वित्त मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी, महाराष्ट्र के राज्यपाल महामहिम श्री के. शंकरनारायणन तथा महाराष्ट्र के माननीय मुख्य मंत्री श्री अशोक चहवाण सम्मानित अतिथि थे। रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर और वरिष्ठ कार्यपालक, बैंक और वित्तीय संस्थाएं, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, अग्रणी उद्योगपति, बैंकों के अध्यक्ष तथा वित्त जगत के अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस अवसर की शोभा बढ़ाई। रिज़र्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। 1 अप्रैल 1935 को स्थापित, देश के केंद्रीय बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक ने वर्ष 2009-2010 को अपने प्लैटिनम जयंती वर्ष के रूप में मनाया। वर्ष-भर चलनेवाले समारोहों में रिज़र्व बैंक को एक ज्ञान संस्था के रूप में प्रदर्शित करने वाले जानकारी देनेवाले कार्यक्रमों की एक श्रृंखला, भारतीय रिज़र्व बैंक परिवार के सदस्यों के बीच अपनत्व और समावेशन की भावना भरने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के वर्तमान और पूर्व स्टाफ को शामिल करनेवाले आंतरिक कार्यक्रमों का एक सेट और पहुँच कार्यक्रमों के साथ कई कार्यक्रम शामिल किए गए। पहुँच कार्यक्रमों का मुख्य ध्यान वित्तीय समावेशन और वित्तीय साक्षरता थी। रिज़र्व बैंक के शीर्ष प्रबंध तंत्र ने सामान्य जनता को सुनने, यह देखने और समझने के लिए कि जमीनी स्तर की संस्थाएँ किस प्रकार कार्य करती हैं तथा वित्तीय समावेशन की चुनौतियों और अवसरों की जानकारी प्राप्त करने के लिए सारे देश के दूरस्थ गाँवों की यात्रा की। प्लैटिनम जयंती के समापन समारोह में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने मुंबई और रिज़र्व बैंक में अपने आगमन को ‘एक प्रकार से घर आना’ बताया और रिज़र्व बैंक में अपने पुराने दिनों का स्मरण करते हुए उन्होंने इसे अत्यधिक खुशी और सुख के दिन बताया। डॉ. मनमोहन सिंह वर्ष 1982 और 1985 के बीच रिज़र्व बेंक के गवर्नर थे। संक्षिप्त रूप से यह बताते हुए कि किसी प्रकार इन 75 वर्षों के दौरान रिज़र्व बैंक ने भारत की अर्थव्यवस्था में एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है, उन्होंने उस तरीके की प्रशंसा की जिस तरीके से इसने नई चुनौतियों और द्वंद्वों पर कार्रवाई की है तथा वित्तीय बाज़ारों में स्थिरता को सुदृढ़ और सुनिश्चित करने के प्रति नए ढंग से ज़ोर डाला है। जबकि हाल की मंदी से भारतीय बैंक अथवा वित्तीय बाज़ार सीधे प्रभावित नहीं हुए हैं, इस संकट ने विभिन्न तरीकों से भारत की वित्तीय प्रणाली को मज़बूत बनाने की आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने आगे कहा कि "एक ओर हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वित्तीय प्रणाली विशेष रूप से मूलभूत सुविधा विकास के लिए हमारे विकास हेतु वित्त उपलब्ध कराए तो दूसरी ओर हमें एक दीर्षावधि ऋण बाज़ार विकसित करने तथा कंपनी बांण्ड बाज़ारों को मज़बूत बनाने की भी आवश्यकता है"। उन्होंने बेहतर मूल्य अन्वेषण और विनियमन के लिए फ्यूचर बाज़ारों में सुधार की आवश्यकता के साथ-साथ बेहतर मध्यस्थता को सुविधा प्रदान करने के लिए सांस्थिक बाधाओं को दूर करने पर भी ज़ोर दिया। भारत के माननीय वित्त मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी ने अपने भाषण में इस संस्था के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि एक भावना के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक का इतिहास अपनी नीतियों के नवोन्मषीकरण तथा इन घटना भरे वर्षों के दौरान नई चुनौतियों का सफलतम ढंग से सामना करने के प्रति इसकी भूमिका को मज़बूत बनाने का रहा है। रिज़र्व बैंक की नीति कार्रवाईयों और कार्यक्रमों ने वस्तुत: हाल के इन वर्षों में भारत में वित्तीय मध्यस्थता की प्रक्रिया क्षमता के सुधार, मौद्रिक नीति के संचालन में प्रभाव क्षमता बढ़ाने तथा वैश्विक प्रणाली के साथ भारत के घरेलू वित्तीय क्षेत्र के समेकन हेतु स्थितियाँ सृजित करने में उल्लेखनीय योगदान किया है। वित्त मंत्री ने उल्लेख किया कि सभी सहभागियों और स्टेकधारकों के बीच भारत की वित्तीय प्रणाली में विश्वास का स्तर बनाए रखने, अत्यधिक उतार-चढाव के प्रभाव को हटाने जो अनुचित तथा प्रतिकूल ढंग से वास्तविक आर्थिक गतिविधि को प्रभावित कर सकता था तथा उन प्रयासशील अवधियों में अबाधित लेनदेन सुनिश्चित करने में रिज़र्व बैंक की भूमिका सच्चे अर्थो में प्रशंसनीय और उदाहरणयोग्य है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि "बहु-कार्य एजेंसी के रूप में रिज़र्व बैंक हमारी समष्टि आर्थिक नीति तैयार करने में उल्लेखनीय भूमिका अदा करता रहेगा और जैसाकि इसने सर्वदा किया है समय-समय पर सामना की जानेवाली चुनौतियों के प्रति कार्रवाई करने में तत्परता और लचीलेपन को विकसित और प्रदर्शित करता रहेगा।" इसके पूर्व अपनी टिप्पणी में डॉ. डी.सुब्बाराव, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने संक्षिप्त रूप में केंद्रीय बैंकिंग और रिज़र्व बैंक के इतिहास का परिचय दिया और कहा कि प्लैटिनम जयंती एक ऐतिहासिक अनुक्रम की पहचान है, इसी संस्था में आयोजन का एक अवसर है लेकिन यह आत्मनिरीक्षण का अवसर भी है। उन्होंने उन चार क्षेत्रों पर मुख्य रूप से चर्चा की जिसका रिज़र्व बैंक भविष्य में समाधान करेगा। रिज़र्व बैंक के गवर्नर के अनुसार ध्यान देनेयोग्य पहला क्षेत्र इस वैश्वीकृत वातावरण में आर्थिक और विनियामक दोनों नीतियों के प्रबंध का ज्ञान प्राप्त करना है। रिज़र्व बैंक को स्वयं एक ज्ञान संस्था के रूप में पुन: स्थित होना है। "उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण से लड़ने का विचार नहीं है बल्कि देश के सर्वोत्तम हितों का प्रबंध करना है।" उन्होंने आगे कहा कि "हमें विश्व में सर्वोत्तम व्यवहारों से सीखने की अपेक्षा है लेकिन उन्हें एक परिपक्व और उभरती हुई अर्थव्यवस्था की माँग और संस्कृति के लिए स्वीकार करना है। व्याप्त ज्ञान की सीमाओं पर केवल बने नहीं रहना है बल्कि अक्सर इसमें नई खोज करना है, लेकिन सभी समय एक उभरती हुई बाज़ार अर्थव्यवस्था के मुख्य विषयों के प्रति संवेदनशील रहना है।" रिज़र्व बैंक के लिए तीसरी बड़ी चुनौती वित्तीय समावेशन को और आगे सुदृढ़ करना है। इस पर व्यापक चर्चा करते हुए डॉ. सुब्बाराव ने कहा कि "हम सभी अपने व्यक्तिगत अनुभव से यह जानते हैं कि आर्थिक अवसर सुदृढ़तापूर्वक वित्तीय पहुँच के साथ आंतरिक रूप से जुड़ा है। ऐसी पहुँच गरीबों के लिए विशेष रूप से शक्तिशाली है क्योंकि यह उन्हें बचत करने, निवेश करने, ऋण का उपभोग करने और सबसे बढ़कर आय की कमी से उनको सुरक्षित करने का अवसर उपलब्ध कराती है।" वित्तीय समावेशन अगला बड़ा विचार था क्योंकि यह तुरंत वृद्धि और समानता दोनों को प्रोत्साहित करता है। रिज़र्व बैंक के लिए अंतिम चुनौती एक अधिक पारदर्शी और संवेदनशील संस्था बनने की है। गवर्नर ने कहा कि "हम एक सार्वजनिक संस्था हैं और हमारा दायित्व लाभदायक स्तर पर गुणवत्ता सेवा प्रदान करना है। हमें लोगों को सुनने की जरूरत है, उनकी चिंताओं के प्रति संवेदनशील बनना है और उनकी शिकायतों का समाधान करना है। हमें प्रभावी और विश्वसनीय संवाद स्थापित करने की भी जरूरत है तथा तकनीकी और गैर-तकनीकी दोनों स्तरों पर अपने निर्णयों और अपनी कार्रवाईयों के औचित्य को स्पष्ट करना है।" गवर्नर ने अपने समापन भाषण में कहा कि "वित्तीय संकट से एक सशक्त सबक यह है कि वित्तीय क्षेत्र विकास स्वयं में अंतिम नहीं है और अंतिम नहीं हो सकता है। वित्तीय क्षेत्र की वृद्धि केवल इस सीमा तक महत्त्वपूर्ण है कि यह वास्तविक क्षेत्र की वृद्धि को उन्नत बना सके। रिज़र्व बैंक में हम सभी के लिए और वस्तुत: इसके बाहर के लोगों के लिए भी जो वित्तीय क्षेत्र मामलों में शामिल हैं यह याद रखना महत्त्वपूर्ण है कि वित्तीय क्षेत्र में हम जो कुछ करते हैं वह तभी इसके महत्त्व में वृद्धि करता है यदि इससे सामान्य लोगों के जीवन में अंतर आता है।" स्मारक सिक्का सेट भारत सरकार द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक की प्लैटिनम जयंती के अवसर को महत्त्व प्रदान करने के लिए 1 रुपए, 2 रुपए, 5 रुपए, 10 रुपए और 75 रुपए के मूल्यवर्ग में पाँच स्मारक सिक्कों का एक सेट जारी किया जाएगा। 1 रुपए, 2 रुपए, 5 रुपए, 10 रुपए के मूल्य वर्ग में सिक्के परिचालनयोग्य सिक्कों के रूप में जारी किए जाएंगे। पाँच सिक्कों के एक सेट में जहाँ 1 रुपए और 2 रुपए के सिक्के फेरेटिक स्टेनलेस स्टिल के होंगे, 5 रुपए का सिक्का निकल ब्रास का होगा, 10 रुपए का सिक्का द्वि-धात्विक होगा और 75 रुपए का सिक्का सिल्वर मिश्रण होगा। सिक्कों का अभिकल्प मुखभाग सभी सिक्कों के मुखभाग के मध्य में अशोक स्तंभ का सिंह शीर्ष होगा जिसके नीचे "सत्यमेव जयते" इबारत अंतर्लिखित होगी, उसकी ऊपरी बायीं परिधि पर हिन्दी में "भारत" शब्द और ऊपरी दायीं परिधि पर अंग्रेजी में "INDIA" शब्द होगा। इस पर सिंह शीर्ष के नीचे अंतर्राष्ट्रीय अंकों में जो भी स्थिति हो "75", "10", "5" आदि मूल्य वर्गांकिंत मूल्य होगा जिसमें निचली बायीं परिधि पर हिन्दी में "रुपए" शब्द और निचली दायीं परिधि पर अंग्रेजी में "RUPEES" शब्द लिखा होगा। पृष्ठ भाग सिक्के के पृष्ठ भाग पर बायीं परिधि पर हिंदी में शब्द "भारतीय रिज़र्व बैंक" और अंग्रेजी में शब्द "RESERVE BANK OF INDIA" के साथ भारतीय रिज़र्व बैंक का प्रतीक चिहन नामत: ताड का पेड़ और बाघ अंकित होगा तथा दायीं परिधि पर हिंदी में "प्लैटिनम जुबली" और अंग्रेजी में "PLATINUM JUBILEE" शब्द के साथ प्रतीक चिहन के नीचे वर्ष "1935-2010" अंकित होगा। मिन्ट रोड माईलस्टोन्स : भारतीय रिज़र्व बैंक के 75 वर्ष पूरे हुए ‘मिन्ट रोड माईलस्टोन्स :भारतीय रिज़र्व बैंक के 75 वर्ष पूरे हुए’ एक ऐतिहासिक अनुक्रम है जिसका संकलन भारतीय रिज़र्व बैंक की प्लैटिनम जयंती के महत्त्व के लिए किया गया है। इस ऐतिहासिक अनुक्रम के पहले एक परिचय है जो ऐक संक्षिप्त इतिहास प्रस्तुत करता है और पाठक को देश के केंद्रीय बैंक की भूमिका और दायित्व की प्रारंभिक जानकारी भी देता है। इस प्रकाशन का प्रयास आज की व्यापक सामाजिक आर्थिक गतिविधियों, वैश्विक और घरेलू दोनों के संदर्भ में केंद्रीय बैंकिंग को प्रस्तुत करने का है। रिज़र्व बैंक की इस यात्रा को दृश्यों और लघुचित्रों को सजाया गया है जो देश के घटना भरे विगत तथा उस मार्ग की झांकी प्रस्तुत करता है जिससे होकर इसे गुज़रना पड़ा है। इनसे इस विकासशील विश्व के एक संवेदनशील केंद्रीय बैंक के उत्साह को जीवंत रहने में सहायता भी मिलती है। मिन्ट रोड माईलस्टोन्स :भारतीय रिज़र्व बैंक के 75 वर्ष पूरे हुए उन्नत वित्तीय शिक्षा के प्रति रिज़र्व बैंक के प्रयास का एक भाग है। यह आशा की जाती है कि इस पुस्तक का स्वागत उन सभी के द्वारा किया जाएगा जो बैंकिंग और वित्त में रूचि रखनेवाले छात्र, व्यावसायिक व्यक्ति और उसी तरह के सामान्य आदमी हैं। अजीत प्रसाद |